भारतीय संविधान में शासन चलाने से सम्बन्धित कुछ निर्देशक सिद्धांतों का भी उल्लेख है. इन्हें Directive Principles of State Policy कहते हैं. इन सिद्धांतों में से एक सिद्धांत यह है कि भारत की सरकार देश में ग्राम स्वशासन के दिशा में कार्रवाई करे. इस निर्देश के अनुपालन के लिए 1992 में संविधान में 73वाँ संशोधन किया गया. भारत में 24 अप्रैल को हर वर्ष राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस संशोधन के द्वारा देश में पंचायती राज की व्यवस्था लागू की गई. यह व्यवस्था त्रि-स्तरीय है- ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद्.
[alert-success]पंचायती राज (Panchayati Raj) व्यवस्था लागू करने करने के लिए राज्यों अपने नियम एवं विनियम बनाने का अधिकार है. फलस्वरूप अलग-अलग राज्यों में पद के आरक्षण, कार्यकलाप आदि के प्रावधानों में विविधता देखी जा सकती है. यहाँ हम जिन प्रावधानों का उल्लेख करेंगे वे एक model के तौर पर है.[/alert-success]बलवंतराय मेहता समिति
भारत में “पंचायती राज” की स्थापना के उद्देश्य से ही भारत सरकार ने बलवंतराय मेहता की अध्यक्षता में एक समिति की नियुक्ति की थी. इस समिति ने भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए लोकतंत्र की इमारत को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया. इसके लिए उसने प्रजातांत्रिक विकेंद्रीकरण के सिद्धांत को लागू करने की सिफारिश की. इस समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए –
i) सरकार को अपने कुछ कार्यों और उत्तरदायित्वों से मुक्त हो जाना चाहिए और उन्हें एक ऐसी संस्था को सौंप देना चाहिए, जिसके क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विकास के सभी कार्यों की पूरी जिम्मेदारी रहे. सरकार का काम सिर्फ इतना रहे कि ये इन संस्थाओं को पथ-प्रदर्शन और निरीक्षण करती रहे.
ii) लोकतंत्र की आधारशिला को मजबूत बनाने के लिए राज्यों की उच्चतर इकाइयों (जैसे प्रखंड, जिला) से ग्राम पंचायतों का अटूट सम्बन्ध हो. इसलिए, प्रखंड और जिले में भी पंचायती व्यवस्था को अपनाना आवश्यक है.
iii) प्रखंड-स्तर पर एक निर्वाचित स्वायत्त शासन संस्था की स्थापना की जाए जिसका नाम पंचायत समिति रखा जाए. इस पंचायत समिति का संगठन ग्राम पंचायतों द्वारा हो.
iv) जिला-स्तर पर एक निर्वाचित स्वायत्त शासन संस्था की स्थापना की जाए जिसका नाम जिला परिषद् रखा जाए. इस जिला परिषद् का संगठन पंचायत समितियों द्वारा हो.
ग्राम पंचायत
ग्राम पंचायत का गठन – Composition of Gram Panchayat
a) सरपंच
ग्राम पंचायत की न्यायपालिका को ग्राम कचहरी कहते हैं जिसका प्रधान सरपंच होता है. सरपंच का निर्वाचन मुखिया की तरह ही प्रत्यक्ष ढंग से होता है, सरपंच का कार्यकाल 5 वर्ष है. उसे कदाचार, अक्षमता या कर्तव्यहीनता के कारण सरकार द्वारा हटाया भी जा सकता है. अगर 2/3 पञ्च सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दें तो सरकार सरपंच को हटा सकती है. सरपंच का प्रमुख कार्य ग्राम कचहरी का सभापतित्व करना है. कचहरी के प्रत्येक तरह के मुक़दमे की सुनवाई में सरपंच अवश्य रहता है. सरपंच ही मुक़दमे को स्वीकार करता है तथा मुक़दमे के दोनों पक्षों और गवाहों को उपस्थित करने का प्रबंध करता है. वह प्रत्येक मुकदमे की सुनवाई के लिए दो पंचों को मनोनीत करता है. ग्राम कचहरी की सफलता बहुत हद तक उसकी योग्यता पर निर्भर करती है.
