आज हम भारत का विभाजन (Partition of India) कैसे हुआ और इसके पीछे क्या कारण थे, क्या सच्चाई थी, यह जानने की कोशिश करेंगे. कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत भारत में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ सहयोग कर एक अंतरिम सरकार (interim government) का गठन किया, लेकिन मुस्लिम लीग इस अंतरिम सरकार में रहकर भी केवल व्यवधान डालने का कार्य करती रही. उससे सहयोग की अपेक्षा रखना भी शुद्ध मूर्खता थी क्योंकि वह तो पाकिस्तान के निर्माण के लिए कटिबद्ध हो चुकी थी. पूरे देश में साम्प्रदायिकता की आग फैली हुई थी और अशांति तथा अराजकता मची हुई थी. भारत की विषम साम्प्रदायिक समस्या का हल करने के लिए और कैबिनेट योजना की रक्षा के लिए ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने लन्दन में एक सम्मलेन का आयोजन किया, लेकिन फिर भी कांग्रेस तथा लीग में समझौता नहीं हो पाया. भारत की परिस्थति ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण से बाहर हो रही थी तब उसने भारत को भारतीयों के हाल पर ही छोड़ना उचित समझा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने घोषणा की कि जून 1948 के पहले भारतीयों के हाथ में सत्ता सौंप दी जायेगी. इस बात पर भारत के तत्कालीन वायसराय इस घोषणा से सहमत नहीं थे अतः उन्होंने त्यागपत्र दे दिया और लॉर्ड माउंटबेटन अंतरिम वायसराय बनकर भारत आये.
माउंटबेटन योजना (Mountbatten Plan)
वायसराय लार्ड माउंटबेटन भारत के नेताओं से बातचीत कर इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि भारत का विभाजन (Partition of India) हर हाल में होकर रहेगा. हालाँकि महात्मा गांधी ने माउंटबेटन से मिलकर इस विभाजन को रोकने का काफी प्रयत्न किया लेकिन वे असफल रहे. लॉर्ड माउंटबेटन लन्दन गए और वहां के अधिकारीयों से बातचीत कर यहाँ लौटे तथा 3 जून, 1947 को एक योजना प्रकाशित की जो “माउंटबेटन योजना” के नाम से जानी जाती है. इस योजना के अनुसार यह तय था कि ब्रिटिश सरकार भारत का प्रशासन ऐसी सरकार को सौंप देगी जो जनता की इच्छा से निर्मित हो, साथ ही यह भी तय हुआ कि जो प्रांत भारतीय संघ में सम्मिलित नहीं होना चाहते हैं उन्हें आत्म-निर्णय का अधिकार दिया जायेगा. यदि मुस्लिम-बहुल क्षेत्र के निवासी देश के विभाजन का समर्थन करते हैं तो भारत और पाकिस्तान की सीमा का निर्धारण करने के लिए एक कमीशन की नियुक्ति की जाएगी. माउंटबेटन योजना को सबसे पहले मुस्लिम लीग ने ही स्वीकार किया, बाद में कांग्रेस ने मत विभाजन के बाद इसे स्वीकार किया. मौलाना अबुल कलाम आजाद ने कहा था कि “माउंटबेटन योजना के बाद भारत की एकता को बनाये रखने की आशा हर तरह से ख़त्म हो गई”. यह स्पष्ट है कि माउंटबेटन योजना देश के विभाजन के आधार पर ही लागू की गई थी और भारत दो भागों में बँट गया.
4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पेश किया गया जिसके अनुसार 15 अगस्त, 1947 को भारत दो अधिराज्यों में विभाजित हो गया. दोनों उपनिवेशों की संविधानसभा को ब्रिटिश सरकार ने सत्ता सौंप दी और जबतक संविधान का निर्माण नहीं हुआ तबतक 1935 के भारत सरकार अधिनियम के अनुसार उपनिवेशों का शासन चला तथा संविधान सभाएँ विधानमंडल के रूप में कार्य करती रहीं. पंजाब और बंगाल में सीमा निर्धारण का कार्य सीमा आयोग के हवाले कर दिया गया जिसकी अध्यक्षता रेडक्लिफ ने की. इस प्रकार माउंटबेटन योजना के द्वारा भारत का विभाजन (Partition of India) हुआ और स्वतंत्रता अधिनियम के द्वारा आजादी मिली. इस प्रकार अखंड भारत की धारणा एक स्वप्नमात्र बन के रह गई. भारत स्वतंत्र तो हुआ पर इसके लिए उसे एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी.
