Sansar डेली करंट अफेयर्स, 09 October 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 09 October 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Table of Contents

Topic : STATE ELECTION COMMISSION

राज्य निर्वाचन आयोग

  • भारत निर्वाचन आयोग के पास विधानसभालोकसभाराज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित सत्ता होती है जबकि ग्राम पंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद् और तहसील एवं जिला परिषद् के चुनाव की सत्ता सम्बंधित राज्य निर्वाचन आयोग के पास होती है.
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद243-K के अधीन राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) का गठन जुलाई 1994 में किया गया.
  • 73वें संविधान संशोधन एवं  74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के अधीन प्रत्येक राज्य में पंचायती राज संस्थाओं एवं शहरी निकायों के चुनाव निष्पक्ष व समय पर करवाने के लिए अलग से राज्य चुनाव आयोग की व्यवस्था की गई है.
  • राज्य की पंचायतों के समस्त निर्वाचनों एवं नगरपालिकाओं के समस्त निर्वाचनों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण भारत सरकार के संविधानअनुच्छेद 243-k और अनुच्छेद 246-ZA के द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग में निहित है.
  • इसका प्रमुखराज्य निर्वाचन आयुक्त होता है.
  • इसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है तथा उन्हें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह संसद द्वारा महाभियोग प्रस्ताव पारित करने पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है.

राज्य निर्वाचन आयुक्त

  • राज्य निर्वाचन आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है.
  • राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल = 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो).
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की तरह की रीति व आधारों पर राष्ट्रपति द्वारा संसद में महाभियोग प्रस्ताव पास होने के बाद राज्य निर्वाचन आयुक्त को समय से पहले अपने पद से हटाया जा सकता है.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Parliament and State Legislatures – structure, functioning, conduct of business, powers & privileges and issues arising out of these.

Topic : Legislative Council

विधान परिषद्

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 169 में राज्यों में विधान परिषद् के गठन का उल्लेख है.
  • संविधान के अनुसार इस परिषद् के सदस्यों की कुल संख्या विधान सभा के कुल सदस्य संख्या के एक-तिहाई भाग से ज्यादा नहीं हो सकती, लेकिन कम-से-कम 40 सदस्य होना अनिवार्य है.
  • यह एक स्थायी सदन है, जिसका कभी भी विघटन नहीं होता है.
  • इसके प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है.
  • प्रत्येक 2 वर्ष पर इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं.
  • इस परिषद् के एक-तिहाई सदस्य स्थानीय संस्थाओं, नगरपालिका, जिला परिषद् आदि के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं. एक-तिहाई सदस्य विधान सभा के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्य राज्य के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों एवं कॉलेजों में कम-से-कम तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले अध्यापकों के द्वारा चुने जाते हैं. 1/12 सदस्य सम्बंधित राज्य के वैसे निवासी जो भारत के किसी विश्वविद्यालय से स्नातक हों एवं जिन्होंने स्नातक की उपाधि कम-से-कम तीन वर्ष पहले प्राप्त कर ली हो, के द्वारा चुने जाते हैं. शेष 1/6 सदस्य राज्यपाल के द्वारा कला, साहित्य, विज्ञान, सहकारिता तथा समाज सेवा के क्षेत्र में राज्य के ख्याति प्राप्त व्यक्तियों से मनोनीत किये जाते हैं.
  • विधान परिषद् का अधिवेशन आरम्भ होने के लिए इसके कुल सदस्यों का 1/10 भाग या कम-से-कम 10 सदस्य (जो भी ज्यादा हों) का होना आवश्यक है.
  • इस परिषद् के सदस्यों को सदन में वक्तव्य देने की पूर्ण स्वतंत्रता है एवं उनके द्वारा दिए गये किसी भी वक्तव्य के लिए किसी न्यायालय में किसी भी प्रकार का मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है.
  • इस परिषद् के सदस्यों को सदन का सत्र प्रारभ होने के 40 दिन पहले एवं सत्र समाप्त होने के 40 दिन के बाद के बीच में दीवानी मुकदमों के लिए बंदी नहीं बनाया जा सकता है.
  • विधान परिषद् का सत्र राज्यपाल द्वारा बुलाया जाता है. किसी एक वर्ष में इसका कम-से-कम दो सत्र होना आवश्यक है एवं एक सत्र के अंतिम दिन तथा दूसरे सत्र के प्रथम दिन के बीच 6 महीने से ज्यादा का समयांतर नहीं होना चाहिए.

