मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न

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इस पोस्ट में हम मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2019 की मुख्य परीक्षा (mains exam) में आये कुछ प्रश्नों और कुछ मॉडल प्रश्नों के उत्तर लिखेंगे. बहुत सारे मटेरियल तो हमारी वेबसाइट में पहले से ही, दरअसल वर्षों पहले ही अपलोड कर दिए गये थे. इसलिए उनका reference देता जाऊँगा, आप बस लिंक क्लिक कर के उत्तर कैसे लिखा जाए, समझ सकते हैं. कुछ प्रश्नों का उत्तर यहीं पर लिख रहा हूँ जो वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं. ये सारे सवाल आपके राज्य द्वारा ली जाने वाली PCS परीक्षा में भी पूछे जा सकते हैं. इसलिए बेहतर होगा कि अपना आँख और कान खुला रखें.

Important Info
 

यह पेज MPPSC मुख्य परीक्षा के साथ अपडेट होता रहेगा. इसमें कुछ और संभावित प्रश्न जोड़ रहा हूँ जो शायद आपके आगामी परीक्षा के पेपर में काम आये.

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) 2019 मुख्य परीक्षा के कुछ प्रश्न (Model Paper)

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जहाँगीर के शासनकाल में नूरजहाँ के राजनीति में प्रभाव को स्पष्ट कीजिए.

ये पढ़िए>

नूरजहाँ से जुड़े तथ्य : मुगल शासन पर प्रभुत्व

मंदसौर अभिलेख

  • विदिशा, उज्जैन, मंदसौर और पवाया जैसे स्थानों पर किये गये उत्खनन कार्य से मिले सिक्के, टेराकोटा की वस्तुएँ, मूर्तियाँ, बरतन तथा अन्य सामान मालवा के प्राचीन इतिहास की जानकारी देते है.
  • रचना – संस्कृत विद्वान् वत्सभट्टी
  • यह अभिलेख प्रशस्ति के रूप में है.
  • इसमें सूर्य मंदिर निर्माण का उल्लेख मिलता है.

संविधान की प्रस्तावना के उद्देश्य लिखिए. प्रस्तावना में कितने प्रकार के न्याय का उल्लेख है?

केशवानन्द भारतीय वाद (1973) में सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय को संविधान का मूल ढाँचा माना गया था.

ये पढ़िए :- संविधान की प्रस्तावना

मूल अधिकार का महत्त्व बताइये.

ये पढ़िए – मौलिक अधिकार

लोक लेखा समिति, प्राक्कलन समिति के बारे में लिखें.

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शून्यकाल

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गरमदल और नरम दल में अंतर बताइए

गरमदल और नरमदल

ये पढ़िए :- गरमदल

44वाँ संविधान संशोधन के बारे में बताइये

ये पढ़िए :- 44वाँ संविधान संशोधन

संविधान को परिभाषित कीजिए.

ये पढ़िए :- संविधान

भारतीय न्यायिक व्यवस्था के कार्यों का उल्लेख करते हुए व्याप्त विसंगतियों की विवेचना करें एवं उनके निवारण के लिए मौलिक उपाय सुझाइए.

भारतीय न्यायिक व्यवस्था विश्व की प्राचीन न्यायिक प्रणालियों में से एक है. शक्ति के पृथककरण सिद्धांत के अंतर्गत भारतीय संविधान में एकीकृत एवं स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना का प्रावधान किया गया है – 

भारतीय न्यायिक प्रणाली के कार्य –

  1. मूल अधिकारों की सुरक्षा
  2. संघ एवं राज्यों के बीच विवादों का निपटान
  3. न्यायिक समीक्षा 
  4. संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखना
  5. जनहित के मामले तथा मसले पर राष्ट्रपति को सलाह 
  6. दीवानी, फौजदारी एवं संविधान से जुड़े मुकदमों की सुनवाई

भारतीय न्यायिक प्रणाली में अपने उल्लेखनीय कार्यों के बावजूद कुछ विसंगतियाँ विद्यमान हैं जिन्हें निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है – 

  1. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड के अनुसार वर्ष 2018 में अधीनस्थ न्यायालय में 2.93 करोड़, उच्च न्यायालय में 49 लाख और उच्चतम न्यायालय में 57,987 मामले लंबित हैं.
  2. प्रति दस लाख की जनसंख्या पर मात्र 20 न्यायाधीश उपलब्ध हैं.
  3. न्यायिक अवसंरचना के लिए सकल घरेलू उत्पाद का मात्र 0.09 हिस्सा ही व्यय किया जाता है.

कारण – 

  1. न्यायाधीशों की नियुक्ति पर गतिरोध
  2. जवाबदेहिता में कमी
  3. पारदर्शिता का अभाव
  4. व्याप्त भ्रष्टाचार
  5. जनसंख्या अधिक

भारत में नए राज्य का निर्माण

संविधान के भाग-। के अनुच्छेद-3 नए राज्य निर्माण व राज्य नाम परिवर्तन का प्रावधान करता है –

विधान सभा में प्रस्तुत प्रस्ताव आधार

  1. किसी राज्य विधानसभा में 2/3 साधारण बहुमत से पास
  2. राष्ट्रपति के पास भेजती है
  3. संसद इसे साधारण बहुमत से अनुमोदित करती है (स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है)

संसद में प्रस्तुत द्वारा (कैबिनेट)

  1. सम्बंधित राज्य की विधानसभा को (स्वीकृत या अस्वीकृत)
  2. राष्ट्रपति के पास आता है (पारित माना जाता है)
  3. संसद में प्रस्तुत व साधारण बहुमत से स्वीकृत

दक्षिण-पश्चिम मानसून की सक्रियता में जेट स्ट्रीम का क्या योगदान है?

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खाद्य प्रसंस्करण उद्योग क्या है? उदाहरण दीजिये.

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पुनर्जागरण की विशेषताओं को विवेचित कीजिये. यूरोप के पुनर्जागरण को मंगोलों ने कैसे प्रभावित किया? 

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भारत छोड़ो आन्दोलन को प्रारम्भ किये जाने के कारणों का विश्लेषण कीजिए.

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हड़प्पा सभ्यता की आर्थिक स्थिति का वर्णन कीजिए.

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दस्तक प्रणाली से आप क्या समझते हैं?

एक आज्ञा पत्र था जो ईस्ट इंडिया कम्पनी अपनी कम्पनी के माल को विभिन्न जगहों पर ले जाने के लिए निर्गत करती थी. इसे “दस्तक” कहा जाता था. मुग़लकाल में इस प्रणाली का अनुचित लाभ उठाया जाता था. 1717 ई. में मुग़ल सम्राट फर्रुखशियर द्वारा प्रदत्त दस्तकों का अंग्रेजों द्वारा दुरूपयोग जिससे सिराज को आर्थिक क्षति हो रही थी.

 

 

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