Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 February 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 10 February 2020


GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : IP related issues.

Topic : International IP Index 2020

संदर्भ

अमेरिकी वाणिज्य चैंबर के वैश्विक नवाचार नीति केंद्र (Global Innovation Policy Center – GIPC) ने 2020 का अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक प्रकाशित कर दिया है.

अंतर्राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा (IIP) सूचकांक क्या है?

  • इसका पूरा नाम है – The International Intellectual Property Index.
  • यह सूचकांक प्रत्येक अर्थव्यस्था की बौद्धिक सम्पदा से सम्बंधित अवसंरचना का मूल्यांकन करता है. इसके लिए यह ऐसे 45 संकेतकों का अध्ययन करता है जो कारगर बौद्धिक संपदा प्रणाली के विकास के लिए अत्यावश्यक हैं.
  • इन संकेतकों को वर्गों में बाँटा जाता है, जैसे – पेटेंट, स्वत्वाधिकार, ट्रेडमार्क, व्यापार रहस्य, बौद्धिक सम्पदा का व्यवासायीकरण, प्रवर्तन, प्रणाली की कार्यकुशलता तथा अंतर्राष्ट्रीय संधियों की सदस्यता.

भारत का प्रदर्शन

  • इस सूचकांक में 53 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में भारत को 40वाँ स्थान मिला है.
  • विगत वर्ष भारत को 50 देशों में 36वाँ स्थान मिला था.
  • प्रणालीगत कुशलता विषयक संकेत के अंतर्गत भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है और उसे 28 अन्य अर्थव्यवस्थाओं से अधिक अंक दिए गये हैं.

वैश्विक प्रदर्शन

सूचकांक में शीर्ष पांच में जो अर्थव्यवस्थाएँ आई हैं, वे हैं – अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडेन, फ़्रांस और जर्मनी.

भारत के प्रदर्शन पर कुछ टिप्पणियाँ

  • 2016 में IPR नीति निर्गत होने के पश्चात् भारत सरकार ने अपना ध्यान प्रबल IP सुरक्षा और क्रियानव्यन को बढ़ाते रहने और उसके माध्यम से नवाचार तथा रचनात्मकता में निवेश को सम्बल देने पर लगाया है.
  • IP नीति (IP Policy) को लागू करने से यह लाभ हुआ है की पेटेंट और ट्रेड मार्क से सम्बंधित आवेदनों की प्रक्रिया तेज़ हुई है और साथ ही भारत के भारत के नवचारियों और सृजनकर्ताओं के बीच IP अधिकारों के प्रति सजगता बढ़ी है.
  • IP सुरक्षा को सुदृढ़ करने में भारत की प्रगति अच्छी-खासी है, परन्तु अभी बहुत कुछ करना शेष है.
  • जहाँ तक कॉपीराईट संकेतक का प्रश्न है भारत को इसके लिए सूचकांक में 24 अन्य देशों से अधिक अंक मिले हैं.

WIPO के बारे में

  • विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) संयुक्त राष्ट्र की 17 विशेष एजेंसियों में से एक है.
  • इसकी स्थापना 1967 में रचनात्मक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी ताकि दुनिया भर में बौद्धिक संपदा की सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सके.
  • इसका मुख्यालय जिनेवास्विट्ज़रलैंड में है.
  • वर्तमान में 188 देश इस संगठन के सदस्य हैं.
  • इसके अन्दर 26 अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ आती हैं.
  • इससे कुछ ऐसे देश जुड़े हैं जो संगठन के सदस्य नहीं हैं – मार्शल द्वीप समूह, माइक्रोनेशिया के संघिकृत राज्य, नौरू, पलाऊ, सोलोमन द्वीप समूह, दक्षिण सूडान और तिमोर-लेस्ते.
  • फिलिस्तीन इसका पर्यवेक्षक सदस्य है.
  • भारत इस संगठन का एक सदस्य है और इस संगठन द्वारा बनाई गई कई संधियों में इसकी भागीदारी है.

GIPC द्वारा चिन्हित भारत के समक्ष चुनौतियाँ

  1. पेटेंट के लिए आवश्यक योग्यताओं के विषय में जानकारी
  2. पेटेंट को लागू किया जाना
  3. लाइसेंस को अनिवार्य बनाना
  4. पेटेंट का विरोध
  5. विनियामक डाटा सुरक्षा
  6. चुंगी द्वारा की गई जब्ती की सूचना में पारदर्शिता
  7. ट्रेड मार्क के बारे में सिंगापुर विधि संधि का अनुपालन
  8. पेटेंट लॉ ट्रीटी का अनुपालन

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Investment models.

Topic : Vadhavan port and landlord model

संदर्भ

महाराष्ट्र में दहानु के पास वधावन में 65,545 करोड़ रु. की राशि से एक बड़ा बंदरगाह बनाने पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है.

