Sansar डेली करंट अफेयर्स, 24 January 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 24 January 2020


GS Paper 1 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Population and associated issues, poverty and developmental issues, urbanization, their problems and their remedies.

Topic : Time to care report

संदर्भ

ऑक्सफेम इंटरनेशनल नामक संस्था ने टाइम टू केयर शीर्षक से एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है जो वैश्विक निर्धनता के निवारण से सम्बंधित है.

मुख्य निष्कर्ष

  • 2019 में संसार-भर में 2,153 अरबपति थे. पिछले दशक में अरबपतियों की संख्या दुगुनी हो गई, परन्तु उनके सम्पूर्ण धन की मात्रा 2018 में घट गई थी.
  • विश्व के सबसे धनी 1% लोगों के पास जो संपत्ति है, वह 6.9 बिलियन लोगों की सम्पत्ति से दुगुनी से भी अधिक है.
  • 2011 से 2017 के बीच G7 देशों में औसत पारिश्रमिक 3% बढ़ा, वहीं धनी शेयधारकों को मिलने वाले प्रतिलाभ में 31% की वृद्धि हुई.
  • पूरे विश्व में अत्यधिक निर्धनता की दरें पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में 4% अधिक हैं और यह अंतराल उस समय बढ़कर 22% हो जाता है जब ये स्त्रियाँ कामकाज के लिए सबसे अधिक फलदायी होती हैं और ये प्रजनन के उम्र के अन्दर होती हैं.
  • संसार में 42% कामकाज की उम्र वाली स्त्रियाँ बिना भुगतान के काम करती हैं जबकि पुरुषों में यह 6% होता है. ऐसा इसलिए होता है कि महिलाओं के कई दायित्व ऐसे होते हैं जिनके लिए उनको पैसा नहीं मिलता.
  • 15 वर्ष और उससे अधिक की उम्र वाली स्त्रियाँ जो बिना भुगतान के काम किया करती हैं, यदि उसका मोल निकाला जाए तो प्रतिवर्ष विश्व में 10.8 ट्रिलियन डॉलर का भुगतान का होना चाहिए था. यह राशि विश्व के तकनीक उद्योग के आकार से तीन गुनी बड़ी है.
  • संसार में घर में काम करने वाले लोगों में 80% स्त्रियाँ ही होती हैं. इनमें भी 90% के पास मातृत्व सुरक्षा जैसी सामाजिक सुरक्षा और अन्य लाभ उपलब्ध नहीं होते.

भारत से सम्बंधित निष्कर्ष

  1. भारत के सबसे अधिक धनवान 1% लोगों के पास देश की जनसंख्या के 70% लोगों की तुलना में चार गुनी अधिक संपत्ति है.
  2. भारत के 63 अरबपतियों की पूर्ण सम्पत्ति को यदि जोड़ दिया जाए तो यह 2018-19 वित्तीय वर्ष के संघीय बजट (24,42,200 करोड़) से भी अधिक होगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Non-Proliferation Treaty (NPT)

संदर्भ

ईरान ने धमकी दी है कि यदि यूरोप के देश उसके परमाणु कार्यक्रम के मामले को संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में ले जाएँगे तो वह परमाणु अप्रसार संधि (Nuclear Non-Proliferation Treaty – NPT) से बाहर निकल जाएगा.

विवाद क्या है?

ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी ने ईरान पर आरोप लगाया है कि उसने 2015 की परमाणु डील की शर्तों का पालन नहीं किया है. ये देश मामले को सुरक्षा परिषद् ले जाना चाहते हैं जिसका परिणाम यह हो सकता है कि ईरान पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध दुबारा लागू हो जाए.

ईरान की शिकायत है कि ब्रिटेन, फ़्रांस और जर्मनी उस समय चुप थे जब अमेरिका ने 2018 के बड़े समझौते से अपना हाथ खीच लिया था और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया था.

2015 का समझौता

ईरान का ब्रिटेन, चीन, फ़्रांस, जर्मनी, रूस और अमेरिका के साथ एक महत्त्वपूर्ण समझौता हुआ था जिसमें ईरान पर लगे प्रतिबंधों में इस शर्त पर कुछ छूट दी गई थी कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाया था.

