लखनऊ समझौता – 1916 (Lucknow Pact)

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वर्ष 1916 का कांग्रेस अधिवेशन लखनऊ में आयोजित हुआ, जिसकी अध्यक्षता नरमपंथी नेता अम्बिका चरण मजुमदार ने की थी. गरमपंथियों का कांग्रेस में फिर से शामिल होना तथा लीग के साथ समझौता इस अधिवेशन की प्रमुख उपलब्धि थी. कांग्रेस के दोनों धड़ों को आभास हो गया था कि पुराने विवादों को दोहराने की अब कोई प्रासिंगता नहीं रह गई है … Read More

होमरूल आन्दोलन – Home Rule League in Hindi

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आज हम लोग होमरूल लीग की स्थापना किन परिस्थतियों में हुई और इस आन्दोलन पतन कैसे हुआ, इसकी चर्चा करने वाले हैं. पृष्ठभूमि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में लोकमान्य तिलक तथा एनी बेसेंट द्वारा स्थापित होमरूल लीग एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रवादी प्रतिक्रिया थी. प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ होने पर ब्रिटिश सरकार ने भारत को भी युद्ध में सम्मिलित … Read More

भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 – मार्ले-मिंटो सुधार

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भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 भारत के संवैधानिक विकास का अगला कदम था. यह पूर्ववर्ती भारतीयों के ‘सहयोग की नीति’ के क्रियान्वयन की दिशा में एक प्रशंसनीय प्रयास था. इसके जन्मदाता भारत सचिव मार्ले तथा गवर्नर जनरल लार्ड मिण्टो थे. इन्हीं के नाम पर इसे मार्ले-मिंटो सुधार कहते हैं. भारतीय परिषद अधिनियम 1909 को पारित करने के पीछे कारण अधिनियम को … Read More

भारतीय परिषद् अधिनियम, 1861 – Indian Council Act

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1861 का भारतीय परिषद् अधिनियम 1858 के अधिनियम द्वारा केवल गृह सरकार में ही परिवर्तन हुए थे. भारतीय प्रशासन में कोई भी परिवर्तन नहीं किये गये थे. इस बात की बहुत तीव्र भावना थी कि 1857-58 के महान् संकट के बाद भारतीय संविधान में महान् परिवर्तनों की आश्यकता है. 1861 के बाद अधिनियम के साथ ‘सहयोग की नीति’ का आरंभ … Read More

उदारवादी तथा उग्रवादी नेता और उनके विचारों के बीच तुलना

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उदारवादी तथा उग्रवादी विचारों की तुलना तिलक ने लिखा है कि हमारी नीतियों के प्रति दो शब्दों का प्रयोग होने लगा हैः उदारवादी और उग्रवादी. ये शब्द समय से सम्बन्धित है. इसलिए ये समय के अनुसार बदल जायेंगे, जैसे कल के उग्रवादी आज के उदारवादी बन गये हैं, उसी प्रकार आज के उदारवादी कल के उग्रवादी बन जायेंगे. तिलक की … Read More

बाल गंगाधर तिलक (1856-1920)

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कांग्रेस के उग्रवादी नेताओं में सर्वप्रथम स्थान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को दिया जाता है. उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को तीव्रता और गति प्रदान की. भारतीय इन्हें श्रद्धा और प्यार से ‘लोकमान्य’ कहते थे. उनका जन्म 23 जुलाई, 1856 को महाराष्ट्र के रत्नगीरि नगर में एक उच्च चितपावन ब्राह्मण परिवार में हुआ था. तिलक के कार्यकाल को सुविधानुसार दो भागों में … Read More

हीनयान और महायान के सम्बन्ध में रोचक जानकारी

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आज हम बौद्ध धर्म की दो शाखाओं हीनयान और महायान के बीच अंतर और कुछ रोचक तथ्यों के बारे में जानेंगे. बुद्ध के निर्वाण के 100 वर्ष बाद ही बौद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया – 1. स्थविरवादी और 2. महासांघिक.  बौद्धों की द्वितीय संगीति वैशाली में हुई. इसमें ये मतभेद और भी अधिक उभर कर आये. अशोक … Read More

उदारवादी युग (1885-1905) – नरमपंथी विचारधारा और नेताओं की भूमिका

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कांग्रेस के आरम्भिक 20 वर्षों के काल को “उदारवादी राष्ट्रीयता” की संज्ञा दी जाती है क्योंकि इस काल में कांग्रेस कीं नीतियाँ अत्यंत उदार थीं. इस युग में भारतीय राजनीति के प्रमुख नेतृत्वकर्ता दादाभाई नौरोजी, फ़िरोज़शाह मेहता, दिनशा वाचा और सुरेन्द्र नाथ बनर्जी आदि जैसे उदारवादी थे. उदारवादियों की राजनीति के कुछ सुस्पष्ट चरण रहे हैं जिसके अंतर्गत इनके आन्दोलन … Read More

कांग्रेस की स्थापना से पूर्व की राजनीतिक संस्थाएँ

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दिसम्बर, 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना अकस्मात् घटी कोई घटना नहीं थी, बल्कि यह राजनीतिक जागृति की चरम पराकाष्ठा थी. दरअसल, कांग्रेस के गठन के पहले भी कई राजनीतिक एवं गैर-राजनीतिक संगठनों की स्थापना हो चुकी थी. 19वीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों से ही कंपनी प्रशासन में स्थायित्व के लक्षण दिखने लगे थे. प्रशासन में स्थायित्व आ जाने … Read More

महात्मा बुद्ध के समकालीन लोग – Buddha’s Contemporaries

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महात्मा बुद्ध के बहुसंख्यक अनुयायियों में कुछ ऐसे थे जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्वत्ता, सदाचारिता और श्रद्धा के कारण उनके ऊपर स्थायी प्रभाव डाला था और वे तथागत के परमप्रिय शिष्य बन गये थे. अपनी अनवरत साधना और कार्य परायणता से इन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार में महान् योगदान दिया था. इनमें से कुछ के नामोल्लेख कर देना आवश्यक प्रतीत होता … Read More