Sansar डेली करंट अफेयर्स, 10 July 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 10 July 2020


GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government Policies & Interventions. Issues Related to SCs & STs.

Topic : GOAL Programme

संदर्भ 

जनजातीय मंत्रालय ने ‘गोईंग ऑनलाइन ऐज लीडर्स (GOAL) परियोजना’ पर भारत के अनुसूचित जनजाति (एसटी) संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के संसद सदस्यों (एमपी) के संवेदीकरण के लिए फेसबुक इंडिया के साथ वेबिनार का आतिथ्य किया.

GOAL परियोजना क्या है?

  • जनजातीय कार्य मंत्रालय ने फेसबुक से भागीदारी करते हुए GOAL नामक एक कार्यक्रम शुरू किया है जिसका उद्देश्य डिजिटल पद्धति से आदिवासी युवाओं को मन्त्रणा देना है.
  • GOAL का पूरा नाम है – Going Online As Leaders.
  • इस कार्यक्रम के जरिये 5,000 युवा आदिवासी उद्यमियों, पेशेवरों, शिल्पियों और कलाकारो को विशेषज्ञों से डिजिटल कौशल का प्रशिक्षण मिलेगा. For more info, click here.
  • प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को ‘मेंटिस’ (Mentees) कहा जाएगा  तथा इन्हें विभिन्न विषयों और क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा जिन्हे ‘मेंटर्स’(Mentors) कहा जाएगा.

कार्यक्रम का उद्देश्य

  • कार्यक्रम का उद्देश्य दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के युवाओं को अपने गुरुओं/शिक्षकों के साथ अपनी आकांक्षाओं, सपनों और प्रतिभा को साकार करने के लिये डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग करने में सक्षम बनाना है.
  • चयनित 5,000 ‘मेंटिस’ नौ महीने या 36 सप्ताह तक कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जिसमें 28 सप्ताह के मेंटरशिप कार्यक्रम के बाद आठ सप्ताह की इंटर्नशिप की भी सुविधा होगी. 
  • इस कार्यक्रम का मुख्य फोकस तीन मुख्य क्षेत्रों पर होगा, जिसमें सम्मिलित हैं  –
    1. डिजिटल साक्षरता
    2. जीवन कौशल, नेतृत्त्व, उद्यमशीलता, और कृषि
    3. कला और संस्कृति, हस्तशिल्प वस्त्र, स्वास्थ्य, पोषण
  • इस कार्यक्रम को अन्य सरकारी योजनाओं जैसे – मुद्रा योजना, कौशल विकास योजना, जन धन योजना, कौशल भारत, स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, अन्य के साथ एकीकृत करने का प्रयास किया जाएगा.

परियोजना के लाभ

  • गोईंग ऑनलाइन ऐज लीडर्स (गोल) एक डिजिटल कौशल निर्माण एवं संरक्षण पहल है जो डिजिटल तंत्रों के जरिये पूरे भारत के अनुसूचित जनजाति के युवकों को व्यक्तिगत रूप से संरक्षण प्रदान करने के लिए व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, राजनीति, कला एवं उद्यमशीलता से जुड़े क्षेत्रों के विख्यात नेता एवं विशेषज्ञों को इससे जोड़ेगी.
  • यह कार्यक्रम अनुसूचित जनजाति के युवकों को भविष्य में बदलाव लाने वालों के रूप में अधिकारसंपन्न एवं सक्षम बनायेगी.
  • यह पहल मुख्य रूप से जनजातीय क्षेत्रों में रहने वाले युवकों के क्षमता निर्माण को लक्षित करती है जो उन्हें उनका आत्म विश्वास स्तर बढ़ाने एवं उनमें उच्च आकांक्षा भरने के लिए उन्हें प्रेरित, दिशा निर्देशित और प्रोत्साहित करेगी.
  • अर्जित कौशल एवं क्षमताएँ उन्हें नेतृत्व कौशलों को हासिल करने, उनके समाज की समस्स्याओं का पता लगाने, चुनौतियों से लड़ने के लिए समाधानों को ढूंढने तथा उनकी आजीविका में सहायता करने के लिए तथा समाज में सामाजिक-आर्थिक दर्जा प्राप्त करने के लिए उनके ज्ञान का उपयोग करने में सहायता करेगी.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : U.S. withdrawal from WHO