भारत-विभाजन के कारण – Causes of Partition of India
मुसलामानों की धार्मिक कट्टरता
अंग्रेजों का सिद्धांत ही था फूट डालो और शासन करो. भारत-विभाजन के पीछे मुसलामानों की धार्मिक कट्टरता काफी दोषी है. उनमें शिक्षा का अभाव था और आधुनिक विचारधारा के प्रति वे उदासीन थे. वे धर्म को विशेष महत्त्व देते थे. मुसलामानों में यह भावना प्रचारित कर दी गई की भारत जैसे हिन्दू बहुसंख्यक राष्ट्र में मुसलामानों के स्वार्थ की रक्षा संभव नहीं है और उनका कल्याण एक पृथक् राष्ट्र के निर्माण से ही हो सकता है. यद्यपि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ मधुर सम्बन्ध बनाने का प्रयास किया लेकिन मुहम्मद अली जिन्ना लीग की नीति में परिवर्तन के लिए तनिक भी तैयार नहीं हुए.
साम्प्रदायिकता को अंग्रेजों का प्रोत्साहन
ब्रिटिश शासकों ने भारत में साम्प्रदायिकता के प्रोत्साहन में कोई कसर नहीं छोड़ी. 1857 के विद्रोह के बाद अँगरेज़ मुसलामानों को संरक्षण देकर फूट डालने का कार्य किया क्योंकि वे अनुभाव करने लगे कि हिन्दू-मुस्लिम एकता के बाद तो भारत पर उनका शासन करना मुश्किल हो जायेगा. उन्होंने अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलामानों को आरक्षण दिया और राष्ट्रीय आंदोलं को कमजोर बनाया. 1909 में मुस्लिमों को अलग प्रतिनिधित्व देना ही भारत-विभाजन की पृष्ठभूमि बनी.
कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति
कांग्रेस ने प्रारम्भ से ही मुसलामानों को संतुष्ट करने की नीति अपनाकर उनका मन काफी बाधा दिया था जिसका परिणाम यह हुआ कि वे अलग राष्ट्र की मांग करने लगे. कांग्रेस की यह तुष्टीकरण की नीति उनकी भयंकर भूल थी. लखनऊ समझौते के अनुसार मुसलामानों को उनकी जनसँख्या के आधार पर पृथक् प्रतिनिधित्व दिया गया. फिर 1932 के साम्प्रदायिक निर्णय के विषय में कांग्रेस ने अस्पृश्य जातियों के अलग हो जाने के भय से जिस दुर्बलता का परिचय दिया उससे मुसलामानों का मनोबल काफी बढ़ा. स्वतंत्र भारत में मुस्लिमों का क्या भविष्य होगा, उसके सम्बन्ध में कांग्रेस कोई स्पष्ट निर्णय नहीं ले सकी और दूसरी ओर जिन्ना का एक ही नारा था कि “हिन्दू और मुसलमान दो पृथक् राष्ट्र हैं“.
तत्कालीन परिस्थितियाँ
भारत की तत्कालीन परिस्थतियाँ भी भारत विभाजन (Partition of India) के लिए उत्तरदाई थीं. भारत छोड़ो आन्दोलन तथा विश्वयुद्ध से उत्पन्न स्थिति, अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग को शामिल करना तथा कांग्रेस और लीग के बीच मतभेद भारत के विभाजन का कारण बनी. अंग्रेजों ने जैसे ही भारत को स्वतंत्र करने की घोषणा की, दंगे प्रारंभ हो गए. भयानक खूनखराबे से बचने के लिए विभाजन को स्वीकार करना ही पड़ा.
इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत के विभाजन (Partition of India) के बाद अखंड भारत का सपना चूर-चूर हो गया. यह भी सत्य है कि अगर विभाजन की बात स्वीकार नहीं की जाती तो केंद्र सरकार और भी दुर्बल हो जाती और पूरा राष्ट्र बर्बाद हो जाता क्योंकि मुस्लिम लीग हमेशा सरकार के कारों में हस्तक्षेप करती और विकास का कार्य ठप पड़ जाता. देश की अखंडता उसी समय फायदेमंद हो सकती थी जब मुसलामानों को संतुष्ट करने के स्थान पर सबों के साथ समान व्यवहार किया जाता. भारत-विभाजन के कारण भारत को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अब सीमा सुरक्षा का प्रश्न काफी जटिल हो गया, हमशा भारत और पकिस्तान के बीच युद्ध और तनाव चलता रहता. कश्मीर पर अधिकार का मुद्दा हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का कारण बनता रहा और अब भी बना हुआ है.
आशा है कि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा, चलिए अब Quiz खेला जाए.