ज्ञातव्य है कि इस समझौते से अमेरिका निकल चुका है और प्रतिक्रिया में ईरान ने अपनी वचनबद्धताओं को धीरे-धीरे वापस लेने लगा है.

परमाणु अप्रसार संधि क्या है?

  • परमाणु अप्रसार संधि एक बहुदेशीय संधि है जिस पर 1968 में हस्ताक्षर हुए और जो 1970 से प्रभावी है. वर्तमान में इसमें 190 सदस्य हैं.
  • इसका उद्देश्य परमाणु अस्त्रों के प्रसार को तीन दृष्टि से रोकना है – i) अप्रसार ii) निरस्त्रीकरण iii) परमाणु ऊर्जा का शांतिपरक उपयोग.

NPT के मुख्य प्रावधान

  • इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाले देश ने यदि अभी तक परमाणु अस्त्र नहीं बनाए हैं तो वह भविष्य में ऐसा अस्त्र बनाने का प्रयास नहीं करेगा.
  • परमाणु अप्रसार संधि के जिस सदस्य देश के पास पहले से ही परमाणु हथियार हैं वह निरस्त्रीकरण के लिए काम करेगा.
  • सभी देश शान्तिपरक उद्देश्यों के लिए कतिपय सुरक्षाओं के साथ परमाणु तकनीक प्राप्त कर सकते हैं.
  • इस संधि में परमाणु अस्त्र वाला देश (nuclear weapon states NWS) उस देश को कहा गया है जिसने 1 जनवरी, 1967 के पहले परमाणु अस्त्र बना लिया है.
  • संधि के अनुसार शेष अन्य देश परमाणु-अस्त्र विहीन देश (non-nuclear weapon states NNWS) माने जाते हैं.
  • जिन पाँच देशों को परमाणु अस्त्र देश माना जाता है, वे हैं – चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • परमाणु अप्रसार संधि सदस्य देशों को शान्तिपरक उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का निर्माण, उत्पादन एवं उपयोग करने से नहीं रोकती है.

परमाणु अप्रसार संधि के अनुसार देशों की भूमिका

  • NPT के अनुसार, परमाणु अस्त्र रखने वाले देश परमाणु हथियार किसी दूसरे देश को नहीं देंगे और न ही किसी परमाणु-अस्त्र विहीन देश को इस प्रकार का हथियार बनाने या प्राप्त करने में सहायता, प्रोत्साहन अथवा उत्प्रेरण देंगे.
  • परमाणु अस्त्र विहीन देश किसी भी स्रोत से परमाणु अस्त्र प्राप्त नहीं करेंगे और न ही उसे बनाएँगे.
  • परमाणु अस्त्र विहीन देश अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency – IAEA) द्वारा निर्धारित सुरक्षा नियमों को अपनी अथवा अपनी नियंत्रण वाली परमाणु सामग्रियों पर लागू करेंगे.

IAEA क्या है?

  • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (International Atomic Energy Agency – IAEA) आणविक विषयों के लिए विश्व की सबसे प्रधान एजेंसी है. इसकी स्थापना 1957 में संयुक्त राष्ट्र के एक अवयव के रूप में परमाणु के शान्तिपूर्ण प्रयोग पर बल देने के लिए की गई थी.
  • इसका उद्देश्य है परमाणु तकनीकों के सुरक्षित, निरापद (secure) एवं शान्तिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देना.
  • यह एजेंसी परमाणु के सैनिक उपयोग पर रोक लगाती है.
  • IAEA संयुक्त राष्ट्र महासभा तथा सुरक्षा परिषद् के प्रति उत्तरदायी होती है.
  • इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के वियेना शहर में है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Enemy properties

संदर्भ

देशभर में मौजूद हजारों शत्रु संपत्ति से निपटने के लिए और उनसे धन जुटाने के लिए मोदी सरकार ने तीन उच्चस्तरीय समिति बनाई हैं. ये कमेटी देश में मौजूद करीब 9400 शत्रु संपत्ति मामलों का निपटारा करेगी, इससे सरकार को करीब 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आने की संभावना है.