संदर्भ 

अमेरिकी प्रशासन ने औपचारिक रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अपनी सदस्यता वापस लेने के लिये संयुक्त राष्ट्र को अधिसूचित किया है, हालाँकि WHO से अमेरिकी प्रशासन की वापसी अगले वर्ष तक प्रभावी नहीं होगी, जिसका अर्थ है कि परिस्थितियों में परिवर्तन होने पर इसे रद्द किया जा सकता है. अमेरिका द्वारा इस संबंध में औपचारिक सूचना संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस (Antonio Guterres) को भेजी गई है और यह 06 जुलाई 2021 से प्रभावी होगी.

इस निर्णय का कारण

ज्ञातव्य है कि बीते दिनों कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी से निपटने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाने के पश्चात् अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने WHO को दी जाने वाली वित्तपोषण पर रोक लगाने की घोषणा की थी. अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अपने दायित्त्वों का निर्वाह करने में विफल रहा है और संगठन ने वायरस के बारे में चीन के ‘दुष्प्रचार’ को प्रोत्साहन दिया है, जिसके कारण संभवतः वायरस ने और अधिक गंभीर रूप धारण कर लिया है.

अमेरिका का मानना है कि WHO यथासमय और पारदर्शी रूप से वायरस से संबंधित सूचना एकत्र करने और उसे साझा करने में पूर्णतः से असफल रहा है. 

 इस निर्णय के निहितार्थ

अमेरिका द्वारा WHO से हटने के इस सनक भरे फैसले से वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम पड़ेगा.

  • अमेरिका का WHO से बाहर निकलना विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिए महत्वपूर्ण झटका होगा, क्योंकि इससे, संगठन के लिए महत्वपूर्ण अमेरिकी तकनीकी विशेषज्ञता तथा लगभग 450 मिलियन डॉलर की वार्षिक धनराशि की क्षति होगी.
  • WHO अपने संविधान के अनुच्छेद 7 के अनुसार, सदस्यता त्यागने वाले देश के मतदान अधिकार निलंबित करेगा तथा संबंधित देश के लिए अपनी सेवाओं को प्रतिबंधित करेगा.

WHO क्या है?

  • इस संगठन की स्थापना की नींव 19 जून, 1946 को संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्‌ द्वारा न्यूयॉर्क में आमंत्रित एक सम्मेलन में पड़ी .
  • स्वास्थ्य समस्याओं पर विचार करने के लिए आयोजित इस सम्मेलन ने 22 जुलाई, 1946 तक कार्य किया और इसी बीच उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन के संविधान की रचना की. 67 देशों के प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में संविधान रचना में भाग लिया.
  • अप्रैल, 1948को इस संगठन की स्थापना हुई. इसी- कारण अप्रैल को पूरे विश्व में स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है.
  • इस संगठन का उद्देश्य विश्व के देशों की आम जनता को स्वास्थ्य की उच्चतम दशा को प्राप्त करना है. इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह संगठन अन्तर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य के कार्यों का संचालन एवं समन्वय, महामारियों एवं बीमारियों के उन्मूलन को प्रोत्साहन करना, आहार पोषण, निवास गृह तथा सफाई एवं इस कार्य करने की दशाओं को उन्नत करने का कार्य करता है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विकासशील देशों के हित में छूआछूत से फैलने वाली बीमारियों एवं महामारियों की रोकथाम में महत्त्वपूर्ण कार्य किया है.
  • इसके कार्यक्रमों में स्वास्थ्य सेवाओं का विकास, रोग निवारण व नियंत्रण, पर्यावरणीय स्वास्थ्य का संवर्द्धन, स्वस्थ मानव शक्ति विकास तथा जैव-चिकित्सा, स्वास्थ्य सेवाओं, शोध व स्वास्थ्य कार्यक्रमों का विकास एवं प्रोत्साहन शामिल हैं.
  • इसके पास दुनिया का सबसे बड़ा Blood Bank है दुनिया की कई बीमारी जैसे- हैजा, मलेरिया, चेचक, वायरस आदि बीमारियों को रोकने के लिए WHO अपना महत्वपूर्ण योगदान देता है.