भारत के विभाजन पर सवाल-जवाब [Quiz]
Question 1 |
3 जून, 1947 | |
10 जून, 1947 | |
12 जून, 1947 | |
15 जून, 1947 |
Question 2 |
चित्तरंजन दास | |
गाँधी | |
जिन्ना | |
मोतीलाल नेहरु |
Question 3 |
क्लाइव | |
माउंटबेटन | |
रेडक्लिफ़ | |
क्रिप्स |
Question 4 |
गाँधीजी | |
वल्लभभाई पटेल | |
सैयद अहमद खान | |
मौलाना अबुल कलाम आजाद |
Question 5 |
फ्रेंक्लिन रूजवेल्ट | |
चर्चिल | |
एटली | |
जोसफ स्टेलिन |
22 Comments on “भारत का विभाजन : Partition of India in Hindi”
Jo jo log nathuram godse ka gungan kar rahe उनसे mera ek swal h ki agr wo itne hi mahan the to wo jinna ko kyu nhi mara …mang to whi kar Raha tha… Or jab muslim ko alg क्षेत्र दिया gya tab to Gandhi nahi the to sab Gandhi ke yogdan ko bhul kar negetive bate kyu krte h samjh nhi ata. Aajadi kisi akele ne nhi dilai chahe gandhi ho Subhas Bose ho ya vallabh bhai hajro logo ka yogdan hai
भारत मे बंटवारे के समय कुछ मुस्लिम भारत में ही रह गए? लेकिन किस शर्त पर? आखिर वो यहां क्यों रुके? क्या वे ये कहकर यहाँ रुके कि अब वो कभी भारत छोड़कर नहीं जाएंगे और किसी भी शर्त पर कभी भारत के दुबारा विभाजन की मांग नहीं करेंगे?
SIR MUJE MODERN HISTORY PADH LYE HA LEKIN 9 10 11 12 KA POLITICS PADH LYE HA TO PHIR SE LAXIMIKANT KA PADNA PREGA
sir kya aap mujhe ,…..bharat-pak vibhajan ke paridam” kuch meterial de sakte hai?
Hamne kitabo mein Bhi padha Aur aapki likhi Hui Baaten hamari Samjh mein aa gayi —Thankfully
Rss or vhp hamesha se hi desh ko jodne ka karya kr rhi he
Sirfh islam hi apne dharm ki kattarta se desh oo tod rha he
Jai shree ram
सर,
मैने इस सम्बन्ध में बहुत सारी किताबें पढी है और हमेशा मैं एक ही प्रश्न का उत्तर ढूंढने का प्रयास करता हूं कि जब कभी भी भारत विभाजन की बात होती है तो लोग अक्सर गांधी जी को इसका कसूरवार ठहराते है। लेकिन यह सच्चाई आज तक सामने नही आ सकी कि क्या वास्तव में भारत विभाजन का जिम्मेदार गांधी जी को ठहराया जाना उचित है ?
कभी कभी जब मेरे सहपाठी मुझे तरह तरह के तर्क देते हुए इस कथन का समर्थन करते है तो मुझे भी यह विश्वास होता है कि शायद इस कथन में कुछ सच्चाई हो सकती है लेकिन मैंने गांधी जी की आत्कथा “मेरे सत्य के साथ प्रयोग” पढी तो उसमें मैने गांधी जी का एक कथन पढा जिसमें उन्होने कहा था कि “भारत का विभाजन मेरी लाश पर होगा”। यह कथन मैं जब भी याद करता हूं तो फिर उसी असमंजस में पड जाता हूं।
आपसे सहायता चाहता हूं कृपया इस सम्बन्ध में सत्य तथ्य उजागर करते हुए मेरा ज्ञान भण्डार विस्तृत करने में मेरी सहायता करें।
धन्यवाद।।
gandhi ne hi desh ko barbaad kiya tha. gandhi aur nehru desh ke liye abhisharp the. jab desh ka vibhajan huya to gandhi ne aatmhatya kyun nahi ki kyun nathu ram gudse jaise mahapurush ne hathiyaar uuthaye gandhi ko marne k liye.
desh ko aazadi sirf netaji subhash chandra bose aur aazad hind fazu ne dilai hai. wo to bhala ho sardar patel ka jisne desh ko ek kiya warna na jane aur kitne tukde hote desh k. aur bhala ho nathu ram godse ka jisne gandhi ko maar kar desh ke uuper bahut bada upkaar kiya.
aaj jo desh me gandhi ko mil raha h uska aasli hakdaar sirf netaji subahsh chandra bose hone chahiye the aur sardar patel
sir can u plz send details of Pan Indian association and founding of the Indian national Congress in hindi…
jasim i have not ever met such a fool illitrate person in my life how can you say about our religious book ” Manu smirti” , what about your holi kuran which says about kafir and all others things, at least RSS and VHP dint do any work like your Muslim brothers gang isis and others organization did . SO please dont say about this article it is the right and you have to obey here otherwise u are also supports pakistaani and isis opinions
Sir prelims ka examination me dono paper optional hote hai to ek questions kitne mark ke hote hai.
