आर्यों (Aryans) की जन्मभूमि कहाँ पर थी, इस विषय में इतिहास के विद्वानों में बड़ा मतभेद है. आर्य (Aryans) कहाँ से आये, वे कौन थे इसका पता ठीक से अभी तक चल नहीं पाया है. कुछ विद्वानों का मत है कि वे डैन्यूब नदी के पास ऑस्ट्रिया-हंगरी के विस्तृत मैदानों में रहते थे. कुछ लोगों का विचार है कि उनका आदिम निवास-स्थान दक्षिण रूस में था. बहुत-से विद्वान ये मत रखते थे कि आर्य (Aryans) मध्य एशिया के मैदानी भागों में रहते थे. फिर वहां से वे फैले. और कुछ लोगों का यह मानना है कि आर्य (Aryans) लोग भारत के आदिम निवासी थे और यही से वे संसार के अन्य भागों में फैले.
फिर भी, अधिकांश विद्वानों का मत है कि आर्य (Aryans) लोग मध्य एशिया के मैदानी भागों में रहते थे. उनके इधर-उधर फ़ैल जाने का कारण उनका चारागाह की तलाश करना माना जाता है. आर्य (Aryans) देखने में लम्बे-चौड़े और गोरे रंग के थे. वे घुमंतू प्रवृत्ति के होते थे. उनकी भाषा लैटिन, यूनानी आदि प्राचीन यूरोपीय भाषाओं तथा आज-कल की अंग्रेजी, फ्रांसीसी, रुसी तथा जर्मन भाषाओं से मिलती-जुलती थी. अधिकांश इतिहासकारों और विद्वानों के मत से तो यही लगता है कि यूरोप और भारत के आधुनिक निवासियों के पूर्वज एक ही स्थान में रहते थे और वह स्थान मध्य-एशिया में था.
आर्यों (Aryans) के Origin के कुछ साक्ष्य
एशिया में उनका उल्लेख सर्वप्रथम एक खुदे हुए लेख में पाया जाता है जो ई.पू. 2500 के लगभग का है. घोड़ों की सौदागिरी करने के लिए वे मध्य एशिया से एशियाई कोचक में आये. यहाँ आकर कोचक और मेसोपोटामिया को जीतकर उन्होंने अपना राज्य स्थापित किया. वेवीलोनिया (जो अभी Iraq में है) के इतिहास में आर्य (Aryans) “मिटन्नी” नाम से प्रसिद्ध है. उनके राजाओं के नाम आर्यों (Aryans) के नामों से मिलते-जुलते जैसे “दुशरत्त” (दुक्षत्र) और “सुवरदत्त” (स्वर्दत्त). बोगाज-कोई (Bogl as-Koi) में पाये हुए और तेल-यल-अमर्ना (Tell-al-Amarna) के लेखों से यह सिद्ध होता है कि ये लोग भी आर्यों (Aryans) के जैसे सूर्य, वरुण, इंद्र तथा मरूत की पूजा करते थे. उनके देवताओं के “शुरियस” और “मरूत्तश ” संस्कृत के शब्द सूर्य तथा मरूत ही है. ज्ञात होता है कि ई.पू. 1500 के लगभग मेसोपोटामिया की सभ्यता को नष्ट करनेवाले लोग उन्हीं आर्य Aryans के पूर्वज थे जिन्होंने भारत के द्रविड़ों को हराया और वेदों की रचना की.
आर्यों (Aryans)की एक दूसरी शाखा भी थी जो फारस के उपजाऊ मैदानों में पाई जाती थी. उन्हें इंडो-ईरानियन कहा जाता था. पहले इन दोनों दलों के बीच कोई स्पष्ट अंतर नहीं दिखता था. जैसे वे एक ही देवताओं को पूजते थे, पूजा-पाठ का ढंग भी एक ही था. कालांतर में इरानी दल बदल गया. उनके नामों में भी जो समानता थी, वे भी धीरे-धीरे नहीं रही. ई.पू. छठी शताब्दी के पहले ही उन्होंने अपना धर्म बदल डाला और सूर्य और अग्नि के उपासक बन गए.
आर्य लोगों (Aryans) का बाहर जाना
आर्य (Aryans) लोग अपनी जन्मभूमि को छोड़कर ऐसी जगह गए जहाँ कुछ लोग पहले से निवास करते थे. ऐसी दशा में उन्हें पहले से निवास कर रहे लोगों से लड़ना पड़ा. आर्य (Aryans) लोग अपने जन्म-स्थान से कभी-भी बड़ी संख्या में नहीं निकलते थे. वे टुकड़ों में बँट के ही इधर-उधर जाते थे. पर जहाँ भी जाते थे, उनका द्वंद्व पहले से रह रहे लोगों से होता था. कहीं-कहीं जो अनार्य थे उन्होंने आर्यों (Aryans) की भाषा को तो अपनाया ही, साथ-साथ उन्हीं के देवी-देवताओं को भी पूजने लगे. पर अधिकांश जगह यही हुआ कि आर्यों (Aryans) ने उनकी जमीन और संपत्ति छीन कर उन्हें अपनी प्रजा में शामिल कर लिया. आर्यों (Aryans) के बाहर निकलने का समय ठीक तौर पर निश्चित नहीं किया जा सकता परन्तु विद्वानों का अनुमान है कि यह घटना 3000 ई.पू. से पहले की नहीं है.
7 Comments on “आर्यों की जन्मभूमि और उनका प्रसार (साक्ष्य के साथ)”
आर्य इसी देश के थे.
यह बहुत अच्छा था।
इस तथ्य में न ही कोई सत्यता है, न कोई वास्तविकता है और न ही साक्ष्य है । यह तो किसी बालक बुद्धि के द्वारा अनर्गल प्रलाप जैसा है । कृपया इस प्रकार के अप्रामाणिक बातों का प्रचार न करें । यदि सही में आपको वास्तविक इतिहास के प्रति रूचि हो तो आर्य समाज के रीसर्च स्कॉलर के द्वारा लिखित या सम्पादित ग्रंथों का स्वाध्याय करें फिर निर्णय करें । धन्यवाद
एक पक्षीय और सँगल प्रलापो से आगे आवे। और भी मत है, उन्हें भी जाने।
”पंडित सोइ जो गाल बाजवा”
Kya ye majak tha….. Kyuki ye kuch v bakwass jaisa lag raha hai….. Maine bachpan se jo suna aur jo yaha pada un dono ka koi mal nahi
नमस्कार सर,
सर मैं IPS बनना चाहता हूँ लेकिन सर मेरे बायें पैर का अॉपरेशन हो रखा है तो सर मेरे IPS बनने में कोई प्रोब्लम तो नहीं होगी|
Sir ji main abhi BA final year main admission Kiya Hai. ky IAS ki tayari kar sakta Hoon