WHO के लिए वित्त पोषण (FUNDING) कहाँ से होता है?

WHO को चलाने के लिए सदस्य देश वित्तीय वित्त योगदान करते हैं. ये योगदान विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे :-

  1. प्रत्येक देश के लिए निर्धारित योगदान राशि– WHO के हर सदस्य देश को उसकी संपदा और जनसंख्या के अनुसार आर्थिक योगदान का आकलन किया जाता है. यह योगदान सभी सदस्य देशों को करना पड़ता है.
  2. स्वैच्छिक योगदान– सदस्य देश चाहें तो स्वेच्छा से अपने योगदान के अतिरिक्त और भी राशि WHO को उपलब्ध करा सकते हैं.
  3. कोर स्वैच्छिक योगदान– कोर स्वैच्छिक योगदान की राशि से उन योजनाओं को पूरा करने में सहायता मिलती है जिनके लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं और जिस कारण वे अटकी पड़ी होती हैं.
  4. 2011 से WHO के सदस्य देश एक और प्रकार का आर्थिक योगदान करते हैं जिसेPIP अर्थात् Pandemic Influenza Preparedness (विश्वव्यापी इन्फ्लुएंजा के प्रति सन्नद्धता) कहते हैं. यह राशि विशेषकर ऐसे इन्फ्लुएंजा विषाणुओं से लड़ने के लिए होती है जिमें विश्व-भर में फ़ैल जाने की क्षमता दिखाई पड़ती है. इस राशि का व्यय टीके तैयार करने में और अन्य आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति करने में होती है.

2019 की चौथी तिमाही में WHO को कुल 5.62 बिलियन डॉलर का योगदान मिला जिसमें विभिन्न प्रकार के योगदानों का अंश निम्न प्रकार से था –

  1. आकलन द्वारा निर्धारित योगदान –956 मिलियन डॉलर
  2. स्वैच्छिक योगदान – 4.38 बिलियन डॉलर
  3. कोर स्वैच्छिक योगदान –160 मिलियन डॉलर
  4. PIP योगदान –178 मिलियन डॉलर

WORLD HEALTH ORGANISATION को योगदान देने वाले बड़े-बड़े देश

  1. वर्तमान में अमेरिका सबसे बड़ा योगदानकर्ता है क्योंकि यह WHO को 553.1 मिलियन डॉलर देता है जो उस संगठन को मिलने वाली पूर्ण राशि 14.67 प्रतिशत है.
  2. अमेरिका के बाद बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन का स्थान है जो 367.7 मिलियन डॉलर देता है जो कुल राशि का 9.76% होता है.
  3. तीसरे, चौथे और पांचवें बड़े योगदानकर्ता क्रमशः ये हैं – GAVI Vaccine Alliance (8.39%), यूनाइटेड किंगडम (7.79%) और जर्मनी (5.68%).
  4. इनके बाद चार और बड़े दानकर्ता ये अंतर्राष्ट्रीय निकाय हैं – संयुक्त राष्ट्र मानवतावादी कार्य समन्वयन कार्यालय/ United Nations Office for the Coordination of Humanitarian Affairs (5.09%), विश्व बैंक (3.42%), रोटरी इंटरनेशनल (3.3%), यूरोपीय आयोग (3.3%).
  5. भारत और चीन के योगदान का प्रतिशत क्रमश: 0.48% और 0.21% है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन का क्षेत्रवार खर्च