Replace VHP with Hindu Mahasabha
Bharat ke vibhajan ka sabse bada kaaran RSS aur VHP rahi hai, ye sangathan Bharat ko Hindu rashtra banana chahti thi aur sanvidhan ke jagah par “Manusmriti” ka kaanoon lana chahti thi. Jinnah ne 14 sutri demand rakkhi jise nahi maana gaya. Kal tak Jinna ghalat tha but aaj sahi hai kyunki 14 sutri niyam agar maan li jaati to 2014 loksabha chunaav mein jis tarah desh ke sabse bade rajya UP se ek bhi Muslim MP nahi jeet paya ye nahi ho pata. Manusmiriti barabri ki baat nahi karti. ye brahaman, kshatriy, veshya, shudra ki baat karti hai aur yahi model laagu ho gaya hai. RSS and VHP ne jo utpaat freedom ke time par Hindu rashtra banane ka machaya tha uski tulne mein ye aaj kuch nahi kar rahe hain. inko pata tha ki Bharat Hindu rashtra abhi nahi bana to kabhi nahi banega. desh todne ka jimmedaar RSS aur VHP hain. Dr. Sajiva ji itna bhi communal hona thik nahi hai aap jaise scholar ke liye. please nafrat ka paath padhana band kijiye aur students ko gyaan dijiye unko BJP ka voter mat banayiye.
Yhi to agrez chahte the…aur unhone aaj bhi hindu aur muslim ki mansikta ko barkrar rkha hai..mubarak ho hm aaj bhi gulam hai apni mansikta ke..
मुस्लिम लीग जिसे एक आतंकी संगठन कहना उचित होगा के कारण ही माँ भारती का विभाजन हुआ जिसमें गाँधी और नेहरू भी बराबर के भागीदार हैं। मनुस्मृति में जन्म आधारित वर्ण व्यवस्था का उल्लेख हैं जिसे आप जैसे कम अक्ल लोग जन्म आधारित मानते हैं। मुस्लिमों को स्वतन्त्रता से कोई मतलब नहीं था उन्हें केवल खलीफा की चिंता थी जिसके लिए खिलाफत आंदोलन चलाया और दंगे करके हिंदुओं की हत्याएँ की। RSS और उसके संगठन ही हैं जो आज देश के कोने कोने में कार्य करके वहाँ के लोगों में राष्ट्रीयता के भाव जागृत रखे हुए हैं, नहीं तो मिशनरी कब का भारत-विरोधी आंदोलन चला चुके होते।
Hello sir ……Sir mera question hai ki Mene RS Sharma…Arjun Dev..Or Bipin Chandra ki history ki old NCERT books pad li h…But kuch log boltey hai ki unki updated version bhi padna jaruri h..Jo oriental Black swan ke dwara published h….So mujhe kya vo books padna chaiye..??
आपने इतनी किताबें पढ़ ली तो आपको अच्छी-खासी जानकारी हो गयी होगी. मुझे नहीं लगता है कि अब आपको कुछ पढ़ने की जरुरत है. देखिये किताबें तो कई हैं पर हम उन्हें बार-बार पढ़ कर time waste नहीं कर सकते. अब आपको अपना खुद का नोट्स बनाना शुरू कर देना चाहिए. Previous year questions उठायें और उन किताबों की मदद से खुद का नोट्स बनाएँ. यह अंतिम चरण है.
Yes,it’s compulsory. bcz some portions are beutyfully explained…..in that
So keep it up ok
Hello sir………Sir mera question apse hai ki Mene NCERT old hindi medium books ki h…Jisme ram Sharan Sharma ki prachin Bharat …Satish Chandra..Or Bipin Chandra..Or Arjun Dev ki NCERT publications ki books already h…Lekin vahi books ab updated ho gyi h…Jo orient Black swan SE published h….To mujhe konsi books padna chaiye..??? Qk Mene purani books already pad li h..To mujhe new publish ki Hui books padni chaiye kya..???
Thanks sir you r providing very good content of G.S, really i appreciated sir…thnks alot
Good medium and better do
Apke notes bahut hi satik hote h jise samjhne me bahut asani hoti h.Thanks Sir!