शत्रु संपत्ति किसे कहते हैं?

  • पाकिस्तान में जा बसे लोगों और 1962 के युद्ध के बाद चीन चले गए लोगों की भारत में स्थित संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहा जाता है.
  • 1968 में संसद द्वारा पारित शत्रु संपत्ति अधिनियम के बाद इन संपत्तियों पर भारत संरकार का कब्जा हो गया था. तब से इन संपत्तियों की देखभाल गृह मंत्रालय कर रहा था.

पृष्ठभूमि

देश के कई राज्यों में शत्रु संपत्ति फैली हुई है. लंबे समय से कई संगठन इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की मांग कर रहे थे. केंद्र सरकार ने अब जाकर इन संपत्तियों के सार्वजनिक इस्तेमाल की अनुमति दी है. 2017 में सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम में बदलाव कर इन लोगों का संपत्ति से अधिकार खत्म कर दिया था. भारत में 1 लाख करोड़ की हैं. शत्रु संपत्ति गृह मंत्रालय के अनुसार देश में करीब 1 लाख करोड़ रुपए की शत्रु संपत्ति है. इनकी संख्या 9400 के करीब है. इसके अतिरिक्त तीन हजार करोड़ रुपए के शत्रु शेयर भी भारत सरकार के पास हैं. इन संपत्तियों में से सबसे अधिक 4991 उत्तर प्रदेश, 2735 पश्चिम बंगाल और 487 संपत्ति दिल्ली में स्थित हैं. इसके अतिरिक्त भारत छोड़कर चीन जाने वालों की 57 संपत्ति मेघालय, 29 पश्चिम बंगाल और 7 असम में स्थित है. केंद्र सरकार लंबे समय से इन संपत्तियों को बेचने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा, देश में करीब तीन हजार करोड़ रुपए मूल्य के शत्रु शेयर हैं. पिछले साल केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर की ओर से राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, 996 कंपनियों में करीब 20 हजार लोगों के 6 करोड़ से ज्यादा शत्रु शेयर हैं. यह शेयर 588 सक्रिय, 139 सूचीबद्ध और बाकी गैरसूचीबद्ध कंपनियों में हैं. केंद्र सरकार ने इन शेयरों को बेचने के लिए पिछले महीने एक कमेटी का भी गठन किया था. यह कंपनी इन शेयरों की बिक्री का मूल्य निर्धारण का कार्य करेगी.

शत्रु सम्पत्ति अधिनियम (Enemy properties Act)

  • 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के पश्चात् 1968 में शत्रु सम्पत्ति अधिनियम पारित हुआ जिसका उद्देश्य ऐसी संपत्तियों का विनियमन करना और संरक्षक की शक्तियों का वर्णन करना था.
  • कालांतर में महमूदाबाद के राजा मुहम्मद आमीर खान की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अवस्थित सम्पत्तियों को लेकर उसके उत्तरधिकारियों के दावों को ध्यान में रखकर सरकार ने इस अधिनियम में कतिपय संशोधन किए थे.
  • अधिनियम के अनुसार केंद्र सरकार ने शत्रु सम्पत्तियों को शत्रु सम्पत्ति संरक्षक (Custodian of Enemy Property for India) के हवाले कर रखा है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Three capitals for Andhra Pradesh

संदर्भ

आंध्र प्रदेश विधानसभा ने आंध्र प्रदेश समस्त क्षेत्र विकेंद्रीकरण एवं सामान विकास विधेयक, 2020 (The Andhra Pradesh Decentralisation and Equal Development of All Regions Bill, 2020) को पारित कर दिया है. इसके साथ ही उस राज्य में तीन राजधानियों (capitals) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

ये राजधानियाँ और उनके कार्य निम्नलिखित होंगे –

  1. अमरावती – विधायी राजधानी
  2. विशाखापत्तनम – कार्यपालक राजधानी
  3. कर्नूल – न्यायिक राजधानी

तीन राजधानियों की आवश्यकता क्यों पड़ी?