वधावन बंदरगाह से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

  1. यह भारत का 13वाँ बड़ा बंदरगाह होगा.
  2. इस परियोजना में जवाहरलाल नेहरु पत्तन न्यास (Jawaharlal Nehru Port Trust – JNPT) अग्रणी प्रतिभागी होगा अर्थात् इस परियोजना में उसका अंश 50% या अधिक होगा.
  3. यह बंदरगाह लैंडलॉर्ड मॉडल पर चलेगा.

अभी भारत में कितने बड़े बन्दरगाह हैं?

वर्तमान में भारत में ये 12 बड़े बंदरगाह हैं – दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाँव, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित).

लैंडलॉर्ड मॉडल क्या है?

  • किसी लैंडलार्ड बंदरगाह मॉडल में एक सरकारी बंदरगाह प्राधिकरण लैंडलॉर्ड और विनियामक निकाय के रूप में काम करता है जबकि बंदरगाह का कारोबार, मुख्यतः माल ढुलाई का जिम्मा निजी कम्पनियों के पास होता है.
  • बंदरगाह का स्वामित्व बंदरगाह प्राधिकरण के पास होता है और अवसंरचना को निजी प्रतिष्ठानों को लीज पर दे दिया जाता है. ये प्रतिष्ठान अपनी ऊपरी संरचना मुहैया करते हैं और उसका संधारण भी करते हैं. माल को संभालने के लिए ये प्रतिष्ठान अपने उपकरण भी लगाते हैं.
  • बदले में लैंडलॉर्ड बंदरगाह निजी प्रतिष्ठानों से राजस्व का एक अंश प्राप्त करते हैं.
  • लैंडलॉर्ड बंदरगाह प्राधिकरण सभी प्रकार के निजी क्षेत्र की सेवाएँ और संचालन मुहैया कराते हैं जैसे कि कार्गो टर्मिनल और ड्रेजिंग के लिए नीलामी करन आदि.

लैंडलॉर्ड मॉडल की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान में अधिकांशतः बड़े-बड़े पत्तन न्यास भारत में टर्मिनल संचालन भी करते हैं अर्थात् अभी के बंदरगाह एक संकर मॉडल पर चलते हैं.
  • पत्तन प्राधिकरण के टर्मिनल संचालन में संलिप्त होने के कारण हितों के संघर्ष (conflict of interest) देखा जाता है और काम वस्तुनिष्ठ ढंग से नहीं हो पाता है. दूसरी ओर, लैंडलॉर्ड मॉडल में पत्तन प्राधिकरण निष्पक्ष रहता है जोकि पत्तन सेवा प्रदाताओं, विशेषकर टर्मिनल संचालकों के बीच न्यायोचित प्रतिस्पर्धा के लिए आवश्यक होता है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure.

Topic : Blue dot network

संदर्भ

ब्लू डॉट नेटवर्क की प्रारम्भिक स्टीयरिंग समिति की पहली बैठक पिछले दिनों वाशिंगटन में हुई जिसमें ऑस्ट्रेलिया और जापान प्रतिभागियों के रूप में सम्मिलित हुए.

ब्लू डॉट नेटवर्क क्या है?

  • 4 नवम्बर, 2019 को बैंकोक में सम्पन्न भारत-प्रशांत व्यवसाय मंच (Indo-Pacific Business Forum) में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने ब्लू डॉट नेटवर्क की घोषणा की थी.
  • यह पहल G20 के गुणवत्ता अवसंरचना निवेश के सिद्धांतों, विशेषकर प्रशासन, पर्यावरण मानकों एवं पारदर्शिता, के अनुरूप की गई थी.
  • यह एक नए प्रकार की अभिप्रमाणन योजना है जिसका नेतृत्व अमेरिका कर रहा है.
  • जो परियोजनाएँ इस पहल के द्वारा समर्थित हैं, उन्हें एक नीला डॉट दिया जाता है.
  • ब्लू डॉट नेटवर्क स्वयं किसी परियोजना में प्रत्यक्ष निवेश नहीं करता है.
  • वर्तमान में इस परियोजना का नेतृत्व US अंतर्राष्ट्रीय विकास वित्त निगम कर रहा है जिसके पास 60 बिलियन की पूँजी है. साथ ही इसमें जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बैंक नामक सरकारी बैंक तथा ऑस्ट्रेलिया का विदेश विभाग प्रतिभागिता कर रहे हैं.
  • पूरी तरह से चालू हो जाने के अनंतर ब्लू डॉट नेटवर्क सरकारों, निजी क्षेत्रों और अन्य संगठनों को उच्च गुणवत्ता वाले वैश्विक अवसंरचना विकास के मानक लागू करने के लिए प्रेरित करेगा.

माहात्म्य

कालांतर में ब्लू डॉट बड़ी-बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिए अनुमोदन की पहचान बन जाएगा और इसके चिन्ह को देखकर लोग सरलता से समझ जायेंगे की परियोजनाएँ टिकाऊ हैं.

ब्लू डॉट नेटवर्क कैसे काम करेगा?

