Sansar डेली करंट अफेयर्स, 11 February 2021

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 11 February 2021


GS Paper 2 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Indian Constitution- historical underpinnings, evolution, features, amendments, significant provisions and basic structure.

Topic : Breach of Privilege

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय के एक पूर्व चीफ जस्टिस के विरुद्ध टिप्पणी को लेकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) के विरुद्ध लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया गया है.

संबंधित प्रकरण

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान बोलते हुए, सांसद महुआ मोइत्रा ने न्यायाधीश के आचरण के संबंध में कुछ आक्षेप लगाए थे. तो सवाल यह है कि सदन के पटल पर, किसी न्यायाधीश के आचरण पर चर्चा की जा सकती है अथवा नहीं?

संविधान के अनुच्छेद 121 में, किसी वर्तमान अथवा पूर्व न्यायाधीश पर आरोप लगाए जाने को प्रतिबंधित किया गया है.

विशेषाधिकार क्या है?

एक सांसद या विधायक होना सिर्फ जनप्रतिनिधि होना नहीं है अपितु ये लोग संविधान के पालक और नीतियाँ/कानून बनाने वाले लोग भी हैं. कार्यपालिका के साथ मिलकर यही लोग देश का वर्तमान और भविष्य तय करते हैं. इन पदों की महत्ता और निष्ठा को देखते हुए संविधान ने इन्हें कुछ विशेषाधिकार दिए हैं. संविधान के अनुच्छेद 105 और अनुच्छेद 194 के खंड 1 और खंड 2 के तहत विशेषाधिकार का प्रावधान किया गया है. भारतीय संविधान में विशेषाधिकार के विषय इंग्लैंड के संविधान से लिए गये हैं.

संविधान के अनुच्छेद 105 (3) और 194 (3) के तहत देश के विधानमंडलों को वही विशेषाधिकार मिले हैं जो संसद को मिले हैं. संविधान में यह स्पष्ट किया गया है कि ये स्वतंत्र उपबंध हैं. यदि कोई सदन विवाद के किसी भाग को कार्यवाही से हटा देता है तो कोई भी उस भाग को प्रकाशित नहीं कर पायेगा और यदि ऐसा हुआ तो संसद या विधानमंडल की अवमानना मानना जाएगा. ऐसा करना दंडनीय है. इस परिस्थिति में अनुच्छेद 19 (क) के तहत बोलने की आजादी (freedom of speech and expression) के मूल अधिकार की दलील नहीं चलेगी.

हालाँकि बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि भले ही विशेषाधिकार के मामले अनुच्छेद 19 (क) के बंधन से मुक्त हों लेकिन यह अनुच्छेद 20-22 और अनुच्छेद 32 के अधीन माने जायेंगे.

विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव कैसे लाया जाता है?

नियम 222

लोकसभा के नियम 222 के तहत कोई भी सदस्य अध्यक्ष की अनुमति से कोई भी प्रश्न उठा सकता है जिसमें उसे लगता है कि किसी सदस्य या सभा या समिति के विशेषाधिकार का हनन हुआ है.

नियम 223

नियम 223 के तहत किसी भी सदस्य को, जो विशेषाधिकार का प्रश्न उठाना चाहता है, लिखित सूचना लोक सभा महासचिव को उसी दिन देनी होती है जिस दिन प्रश्न उठाना होता है. यदि प्रश्न किसी साक्ष्य पर आधारित हो तो सूचना के साथ साक्ष्य भी देना होता है.

नियम 224

हालाँकि विशेषाधिकार का प्रश्न उठाने के साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी हुई हैं जिनकी चर्चा लोकसभा के नियम 224 में की गई है. पहली, इसके तहत एक ही बैठक में एक से अधिक प्रश्न नहीं उठाये जायेंगे. दूसरी, जो भी प्रश्न उठाया जायेगा वह हाल ही में उठाये गए किसी ख़ास विषय तक सीमित हो और उस विषय में सभा का हस्तक्षेप जरूरी है.