आंध्र सरकार का विचार है कि एक ही विशाल राजधानी बनाने से राज्य के अन्य भागों की उपेक्षा हो जाती है. अतः यदि तीन राजधानियाँ बनाई जाएँ तो राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में समान विकास सुनिश्चित होगा.

इस विषय में कई बड़ी-बड़ी समितियाँ गठित हुई थीं जिनका काम आंध्र प्रदेश के लिए एक उपयुक्त स्थान सुझाना था. उन सभी समितियों ने विकेंद्रीकरण (Decentralisation) के पक्ष में मंतव्य दिया था. ये समितियाँ थीं –

  1. बी.एन. श्रीकृष्ण समिति
  2. के शिवरामकृष्णन समिति
  3. जी.एन. राव समिति

तीन राजधानियाँ होने से सम्बंधित चुनौतियाँ

  • विधायी और कार्यपालक राजधानियों के बीच में समन्वय का काम अत्यंत दुष्कर हो सकता है. इसमें सामान ढुलाई की प्रचंड समस्या हो सकती है जिसका खामियाजा अधिकारियों और जनसामान्य दोनों को भुगतना पड़ सकता है.
  • विशाखापत्तनम कार्यपालक राजधानी बनने जा रहा है. यह न्यायिक राजधानी कर्नूल से 700 किलोमीटर और विधायी राजधानी अमरावती से 400 किलोमीटर दूरी पर है. अमरावती और कर्नूल की दूरी भी 370 किलोमीटर है. एक राजधानी से दूसरी राजधानी जाने में समय और लागत दोनों अधिक होंगे.
  • आंध्र प्रदेश पुलिस का मुख्यालय मंगलागिरी में विजयवाड़ा से 14 किलोमीटर दूर है. यदि यहाँ से भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों को सचिवालय जाना होगा तो उनको विशाखापत्तनम 400 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ेगी. इसी प्रकार, यदि सरकारी अधिकारियों को उच्च न्यायालय में उपस्थित होना होगा तो उनको इसके लिए 700 किलोमीटर कर्नूल जाना होगा जहाँ कोई हवाई अड्डा भी नहीं है.
  • जब विधानसभा का सत्र होता है तो उस समय मंत्रियों को समझाने के लिए आस-पास अधिकारियों और कर्मियों को रहना पड़ता है. ऐसे समय इन अधिकारियों और कर्मियों को विशाखापत्तनम में अपनी जिम्मेवारियाँ छोड़कर अमरावती में रहना पड़ेगा.

एक से अधिक राजधानियों वाले देश

विश्व में ऐसे कई देश हैं जहाँ एक से अधिक राजधानियाँ हैं.

  • दक्षिण अफ्रीका की तीन राजधानियाँ हैं – केपटाउन (विधायी राजधान), ब्लोमफोंटिन (न्यायिक राजधानी) और प्रीटोरिआ (कार्यपालक राजधानी).
  • श्रीलंका में भी एक ओर जहाँ श्री जयवर्धनपुर कोट्टे में राष्ट्रीय संसद और औपचारिक राजधानी है, वहीँ कोलोम्बो में राष्ट्रीय कार्यपालिका और न्यायिक निकाय अवस्थित हैं.
  • मलेशिया में क्वालालम्पुर में औपचारिक एवं राजसी राजधानी के अतिरिक्त राष्ट्रीय विधायिका है, वहीं पुत्रजया में प्रशासनिक केंद्र और राष्ट्रीय न्यायपालिका है.

भारतीयों राज्यों में एक से अधिक राजधानियाँ

  • महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई है, किन्तु राज्य विधान सभा शरदकाल में नागपुर में संचालित होती है.
  • हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला है, किन्तु धर्मशाला में शरदकाल राजधानी है.
  • जम्मू और कश्मीर संघीय क्षेत्र में श्रीनगर ग्रीष्मकालीन और जम्मू शरदकालीन राजधानी है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : National Startup Advisory Council

संदर्भ

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्टार्ट-अप परामर्शदात्री परिषद् (National Startup Advisory Council – NSAC) के गठन की अधिसूचना निर्गत कर दी है. यह परिषद् देश में नवाचार और स्टार्ट-अप कम्पनियों को बढ़ावा देने के लिए एक सुदृढ़ तंत्र के निर्माण हेतु उपाय सुझाएगी.

