[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Polity GS Paper 2/Part 4

Sansar LochanGS Paper 2, India and its neighbours, International Affairs, Sansar Manthan

[no_toc] सामान्य अध्ययन पेपर – 2

भारत के पड़ोसी देश चीन की बढ़ती शक्ति भारत के लिए किस प्रकार एक गंभीर खतरा हो सकती है? (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  =Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 2 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“भारत एवं इसके पड़ोसी-सम्बन्ध”

सवाल का मूलतत्त्व

सवाल में ही स्पष्ट है कि चीन भारत से कहीं अधिक शक्तिशाली है. इसलिए आप अपने उत्तर में भारत को मजबूत दिखाने और देशभक्ति दिखाने की कोशिश न करे तो अच्छा है. आप इसे चुपचाप स्वीकार कर लें कि चीन भारत से अधिक शक्तिशाली है. केवल स्वीकार ही नहीं आप अपने उत्तर में यह बताएँ कि चीन किन-किन मामलों में भारत से आगे है और भारत को क्यों और कैसे बच कर रहना चाहिए.

उत्तर :-

दोनों देशों के सीमा विवादों को देखते हुए स्पष्ट है कि चीन, भारत के लिए प्रत्यक्ष रूप से एक सैन्य खतरा है. वैसे भारत की सैन्य शक्ति मजबूत और बेहतर वित्त पोषित है फिर भी चीन अपनी आर्थिक शक्ति के बल पर भारत को सैन्य नुकसान पहुँचा सकता है. चीन के पास भारत के 13 लाख 55 हजार सैनिक बल की तुलना में कहीं अधिक सैन्य बल (21 लाख सैनिक) तैनात है.

चीन को चीनी-भारतीय सीमा के साथ लगे पर्वतीय क्षेत्र का रणनीतिक लाभ मिलता है. साथ ही उसने सीमा सटे तिब्बत के दूरदराज के इलाकों में बेहतर परिवहन एवं संचार सुविधा का निर्माण कर रखा है.

चीन के पास भारत (349) से लगभग दुगुने (653) आधुनिक लड़ाकू विमान हैं तथा लगभग तीन गुना अधिक युद्ध पोत (भारत के 28 की तुलना में 79) उपलब्ध हैं. साथ ही चीन के पास भारत से लगभग चौगुनी अधिक पनडुब्बियाँ (भारत के 14 की तुलना में 53) हैं. चीन पाँचवी पीढ़ी वाला लड़ाकू जेट विमान और एक नया विमान वाहक भी बना रहा है जो किसी भी भारतीय विमान वाहक से बड़ा होगा.

चीन की पाकिस्तान के साथ रणनीतिक संधि तथा दक्षिण एशियाई देशों के साथ उसके गहरे सम्बन्धों से इस क्षेत्र में भारत के लिए महत्त्वपूर्ण चुनौती खड़ी हो रही है, जहाँ दशकों तक भारत का इस क्षेत्र में प्रभुत्व रहा है. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी भारत के लिए चिंता का विषय है.

पाकिस्तान के अलावा बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका समेत कुछ अन्य भारतीय पड़ोसियों के साथ चीन के रणनीतिक सम्बन्धों में प्रगति हो रही है. चीन इन छोटे देशों को कई प्रकार के प्रलोभन दे रहा है तथा वह इनका उपयोग भारत के क्षेत्रीय प्रभुत्व को कमजोर करने के लिए कर सकता है. हाल ही में चीन के शह पर मालदीव ने भारत को अपने यहाँ से हेलीकॉप्टर और अन्य उपकरण वापस लेने को कह दिया है. (latest current affairs)

सामान्य अध्ययन पेपर – 2

चीन की बढ़ती शक्ति और प्रभाव को ध्यान में रखते हुए भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए? (250 words)

  • अपने उत्तर में अंडर-लाइन करना है  =Green
  • आपके उत्तर को दूसरों से अलग और यूनिक बनाएगा = Yellow

यह सवाल क्यों?

