उरी अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध में एक बार फिर से खटास आ गयी है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने सिन्धु जल संधि की बात छेड़ कर अंदाजा दे दिया है कि रिश्ते में यह खटास कभी भी कड़वाहट में बदल सकती है. एक सिविल सेवा परीक्षार्थी होने के नाते आपका धर्म है कि आप Current Affairs से सम्बंधित सभी टॉपिक को जानें, इसलिए सिन्धु जल संधि के विषय में मैं आपको संक्षेप में बता रहा हूँ.
क्या है यह सिन्धु जल संधि (Sindhu River Treaty)?
१. यह संधि भारत और पाकिस्तान के मध्य 1960 ई. में की गयी थी. भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु और पाकिस्तान के जनरल अयूब खान के बीच सिन्धु नदी के जल को लेकर यह समझौता हुआ था.
२. इस संधि के तहत सिन्धु नदी की सहायक नदियों को दो भागों में बाँट दिया गया – – – पूर्वी भाग और पश्चिमी भाग.
३. पूर्वी भाग में जो नदियाँ बहती हैं, वे हैं–> सतलज, रावी और व्यास. इन तीनों नदियों पर भारत का फुल कण्ट्रोल है.
४. पश्चिमी भाग में जो नदियाँ बहती हैं, वे हैं–> सिंध, चेनाब और झेलम. भारत सीमित रूप से इन नदियों के जल का प्रयोग कर सकता है.
५. इस संधि के अनुसार पश्चिमी भाग में बहने वाली नदियों का भारत केवल 20% भाग प्रयोग में ला सकता है. हालाँकि, भारत इनमें “रन ऑफ़ द रिवर प्रोजेक्ट” पर काम कर सकता है. रन ऑफ़ द रिवर प्रोजेक्ट का अर्थ हुआ—>वे पनबिजली उत्पादन संयंत्र जिनमें जल को जमा करने की आवश्यकता नहीं है.
६. यह 56 साल पुरानी संधि है.
सिन्धु नदी की उपयोगिता क्या है? (Utility of Sindhu River)
१. सिन्धु नदी उप-महाद्वीप की विशाल नदियों में से एक है.
२. सिन्धु बेसिन 11.5 लाख वर्गमीटर में फैला हुआ है. उत्तर प्रदेश के जैसे चार राज्य इसमें समा सकते हैं.
३. इसकी लम्बाई 3000 किलोमीटर से भी ज्यादा है.
४. गंगा नदी से भी यह विशाल है.
५. इसकी सहायक नदियाँ — चेनाब, झेलम, सतलज, रावी और व्यास हैं.
६. अपनी सभी सहायक नदियों के साथ यह अरब सागर (कराँची, पाकिस्तान) में गिरती है.
७. सिन्धु नदी पाकिस्तान के दो तिहाई भाग को कवर करती है.
८. पाकिस्तान सिन्धु नदी के जल का प्रयोग सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है, इसलिए हम कह सकते हैं कि सिन्धु नदी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है.
भारत के लिए सिन्धु जल संधि को अचानक रद्द कर देना इतना आसान नहीं है. भारत को पाकिस्तान की ओर बहने वाली नदी को रोकने के लिए अनेक डैम और नहरें बनानी पड़ेंगी. ऐसा करने में करोड़ों/अरबों रूपये बहाने पड़ेंगे. यदि भारत ने ऐसा किया भी तो कई निवासियों का विस्थापन हो जायेगा और ऐसा करना पर्यावरण की दृष्टि से भी उचित नहीं है. भारत ने कभी भी आज तक किसी भी देश से की गई संधि नहीं तोड़ी है. संधि तोड़ने पर पकिस्तान को सार्वजनिक वैश्विक मंच पर भारत को नीचा दिखाने का मौका भी मिल जायेगा.
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2 Comments on “सिन्धु जल संधि एवं इसका सामरिक महत्त्व – Sindhu River Treaty”
Good.very nice.
so that first create the new river and open the old khaard nale and distribute the new river all pan india and make the more power plant ,so that india is still india