आज हम सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) और वैदिक संस्कृति (Vedic period culture) के मध्य अंतर स्थापित करने की कोशिश करेंगे.
सिन्धु सभ्यता और ऋग्वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर
- ऋग्वैदिक सभ्यता ग्रामीण संस्कृति लगती है जबकि सिन्धु सभ्यता के लोग सुनियोजित नागरिक जीवन से भलीभाँति परिचित थे.
- आर्य धातुओं में सोने और चाँदी से परिचित थे और यजुर्वेद में लोहे के प्रयोग के भी निश्चित सन्दर्भ मिलते हैं. सिन्धु सभ्यता के लोग सोने, चाँदी का प्रयोग करते थे, किन्तु उन्होंने चांदी का उपयोग सोने से अधिक किया. ताम्बे और कांसे के विभिन्न आयुधों और उपकरणों का निर्माण करना वे जानते थे, किन्तु वे लोहे से परिचित नहीं थे.
- ऋग्वैदिक आर्यों के जीवन में अश्व का बड़ा महत्त्व था. किन्तु इस विषय में निश्चित साक्ष्य नहीं है कि सिन्धु सभ्यता के लोग अश्व से परिचित थे.
- वेदों में व्याघ्र का उल्लेख नहीं मिलता और हाथी का बहुत कम उल्लेख मिलता है. पर सिन्धु सभ्यता की मुद्राओं पर व्याघ्र और हाथी दोनों ही का पर्याप्त मात्रा में अंकन उपलब्ध है.
- आर्य विभिन्न अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण करते थे. वे रक्षा उपायों में कवच बनाना जानते थे, जबकि सिन्धु सभ्यता के किसी भी स्थल की खुदाई से निश्चित रूप से रक्षा सम्बन्धी कोई भी वस्तु अभी तक नहीं मिली.
- आर्य गाय को विशेष आदर देते थे. पर सिन्धु सभ्यता में मुद्राओं और अन्य कला-कृतियों से लगता है कि गाय की विशेष महत्ता नहीं थीं, गाय की अपेक्षा बैल का अधिक महत्त्व था.
- आर्य संभवतः मूर्तिपूजक नहीं थे. दूसरी ओर सिन्धु सभ्यता के लोग मूर्तिपूजक थे.
- सिन्धु सभ्यता के स्थलों से नारी मूर्तियाँ प्रभूत संख्या में उपलब्ध होने से प्रतीत होता है कि सिन्धु सभ्यता के देवताओं में मातृदेवी को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त था. आर्यों में पुरुष देवता अधिक महत्त्वपूर्ण रहे हैं. देवियों का महत्त्व अपेक्षाकृत कम है.
- मार्शल ने मोहेनजोदड़ों और हड़प्पा में अग्निकुंडों के अवशेषों के नहीं मिलने से यह निष्कर्ष निकाला कि यहाँ पर यज्ञादि का प्रचलन नहीं रहा होगा. जबकि आर्यों के धार्मिक जीवन में यज्ञों का अत्यंत महत्त्व रहा है.
- सिन्धु सभ्यता की मुद्राओं और अन्य उपकरणों से स्पष्ट है कि लोग लिखना जानते थे किन्तु आर्यों के विषय में कुछ विद्वानों की धारणा है कि वे लिखना नहीं जानते थे किन्तु आर्यों के विषय में कुछ विद्वानों की धारणा है कि वे लिखना नहीं जानते थे और अध्ययन-अध्यापन मौखिक रूप से करते थे.
- ऋग्वेद में असुरों के दुर्गों का उल्लेख है और हम यह जानते हैं कि सिन्धु सभ्यता के सभी प्रमुख नगर दुर्ग में थे.
- अनार्यों को चपटी नाकवाला भी कहा गया है. हड़प्पा संस्कृति की कुछ मूर्तियों में भी चपटी नासिका दिखलाई गई हैं. आर्यों की नाक प्रखर होती थीं.
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8 Comments on “सिन्धु घाटी सभ्यता और वैदिक सभ्यता के मध्य अंतर”
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Thankyou sir but some change kijia and recently data ,book ki help jyada behtar bniga
Very helpful . thank you sir 🌹🌻💥
very useful
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very helpful notes ….thanku so much sir
I liked it’s Very helpful thank u so much sir.
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