लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०) की आंतरिक नीतियाँ

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अप्रैल, 1876 ई० में लॉर्ड नॉर्थव्रुक के स्थान पर लॉर्ड लिटन को भारत के गवर्नर-जनरल के पद पर नियुक्त किया गया. उस समय लॉर्ड लिटन के समक्ष दो मुख्य कठिनाइयाँ थीं और उन्हीं के कारण भारत में उसका शासन सफल नहीं हो सका. सर्वप्रथम, गवर्नर-जनरल का पद ग्रहण करने के पहले लिटन को भारत की परिस्थितियों को समझने का अवसर … Read More

लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०) की नीतियाँ एवं सुधार

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कम्पनी के शासन समाप्त होने के बाद भारत में जितने भी वायसराय आये, उनमें लॉर्ड रिपन का विशिष्ट स्थान है. वह उदार विचारों का था. वह शान्ति, अहस्तक्षेप तथा स्वायत्त शासन के गुणों में विश्वास रखता था और ग्लैडस्टनयुग का सच्चा उदारपंथी थी. लॉर्ड विलियम बेन्टिंक की भाँति उसने राजनीतिक और सामाजिक सुधार करने में अधिक अभिरुचि दिखलाई. यद्यपि अंगरेज … Read More

कैबिनेट मिशन योजना – 16 May, 1946

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द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हो गया था और इंगलैंड ने पहले आश्वासन दे रखा था कि युद्ध में विजयी होने के बाद वह भारत को स्वशासन का अधिकार दे देगा. इस युद्ध के फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार की स्थिति स्वयं दयनीय हो गयी थी और अब भारतीय साम्राज्य पर नियंत्रण रखना सरल नहीं रह गया था. बार-बार पुलिस, सेना, कर्मचारी और श्रमिकों … Read More

भारत छोड़ो आन्दोलन – Quit India Movement in Hindi

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भारत छोड़ो आन्दोलन – भूमिका भारत के इतिहास में 1942 की अगस्त क्रान्ति (August Revolution) एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है. इस क्रांति का नारा था “अंग्रेजों भारत छोड़ो (Quit India)“ और सचमुच ही एक क्षण तो ऐसा लगने लगा कि अब अंग्रेजों को भारत से जाना ही पड़ेगा. द्वितीय विश्वयुद्ध (Second Word War) में जगह-जगह मित्रराष्ट्रों की पराजय से … Read More

क्रिप्स योजना – Cripps Mission, 30 March 1942 in Hindi

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द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रथम दो वर्ष ब्रिटिश साम्राज्य के लिए बहुत संकटपूर्ण थे. जर्मनी की निरंतर सफलता और इंग्लैंड पर आक्रमण की आशंका से इंग्लैंड अपनी रक्षा के लिए खुद प्रयत्नशील था. जापानी आक्रमण से भारतीय साम्राज्य पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे थे. इस प्रकार युद्ध की दोहरी मार से ब्रिटिश साम्राज्य की शांति और सुरक्षा खतरे में … Read More

[Quiz] अगस्त प्रस्ताव: भारत छोड़ो आन्दोलन Questions Answers

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अगस्त प्रस्ताव इस समय तक युद्ध में जर्मनी की तेजी से विजय हो रही थी. डेनमार्क, नार्वे, हालैंड, फ़्रांस आदि उसके अधिकार में आ गये थे. फ्रांस में अंग्रेजी सेना को मुँह की खानी पड़ी थी और स्वयं ब्रिटेन पर खतरे के बादल मँडरा रहे थे. युद्ध के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी. ऐसी स्थिति … Read More

भारत सरकार अधिनियम – Government of India Act, 1935

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ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीय जनता को संतुष्ट करने के लिए सन् 1861, 1892, 1909, 1919 और 1935 में कानून पास किये गए लेकिन ये सुधार भारतीय जनता को कभी संतुष्ट नहीं कर सके. 1935 का भारतीय सरकार/शासन अधिनियम (Government of India Act, 1935) भारतीय संविधान का एक प्रमुख स्रोत रहा है. भारत के वर्तमान संविधान की विषय-सामग्री और भाषा … Read More

द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं? Diarchy in Hindi

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1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा प्रांतीय सरकार को मजबूत बनाया गया और द्वैध शासन (diarchy) की स्थापना की गई. 1919 के पहले प्रांतीय सरकारों पर केंद्र सरकार का पूर्ण नियंत्रण रहता था. लेकिन अब इस स्थिति में परिवर्तन लाकर प्रांतीय सरकारों को उत्तरदायी बनाने का प्रयास किया गया. इस द्वैध शासन का एकमात्र उद्देश्य था – भारतीयों को पूर्ण … Read More

तृतीय गोलमेज सम्मेलन – Third Round Table Conference

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1932 में पुनः एक गोलमेज सम्मेलन लंदन में हुआ. तृतीय गोलमेज सम्मेलन (Third Round Table Conference) का आयोजन 17 नवम्बर 1932 से 24 दिसम्बर 1932 तक किया गया. इस सम्मेलन में केवल 46 प्रतिनिधियों ने भाग लिया. तृतीय गोलमेज सम्मेलन में मुख्यतः प्रतिक्रियावादी तत्वों ने ही भाग लिया. भारत की कांग्रेस तथा ब्रिटेन की लेबर पार्टी ने इस सम्मेलन में … Read More

द्वितीय गोलमेज सम्मेलन – Second Round Table Conference

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सरकार ने कांग्रेस को द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (Second Round Table Conference) में सम्मिलित होने के लिए मनाने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए. इसके तहत वाइसरॉय से वार्ता का प्रस्ताव दिया गया. इसके तहत वाइसरॉय से चर्चा के लिए आधिकारिक रूप से नियुक्त किया. गाँधी जी और वाइसरॉय इरविन की बातचीत 19 फरवरी, 1931 से शुरू हुई. 15 दिन की बातचीत … Read More