जीनोम इंडिया पहल (Genome India Initiative) के बारे में विस्तृत जानकारी

Richa KishoreScience Tech2 Comments

आज हम जीनोम इंडिया पहल (Genome India Initiative in Hindi) के बारे में चर्चा करेंगे.

जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आगामी पाँच वर्षों में दो चरणों के अंतर्गत लगभग 20 हजार भारतीय जीनोमों को स्कैन करने की योजना बनाई है जिससे कि कैंसर की जाँच के लिए परीक्षण हो सके.

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जीनोम इंडिया पहल से सम्बंधित मुख्य तथ्य

  • इसके पहले चरण में देश के हर कोने में रहने वाले दस हजार भारतीयों के जीनोमों को पूर्णतः क्रमबद्ध किया जाएगा और भारत की जैव-विविधता का पता लगाया जाएगा.
  • दूसरे चरण में ऐसे 10,000 लोगों के जीनोम क्रमबद्ध होंगे जो रोगग्रस्त हैं.
  • इस योजना से प्राप्त होने वाले विशाल डाटा भंडार को मशीनी ज्ञान तकनीकों का उपयोग करते हुए मिलान किया जाएगा और उन जीनों का पता लगाया जाएगा जो कैंसर अथवा अन्य रोगों का पूर्वानुमान दे सकते हैं.

जीनोम इंडिया पहल का महत्त्व

  • जीनोम इंडिया कार्यक्रम से प्राप्त डाटा किसी भी शोधकर्ता के लिए विश्लेषण हेतु उपलब्ध रहेगा क्योंकि यह डाटा एक प्रस्तावित राष्ट्रीय जैव वैज्ञानिक डाटा केंद्र में संचित किया जाएगा.
  • जीनोम इंडिया पहल के माध्यम से सामन्य रोगों के लिए जीनों और आनुवंशिक विविधताओं को पहचाने में सहायता मिलेगी. साथ ही इससे मेंडेलियन विकारों (Mendelian disorders) का उपचार करने में भी सहयोग मिलेगा. इसके अतिरिक्त भारत में प्रिसिजन मेडिसिन (Precision Medicine) के माध्यम से उपचार का मार्ग भी प्रशस्त होगा और फलतः देश के जनसामान्य के स्वास्थ्य की देखभाल में सुधार आएगा.

जीनोमिक्स क्या है?

  • किसी प्राणी के जीन सहित उसके पूरे DNA के क्रम को जीनोम कहते हैं.
  • जीनोमिक्स (Genomics) विज्ञान का वह बहु-शाखीय अध्ययन क्षेत्र है जिसमें जीनोमों की बनावट, कार्य, क्रमिक विकास, मानचित्रण और सम्पादन का अध्ययन होता है.
  • जीनोमिक्स में जीनोमों को क्रमबद्ध कर के उनका विश्लेषण किया जाता है.
  • जीनोमिक्स में हुई प्रगति के कारण मनुष्य को जटिल जैव-वैज्ञानिक प्रणालियों, यहाँ तक की मस्तिष्क को समझने में सहयता मिली है.

जीनोम को क्रमबद्ध करना आवश्यक क्यों?

मानव जीनोम को सबसे पहले 2003 में क्रमबद्ध किया गया था. तब से वैज्ञानिकों को यह पता है कि हर व्यक्ति की आनुवांशिक बनावट अनूठी होती है और उसका रोग से सम्बन्ध होता है. सिस्टिक फाब्रोसिस और थेलसिमिया जैसे लगभग 10,000 रोग इसलिए होते हैं कि कोई एक अकेला जीव ठीक से काम नहीं कर रहा होता है. जीनोम को क्रमबद्ध करने से यह सिद्ध हुआ है कि कैंसर भी कुछ अंगों का रोग न होकर आनुवांशिक भी हो सकता है.

विश्व-भर में चल रही जीनोम परियोजनाएँ

Genome Sequencing To Map Population Diversity

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) पूरे भारत वर्ष से लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं के जीनोमों को क्रमबद्ध करेगा जिससे कि देश की जनसंख्या का एक आनुवांशिक मानचित्र तैयार हो सके. इस परियोजना का उद्देश्य छात्रों को जीनोमिक्स की उपादेयता के विषय में जागरूक करना है. भारत सरकार पहले से एक वृहद् कार्यक्रम चला रही है जिसमें कम से कम दस हजार भारतीय जीनोमों को क्रमबद्ध किया जाना है. वर्तमान परियोजना उसी वृहद् परियोजना का एक अंश है. इस परियोजना के लिए जिन व्यक्तियों से जीनोमों के नमूने जमा किये जा रहे हैं वे देश की जनसांख्यिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं. अधिकांश जीनोम महाविद्यालय के उन छात्र-छात्राओं से लिए जा रहे हैं जो जीव विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. परियोजना का लक्ष्य है अधिक से अधिक महाविद्यालय के छात्रों तक पहुंचना और उन्हें जीनोमिक्स के सम्बन्ध में शिक्षित करना. इस परियोजना के फलस्वरूप वे अपनी जीनोम से प्रकट हुई सूचना के बारे में जान सकेंगे.