विधान परिषद् सदस्य बनने की योग्यताएँ

  1. वह भारत का नागरिक हो एवं कम-से-कम 30 वर्ष के उम्र का हो.
  2. उसका नाम सम्बंधित राज्य की मतदाता सूची में दर्ज हो.
  3. वह भारत या राज्य सरकार के किसी लाभ का पद धारण नहीं किये हुए हो.
  4. वह पागल या दिवालिया न हो.
  5. चुनाव सम्बन्धी किसी अपराध के कारण उसे इस परिषद् के सदस्य चुने जाने के अधिकार से वंचित न कर दिया हो.

विधान परिषद् के कार्य

इस परिषद् के निम्न प्रकार के कार्य हैं –

वित्तीय कार्य

राज्य के वित्त मामलों की वास्तविक शक्तियाँ विधान सभा के पास होती है. कोई भी धन विधेयक पहले विधान सभा में पेश किया जाता है. विधान सभा में पास होने के बाद धन विधेयक को विधान परिषद् में पेश किया जाता है. यह परिषद् इस विधेयक को 14 दिनों तक रोक सकती है. यदि 14 दिनों की अवधि तक यह परिषद् सम्बंधित विधेयक पर कोई कार्रवाई  न करे या कोई संशोधन की सिफारिश करे तो सम्बंधित विधान सभा को यह अधिकार है कि उस संशोधन को माने या न माने एवं विधेयक दोनों सदन से पारित समझा जाता है.

विधायी कार्य

इस परिषद् में साधारण विधेयकों को पेश किया जा सकता है लेकिन विधेयक को राज्यपाल के पास भेजे जाने से पहले आवश्यक है कि उसे विधान सभा से पारित किया जाए. अगर कोई विधेयक विधान सभा से पारित किया जा चुका हो परन्तु विधान परिषद् में उस पर कोई गतिरोध हो तो यह परिषद् उस विधेयक को नामंजूर कर सकती है, बदल सकती है या तीन महीने तक रोक कर रख सकती है. इसके बाद यदि विधान सभा इस विधेयक को विधान परिषद् के किये गये संशोधन के साथ या उसके बिना अगर पारित कर देती है तो विधेयक दुबारा इस परिषद् के पास भेजा जाता है. इस बार यदि यह परिषद् विधेयक को पुनः मंजूरी न दे या ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक रोक कर रखे तब भी यह विधेयक दोनों सदनों से पारित समझा जाएगा.

संवैधानिक अधिकार

भारत के संविधान के किसी संशोधन में विधान परिषद् विधान सभा के साथ मिलकर भाग लेती है अगर वह संशोधन विधेयक सम्बंधित राज्य पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता हो. राज्य का मन्त्रिमंडल केवल विधान सभा के प्रति उत्तरदायी होता है. यह परिषद् मन्त्रिमण्डल को अविश्वास प्रस्ताव द्वारा नहीं हटा सकती है.

विधान परिषद् के सभापति एवं उप-सभापति

विधान परिषद् के सभापति एवं उप-सभापति का चुनाव सम्बंधित विधान परिषद् के सदस्यों द्वारा किया जाता है. सभापति या उप-सभापति को सदस्यों के द्वारा कम-से-कम 14 दिन पूर्व सूचना देकर प्रस्ताव लाकर बहुमत के द्वारा हटाया जा सकता है. इनका वेतन राज्य के संचित निधि कोष से दिया जाता है.

किन-किन राज्यों में विधान परिषदें हैं?

आंध्र प्रदेश के अलावा, पांच अन्य राज्यों में विधान परिषदें हैं – बिहार (58), कर्नाटक (75), महाराष्ट्र (78), तेलंगाना (40), उत्तर प्रदेश (100). जम्मू-कश्मीर में भी एक विधान परिषद् हुआ करती थी, किन्तु उस राज्य के संघीय राज्य बन जाने के कारण वह परिषद् समाप्त हो चुकी है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources.

Topic : NATIONAL POPULATION REGISTER (NPR)

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी क्या है?

  • यह एक पंजी है जिसमें देश के निवासियों से सम्बंधित विवरण होगा.
  • इस पंजी को नागरिकता अधिनियम 1955 तथा नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण एवं राष्ट्रीय पहचान कार्य का निर्गमन) नियमावली, 2003 के प्रावधानों के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य, जिला, अनुमंडल और स्थानीय (गाँव/कस्बा) के स्तर पर तैयार किया जा रहा है.
  • भारत के प्रत्येकसामान्य निवासी” को इस पंजी में दर्ज करना अनिवार्य कर दिया गया है.
  • यहाँ “सामान्य निवासी” से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जो किसी स्थान विशेष में पिछलेछह महीने या उससे अधिक से रहा होअथवा वह व्यक्ति जो उस क्षेत्र में आगामी छह महीने अथवा अधिक रहना चाहता है.
  • राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी में जो डेटाबेस होगा उसके अन्दर जनसांख्यिक विवरणों के साथ-साथ बायोमेट्रिक विवरण भी होंगे.
  • अंत में 18 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों को एक निवासी पहचान का रेजिडेंट आइडेंटिटी कार्ड (RIC) दिया जाएगा. यह एक स्मार्ट कार्ड होगा जिसमें लगे चिप में प्रत्येक व्यक्ति के जनसांख्यिक और बायोमेट्रिक विवरण अंकित होंगे. इस कार्ड पर UID नंबर भी छपा होगा.