b) मुखिया
ग्राम पंचायत के अंतर्गत मुखिया का स्थान महत्त्वपूर्ण है. उसकी योग्यता तथा कार्यकुशलता पर ही ग्राम पंचायत की सफलता निर्भर करती है. मुखिया ग्राम पंचायत की कार्यकारिणी समिति के चार सदस्यों को मनोनीत करता है. मुखिया का कार्यकाल 5 वर्ष है. परन्तु, ग्राम पंचायत अविश्वास प्रस्ताव पास कर मुखिया को पदच्युत कर सकती है. पंचायत के सभी कार्यों की देखभाल मुखिया ही करता है. मुखिया अपनी कार्यकारिणी समिति की सलाह से ग्राम पंचायत के अन्य कार्य भी कर सकता है. ग्राम पंचायत में न्याय तथा शान्ति की व्यवस्था करने का उत्तरदायित्व उसी पर है. उसकी सहायता के लिए ग्रामरक्षा दल भी होता है. उसे ग्राम-कल्याण कार्य के लिए बड़े-बड़े सरकारी पदाधिकारियों के समक्ष पंचायत का प्रतिनिधित्व करने भी अधिकार है. वह ग्रामीण अफसरों के आचरण के विरुद्ध शिकायत भी कर सकता है.
c) पंचायत सेवक
प्रत्येक ग्राम पंचायत का एक कार्यालय होता है, जो एक पंचायत सेवक के अधीन होता है. पंचायत सेवक की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा होती है. उसे राज्य सरकार द्वारा निर्धारित वेतन भी मिलता है. ग्राम पंचायत की सफलता पंचायत सेवक पर ही निर्भर करती है. वह ग्राम पंचायत के के सचिव के रूप में कार्य करता है और इस नाते उसे ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के निरीक्षण का अधिकार है. वह मुखिया, सरपंच तथा ग्राम पंचायत को कार्य-सञ्चालन में सहायता देता है. राज्य सरकार द्वारा उसका प्रशिक्षण होता है. ग्राम पंचायत के सभी ज्ञात-अज्ञात प्रमाण पंचायत सेवक के पास सुरक्षित रहते हैं. अतः, वह ग्राम पंचायत के कागजात से पूरी तरह परिचित रहता है और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें पेश करता है. संक्षेप में, ग्राम पंचायत के सभी कार्यों के सम्पादन में उसका महत्त्वपूर्ण स्थान है.
d) ग्रामरक्षा दल
18 से 30 वर्ष के स्वस्थ युवकों से ग्रामरक्षा दल बनता है. गाँव की रक्षा के लिए यह दल होता है, जिसका संगठन ग्राम पंचायत करती है. चोरी, डकैती, अगलगी, बाढ़, महामारी इत्यादि आकस्मिक घटनाओं के समय यह दल गाँव की रक्षा करता है. इसका नेता “दलपति” कहलाता है.
ग्राम पंचायत के कार्य
i) पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजनाएँ तैयार करना
ii) वार्षिक बजट तैयार करना
iii) प्राकृतिक आपदा में साहयता-कार्य पूरा करना
iv) लोक सम्पत्ति से अतिक्रमण हटाना
v) कृषि और बागवानी का विकास और उन्नति
vi) बंजर भूमि का विकास
vii) पशुपालन, डेयरी उद्योग और मुर्गीपालन
viii) चारागाह का विकास
ix) गाँवों में मत्स्यपालन का विकास
x) सड़कों के किनारे और सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण
xi) ग्रामीण, खादी एवं कुटीर उद्योगों का विकास
xii) ग्रामीण गृह-निर्माण, सड़क, नाली पुलिया का निर्माण एवं संरक्षण
xiii) पेय जल की व्यवस्था
xiv) ग्रामीण बिजलीकरण एवं गैर-परम्परागत ऊर्जास्रोत की व्यवस्था एवं संरक्षण
xv) प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों सहित शिक्षा, व्यस्क एवं अनौपचारिक शिक्षा, पुस्तकालय, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि की व्यवस्था करना
xvi) ग्रामीण स्वस्थता, लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण कार्यक्रम, महिला एवं बाल विकास, विकलांग एवं मानसिक रूप से मंद व्यक्तियों, कमजोर वर्ग खासकर अनुसूचित जाती एवं जनजाति के कल्याण-सबंधी कार्यक्रमों को पूरा करना
xvii) जन वितरण प्रणाली की उचित व्यवस्था करना
xviii) धर्मशालाओं, छात्रवासों, खातालों, कसाईखानों, सार्वजनिक पार्क, खेलकूद का मैदान, झोपड़ियों का निर्माण एवं व्यवस्था करना
ग्राम पंचायत की आय के स्रोत क्या हैं?