नियम 225

लोक सभा में Parliamentary Privilege से जुड़ी प्रक्रिया की चर्चा लोकसभा के नियम 225 से 228 के तहत की गई है. नियम 225 के अनुसार किसी भी सदस्य द्वारा विशेषाधिकार हनन का नोटिस देने के बाद यदि लोकसभा अध्यक्ष उसपर अपनी सहमति जताते हैं तो उसके बाद नियम के अनुसार सदन में उस सदस्य का नाम पुकारा जाता है. इसके बाद सम्बंधित सदस्य Parliamentary Privilege के मुद्दे पर अपनी सफाई रखते हैं. लेकिन अगर लोकसभा अध्यक्ष को लगता है कि सम्बंधित विषय विशेषाधिकार हनन की शर्तों को पूरा नहीं करता है तो वह नियमों का हवाला देते हुए उसे सहमति देने से इनकार कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि अध्यक्ष को लगता है कि मामला बहुत गंभीर है या इस पर देर नहीं की जा सकती है तो वह सदन में प्रश्नकाल के खत्म होने के बाद किसी भी बैठक के दौरान विशेषाधिकार के प्रश्न उठाने की अनुमति दे सकते हैं.

अगर सदन के भीतर विशेषाधिकार प्रश्न उठाने का विरोध किया जाता है तो उस स्थिति में अध्यक्ष उन सदस्यों को, जो इसकी अनुमति चाहते हैं, अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहते हैं. यदि कम-से-कम 25 सदस्य इसके पक्ष में खड़े होते हैं तो अध्यक्ष उसपर अपनी अनुमति दे देते हैं. लेकिन 25 से कम सदस्य खड़े होते हैं तो अध्यक्ष द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है.

नियम 226

इसके साथ ही नियम 226 में यह प्रावधान है कि अगर अध्यक्ष द्वारा अनुमति दे दी जाती है तो सभा उस प्रश्न पर विचार करती है. उसके बाद उस प्रश्न को विशेषाधिकार समिति को सौंप दिया जाता है.

नियम 227

नियम 227 के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष द्वारा Parliamentary Privilege से जुड़े किसी भी सवाल को जाँच, अनुसंधान या प्रतिवेदन के लिए विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है. इसके बाद समिति उस सौंपे गये प्रत्येक प्रश्न की जाँच करेगी और सभी मामलों में तथ्यों के मुताबिक यह निर्धारित करेगी कि संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privilege) का उल्लंघन हुआ है या नहीं. और यदि हुआ है तो इसका स्वरूप क्या है और किन परिस्थतियों में हुआ है. पूरी जाँच करने के बाद समिति अपने विवेक के अनुसार सिफारिश करती है. इसके अलावा समिति नियमों के अधीन रहते हुए यह राय भी दे सकती है कि उसकी सिफारिशों को लागू करने के लिए किस प्रक्रिया का पालन किया जाए.

नियम 228

नियम 228 के तहत लोक सभा अध्यक्ष को यह भी शक्ति प्राप्त है कि वह विशेषाधिकार समिति में या विशेषाधिकार से जुड़े किसी भी मामले पर अपनी राय दे सकते हैं.

विशेषाधिकार के प्रश्न सम्बन्धी प्रक्रिया राज्य सभा में लोक सभा के जैसी ही है. इसकी चर्चा राज्य सभा के नियम 187-203 के बीच की गई है.

और भी विस्तार से पढ़ें : विशेषाधिकार


GS Paper 2 Source : Indian Express

UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Chinese firm wins contract for Sri Lanka wind and solar energy projects near Tamil Nadu coast

संदर्भ

हाल ही में श्रीलंका ने उत्तरी जाफना प्रायद्वीप के तीन श्रीलंकाई द्वीपों- डेल्फट, नैनातिवु और अनलातिवु पर हाइब्रिड पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने के लिये चीन की एक कंपनी को अनुबंध दे दिया है. ये द्वीप समूह तमिलनाडु के रामेश्वरम से मात्र 45 किमी. दर स्थित हैं.