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लाभ

  • सरकार के पास देश में रहने वाले हर निवासी की जानकारी होगी.
  • एनपीआर का उद्देश्य लोगों का बायोमीट्रिक डेटा तैयार कर सरकारी योजनाओं का लाभ असली लाभार्थियों तक पहुंचाना भी है.

जनसांख्यिकी विवरण

राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए प्रत्येक निवासी का निम्नलिखित जनसांख्यिकीय विवरण लिया जाएगा, जिसे देना आवश्यक है:

  • व्यक्ति का नाम
  • घर के मुखिया से रिश्ता
  • पिता का नाम
  • माता का नाम
  • जीवनसाथी का नाम (शादीशुदा होने पर)
  • लिंग
  • जन्मतिथि
  • वैवाहिक स्थिति
  • जन्मस्थान
  • राष्ट्रीयता
  • सामान्य नागरिक का वर्तमान पता
  • वर्तमान पते पर रहने की अवधि
  • स्थायी निवास का पता
  • व्यवसाय/गतिविधि
  • शैक्षणिक योग्यता

NPR और NRC में अंतर

राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. एनआरसी का मकसद देश में अवैध रूप से रह रहे बाहरी नागरिकों की पहचान करना है, वहीं जनसंख्या रजिस्टर का उद्देश्य किसी स्थान पर छह महीने या उससे ज्यादा वक्त से रह रहे निवासियों की जानकारी एकत्र करना है. अगर कोई बाहरी नागरिक भी देश के किसी हिस्से में छह महीने से ज्यादा वक्त से रह रहा हो तो उसका नाम भी इसमें दर्ज होगा.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Biorock

जैव पाषाण (BIOROCK) क्या है?

यह एक पदार्थ है जो इस्पात के ढाँचों पर समुद्र जल में घुले हुए खनिजों के विद्युत संचयन से बनता है. यह समुद्र की सतह पर उतार दिया जाता है और फिर इसको किसी विद्युत सोत से जोड़ दिया जाता है. अभी इसके लिए सौर पैनलों का प्रयोग चल रहा है.

बायो रॉक बनते कैसे हैं?

इसके लिए जो तकनीक अपनाई जाती है उसमें जल में इलेक्ट्रानों के माध्यम से बिजली का प्रवाह छोटी मात्रा में किया जाता है. जब एक धनात्मक आवेश वाला एनोड  और एक ऋणात्मक आवेश केथोड समुद्र की सतह पर रखा जाता है तो इन दोनों के बीच होने वाले विद्युत प्रवाह के कारण कैल्शियम आयन कार्बोनेट आयनों से जुड़ जाते हैं और केथोड से चिपक जाते हैं. इसके फलस्वरूप कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) बनता है. प्रवाल के लार्वे CaCO3 से सट जाते हैं और तेजी से से बढ़ने लगते हैं.

टूटे हुए प्रवाल के टुकड़ों को जैव पाषाण ढाँचे से बाँध दिया जाता है. इससे वे प्राकृतिक वृद्धि दर की तुलना में कम-से-कम चार से छह गुनी तेजी से बढ़ने लगते हैं क्योंकि उन्हें अपने कैल्शियम कार्बोनेट कंकालों को बनाने में ऊर्जा नहीं लगानी पड़ती है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Government Budgeting.

Topic : WHAT IS FINANCE BILL?

वित्त विधेयक क्या है?

  • आने वाले वर्ष के लिए सरकार के सब वित्तीय प्रस्ताव एक विधेयक में सम्मिलित किए जाते हैं जिसे वित्त विधेयक कहा जाता है.
  • यह विधेयक साधारणतया, प्रत्येक वर्ष बजट पेश किए जाने के तुरंत बाद लोकसभा में पेश किया जाता हे.
  • यह सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को और किसी अवधि के लिए अनुपूरक वित्तीय प्रस्तावों को भी प्रभावी करता है.