ग्राम पंचायत की आय के निम्नलिखित साधन हैं – – –
i) भारत सरकार से प्राप्त अंशदान, अनुदान या ऋण अथवा अन्य प्रकार की निधियाँ
ii) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त चल एवं अचल सपंत्ति से प्राप्त आय
iii) भूराजस्व एवं सेस से प्राप्त राशियाँ
iv) राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अंशदान, अनुदान या ऋण सबंधी अन्य आय
v) राज्य सरकार की अनुमति से किसी निगम, निकाय, कम्पनी या व्यक्ति से प्राप्त अनुदान या ऋण
vi) दान के रूप में प्राप्त राशियाँ या अंशदान
vii) सरकार द्वारा निर्धारित अन्य स्रोत
पंचायत समिति
बलवंतराय समिति की अनुशंसा के अनुसार पंचायती राज के लिए प्रखंड स्तर पर भी ग्राम स्वशासन की व्यवस्था की गई है. प्रखंड स्तर पर गठित निकाय पंचायत समिति कहलाता है. प्रत्येक प्रखंड (Development Block) में एक पंचायत समिति की स्थापना होती है जिसका नाम उसी प्रखंड के नाम पर होता है. राज्य सरकार को पंचायत समिति के क्षेत्र को घटाने-बढ़ाने का अधिकार होता है.
सदस्य
i) प्रखंड की प्रत्येक पंचायत के सदस्यों द्वारा निर्वाचित दो सदस्य होंगे. जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान अरक्षित रहेंगे. आरक्षित पदों में भी तीस प्रतिशत पद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए अरक्षित रहेंगे. यदि दो ही पद आरक्षित हों तो एक महिला के लिए आरक्षित रहेगा. अनारक्षित पदों में भी 30% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे.
ii) पंचायत समिति के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम पंचायत का मुखिया पंचायत समिति का सदस्य होगा.
iii) प्रखंड के अंतर्गत चुनाव क्षेत्रों द्वारा निर्वाचित राज्य विधान सभा और संघीय लोक सभा के सभी सदस्य होंगे.
iv) विधान परिषद् और संघीय राज्य सभा के वे सभी सदस्य, जो उस प्रखंड के निवासी हों.
सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होगा. यदि पदेन सदस्य इस पद पर नहीं रहे जिस पद के अधिकार से वह सदस्य बना हो, तो वह पंचायत समिति का सदस्य नहीं भी रह सकेगा. राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त कारणों से यथासमय निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में पंचायत समिति के निर्वाचित पदधारकों की पदावधि पाँच वर्षों की अवधि के अतिरिक्त छह मास तक बढ़ाई जा सकेगी.
वही व्यक्ति पंचायत समिति का सदस्य हो सकेगा, जो —
a) भारत का नागरिक हो
b) 25 वर्ष की आयु का हो
c) सरकार के अन्दर किसी लाभ के पद पर न हो.