  • अफ़्रीकी क्षेत्र – 1.2 बिलियन डॉलर
  • पूर्वी भूमध्यसागरीय क्षेत्र – 1.02 बिलियन डॉलर
  • WHO मुख्यालय – 963.9 मिलियन डॉलर
  • दक्षिण-पूर्वी एशिया (भारत इसी क्षेत्र में आता है) – 198.7 मिलियन डॉलर
  • यूरोप – 200.4 मिलियन डॉलर
  • पश्चिमी प्रशांत – 152.1 मिलियन डॉलर
  • उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका – 39.2 मिलियन डॉलर

कार्यक्रमवार खर्च

  • पोलियो उन्मूलन – 26.51%
  • स्वास्थ्य एवं पोषण सेवायें – 12.04%
  • रोकथाम करने योग्य रोगों के लिए टीके – 8.89%

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Shipping Assistance (Draft) Bill 2020

संदर्भ 

जहाजरानी मंत्रालय ने नौवहन सहायता विधेयक, 2020 का प्रारूप निर्गत कर हितधारकों और आम जनता से सुझाव माँगे हैं.

नौवहन सहायता (प्रारूप) विधेयक को क्यों लाया गया?

  • विधेयक का यह प्रारूप लगभग नौ दशक पुराने लाइटहाउस अधिनियम, 1927 को परिवर्तित करने के लिए लाया गया है.
  • इसके जरिये सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं, तकनीकी विकास और समुद्री नौवहन के क्षेत्र में भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को समाहित किया जा सकेगा.
  • यह पहल पुरातन औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त करने और उसके स्‍थान पर समुद्री परिवहन क्षेत्र की आधुनिक और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप नई व्‍यवस्‍था अपनाने के सक्रिय दृष्टिकोण का हिस्सा है.

नौवहन सहायता विधेयक, 2020 से जुड़े तथ्य

  • शासन में लोगों की भागीदारी और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जहाजरानी मंत्रालय ने हितधारकों और आम जनता से सुझाव आंमत्रित करने के लिए नौवहन सहायता विधेयक-2020 का प्रारूप निर्गत किया है.
  • यह पहल पुरातन औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त करने और उसके स्‍थान पर समुद्री परिवहन क्षेत्र की आधुनिक और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप नई व्‍यवस्‍था करने के सक्रिय दृष्टिकोण का हिस्सा है.
  • प्रारूप विधेयक प्रकाशस्‍तंभ और प्रकाशपोत महानिदेशालय (डीजीएलएल) को निम्नलिखित मामलों में अतिरिक्‍त अधिकार और शक्तियाँ प्रदान करता है-
  1. पोत परिवहन सेवा
  2. रेक फ़्लैगिंग
  3. प्रशिक्षण और प्रमाणन
  4. भारत के हस्ताक्षर वाली अंतर्राष्ट्रीय संधियों के तहत अन्य दायित्वों का निर्वहन, आदि.
  • इसमें प्राचीन धरोहरों के रूप में वर्तमान प्रकाश स्तंभों की पहचान करने और उनका विकास करने की भी व्‍यवस्‍था है.
  • प्रारूप विधेयक में नौवहन में बाधा डालने और किसी तरह की क्षति पहुंचाने तथा केंद्र सरकार एवं अन्य निकायों द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन नहीं किये जाने पर दंडात्मक व्‍यवस्‍था का प्रावधान किया गया है. साथ ही ऐसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए एक नई अनुसूची भी बनाई गई है.
  • समुद्री नौवहन के लिए उन्‍नत आधुनिक तकनीकी से लैस सहायक उपकरणों के आ जाने से समुद्री नौवहन को विनियमित करने और संचालित करने वाले अधिकारियों की भूमिका भी बहुत परिवर्तित हो गई है.
  • नए कानून में प्रकाश स्तंभ के स्‍थान पर नौवहन के लिए आधुनिक सहायक सामग्रियों के प्रयोग पर बल दिया गया है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : Employment.