Earth Biogenome Project

अंतर्राष्ट्रीय जीव वैज्ञानिकों ने अर्थ बायो-जीनोम प्रोजेक्ट (BioGenome Project – EBP) नामक परियोजना आरम्भ की है. यह एक बड़े सोच वाली परियोजना है जिसमें अगले 10 वर्षों तक विश्व के एक-एक ज्ञात पशु, पौधे और फंफूद प्रजाति (fungal species) के DNA का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए 1.5 मिलियन अलग-अलग जिनेमों को क्रमबद्ध किया जाएगा जिसपर अनुमानतः 4.7 बिलियन डॉलर का व्यय आएगा.

EBP परियोजना में काम करने के लिए विश्व के 19 शोध संस्थानों ने अब तक अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं और कुछ अन्य इसमें सम्मिलित होने की सोच रहे हैं. जिन प्राणियों की DNA शृंखला का अध्ययन होने वाला है, उनमें बैक्टीरिया और archaea जैसे अ-जटिल सूक्ष्म जीवाणुओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के प्राणी होंगे, जैसे – पशु, पौधे, फंफूद, प्रोटोजोआ आदि. इस परियोजना के लिए धनराशि सरकारों, फाउंडेशनों, धार्मादा प्रतिष्ठानों (charities) से प्राप्त की जायेगी. इस परियोजना के पहले चरण में 9,000 यूकेरियोटिक (eukaryotic) प्राणिवर्गों, अर्थात् उन प्राणियों जिनके कोषों में झिल्ली से घिरा एक नाभिक होता है, का रेफरेन्स जीनोम तैयार किया जाएगा. इसमें 600 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी और अभी तक 200 मिलियन डॉलर का प्रबंध हो भी चुका है. इस परियोजना में सम्मिलित ब्रिटेन के प्रतिभागी Wellcome Sanger Institute के नेतृत्व में देश में रहने वाले सभी 66,000 ज्ञात प्रजातियों के जेनेटिक कोड को क्रमबद्ध करेंगे. 100 मिलियन पौंड (£100m) वाले इस राष्ट्र-स्तरीय कार्यक्रम को Darwin Tree of Life का नाम दिया गया है.

100K Genome Asia Project

सिंगापुर-स्थित नान्यांग प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (Nanyang Technological University – NTU) के नेतृत्व में एक परियोजना चल रही है जिसमें 50 हजार भारतीयों सहित एक लाख एशियाई लोगों के सम्पूर्ण जीनोम को क्रमबद्ध किया जाएगा. इस योजना का नाम 100k जीनोम एशिया प्रोजेक्ट है. इसमें भारत के वैज्ञानिक और कंपनियाँ भी काम कर रही हैं. यह एक लाभ रहित परियोजना है जिसमें एशिया के एक लाख लोगों के जीनोम को इस उद्देश्य से क्रमबद्ध किया जा रहा है कि इससे एशिया महादेश के लोगों को सही-सही औषधि देना संभव हो जाएगा. इस परियोजना में डाटा विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence – AI) के क्षेत्र में हुई प्रगतियों तथा डाटा विश्लेषण का भी सहारा लिया जाएगा. इसके लिए दक्षिण एशिया के 12 देशों तथा उत्तरी एवं पूर्वी एशिया के कम-से-कम 7 देशों के लोग चुने जाएँगे. प्रथम चरण में परियोजना में एशिया की सभी प्रमुख प्रजातियों के लिए चरणबद्ध reference genomes बनाने पर बल होगा. इससे एशिया की विभिन्न आबादियों के इतिहास और उसकी भीतरी बनावट को समझने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी. एक लाख व्यक्तिगत जीनोम को क्रमबद्ध करने के समय उससे माइक्रो-बायोम, चिकित्सकीय और फेनोटाइप सूचनाएँ भी जोड़कर रखी जायेंगी. इससे लाभ यह होगा कि स्थानीय समुदायों के मरे हुए और स्वस्थ जीवित व्यक्तियों के विषय में गहनतर विश्लेषण संभव हो सकेगा.

Tags : Genome India Project in Hindi. जीनोम इंडिया परियोजना के बारे में नोट्स. PIB UPSC

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Richa Kishore

ऋचा किशोर sansarlochan.IN की सह-संपादक हैं. ये आपके साथ भौतिक, रसायन और जीव विज्ञान से सम्बंधित जानकारियाँ साझा करेंगी.

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2 Comments on “जीनोम इंडिया पहल (Genome India Initiative) के बारे में विस्तृत जानकारी”

  1. we know if we give oils to cattle for feeding then it changing into ghee so we know that hydrogenation of oil occurred inside the animals digestive system so
    if we do it on industrial level then all garbage churning into powdered form and digestive enzyme bacteria mixing and hydrogenation will turned cellulose into complex compound which gives petrol on fractional distillations ????

  2. put all genome mixing of oil seed plants and eliminated the genome which limited the oil factors in seeds so we got continues supply of oil from plants
    we just put the raw materials for feeding of plants and continuously we got oil from plants

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