भारत की चिंताएँ

  • भारतीय तट के इतने समीप किसी चीनी कंपनी की उपस्थिति स्वाभाविक तौर पर भारत के लिए चिंता का विषय है, वह भी ऐसे समय पर जब भारत-चीन सीमा पर तनाव अपने उच्च स्तर पर है. विदित हो कि ऐसी परियोजनाओ का उपयोग जासूसी एजेंसियों द्वारा किया जाता रहा है.
  • इसके अतिरिक्त हाल ही में श्रीलंका की सरकार द्वारा कोलंबो पोर्ट के रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण, पूर्वी कंटेनर टर्मिबल (ECT) के लिये भारत और जापान के साथ किये गए अनुबंध को रद्द कर देना भी वर्तमान श्रीलंका सरकार के चीन के दबाव में कार्य करने और चीन के प्रति झुकाव की आशंका पैदा करता है.
  • दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती उपस्थिति, भारत के समक्ष विभिन्‍न चुनौतियाँ खड़ी कर रही है. पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका में चीन द्वारा महत्वपूर्ण निवेश किए जा रहे हैं. चीन द्वारा भारत को दक्षिण एशिया-हिंद महासागरीय क्षेत्र में घेरने की “स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स नीति चिंता का मुख्य बिंदु बनती जा रही है.

भारत-श्रीलंका संबंध

  • ज्ञातव्य है कि भारत और श्रीलंका के बीच संबंध 2,500 सालों से भी ज्यादा प्राचीन है. दोनों देशों के पास महत्त्वपूर्ण बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषायी विरासत विद्यमान हैं.
  • विगत कुछ सालों में दोनों देशों ने अपने संबंधों को लगभग सभी स्तर पर बेहतर बनाने का प्रयास किया है. दोनों देशों के मध्य व्यापार और निवेश में वृद्धि देखी गई है और दोनों ही बुनियादी ढाँचे के विकास, शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं. साथ ही विकास सहायता परियोजनाओं के कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण प्रगति ने दोनों देशों के मध्य दोस्ती के बंधन को और भी दृढ़ता प्रदान किया है.
  • श्रीलंकाई सेना और लिट्टे के मध्य लगभग तीन दशक तक चला लंबा सशस्त्र संघर्ष वर्ष 2009 में खत्म हुआ जिसमें भारत ने आतंकवादी ताकतों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए श्रीलंका सरकार के अधिकार का समर्थन किया था.

वाणिज्यिक संबंध

  • बहुत समय से भारतीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिये श्रीलंका एक महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है.
  • ज्ञातव्य है कि SAARC में श्रीलंका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक है. वहीं भारत भी वैश्विक स्तर पर श्रीलंका का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है.
  • मार्च 2000 में लागू हुए भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के पश्चात् दोनों देशों के मध्य व्यापार बहुत तीव्रता से बढ़ा है.
  • वर्ष 2015-2017 के दौरान श्रीलंका को किया गया भारत का निर्यात 5.3 बिलियन डॉलर का था, जबकि श्रीलंका से भारत का आयात करीब 743 मिलियन डॉलर का था.
  • साथ ही भारत वर्ष 2003 से 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा के कुल निवेश के साथ श्रीलंका के शीर्ष चार निवेशकों में सम्मिलित है. भारतीय निवेशकों द्वारा श्रीलंका के अनेक क्षेत्रों जैसे- पेट्रोलियम, आईटी (IT), वित्तीय सेवाएँ, रियल एस्टेट, दूरसंचार, पर्यटन, बैंकिंग, धातु उद्योग और बुनियादी ढाँचा विकास (रेलवे) आदि में निवेश किया जाता रहा है.
  • श्रीलंका के पर्यटन उद्योग में भारतीय पर्यटक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं. एक अध्ययन के अनुसार, श्रीलंका का हर पाँच में से एक पर्यटक भारतीय है.

सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध

  • 29 नवंबर, 1977 को हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग समझौता दोनों देशों के मध्य समय-समय पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों के आधार के रूप में काम करता है.
  • कोलंबो में अवस्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र सक्रिय रूप से भारतीय संगीत, नृत्य, हिंदी और योग की कक्षाओं के जरियेभारतीय संस्कृति के विषय में जागरूकता को प्रोत्साहन प्रदान करता है.
  • थोड़े ही समय पहले भारत और श्रीलंका ने संयुक्त गतिविधियों के जरिये भगवान् बुद्ध द्वारा आत्मज्ञान की प्राप्ति की 2600वीं जयंती मनाई थी. इसके अतिरिक्त दोनों देशों की सरकारों ने वर्ष 2014 में बौद्ध भिक्षु अनागारिक धर्मपाल की 150वीं जयंती भी मनाई थी.
  • इसके अतिरिक्त दिसंबर 1998 में एक अंतर-सरकारी पहल के रूप में भारत-श्रीलंका फाउंडेशन की स्थापना की गई थी जिसका ध्येय दोनों देशों के नागरिकों के बीच वैज्ञानिक, तकनीकी, शैक्षिक और सांस्कृतिक सहयोग तथा दोनों देशों की युवा पीढ़ी के मध्य संपर्क में वृद्धि करना है.

रक्षा संबंध

  • भारत और श्रीलंका के बीच रक्षा सहयोग का एक प्राचीन और लम्बा इतिहास रहा है. हाल के कुछ वर्षों में दोनों देशों ने अपने सैन्य संबंधों को दृढ़ता प्रदान करने के अनेक प्रयास किये हैं.
  • विदित हो कि दोनों देशों (भारत और श्रीलंका ) के मध्य संयुक्त सैन्य (मित्र शक्ति) और नौसेना अभ्यास (SLINEX) भी आयोजित किये जाते हैं.
  • भारत द्वारा श्रीलंका की सेना को रक्षा प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है.
  • अप्रैल 2019 में भारत और श्रीलंका ने ड्रग एवं मानव तस्करी का खात्मा करने पर भी एक समझौता किया था.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation. Issues relating to development and management of Social Sector/Services relating to Health, Education, Human Resources. Awareness in the fields of IT.

Topic : Digital India Land Records Modernization Programme  (DILRMP)

संदर्भ

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में न्यूनतम सरकार अधिकतम शासन (पैरा 27) का उल्लेख किया जिसे डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) द्वारा कवर किया गया है.

डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) केंद्रीय क्षेत्र के डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP) को 950 करोड़ रुपये की कुल लागत पर 2020-21 तक के लिए बढ़ा दिया गया है. 

DILRMP क्या है?

  • डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम अगस्त 2008 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था.
  • इसका मुख्य उद्देश्य भूमि अभिलेखों के प्रबंधन को आधुनिकीकरण, भूमि/संपत्ति विवादों के दायरे को कम करने, भूमि अभिलेख रखरखाव प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने और देश में अचल संपत्तियों के लिये अंततः गारंटीकृत निर्णायक अधिकार की ओर बढ़ने की सुविधा प्रदान करना है.
  • इस कार्यक्रम के प्रमुख घटक भूमि स्वामित्त्व का फेर-बदल, मानचित्रों का डिजिटलीकरण तथा पाठ्यचर्या और स्थानिक डेटा के एकीकरण, सर्वेक्षण/पुन: सर्वेक्षण और मूल भूमि के रिकॉर्ड सहित सभी भूमि अभिलेखों का कंप्यूटरीकरण करना है.

