[Sansar Editorial] MDR क्या होता है? Merchant Discount Rate in Hindi

Sansar LochanBanking, Economics Notes, Sansar Editorial 20185 Comments

कई बार हम टीवी या लैपटॉप आदि का क्रय करने के बाद जब भुगतान के लिए अपना डेबिट या कार्ड प्रयोग करना चाहते हैं तो दुकानदार कुछ अतिरिक्त शुल्क लगाने की बात कहता है. क्या आपके दिमाग में ऐसा प्रश्न कभी आया कि दुकानदार अतिरिक्त भुगतान की माँग क्यों करता है? आपका यह अतिरिक्त धन कहाँ चला जाता है? वहीं दूसरी ओर जब आप दुकानदार को नकद भुगतान करते हैं तो आपको कोई भी अतिरिक्त भुगतान करना नहीं पड़ता है. दरअसल इसी अतिरिक्त शुल्क को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) कहते हैं. आज इस एडिटोरियल में हम आपको MDR के बारे में 5 बड़ी बातें बताने जा रहे हैं जो आपके कांसेप्ट को क्लियर कर देगी.

क्या है MDR?

Merchant Discount Rate वह शुल्क है, जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने पर आपसे लेता है. दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) डेबिट या क्रेडिट कार्ड से भुगतान की सुविधा पर लगने वाला शुल्क है. Merchant Discount Rate से प्राप्त राशि दुकानदार को नहीं मिलती है. कार्ड से होने वाले प्रत्येक भुगतान की एक खाश राशि को दुकानदार MDR के रूप में चुकानी पड़ती है.

किसे मिलती है MDR की रकम?

अब प्रश्न उठता है कि यह राशि दुकानदार किसको चुकाता है? क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से हुए भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) की राशि को तीन हिस्सों में बाँट दिया जाता है. सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड निर्गत करने वाले बैंक को प्राप्त होता है. इसके उपरान्त दूसरा बड़ा हिस्सा उस बैंक को प्राप्त हो जाता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (POS) मशीन दुकानदार के यहाँ प्रोयग में लाई जाती है. तीसरा हिस्सा पेमेंट कम्पनी को प्राप्त होता है जिसके सॉफ्टवेर के जरिये पैसों का लेन-देन होता है. वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस प्रमुख पेमेंट कंपनियाँ हैं.

कितना है MDR?

सरकार एवं रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले वर्ष RBI ने 1 जनवरी 2018 से MDR में कुछ परिवर्तन किया था. इसके अंतर्गत छोटे दुकानदार को बिल की राशि का अधिकतम 0.40 फीसदी MDR के रूप में चुकाना पड़ता है. अन्य दुकानदारों के लिए MDR 0.90% होगा. MDR चार्ज को बढ़ने से रोकने हेतु RBI ने छोटे दुकानदार के लिए प्रति बिल अधिकतम 200 रुपये और बड़े दुकानदारों के लिए अधिकतम 1,000 रुपये की सीमा तय कर दी है. क्रेडिट कार्ड पर MDR 0 – 2 % के मध्य हो सकता है. पेट्रोल या डीजल का क्रय करने पर तेल कंपनियाँ MDR का बोझ ग्राहक पर डालती हैं.

RBI ने क्यों बदला नियम?

MDR की वर्तमान व्यवस्था से छोटे दुकानदारों को परेशानी होती है. अब तक MDR के लिए स्लैब फिक्स था. पहले दुकानदार बड़ा हो या छोटा, उसे तय गए slab के हिसाब से MDR चुकाना पड़ता था. ऐसी स्थिति में बड़े दुकानदारों को तो परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था, लेकिन छोटे दुकानदारों को परेशानी आती थी. अतैव वे ग्राहक पर कैश में भुगतान के लिए दबाव बनाते थे. इस साल लागू होने वाली MDR की व्यवस्था के अंतर्गत छोटे दुकानदार को कम चार्ज और बड़े दुकानदार को अधिक चार्ज चुकाना होगा.

अब मर्चेंट की दो कैटेगरी

RBI ने दुकानदारों को दो श्रेणी में बाँट दिया है. छोटे दुकानदार उन्हें माना गया है, जिनका turnover पिछले वित्त वर्ष में 20 लाख रु. तक रहा है. 20 लाख रु. से अधिक turnover वाले दुकानदार को बड़ा माना गया है. इस नियम के फलस्वरूप अब छोटे दुकानदार बिल मूल्य का 0.40% से अधिक MDR नहीं ले सकेंगे. इसके लिए अधिकतम सीमा 200 रु. तय की गई है. बड़े दुकानदार बिल मूल्य के 0.90% या अधिकतम 1000 रु. ही MDR के रूप में चार्ज कर पाएँगे.

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5 Comments on “[Sansar Editorial] MDR क्या होता है? Merchant Discount Rate in Hindi”

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  2. wawoo amezing
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    Really itna easy kr dete ho ap…
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    Plz economy k jo bill bond, trgry bill or ky ky hta h uska v notes provide krwaiye plz

  4. dear sir your concept explanation is very easy, please provide all the economic concepts so that we not need to refer source for economic concepts for prelims mcqs. thanks

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