स्थाई समितियाँ
पंचायत समिति के कार्यों का सम्पादन स्थाई समितियों द्वारा होगा जिनमें निम्नलिखित प्रमुख समितियाँ होंगी –
a) कृषि, पशुपालन, लघु सिंचाई और सहकारिता समिति
b) शिक्षा समिति जिसमें समाज-शिक्षा, स्थानीय कला और शिल्प, लघु बचत तथा कुटीर उद्योग और शिक्षा आदि होंगे
c) सार्वजनिक स्वास्थ्य और सफाई समिति, यातायात और निर्माण समिति
d) आर्थिक और वित्तीय समिति
e) समाज कल्याण समिति इत्यादि
राज्य सरकार और जिला परिषद् की अनुमति से पंचायत समिति अन्य स्थाई समितियों का निर्माण कर सकती है. प्रत्येक स्थाई समिति में 5-7 तक सदस्य होंगे. सदस्यों का निर्वाचन पंचायत समिति अपने सदस्यों में से ही करती है. प्रमुख को छोड़कर कोई अन्य व्यक्ति दो स्थाई समितियों से अधिक का सदस्य नहीं होता. समिति के सदस्य समिति के अध्यक्ष का निर्वाचन करते हैं. आर्थिक और वित्त समिति का अध्यक्ष पंचायत समिति का प्रमुख होता है. प्रखंड विकास पदाधिकारी स्थाई समितियों का सचिव होता है. समितियों का काम अपने विषयों से सम्बद्ध पंचायत समिति के सारे कार्य संपादित करना है. इस तरह की समिति अपने कार्यों के सम्पादन हेतु B.D.O. से कोई कागज़ माँग सकती है, जिसे बी.डी.ओ. को देना पड़ेगा.
प्रमुख और उपप्रमुख
प्रत्येक पंचायत समिति में एक प्रमुख और एक उपप्रमुख होगा, जिनका निर्वाचन पंचायत समिति के सदस्य करेंगे, लेकिन कोई सह-सदस्य इन पदों के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकता. प्रमुख पंचायत समिति का अध्यक्ष होता है. उसका कार्यकाल पाँच वर्ष है. पंचायत समिति अविश्वास का प्रस्ताव (No-confidence motion) पास करके और राज्य सरकार आदेश जारी करके प्रमुख और उपप्रमुख को पदच्युत कर सकती है. जिला परिषद् का अध्यक्ष या व्यवस्थापिका का सदस्य निर्वाचित होने पर प्रमुख को अपना पद छोड़ना होगा.
प्रमुख को अनेक अधिकार दिए गए हैं. पंचायत समिति की सभा बुलाना, उसके अध्यक्ष का आसन ग्रहण करना प्रमुख का काम है. वह पंचायत समिति के कार्यों का सञ्चालन करता है, उनका निरीक्षण करता है और उसके कार्यकलाप की रिपोर्ट समिति को देता है. वह प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यों की भी निगरानी करता है और पंचायत समिति के कार्यों की रिपोर्ट राज्य सरकार को देता है. संकटकाल में वह प्रखंड पदाधिकारी के परामर्श से आवश्यक कार्यवाही कर सकता है. प्रमुख की अनुपस्थिति में उसके सारे कार्यों का सम्पादन उपप्रमुख द्वारा होता है.
प्रखंड विकास पदाधिकारी
प्रखंड विकास पदाधिकारी पंचायत समिति का पदेन सचिव (Secretary) होगा और उसका काम पंचायत समिति के प्रस्तावों को कार्यान्वित करना होगा. प्रमुख की अनुमति से वह पंचायत समिति की बैठक बुलाएगा और उसकी कार्यवाही का रिकॉर्ड रखेगा. पंचायत समिति की बैठक में उसे भाग लेने का अधिकार है, किन्तु मतदान करने का उसे अधिकार नहीं है. वह पंचायत समिति के वित्त का प्रबंध करेगा. उसे आपातकालीन शक्तियाँ भी दी गई हैं. प्रमुख और उपप्रमुख की अनुपस्थिति में यदि कोई संकटकालीन स्थिति उत्पन्न हो, तो वह आवश्यक कार्रवाई कर सकेगा और उसकी सूचना जिलाधीश (District Magistrate/Commissioner)को देगा.