घटक

इसके तीन प्रमुख घटक हैं :-

  1. भूमि नक्शे का डिजिटलीकरण
  2. सर्वे/पुनः सर्वे
  3. रजिस्ट्रीकरण का कम्प्यूटरीकरण

कार्यक्रम की प्रगति

  • 24 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 11 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति हुई है.
  • भूमि नक्शे का डिजिटलीकरण 22 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 9 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है.
  • रजिस्ट्रीकरण का कम्प्यूटरीकरण (एसआरओ) 27 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 8 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है.
  • राजस्व कार्यालय के साथ एसआरओ का एकीकरण 20 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में (90% से अधिक) पूरा हो चुका है और 8 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति प्राप्त की गई है.

DILRMP का क्रियान्वयन

  • भूमि स्वामित्त्वाधिकार एक दस्तावेज़ है जो भूमि पर स्वामित्त्व के निर्धारित करने में मदद करता है और यह संपत्ति पंजीकरण प्रक्रिया के पूर्ण कंप्यूटरीकरण और सभी भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण के माध्यम से हासिल की जा सकती है.
  • DILRMP को सभी राज्यों द्वारा अंतर-प्रगति के साथ लागू किया जा रहा है.
  • इन राज्यों ने RORs को कैडस्ट्रल मैप्स (क्षेत्र का रिकॉर्ड, स्वामित्त्व और जमीन के मूल्य) से जोड़ना शुरू कर दिया है.
  • मानचित्र भूमि अभिलेखों के एक महत्त्वपूर्ण घटक होते हैं क्योंकि वे संपत्ति और स्वामित्त्व की सटीक सीमाओं का विवरण प्रदान करते हैं.
  • गाँवों के 45% सर्वेक्षण और पुन: सर्वेक्षण के काम में स्थानिक डेटा का प्रयोग किया जाता है, जो स्थानीय रिकॉर्ड अपडेट करने में मदद करता है.

संभावित लाभ

  • रियल टाइम भूमि अभिलेख (रिकॉर्ड) ऑनलाइन उपलब्ध होंगे
  • भूमि रिकॉर्ड तक आसान पहुँच होगी (लाल फीताशाही में कमी)
  • पंजीकरण ऑनलाइन होने से स्टाम्प ड्यूटी समाप्त हो जाएगी
  • पारदर्शिता आएगी, भ्रष्टाचार में कमी होगी
  • भूमि विवादों का जल्द निपटारा हो सकेगा, इससे भूमि पर ऋण लेने में आसानी होगी (संसाधनों का उचित उपयोग)
  • भूमि अधिग्रहण आसान होगा, (इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस)

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment.

Topic : SWAMITVA YOJANA

संदर्भ

2021-22 के बजट में पंचायती राज मंत्रालय को कुल 913.43 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं जो 2020-21 के संशोधित अनुमान से 32 प्रतिशत अधिक है. आवंटित बजट के मुख्य हिस्से के रूप में 593 करोड़ रूपए केंद्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के लिए दिए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पाने के लिए पंचायती राज संस्थानों को मजबूत करना है.

ग्रामीण स्थानीय सरकारों की क्षमता निर्माण के माध्यम से मिशन अंत्योदय के साथ अभिसरण पर मुख्य ध्यान केंद्रित करना भी इस योजना का लक्ष्य है. पंचायत भवन, कंप्यूटर और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और प्रशिक्षित जनशक्ति जैसी बुनियादी सुविधाएँ और पंचायती राज संस्थानों के चुने हुए प्रतिनिधियों और अन्य अधिकारियों को गुणवत्ता प्रशिक्षण प्रदान करना राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान के प्रमुख घटक हैं. एक नई योजना ‘स्वामित्व‘ के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. गाँव में रहने वाले लोगों को ग्रामीण आवासीय क्षेत्रों में घर और प्रॉपर्टी कार्ड निर्गत करने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा ड्रोन तकनीक की सहायता से सर्वेक्षण किया जाएगा.

स्वामित्व योजना क्या है?