राष्ट्रीय स्टार्ट-अप परामर्शदात्री परिषद् (NSAC) का स्वरूप

  • इस परिषद् का अध्यक्ष वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री होगा.
  • इस परिषद् में गैर-सरकारी सदस्य होंगे जिनका नामांकन केन्द्रीय सरकार विभिन्न श्रेणियों से करेगी, जैसे – सफल स्टार्ट-अप कम्पनियों के संस्थापक, इनक्यूबेटरों और एक्सेलरेटरों आदि के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ एवं सक्षम व्यक्ति.
  • NSAC के गैर-सरकारी सदस्यों का कार्यकाल दो वर्षों का होगा.
  • इस परिषद् में सम्बंधित मंत्रालयों/विभागों के पदेन सदस्य भी होंगे जो सभी भारत सरकार के संयुक्त सचिव रैंक से नीचे के नहीं होंगे.
  • उद्योग एवं आंतरिक व्यापार प्रोत्साहन विभाग का संयुक्त सचिव इस परिषद् का संयोजक होगा.

परिषद् की भूमिका और कार्य

  • यह परिषद् नागरिकों एवं विशेषकर छात्रों में नवाचार की संस्कृति का पोषण करने के लिए उपाय सुझाएगी.
  • देश-भर में अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में नवाचार को प्रोत्साहन देने के लिए सुझाव देगी.
  • ऐसे सुझाव देगी जिनसे सार्वजनिक संगठनों को नवाचार अपनाने में सहायता मिले और जिससे सार्वजनिक सेवा में सुधार हो, रचनात्मकता और सुरक्षा को बढ़ावा मिले तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों का वाणिज्यीकरण संभव हो सके.
  • नियमों के अनुपालन और लागत को घटाकर ऐसा परिवेश सुझाये जिसमें कोई व्यवसाय आरम्भ करने, उसे चलाने, उसमें वृद्धि लाने और उसे छोड़ने में सरलता हो.
  • स्टार्ट-अप कम्पनियों को सरलता से पूँजी मिलने और घरेलू पूँजी का उनमें निवेश करने को बढ़ावा देने के लिए सुझाव देना.
  • भारतीय स्टार्ट-अप कम्पनियों में विदेशी पूँजी के निवेश को कैसे बढ़ाया जाए, इसके लिए उपाय सुझाना.

Prelims Vishesh

Ophichthus kailashchandrai :-

  • पिछले दिनों बंगाल की खाड़ी में रहने वाली एक नई सर्प ईल प्रजाति का पता चला है जिसका नाम भारतीय पशु विज्ञान के प्रति डॉ. कैलाश चन्द्र, भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (ZSI) के निदेशक के योगदान के सम्मान में Ophichthus kailashchandrai पड़ा है.
  • इस ईल में सफ़ेद पंखियाँ होते हैं और इनका रंग भूरा होता है.
  • इनके शरीर फिसलन भरे होते हैं पर ये विषैले नहीं होते.

Web portal ‘GATI’:

  • हाल ही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा ऑनलाइन वेब पोर्टल ‘गति’ का आनावरण किया गया. इसे पीएमओ के प्रगति पोर्टल से प्रेरित होकर तैयार किया है.
  • पोर्टल पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की परियोजनाओं से संबंधित समस्याओं को उठाया जा सकेगा. समस्या के आते ही सम्बंधित अधिकारित त्वरित कार्रवाई करेंगे.

National Data and Analytics Platform (NDAP) :

  • नीति आयोग ने राष्ट्रीय डाटा एवं विश्लेषण मंच (NDAP) के लिए अपना दृष्टिपत्र प्रकाशित कर दिया है.
  • इसका उद्देश्य सरकारी डाटा को जनसामान्य को उपलब्ध कराना है.
  • इसमें विभिन्न सरकारी वेबसाइटों का डाटा इस प्रकार डाला गया है कि आसानी से इसे खोला, पढ़ा और समझा जा सके.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

December, 2019 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]