Topic : ASEEM Portal 

संदर्भ 

कुशल कार्यबल को आजीविका के अवसर खोजने, कुशल कार्यबल के बाजार में मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने और नियोक्ताओं को कुशल कार्यबल की खोज में सहायता करने के मामले में सूचना की उपलब्धि एवं प्रवाह की स्थिति को बेहतर बनाने के प्रयास के अंतर्गत कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के द्वारा ‘आत्मानिर्भर कुशल कर्मचारी-नियोक्ता मानचित्रण (असीम)’ पोर्टल का अनावरण किया गया है.

असीम (ASEEM) पोर्टल क्या है?

  • असीम पोर्टल का पूरा नाम है – Aatamanirbhar Skilled Employee Employer Mapping
  • यह मोबाइल ऐप के रूप में भी उपलब्ध है और यह बेंगलुरु स्थित कंपनी बेटरप्लेस के सहयोग से राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा विकसित और प्रबंधित किया गया है.
  • असीम पोर्टल का उद्देश्य है प्रोग्रामेटिक उद्देश्यों के लिए सिस्टम द्वारा उत्पन्न रुझानों और विश्लेषणों के माध्यम से समर्थन और नीति निर्धारण में सहयोग प्रदान करना है.
  • असीम पोर्टल एनएसडीसी और इससे जुड़े क्षेत्र कौशल परिषद् को वास्तविक समय डेटा एनालिटिक्स प्रदान करने में सहायता करेगा, जिसमें उद्योग आवश्यकताओं, कौशल अंतर विश्लेषण, मांग प्रति जिला/राज्य/क्लस्टर, प्रमुख कार्यबल आपूर्तिकर्ता, प्रमुख उपभोक्ता, माइग्रेशन पैटर्न सहित आपूर्ति और पैटर्न जैसी बातें शामिल होंगी. इसके जरिए उम्मीदवारों के लिए कैरियर की कई संभावनाएं बनेंगी.
  • पोर्टल में तीन आईटी आधारित इंटरफेस हैं –
  1. नियोक्ता पोर्टल – नियोक्ता ऑनबोर्डिंग, डिमांड एग्रीगेशन, उम्मीदवार का चयन-
  2. डैशबोर्ड – रिपोर्ट, रुझान, विश्लेषण और अंतर को प्रमुखता से दिखाना-
  3. उम्मीदवार आवेदन – उम्मीदवार का प्रोफ़ाइल बनाना और ट्रैक करना, नौकरी का सुझाव देना.