यह प्रधानमंत्री मोदी की डिजिटल इंडिया योजना का ही हिस्सा है. राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर 24 अप्रैल, 2020 को इसे अनावृत किया गया था. पंचायती राज मंत्रालय की इस योजना का पूरा नाम सर्वेक्षण ऑफ़ विजिलेंस एंड मैपिंग विद इम्पोवरिश्ड टेक्नोलॉजी इन विलेज एरिया’ है. इसके अंतर्गत ड्रोन के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व हर प्रॉपर्टी का एक डिजिटल नक्शा तैयार करना है.

वैसे, अब सबकी निगाहें इस योजना के क्रियान्वयन पर रहेंगी, क्योंकि अच्छी योजनाएँ तो पहले भी बहुत -सी बनती रही हैं, परन्तु उन पर ठीक से अमल नहीं हो पाने से वे लालफीताशाही के चंगुल में फँसती रही हैं.

आधार कार्ड में लोगों के नाम, जन्म तिथि, फोटो आदि गलत लगने की ढेरों शिकायतें आती रही हैं. इससे बिना कारण लोग परेशान होते हैं. कहीं भू-रिकॉर्ड में गलत जानकारी दर्ज हो गई तो यह योजना गाँवों के लोगों की कठिनाइयाँ और विवाद बढ़ा देगी. इसलिए सरकारी तंत्र को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह योजना पारदर्शी हो और लोगों को परेशानी न उठानी पड़े. इससे इस योजना की लोगों में विश्वसनीयता बढ़ेगी और इसकी सफलता भी सुनिश्चित होगी.

सरकार का कहना है कि लोग इस कार्ड का उपयोग बैंकों से कर्ज लेने के अलावा अन्य कार्यों में भी कर सकते हैं. इससे गाँवों में भूमि विवाद भी खत्म हो जाएँगे. भूमि के सत्यापन की प्रक्रिया में तीव्रता आएगी व भ्रष्टाचार को रोकने में सहयोग मिलेगा. सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में ग्रामीण क्षेत्रों की भूमि व प्रॉपर्टी का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की योजना को सकारात्मक पहल कहा जा सकता है.

लाभ

  • गाँवों तथा ग्राम पंचायतों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों को आधार प्रदान करने में सहायता प्राप्त होगी.
  • संपत्ति कर के जरिये ग्राम पंचायतों की आमदनी के एक स्थायी स्रोत तथा स्थानीय व्यवस्था के लिये अतिरिक्त संसाधनों का प्रबंध किया जाएगा.
  • एकीकृत संपत्ति सत्यापन व्यवस्था के जरिये संपत्ति सम्बन्धी विवाद को निपटाने में सहायता मिलेगी.
  • प्राप्त आधिकारिक प्रमाण पत्र के जरिये संपत्ति मालिक अपनी संपत्ति पर बैंक ऋण तथा संपत्ति से जुड़ी अन्य योजनाओं का फायदा उठा सकेगें.
  • वर्तमान ग्रामीण क्षेत्र में कृषि भूमि पर निर्मित मकानों तथा जोत के वास्तविक आकार के संदर्भ में उपलब्ध आँकड़ों में स्पष्टता की बहुत कमी है, इस योजना के माध्यम से कृषि जोत के आकार से जुड़े आँकड़ों को दृढ़ बनाने में सहयोग मिलेगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