  • कोई देश या कम्पनी इस नेटवर्क के द्वारा निर्धारित गुणवत्ता विषयक ऊंचे मानकों का अनुपालन करती है तो वह इस नेटवर्क में सम्मिलित हो सकती है.
  • जो परियोजनाएं ब्लू डॉट नेटवर्क का प्रमाण पत्र लेना चाहती हैं, वे इसके लिए ऑनलाइन प्रपत्र भर कर जमा कर सकती हैं.
  • ब्लू डॉट नेटवर्क का लाभ सभी देश, कम्पनियां और स्थानीय समुदाय उठा सकते हैं.
  • इस नेटवर्क से प्रमाणित परियोजनाओं के बारे में निवेशक और समुदाय इस बात के लिए निश्चिंत हो सकते हैं कि इनमें उच्च मानकों का अनुसरण किया गया है और निर्मित अवसंरचना टिकाऊ हैं.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Major crops cropping patterns in various parts of the country, different types of irrigation and irrigation systems storage, transport and marketing of agricultural produce and issues and related constraints; e-technology in the aid of farmers.

Topic : Soil Health Cards (SHC) scheme

संदर्भ

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के द्वितीय चरण में पिछले दो वर्षों में किसानों को 11.69 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड बाँटे गये. इस योजना के लागू होने से रासायनिक खादों के उपयोग में 8-10% गिरावट देखी गई है. साथ ही उत्पादकता में 5-6% की बढ़ोतरी हुई है.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना क्या है?

  • यह योजना 2015 में आरम्भ की गई थी.
  • इस योजना में सरकार किसानों को मृदा कार्ड निर्गत करती है जिनमें यह लिखा होता है की किस फसल के लिए कितना पोषक तत्त्व और खाद देने की आवश्यकता है.
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का ध्येय किसानों को खाद आदि का सोच-समझकर प्रयोग करना सिखाना और उत्पादकता को बढ़ाने में उन्हें सहायता पहुँचाना है.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड क्या है?

  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड का प्रयोग मिट्टी की वर्तमान दशा का आकलन करना और मिट्टी के स्वास्थ्य में कालांतर में भूमि प्रबंधन से प्रभावित होने वाले परिवर्तनों की जानकारी देना है.
  • इस कार्ड में मृदा स्वास्थ्य के संकेतकों के साथ-साथ सम्बद्ध विवरणात्मक शब्द अंकित होते हैं. ये संकेतक किसानों के व्यावहारिक अनुभव और स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों के विषय में उनके ज्ञान पर आधारित होते हैं.
  • इस कार्ड में प्रदर्शित संकेतकों को किसी तकनीकी अथवा प्रयोगशाला के उपकरण की सहायता के बिना समझा जा सकता है.

इस कार्ड में क्या-क्या रहता है?

मृदा स्वास्थ्य कार्ड में मिट्टी की दशा से सम्बंधित 12 मापदंडों की जानकारी होती है, जैसे – N,P,K (सूक्ष्म पोषक तत्त्व), S (द्वितीयक पोषक तत्त्व), Zn, Fe, Cu, Mn, Bo (सूक्ष्म पोषक तत्त्व) और pH, EC, OC (भौतिक मापदंड). इन मापदंडों के आधार पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड खाद के प्रयोग के विषय में सुझाव देता है और यह भी बताता है की खेती में मिट्टी को लेकर क्या-क्या सुधार किया जा सकता है.


Prelims Vishesh

Mt. Aconcagua :-

  • दक्षिण अमेरिका के देश अर्जेंटीना के एण्डीज पर्वतों की सबसे ऊँची चोटी एकोंकागुआ (6,960.8 मीटर) पर चढ़कर बम्बई की छात्रा काम्या कार्तिकेयन ऐसा करने वाली विश्व की सबसे कम आयु वाली लड़की बन गई है.
  • विदित हो की एशिया के बाहर एकोंकागुआ सबसे ऊंची चोटी है और इसे सात महादेशों के सात शिखरों में से एक माना जाता है.

Pangolin :

  • वैज्ञानिकों ने पाया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की जीनोम शृंखला पेंगोलिन नामक संकटग्रस्त स्तनपाई पशुओं की जीनोम शृंखला के साथ 99% समानता रखती है. इसलिए इन वैज्ञानिकों का अनुमान है की आजकल कोरोना वायरस का जो प्रकोप फैला हुआ है उसके दोषी पेंगोलीन ही हैं.
  • ज्ञातव्य है की इस वायरस के लिए पहले साँपों को और फिर चमगादड़ों को दोषी माना गया था.
  • विदित हो की वह एकमात्र स्तनपाई पशु है जिसके शरीर पर शल्क होते हैं.
  • चीनी पेंगोलिन को IUCN की लाल सूची में “विकट रूप से संकटग्रस्त” (critically endangered) श्रेणी में रखा गया है जबकि भारतीय पेंगोलिन को इसी सूची में “संकटग्रस्त” (endangered) श्रेणी में डाला गया है.

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