पंचायत समिति के कार्य
पंचायत समिति को अपने क्षेत्र के अंतर्गत सभी विकास-कार्यों के सम्पादन का अधिकार दिया गया है. ग्राम पंचायतों, सहकारी समितियों आदि की मदद से पंचायत समिति ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए कोई भी आवश्यक कार्य कर सकती है. पंचायत समिति के कार्य निम्न प्रकार के होते हैं – –
a) शिक्षा-सम्बन्धी कार्य
b) स्वास्थ्य-सम्बन्धी कार्य
c) कृषि-सम्बन्धी कार्य
d) ग्रामोद्योग- सम्बन्धी कार्य
e) आपातकालीन कार्य
पंचायत समिति की आय के साधन
पंचायत समिति की आय के निम्नलिखित साधन हैं-
a) जिला परिषद् से प्राप्त स्थानीय सेस, भूराजस्व का अंश और अन्य रकम
b) कर, चुंगी, अधिभार (surcharge) और फीस से प्राप्त आय
c) सार्वजनिक घाटों, मेलों, हाटों तथा ऐसे ही अन्य स्रोतों से आनेवाली आय
d) वैसे अंशदान या दान, जो जिला परिषदों, ग्राम पंचायतों, अधिसूचित क्षेत्र समितियों, नगरपालिकाओं या न्यासों एवं संस्थाओं से प्राप्त हो
e) भारत सरकार और राज्य सरकार से प्राप्त अंशदान या अनुदान या ऋण सहित अन्य प्रकार की निधियाँ
f) अन्य संस्थाओं से प्राप्त ऋण आदि
जिला परिषद्
प्रत्येक जिला में एक परिषद् की स्थापना होगी. जिला परिषद् के निम्नलिखित सदस्य होंगे –
i) क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से सीधे निर्वाचित सदस्य. प्रत्येक सदस्य जिला परिषद् क्षेत्र की यथासंभव 50,000 की जनसंख्या के निकटतम का प्रतिनिधित्व करेगा. निर्वाचित सदस्यों की संख्या जिलाधिकारी द्वारा निश्चित की जाएगी. प्रत्येक क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य निर्वाचित किया जाएगा.
ii) जिले की सभी पंचायत समितियों के प्रमुख.
iii) लोक सभा और राज्य विधान सभा के वैसे सदस्य जो जिले के किसी भाग या पूरे जिले का प्रतिनिधित्व करते हों और जिनका निर्वाचन क्षेत्र जिले के अंतर्गत पड़ता हो.
iv) राज्य सभा और राज्य विधान परिषद् के वैसे सदस्य जो जिले के अंतर्गत निर्वाचक के रूप में पंजीकृत हो.
स्थानों का आरक्षण
निर्वाचित सदस्यों के लिए स्थानों के आरक्षण की व्यवस्था की गई है. अनुसूचितजाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्गों के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था की गई है. आरक्षित स्थानों 1/3 भाग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग को महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे. इसके अतिरिक्त पंचायत समिति में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जानेवाले स्थानों की कुल संख्या के 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे.
बैठक
जिला परिषद् की कम-से-कम तीन माह में एक बार अवश्य बैठक होगी. गठन के बाद जिला परिषद् की पहली बैठक की तिथि जिलाधिकारी द्वारा निश्चित की जाएगी जो उस बैठक की अध्यक्षता भी करेगा. कुल सदस्यों के पाँचवें भाग द्वारा माँग किये जाने पर 10 दिनों के अंतर्गत जिला परिषद् की विशेष बैठक बुलाई जा सकती है.
कार्यकाल
जिला परिषद् का कार्यकाल उसकी प्रथम बैठक की निर्धारित तिथि से अगले पांच वर्षों तक का निश्चित किया गया है.
अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष
जिला परिषद् के निर्वाचित सदस्य यथाशीघ्र अपने में से दो सदस्यों को क्रमशः अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के रूप में निर्वाचित करेंगे. अध्यक्ष-पद के लिए भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लिए स्थान आरक्षित रखने की व्यवस्था की गई है. अध्यक्ष के आरक्षित पदों की संख्या का अनुपात यथासंभव वही होगा जो राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़े वर्ग की जनसंख्या का अनुपात होगा. अध्यक्ष-पद के लिए महिलाओं के लिए भी कम-से-कम 1/3 स्थान स्थान अरक्षित रखे गये हैं. जिला परिषद् की बैठक बुलाने, उसकी अध्यक्षता करने एवं उसका सञ्चालन करने का अधिकार अध्यक्ष का ही है. इसके अतिरिक्त जिला परिषद् के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों पर पर्यवेक्षण एवं नियंत्रण रखना, जिला परिषद् की कार्यपालिका एवं प्रशासन पर पूर्ण नियंत्रण रखना, जिले में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों को राहत दिलाना इत्यादि उसके मुख्य कार्य हैं.
अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष ही जिला परिषद् की बैठक की अध्यक्षता करता है. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अथवा एक महीने से अधिक की अवधि के लिए अवकाश पर रहने की स्थिति में अध्यक्ष की शक्तियों का प्रयोग और कर्त्तव्यों का निर्वहण वही करता है.
स्थाई समितियाँ
जिला परिषद् में कुछ स्थाई समितियाँ होती हैं, जैसे सामान्य समिति, वित्त अंकेक्षण एवं एवं योजना समिति, सामजिक न्याय समिति, शिक्षण एवं स्वास्थ्य समिति, कृषि एवं उद्योग समिति. प्रत्येक समिति में अध्यक्षसहित पाँच सदस्य होते हैं. जिला परिषद् इससे अधिक सदस्यों की संख्या भी निश्चित कर सकती है. सदस्यों का चुनाव जिला परिषद् के निर्वाचित सदस्यों में से किया जाता है. जिला परिषद् का अध्यक्ष सामान्य स्थाई समिति तथा वित्त अंकेक्षण (finance audit) एवं योजना समिति का पदेन सदस्य और इसका अध्यक्ष भी होता है. उपाध्यक्ष सामजिक न्याय समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होता है.
अन्य स्थाई समितियाँ अपने अध्यक्ष का चुनाव अपने बीच के सदस्यों में से करती है. विभिन्न समितियाँ विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पन्न करती हैं.
मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी
जिलाधिकारी की श्रेणी का पदाधिकारी जिला परिषद् का मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी होता है जिसकी नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती है. मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी जिला परिषद् की नीतियों और निर्देशों को कार्यान्वित करेगा और जिला परिषद् के सभी कार्यों और विकास योजनाओं के शीघ्र निष्पादन हेतु आवश्यक कदम उठाएगा. अध्यक्ष के सामान्य अधीक्षण और नियंत्रण तथा अन्य पदाधिकारियों और कर्मचारी पर नियंत्रण रखेगा, जिला परिषद् से सम्बन्धित सभी कागजात एवं दस्तावेजों को सुरक्षित रखेगा तथा अन्य सौंपे गए कार्यों को पूरा करेगा. उसे जिला परिषद् की बैठकों में भाग लेने का अधिकार है. वह बैठक में विचार-विमर्श कर सकता है तथा कोई प्रस्ताव रख सकता है, परन्तु मतदान में भाग नहीं ले सकता है.
जिला परिषद् के कार्य
i) कृषि-सबंधी
ii) पशुपालन-सबंधी
iii) उद्योग-धंधे-सबंधी
iv) स्वास्थ्य-सम्बन्धी
v) शिक्षा-सम्बन्धी
vi) सामजिक कल्याण एवं सुधार सम्बन्धी
vii) आवास-सम्बन्धी
viii) अन्य कार्य- ग्रामीण बिजलीकरण, वृक्षारोपण, ग्रामीण सड़कों का निर्माण, ग्रामीण हाटों और बाजारों का अधिग्रहण, वार्षिक बजट बनाना इत्यादि.
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59 Comments on “पंचायती राज – ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद्”
सर जी यदि सरपंच का चूनाव को पांच वर्ष से अधिक हो जाता है तो क्या नियम है ऊसके लिए सरपंच का कार्य काल बढाया जाता है या नही
Lovely information about Gram Panchayat in Hindi.