चुनौतियाँ

  • संपत्ति से जुड़े प्रमाणिक दस्तावेज़ों का अभाव: इस योजना को लागू करने का एक मुख्य लक्ष्य ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों से जुड़े आँकड़ों में सुधार लाना है मगर वर्तमान में ऐसे आकड़ों के अभाव में इस योजना के क्रियान्यवयन के समय अनेक विवादों का सामना करना पड़ सकता है.      
  • संयुक्त परिवारों में संपत्ति का बँटवारा: अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक परिवारों में संपत्ति का विभाजन बहुत ही जटिल होता है, इसलिए ऐसी संपत्तियों के मामलों में आधिकारिक पत्र निर्गत करना एक चुनौती होगी. 
  • स्वामित्त्व पंजीकरण: केंद्र सरकार ने अभी तक इस योजना के अंतर्गत आधिकारिक प्रमाण पत्र में संपत्ति के पंजीकरण से सम्बंधित बहुत अधिक जानकारी नहीं दी है, जैसे- स्वामित्त्व पंजीकरण की प्रकृति क्या होगी (उदाहरण- खेती, शहरी मकान का पंजीकरण आदि). साथ ही इस योजना के क्रियान्वयन में राज्य सरकारों की भूमिका अतीव महत्त्वपूर्ण होगी, क्योंकि भूमि’ राज्य का विषय है.  
  • ऋण मिलने की प्रक्रिया: केंद्र सरकार के अनुसार, स्वामित्व योजना का एक प्रमुख ध्येय संपत्ति के मालिकों को सरलता से ऋण प्राप्त करने का एक माध्यम प्रदान करना है परंतु सरकार द्वारा ऋण की दरों या ऋण के प्रकार (जैसे-कृषि ऋण की दर, शहरी क्षेत्रों में मकानों के लिये निर्धारित ऋण दर आदि) के विषय में अधिक जानकारी नहीं दी गई है. 
  • इंटरनेट: वर्तमान समय प्रतिस्पर्द्धा और विकास के इस दौर में इंटरनेट की भूमिका बहुत ही आवश्यक हो गई है मगर आज भी देश के बहुत से ग्रामीण क्षेत्र अच्छे मोबाईल नेटवर्क और तीव्र गति की इंटरनेट की पहुँच से बाहर हैं, ऐसे में सुदूर क्षेत्रों में इस योजना के अंतर्गत आँकड़ों को ऑनलाइन अपलोड करने और उनकी जाँच करने में समस्याएँ आ सकती हैं.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Infrastructure.

Topic : MAJOR PORT AUTHORITIES BILL, 2020

संदर्भ

हाल ही में संसद द्वारा ऐतिहासिक बृहद पत्तन प्राधिकरण विधेयक, 2020 पारित किया गया है.

पृष्ठभूमि

इससे पहले, विधेयक को 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था और उसके बाद संसदीय स्थायी समिति (पीएससी) को भेजा गया था. व्यापक परामर्श करने के बाद जुलाई 2017 में पीएससी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. इसके आधार पर, पोत परिवहन मंत्रालय ने 2018 में लोकसभा में विधेयक में आधिकारिक संशोधन पेश किया. हालांकि यह विधेयक पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद वैध नहीं रहा.

देश के बड़े-बड़े बंदरगाहों के प्रशासन के लिए 1963 में बने कानून के स्थान पर भारत सरकार एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है. अभी बड़े-बड़े पत्तनों का प्रशासन 1963 के पत्तन कानूनों के अंतर्गत होता है. अचल संपत्तियों के सृजन की दिशा में इन पत्तनों में अपेक्षित स्तर का काम नहीं हुआ है और बृहद पत्तन टैरिफ प्राधिकरण (Tariff Authority for Major Ports – TAMP) के पुराने विनियमों के कारण ढुलाई की लागत में भी उछाल देखा गया है.

बृहद पत्तन प्राधिकरण विधेयक में दिए गये प्रस्ताव

  1. प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पत्तनों की समग्र कार्यकुशलता में बढ़ोतरी करना है.
  2. अब बड़े-बड़े बन्दरगाह पत्तन से जुड़ी विभिन्न सेवाओं के लिए टैरिफ निर्धारित कर सकेंगे तथा साथ ही उनके साथ काम करने को इच्छुक निजी निर्माताओं के लिए शर्तें रख सकेंगे.
  3. प्रत्येक बंदरगाह का प्रशासन एक पत्तन प्राधिकरण करेगा जिसे विभिन्न पत्तन सेवाओं के लिए टैरिफ निश्चित करने की शक्ति होगी.
  4. विधेयक के अनुसार पत्तन प्राधिकरण के निर्णयों की समीक्षा के लिए सर्वोच्च स्तर पर एक न्याय निर्णय करने वाले बोर्ड का गठन होगा जिसके पास पत्तन प्राधिकरणों तथा PPP ऑपरेटरों के बीच उठने वाले विवादों को सुलझाने की शक्ति होगी.
  5. प्रमुख बंदरगाहों के कर्मचारियों के पेंशन लाभ समेत वेतन और भत्ते और सेवा की शर्तों और प्रमुख बंदरगाहों के तटकर को सुरक्षा देने के लिए प्रावधान किया गया है.