असीम पोर्टल ASEEM की विशेषताएँ एवं लाभ

  • आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित इस पोर्टल के माध्यम से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि कहां-कहां, किस-किस फिल्ड के कुशल कामगारों की आवश्यकता अधिक है और रोजगार के कौन-कौन से नए क्षेत्र उभर रहे हैं. सरकार इसके अनुरूप कौशल विकास की योजनाओं को नए स्वरूप में ढाल सकती है, ताकि उद्योगों की भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा सके.
  • पोर्टल और ऐप में नौकरी की भूमिकाओं, क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए पंजीकरण और डेटा अपलोड का प्रावधान होगा.
  • कुशल कार्यबल इस ऐप पर अपनी प्रोफाइल पंजीकृत कर सकते हैं और अपने पड़ोस में रोजगार के अवसरों की तलाश कर सकते हैं. असीम के जरिये, विशिष्ट क्षेत्रों में कुशल कर्मचारियों की तलाश करने वाले नियोक्ताओं, एजेंसियों और जॉब एग्रीगेटर्स के पास सभी आवश्यक विवरण एक ही स्थान पर मिल जायेंगे.
  • यह नीति निर्माताओं को विभिन्न क्षेत्रों में अधिक उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण रखने में सक्षम बनाएगा.
  • यह पोर्टल विभिन्न क्षेत्रों में कुशल कार्यबल के लिए माँग-आपूर्ति की खाई को पाटने के हमारे निर्बाध प्रयासों को गति देने के लिए परिकल्पित किया गया है. इसके माध्यम से देश के युवाओं के लिए असीम अवसर उपलब्ध कराने की कोशिश की गई है.
  • इस पहल का उद्देश्य कोविड महामारी के बाद के समय में कुशल कार्यबल की पहचान करके कार्यबल तंत्र की दिशा में देश की प्रगति को गति देना है और कुशल कार्यबल को स्थानीय स्तर पर प्रासंगिक आजीविका के अवसरों से जोड़ना है.
  • इस पोर्टल के जरिये मांग को संचालित करने और परिणाम-आधारित कौशल विकास कार्यक्रमों को चलाने के लिए सहायक रही प्रौद्योगिकी और ई-प्रबंधन प्रणालियों के बढ़ते उपयोग के साथ कौशल विकास से जुड़ी विभिन्न योजनाओ को एक साथ लाने का काम किया गया है.

GS Paper 3 Source : PIB

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UPSC Syllabus : E-technology in the aid of farmers. Infrastructure- energy.

Topic : KUSUM Scheme

संदर्भ 

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के द्वारा प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (प्रधानमंत्री-कुसुम) योजना के तहत पंजीकरण का दावा करने वाले फर्जी वेबसाइटों के खिलाफ नए परामर्श जारी किया गया.

पृष्ठभूमि

हाल में देखा गया है कि दो नई वेबसाइटों ने अवैध रूप से पीएम-कुसुम योजना के लिए पंजीकरण पोर्टल होने का दावा किया है. इन वेबसाइटों के पीछे शरारती लोग आम जनता को धोखा दे रहे हैं और इन फर्जी पोर्टल्स के माध्यम से आम लोगों के डेटा का दुरुपयोग कर रहे हैं. एमएनआरई इन वेबसाइटों को संचालित करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. मंत्रालय द्वारा सभी संभावित लाभार्थियों और आम जनता को सूचित किया जाता है कि इन वेबसाइटों पर पैसा जमा करने या डेटा देने से बचें.

कुसुम योजना के बारे में

  • यह भारत सरकार की 4 लाख करोड़ की एक योजना है जिसके अंतर्गत किसानों की सहायता के लिए 28,250 MW तक सौर ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा.
  • KUSUM योजना के अनुसार बंजर भूमियों पर स्थापित सौर ऊर्जा परियोजनाओं से उत्पन्न बिजली में से surplus अंश को किसान ग्रिडों को आपूर्ति कर सकेंगे जिससे उन्हें आर्थिक लाभ मिलेगा.
  • इसके लिए, बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) को किसानों से पाँच वर्षों तक बिजली खरीदने के लिए 50 पैसे प्रति इकाई की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन राशि दी जायेगी.
  • सरकार किसानों कोखेतों के लिए 5 लाख ऑफ़-ग्रिड (ग्रिड रहित) सौर पम्प खरीदने के लिए सब्सिडी प्रदान करेगी. केंद्र और राज्य प्रत्येक सौर पम्प पर 30% सब्सिडी प्रदान करेंगे. अन्य 30% ऋण के माध्यम से प्राप्त होगा, जबकि 10% लागत किसान द्वारा वहन की जायेगी.
  • 7,250 MW क्षमता केग्रिड से सम्बद्ध (ग्रिड-कनेक्टेड) खेतों के पम्पों का सौरीकरण (Solarisation) किया जाएगा.
  • सरकारी विभागों के ग्रिड से सम्बद्ध जल पम्पों का सौरीकरण किया जाएगा.