Three tiear system kyu lagu kiya gya aur two tiear system kyu nahin lagu hua
pledge send me pdf like as gram
Please send me pdf file
Verry nice sir
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Aruntembhare4321 @gmail.com
Very nice collection of panchayti raj vyavastha
Jab panchayat raj lagu hua to kitne rajyo me ye lagu nahi hua tha
Kya gram pncayt Sdsyo ka ko adhikar he
Tell me the difference between sarpanch , pradhan ?
शानदार…
Muja jila parisat ka fom ka liya apil karta hu
sir hamara home pichle 25year se bilkul kache h sarpanch or gram sevak meri koi help nahi krte im verry poor man
Graam pancayat begash ka ek adhikari chor h nam h partap ji mujhse likhai(panting) ka karye karwa liya or pesse khud kha gaya uska mob.no.9828167717 h plz koi bhai h jo mujhe mere passe dila sakta h .
Patwari ki teyari kar rahe he
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pl mam muje nya samiti chairman ke pad ke bare me mahiti chahiye
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बिहार पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत प्राथमिक तथा मध्य विद्यालय से संदन्धित मुखिया के अधिकारों का pdf भेजें।
Muje batao bhaio/bahino/ madam g
Ki Gram se lekar cm, pm tak ki jankari chunav kese hoye h ek system ke madyam se batao g whatsapp No. 8813042280
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फोन 9214829477
बधिर सदेश फोन 8107131702
Mam muje panchayat samiti member ke karyo(work) ke baare main pdf send kare.. Watsp no 9671416974
Sir mera ghar 50 saal se Jis jagah par hai ab achanak road contractor hata raha hai na koi notice na koi sarkari madad ham ab Kya Kare kaise is problem se nijat paye please help
Sir gown ghar ka road pull Ka kaam karna hai mujhe uske bare mai jankari chaiya hindi me licence kahan se banana hai
may i use this article in the research matter
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मैं जानना चाहता हूं कि पंचायत स्तर पर दलपति का चुनाव कैसा होता है
Pdf please
सरकार ने पंचायत समिति सदस्य का चुनाव तो करा दिया गया है ।लेकिन इस पद को ऐक भी सरकारी योजना नही दिया गया है ।क्या ये सही है ।ये सब क्यों किया जाता है या तो आप ईस पद को खत्म कर दे या नही तो आप इसे भी सरकारी फंड से जोड़ने का काम करे ।
Dear
Sir / Madam please send me PDF Of this article in hindi.
mam mujhe apne ghar ka patta banwana hai aaj 7,8 saal ho gaye panchayat wale bana ke nahi de rahe hai akoda mein hamara ghar hai
आपके शहर में यदि कोई अंचल कार्यालय है तो वहाँ सम्पर्क करें.
पंचायत समिती जिल्हा परिषदची संखाेल माहिती मराठीत पाठवा
ThAnksss
Plz send p
Hi mam namaskar mai itna janna chahta hu ki mukhiya ke pas kitne
Type ka fund hote hai.
State bihar..
Thanks & regard
Ajay kumar singh
Mujhe panchayat samiti member ke work ke bare me jankari chayi hindi me
Mam MUJE sarpanch k adhikar bataye Jo school k record Jese karmchari attendance rajister v smc rajister m sing ya koi comments likh sakta h Kya ? jabki sarpanch smc ka manonit member na ho ?
Mujhe apna adhikaar ke liye kya karna chahiye jaisa likhit hai waisa kuchh bhi nahi hai please explane 1000 salary aur koi fayda nahi 1000 me petrol bhi pura nahi hota hai please guide
Mam muje panchayat samiti member ke karyo(work) ke baare main pdf send kare.. email- nitesh [email protected] wtsp no 9610184043
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Mam pls send me PDF(hindi ) this part in constitution ..
very well mam…..
plz send structure of panchayti raj
like as gram, janpad, jila, beside them nagar nigam etc…
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