भारत के बड़े बंदरगाह कौन से हैं?

वर्तमान में भारत में ये 12 बड़े बंदरगाह हैं – दीनदयाल (पुराना नाम कांडला), मुंबई, जेएनपीटी, मोरमुगाँव, न्यू मंगलौर, कोचीन, चेन्नई, कामराजार (पहले एन्नोर), वीओ चिदंबरनार, विशाखापट्टनम, पारादीप और कोलकाता (हल्दिया सहित).


Prelims Vishesh

TROPEX-21 Exercise :-

  • भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा द्विवार्षिक थिएटर स्तरीय सामरिक तैयारी युद्धाभ्यास ट्रोपेक्स 21 (Theatre Level Operational Readiness Exercise -TROPEX) का समापन फरवरी के तीसरे सप्ताह में होने जा रहा है. ज्ञातव्य है कि ट्रोपेक्स 21 (TROPEX) युद्धाभ्यास की शुरुआत जनवरी में हुई थी.
  • युद्धाभ्यास ट्रोपेक्स 21 वर्तमान में भारतीय नौसेना की सभी सामरिक इकाइयों की भागीदारी के साथ चल रहा है, जिसमें जहाज, पनडुब्बियां, विमान के साथ-साथ भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक बल की इकाइयाँ सम्मिलत हैं.

World Sustainable Development Summit 2021 :-

  • हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन-2021(World Sustainable Development Summit-2021) का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उद्घाटन किया है.
  • वर्ष 2021 के विश्व सतत विकास शिखर सम्मेलन-2021(World Sustainable Development Summit-2021) की थीम ‘अपने साझा भविष्य को पुनर्परिभाषित करना: सभी के लिए संरक्षित और सुरक्षित वातावरण’ (Redefining our common future: Safe and secure environment for all) है.
  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन के दौरान टेरी (TERI) बधाई दी और कहा कि ऐसे वैश्विक मंच हमारे वर्तमान और भविष्य के लिए बहुत आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि दो चीजें परिभाषित करेंगी कि आने वाले वक्त में मानवता की विकास यात्रा कैसे सामने आएगी. पहला अपने लोगों का स्वास्थ्य है. दूसरा हमारी पृथ्वी का स्वास्थ्य है, दोनों आपस में जुड़े हुए हैं.

Lantana Camara :-

lantana camara

  • हाल के अध्ययन के अनुसार झाड़ी की एक तेजी से फैलने वाली प्रजाति लैंटाना कैमारा, द्वारा भारत के बाघ क्षेत्रों के 40% से अधिक हिस्से पर अतिक्रमण किया जा चुका है.
  • लैंटाना कैमारा उष्णकटिबंधीय अमेरिका में पाई जाने वाली झाड़ी की एक प्रजाति है. लैंटाना दस सबसे निकृष्टतम आक्रामक प्रजातियों में से एक है.
  • यह देशज पादपों के साथ न केवल स्थल और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करती है, अपितु मृदा में पोषक चक्र को भी परिवर्तित कर देती है.
  • इसमें उच्च तापमान के साथ-साथ उच्च आर्द्रता को भी सहन करने की शक्ति होती है. जब पशुओं द्वारा इसे आहार के रूप में ग्रहण किया जाता है तो इसकी पत्तियाँ उनके मुख पर एलर्जी के लिए उत्तरदायी हो सकती हैं. पशुओं को व्यापक रूप से लैंटाना खिलाने से कुछ मामलों में, उनमें अतिसार, यकृत की विफलता और यहाँ तक मृत्यु भी हो सकती है.

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