यह सवाल UPSC GS Paper 2 के सिलेबस से प्रत्यक्ष रूप से लिया गया है –

“भारत एवं इसके पड़ोसी-सम्बन्ध”

सवाल का मूलतत्त्व

यह सवाल पूछकर परीक्षक आपके करंट अफेयर्स के ज्ञान की जाँच करना चाहता है. वह जानना चाहता है कि अक्सर समाचारों के एडिटोरियल में आने वाले लेख जिसमें चीन और भारत के बीच विभिन्न मुद्दों और सुझावों का उल्लेख होता है, उसको आपने ध्यान से पढ़ा है या नहीं. चलिए देखते हैं इसका उत्तर कैसा होना चाहिए.

उत्तर :-

चीन की बढ़ती शक्ति और उसके वैश्विक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए भारत को निम्नलिखित रणनीति अपनानी चाहिए –

1. चीनी गुट में शामिल होने से बचने की नीति

चीन के साथ किसी भी प्रकार की संधि – नागरिक अथवा सैनिक – भारत के लिए हानिकारक होगी क्योंकि चीन की आर्थिक शक्ति, भौगोलिक स्थिति एवं नीतियाँ पहले से ही भारत की सुरक्षा तथा वैश्विक हितों के लिए स्पष्ट खतरा बन चुकी है.

2. अमेरिका के साथ संधि

भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ नजदीकी द्विपक्षीय संधि करनी चाहिए तथा उसके साथ संयुक्त रणनीति अपना कर चीन द्वारा पेश की जा रही चुनौतियों का सामना करना सबसे अच्छी कूटनीति होगी क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका के पास चीन की तुलना में कहीं मजबूत आर्थिक शक्ति है. साथ ही भारत तथा अमेरिका दोनों देशों का हित इसमें है कि वे चीन की बढ़त को नियंत्रित करें.

3. स्वदेशी सैन्य शक्ति का निर्माण

भारत को जितना सम्भव हो सके उतना सैन्य शक्ति के स्वदेशी साधनों को बढ़ाने की जरूरत है. देश अपनी सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है और इसके लिए सैन्य शक्ति एक प्रकार से बीमा का काम करती है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है.

4. भारतीय विदेश नीति

चीन की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत के पास तीन प्रकार के साधन हैं :- अन्य देशों (चीन सहित) के साथ साझेदारी, बहुपक्षीय कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एकीकरण.

5. अन्य देशों के साथ साझेदारी

भारत को ऐसे देशों के साथ साझेदारी की जरुरत है जो भारत की तरह चीन से परेशान हैं. इन देशों को चीन की सैन्य शक्ति का मुकाबला करने के लिए अपनी सैन्य ताकतों का उपयोग करने में सक्षम एवं तैयार होना चाहिए. साथ ही यह भी महत्त्वपूर्ण है कि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के हितों का समर्थन करें तथा भारत का साथ दें. भारत को चाहिए कि वह अपने आस-पड़ोस के देशों के साथ सैनिक सम्बन्ध सुदृढ़ करे तथा नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास करे जिससे चीन के साथ युद्ध के समय पड़ोसी देशों का सहयोग प्राप्त हो सके.

6. बहुपक्षीय कूटनीति

भारत अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार के प्रभाव को कम करने तथा उसे बाधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थान का उपयोग कर सकता है. हालाँकि भारत संयुक्त राष्ट्र संघ का स्थायी सदस्य नहीं है, लेकिन यह उन मुद्दों पर समर्थन प्राप्त कर सकता है जिसे अन्य देश विशेष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे अधिक शक्तिशाली देश महत्त्वपूर्ण मानते हैं. ऐसा कर वह चीन को अलग-थलग करने का प्रयास कर सकता है और उसे भारत के हितों के खिलाफ कार्य करने से रोक सकता है. माना जाता है कि चीन, UNO में ऐसी कार्यवाहियों पर “वीटो” लगाने का विकल्प चुन सकता है, लेकिन ऐसा करने पर उसे राजनीतिक रूप से उसे नुकसान होगा.

“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan

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