वित्त विधेयक पेश करने की अनुमति

वित्त विधेयक को पेश करने की अनुमति के लिए रखे गए प्रस्ताव का विरोध नहीं किया जा सकता और उसे तुरंत मतदान के लिए रखा जाता है.

वित्त विधेयक पर चर्चा की सीमाएं क्या हैं?

  • विधेयक पर चर्चा सामान्य प्रशासन और स्थानीय शिकायतों के संबंधी मामलों पर होती है, जिनके लिए संघ सरकार उत्तरदायी हो.
  • सरकार की नीति की सामान्य रूप से आलोचना करने की अनुमति तो है, परंतु किसी विशेष अनुमान के ब्यौरों पर चर्चा नहीं की जा सकती.
  • संक्षेप में, समूचे प्रशासन का पुनरीक्षण तो होता है, लेकिन जिन प्रश्नों पर चर्चा हो चुकी हो उन पर फिर से चर्चा नहीं की जा सकती.

वित्तविधेयक पारित होने और राष्ट्रपति की अनुमति के लिए समयसीमा क्या होती है?

यह विधेयक पेश किए जाने के बाद 75 दिनों के भीतर संसद द्वारा इस पर विचार करके पास किया जाना और उस पर राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हो जाना आवश्यक है.

वित्त विधेयक की क्या विशिष्टता होती है?

सामान्य रूप से, कोई ऐसा विधेयक वित्त विधेयक होता है, जो राजस्व या व्यय से संबंधित हो. वित्त विधेयकों में किसी धन विधेयक के लिए उल्लिखित किसी मामले का उपबंध शामिल होने के अलावा अन्य राजस्व या व्यय संबधी मामलों का भी उल्लेख किया जाता है.

वित्त विधेयक कितने प्रकार के होते हैं?

वित्त विधेयकों को निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है-

  • श्रेणी क:ऐसे विधेयक जिनमें धन विधेयक के लिए अनुच्छेद 110 में उल्लिखित किसी भी मामले के लिए उपबंध किए जाते हैं. हालांकि इसमें अन्य प्रकार के मामले भी होते हैं. उदाहरणार्थ किसी विधेयक में करारोपण का खंड हो, परंतु वह केवल करारोपण के संबंध में न हो, उसमें अन्य वित्तीय मामले भी हों.
  • श्रेणी ख:ऐसे वित्तीय विधेयक जिनमें संचित निधि से व्यय संबंधी उपबंध किए गए हो.

धन विधेयक और वित्त विधेयक में अंतर

धन विधेयक और वित्त विधेयकों को पास कराने की प्रक्रिया में अंतर होता है. धन विधेयक, राष्ट्रपति की सिफारिश पर केवल लोकसभा में पेश किया जाता है, और राज्यसभा को उस पर अपनी सम्मति देने या रोकने की शक्ति प्राप्त नहीं है. इसके विपरीत वित्त विधेयक के संबंध में राज्यसभा को सम्मति देने, संशोधन करने या रोकने की पूरी शक्ति प्राप्त है. जैसे कि साधारण विधेयक के विषय में होती है.


Prelims Vishesh

National Awards 2020 for Science and Technology Communication :-

  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (NCSTC) ने पुरस्कार के लिए नामांकन आमंत्रित किए हैं.
  • NCSTC विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जन-जन तक पहुँचाने, वैज्ञानिक व तकनीक संबंधी अभिरुचि को प्रोत्साहित करने तथा संपूर्ण देश में इस प्रकार के प्रयासों को समन्वित एवं व्यवस्थित करने के लिए अधिदेशित है.
  • पुरस्कार प्रति वर्ष किसी व्यक्ति या संस्थान को विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए तथा वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ावा देने हेतु प्रदान किए जाते हैं.

Dhaulasidh Hydro Electric Project :-

  • केंद्र सरकार ने इस परियोजना के लिए स्वीकृति प्रदान की है.
  • यह परियोजना हिमाचल प्रदेश में व्यास नदी पर रन-ऑफ-द-रिवर योजना के रूप में कार्यान्वित की जाएगी.

Anakkampoyil-Meppadi tunnel road launched :-

  • यह 7 किलोमीटर लंबी सुरंग है, जो देश का तीसरा सबसे लंबा सुरंग मार्ग होगा.
  • यह पश्चिमी घाट के संवेदनशील वनों और पहाड़ियों को काटकर बनाई जा रही 8 किलोमीटर की सड़क का भाग है.
  • यह सुरंग केरल के कोझीकोड और वायनाड जिलों को जोड़ती है.
  • यह क्षेत्र केरल के वायनाड और तमिलनाडु में नीलगिरि पहाड़ियों के मध्य विस्तृत एक हाथी गलियारे (elephant corridor) का भाग है.

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