GISAID – समस्त इन्फ्लुएंजा डाटा को साझा करने से सम्बंधित वैश्विक पहल

Richa KishoreScience TechLeave a Comment

Global Initiative on Sharing All Influenza Data (GISAID)

पुणे में स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (National Institute of Virology) ने GISAID अर्थात् समस्त इन्फ्लुएंजा डाटा को साझा करने से सम्बंधित वैश्विक पहल के साथ नए कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) की 9 सम्पूर्ण जीनोम शृंखलाओं को साझा किया है.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है की मार्च के आरम्भ में ही भारत कोविड 19 की जीनोम शृंखला बनाने वाला विश्व का पांचवा देश बन गया था.

जीनोम शृंखला क्या होती है?

जीनोम की शृंखला (genome sequencing ) बनाना एक ऐसी तकनीक है जिसके बल पर हम लोग DNA अथवा RNA के भीतर स्थित आनुवांशिक सूचनाओं को पढ़ सकते हैं और उनकी व्याख्या कर सकते हैं.

COVID-19 की जीनोम शृंखला तैयार करना आवश्यक क्यों था?

COVID-19 की जीनोम का औपचारिक नाम SARS-CoV-2 है. इसमें 30,000 आधार जोड़े होते हैं. तात्पर्य यह है कि इसमें एक लम्बा धागा (long string) जैसा होता है जिसमें 30,000 जगहों पर nucleotide नामक चार रसायनों में से एक रसायन हुआ करता है. Nucleotide का यह मिश्रण अपने-आप में अनोखा होता है और इसी से विषाणु की पहचान होती है. इस पूरी शृंखला को जीनोम शृंखला कहते हैं.

COVID-19 से ग्रस्त लोगों से लिए गये नमूने से शोधकर्ताओं को यह समझने में सुविधा होती है कि प्रसार के साथ-साथ यह विषाणु कैसे विकसित हो रहा है. अभी तक पूरे विश्व में 1,000 से अधिक कोविड-19 जीनोम प्रकाशित हो चुके हैं.

इस प्रकार जीनोम की शृंखला निम्नलिखित कार्यों के लिए आवश्यक होती है –

  1. इससे यह पता लगता है कि कोई विषाणु पूरे संसार में किस मार्ग से फ़ैल रहा है.
  2. इससे यह भी पता चलता है कि अपने फैलाव के साथ-साथ विषाणु कितनी तेजी से अपने-आप को बदल रहा है.
  3. जीनोम शृंखला के आधार पर यह निश्चय किया जा सकता है कि रोग के उपचार के लिए क्या किया जाए.
  4. जीनोम शृंखला सह-संक्रमण की भूमिका को समझने में सहायक होती है.

GISAID क्या है?

  • यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के द्वारा 2008 में आरम्भ किया गया एक सार्वजनिक मंच है जिसमें विभिन्न देश जीनोम शृंखलाओं को साझा करते हैं.
  • GISAID सदस्य देशों को सर्वसुलभ डेटाबेस भी उपलब्ध कराता है जिससे इन्फ्लुएंजा से सम्बंधित आंकड़ों को अधिक से अधिक साझा किया जा सके.
  • 2010 में जर्मनी GISAID मंच का आधिकारिक आतिथेय (official host) बन गया.
  • 2013 में GISAID को यूरोपीय आयोग ने एक शोध संगठन के रूप में मान्यता दी और उसे PREDEMICS consortium नाम की परियोजना में भागिदार बना लिया. विदित हो कि यह परियोजना विषाणुओं से उत्पन्न होने वाली महामारियों की रोकथाम और भविष्यवाणी करने का काम किया करती है.
  • इसमें यह ध्यान भी रखा जाता है की आनुवांशिक शृंखला से सम्बंधित आँकड़े देने वाले व्यक्ति की बौद्धिक सम्पदा विषयक अधिकार का उल्लंघन नहीं हो.

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जीनोम इंडिया पहल

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