कुसुम योजना के कुछ अन्य प्रावधान

  • ग्रामीण क्षेत्र में 500KW से लेकर 2MW तक के नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र लगाये जाएँगे जो ग्रिड से जुड़े हुए होंगे.
  • कुछ ऐसे सौर जलपम्प लगाये जाएँगे जो किसानों की सिंचाई की आवश्यकता को पूरी करेंगे परन्तु वे ग्रिड से सम्बद्ध नहीं होंगे.
  • वर्तमान में जो किसान ग्रिड से जुड़े सिंचाई पम्पों के स्वामी हैं उन्हें ग्रिड की आपूर्ति से मुक्त किया जाए और उन्हें अधिकाई सौर ऊर्जा को DISCOMs को देकर अतिरिक्त आय कमाने का अवसर दिया जाए.

योजना के अपेक्षित लाभ

  • यह कृषि क्षेत्र को डीजल-रहित बनाने में सहायता करेगी.
  • यह कृषि क्षेत्र में सब्सिडी का बोझ कम कर DISCOMs की वित्तीय स्थिति में सुधार करने में सहायता करेगी.
  • विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा.
  • ऑफ-ग्रिड और ग्रिड कनेक्टेड, दोनों प्रकार के सौर जल पम्पों द्वारा सुनिश्चित जल स्रोतों के प्रावधान के माध्यम से किसानों को जल-सुरक्षा.
  • नवीकरणीय खरीद दायित्व लक्ष्यों को पूरा करने के लिए राज्यों का समर्थन करना.
  • छतों के ऊपर और बड़े पार्कों के बीच इंटरमीडिइट रेंज में सौर ऊर्जा उत्पादन की रीक्तियों को भरना.
  • ऑफ-ग्रिड व्यवस्था के माध्यम से पारेषण क्षति (transmission loss) को कम करना.

Prelims Vishesh

Winter grade diesel for Ladakh :-

  • पिछले वर्ष IOCL ने विंटर डीजल नामक एक विशेष ईंधन चलाया था जो लद्दाख जैसे उन स्थानों के लिए थे जहाँ अधिक ऊँचाई और कम तापमान के कारण साधारण डीजल से काम नहीं चलता है.
  • इस ईंधन का पोर पॉइंट (pour point) -33 डिग्री सेल्सियस है और भीषण ठण्ड में भी इसकी तरलता बनी रहती है.
  • इस ईंधन की केटेन रेटिंग (cetane rating) अधिक होती है, जिस कारण डीजल की जलने की गति अच्छी होती है. साथ ही इसमें गंधक की मात्रा भी कम होने से यह ईंजन में इतना जमा नहीं हो पाता है.

Elyments :-

  • फेसबुक और इन्स्टाग्राम जैसे ऐपों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए श्री श्री रविशंकर जीवन कला फाउंडेशन में 1,000 IT पेशेवरों ने मिलकर स्वेच्छा से एक सामाजिक मीडिया सुपर ऐप का निर्माण किया है जो इस प्रकार का देश का पहला ऐप है. इसका नाम Elyments रखा गया है.
  • इस ऐप के माध्यम से सन्देश भेजे और पाए जा सकते हैं तथा बातचीत भी हो सकती है. यह ऐप आठ भारतीय भाषाओं में उपलब्ध होगा.
  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन होने के कारण इसमें उपभोक्ता का डाटा सुरक्षित रहेगा.

Dhanvanthri Rath :-

  • अहमदाबाद नगर के लिए घर-घर तक अत्यावश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक चलंत गाड़ी चालू की गई है जिसके अन्दर एक आयुष चिकित्सक, परा-चिकित्सक और परिचारिकाओं के साथ-साथ नगर स्वास्थ्य केंद्र का एक स्थानीय चिकित्सा अधिकारी भी रहेगा.
  • विदित हो कि यह गाड़ी कोविड को छोड़कर अन्य रोगों के लिए अपनी सेवा देगी.

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