ओपन-लूप स्क्रबर, MARPOL संधि और सल्फर उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संधि

Sansar LochanPollutionLeave a Comment

ग्लोबल डाटा नामक एक डाटा और विश्लेषण कम्पनी के अनुसार पिछले एक वर्ष में ही जलयानों में ओपन-लूप स्क्रबर (open-loop scrubber) का प्रयोग अतिशय बढ़ गया है जबकि दूसरी ओर, इसपर अभी बहस चल ही रही है कि ऐसे स्क्रबर गंधक के उत्सर्जन को घटाने में समर्थ हैं अथवा नहीं.

2018 में 767 जहाजों में स्क्रबर लगे थे जबकि 2019 में ऐसे जहाज़ों की संख्या बढ़कर 3,756 हो चुकी है. इन सभी जहाजों में 65 ही ऐसे स्क्रबर हैं जो बंद-लूप (closed-loop) वाले हैं और शेष खुले लूप वाले हैं.

सल्फर उत्सर्जन (sulphur emissions) को नियंत्रित करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय संधि

जलयानों से होने वाले वायु प्रदूषण को नियमित करने के लिए तथा सल्फर ऑक्साइड एवं नाइट्रस ऑक्साइड जैसे ओजोन को घटाने वाले पदार्थों के जान-बूझकर उत्सर्जन की रोकथाम के लिए एक संधि हुई थी जिसका नाम कन्वेंशन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ पोल्यूशन फ्रॉम शिप्स (MARPOL) Annex VI है. इस संधि को अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (International Maritime Organisation’s – IMO) ने 2008 में अंगीकृत किया था.

विवाद किस बात पर है?

ऊपर वर्णित संधि के अंगीकरण के उपरान्त जहाज़ों से निकलने वाले गंधक (सल्फर) की मात्रा को घटाने के लिए एक्जोस्ट स्क्रबर (exhaust scrubbers) का प्रयोग सबसे अधिक देखने में आ रहा है क्योंकि ये उत्सर्जन में से प्रदूषक तत्त्वों को बाहर कर डालते हैं.

ऐसे स्क्रबर दो प्रकार के होते हैं – खुले और बंद.

बंद लूप वाले स्क्रबर (closed-loop scrubbers) गंधक के उत्सर्जन को रोके रखते हैं जिससे कि बाद में उसका बंदरगाह पर जाकर निरापद रूप से निपटारा हो सके. परन्तु खुले लूप वाले स्क्रबर (open-loop scrubbers) सल्फर डाइऑक्साइड को गंधकाम्ल (sulphuric acid) में बदलकर उसको समुद्र में बहा देते हैं.

कन्वेंशन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ़ पोल्यूशन फ्रॉम शिप्स (MARPOL) क्या है?

  • यह एक प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय संधि है जिसे अंतर्राष्ट्रीय सामुद्रिक संगठन (IMO) द्वारा 2 नवम्बर, 1973 को अंगीकृत किया गया था.
  • यह संधि जलयानों से होने वाले प्रदूषण को रोकने और घटाने के लिए नियमों का प्रावधान करती है चाहे यह प्रदूषण दुर्घटनावश हुआ हो या जहाजों के दैनंदिन संचालन से.
  • जिन देशों ने MARPOL पर हस्ताक्षर किये हैं उनके सभी जहाजों को इस संधि के नियमों का अनुसरण करना पड़ता है चाहे वे जहाज जहाँ कहीं भी चलायमान हों. संधि के सदस्य देशों का यह दायित्व है कि वे अपने जहाजों को अपनी राष्ट्रीय जलयान पंजी में पंजीकृत करें.
Print Friendly, PDF & Email
Read them too :
[related_posts_by_tax]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.