Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 June 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 01 June 2019


GS Paper  1 Source: Indian Express

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Topic : SDG Gender Index

संदर्भ

2019 का सतत विकास लक्ष्य लैंगिक सूचकांक निर्गत किया गया.

सतत विकास लक्ष्य लैंगिक सूचकांक क्या है?

  • इस सूचकांक का निर्माण Equal Measures 2030 नामक समूह ने किया है. इस समूह में कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक संगठन सम्मिलित हैं, जैसे – अफ्रीकी महिला विकास एवं संचार नेटवर्क, एशिया-प्रशांत महिला संसाधन एवं अनुसंधान केंद्र, बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन आदि.
  • इस सूचकांक में 17 सतत विकास लक्ष्यों में से 14 का हिसाब रखा गया है. ये चौदह लक्ष्य जिन पहलुओं से सम्बंधित हैं, वे हैं – दरिद्रता, स्वास्थ्य, शिक्षा, साक्षरता, राजनीतिक प्रतिनिधित्व एवं कार्यस्थल में समानता.
  • प्रत्येक संकेतक के लिए इस सूचकांक में 100 अंक निर्धारित किये गये हैं. इसका अर्थ यह है कि उदाहरणार्थ यदि 100% लड़कियाँ माध्यमिक की पढ़ाई पूरी कर लेती हैं अथवा संसद में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या 50-50 है तो यह माना जाएगा कि इस विषय में उस देश को 100 अंक मिले. यदि किसी देश को किसी लक्ष्य के लिए 50 अंक मिले हैं तो इसका अभिप्राय यह होगा कि उस लक्ष्य को पूर्णतः प्राप्त करने की दिशा में वह देश आधी दूरी ही पहुँचा है.

भारत से सम्बंधित मुख्य निष्कर्ष

  • भारत का स्थान सूचकांक में 129 के देशों के बीच 95वाँ है.
  • जिन लक्ष्यों के मामले में भारत ने सर्वाधिक अंक प्राप्त किये हैं, वे हैं – स्वास्थ्य एवं (79.9), भूख एवं पोषण (2) और बिजली (71.8).
  • जिन लक्ष्यों के मामले में भारत फिसड्डी रहा, वे लक्ष्य हैं – भागीदारियां (3), उद्योग, अवसंरचना और नवोन्मेष (38.1) तथा जलवायु (43.4)
  • उल्लेखनीय बात यह है कि प्राथमिक शिक्षा में नामांकित होने वाली बालिका छात्रों का प्रतिशत 3 रहा.
  • राष्ट्रीय संसद में और महिलाओं को मिली सीटों के अनुपात जैसे संकेतकों में भी भारत की स्थिति बहुत ही निम्न रही. जहाँ तक सर्वोच्च न्यायालय में महिलाओं की प्रतिनिधित्व की बात है वह 4% है जिस कारण भारत को 2 का अंक प्राप्त हुआ.
  • सूचकांक के अनुसार भारत में 20 से 24 वर्ष में विवाह करने वाली लड़कियों की तुलना में 18 वर्ष से पहले विवाह करने वाली लड़कियों का अनुपात समीचीन नहीं रहा (3%).

विश्व-स्तरीय आँकड़े

  • जिन देशों को सूचकांक में “अत्यंत बुरी” श्रेणी दी गई है उनमें 4 बिलियन लड़कियाँ और स्त्रियाँ रहा करती हैं. इसलिए विश्व में लैंगिक समानता के लक्ष्य को पाने में अभी लम्बा समय लगेगा.
  • सूचकांक में जिन 129 देशों को रखा गया है वहाँ विश्व की लड़कियों और स्त्रियों की 95% आबादी रहती है.
  • इन सभी 129 देशों को सूचकांक में 100 में औसतन 7 अंक ही दिया गया है जो “बुरी” की श्रेणी में आता है.
  • जिन देशों को लैंगिक समानता के लिए “अत्यंत बुरी” (59 या उससे कम) अथवा “बुरी” (60-69) की श्रेणी दी गई है वहाँ 8 बिलियन लड़कियाँ और स्त्रियाँ रहती हैं.
  • लैंगिक समानता के लिए 80-89 तक अंक अर्थात् “अच्छी श्रेणी” पाने वाले देशों में विश्व की मात्र 8% लड़कियाँ और स्त्रियाँ रहती हैं.
  • ऐसा कोई देश नहीं था जिसको सब मिलकर 90 या उससे अधिक अंक मिला हो अर्थात् “उत्कृष्ट” श्रेणी प्राप्त की हो.

GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Generalised System of Preferences (GSP)

संदर्भ

अमेरिका के राष्ट्रपति ने 5 जून, 2019 से सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) नामक व्यापारी कार्यक्रम के अंतर्गत लाभार्थी विकासशील देश के रूप में भारत की मान्यता समाप्त कर दी है.

ऐसा क्यों किया?

  • क्योंकि भारत GSP के अंतर्गत निर्धारित वैधानिक पात्रता के मानदंडों का अनुपालन नहीं कर रहा था.
  • इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि भारत ने ई-वाणिज्य के लिए ऐसे नए नियम बनाए थे जो अमेज़न और वालमार्ट (फ्लिपकार्ट का सहयोगी) कंपनियों को भारत में व्यवसाय करने में अड़चन लगा रहे थे. विदित हो कि भारत में ऑनलाइन बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2027 तक इसके 200 बिलियन डॉलर तक जाने की संभावना है.
  • अमेरिका के इस कदम के पीछे एक और बड़ा कारण यह रहा कि भारत ने मास्टर कार्ड जैसी वैश्विक भुगतान कंपनियों को कहा था कि वे अपना डाटा भारत में ले आयें. इसके अतिरिक्त इनपर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और स्मार्ट फ़ोनों पर भी भारत ने चुंगी बढ़ा दी थी.

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली क्या है?

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) अमेरिका का एक व्यापार कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत 129 विकासशील देशों से अमेरिका के अंदर आने वाले 4,800 उत्पादों पर कोई कर नहीं लगता है. यह प्रणाली विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी.

GSP और WTO व्यापार समझौतों में अंतर

  • साधारण वाणिज्य कानून के अंतर्गत WTO के सदस्य देश अपने वाणिज्य भागीदारों को समान प्राथमिकता देने के लिए बाध्य होते हैं. इस कानून में देश-देश में भेदभाव का निषेध है. विश्व व्यापार संगठन के इस वाणिज्यिक कानून को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) नियम कहा जाता है.
  • MFN भेदभाव का निषेध तो करता ही है, साथ ही सदस्य देशों को इस बात की अनुमति देता है कि वे विकासशील देशों के प्रति विशेष एवं अलग व्यवहार करें (जैसे – शून्य चुंगी वाले आयात). यह प्रावधान MFN के अतिरिक्त है. अमेरिका के द्वारा GSP के अन्दर दी जाने वाली छूट MFN से भिन्न है. बहुधा इस प्रकार की छूट अमेरिका जैसे विकसित देश विकासशील देशों को देते हैं.

निहितार्थ

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली के हट जाने से भारत को आर्थिक धक्का पहुँच सकता है क्योंकि इस प्रणाली के अंतर्गत मिली छूट के कारण उसे अमेरिका को भेजे गये 5.6 बिलियन डॉलर के ऊपर कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था. विदित हो कि इस प्रणाली के तहत भारत कुल मिलाकर 1,937 उत्पाद अमेरिका को भेजा करता है. भारत अमेरिका के साथ व्यापार में 11वाँ सबसे बड़ा व्यापार-अधिशेष (2017-18 में 21 बिलियन डॉलर) वाला देश है.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Nipah virus

संदर्भ

पिछले दिनों केरल में निपाह वायरस के फिर से उभरने के मामले उजागर हुए हैं.

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निपाह वायरस क्या है?

  • बताया जाता है कि निपाह वायरस से ग्रस्त होने पर 70% रोगी मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निपाह वायरस एक नया वायरस है जो पशु से मनुष्य में संक्रमण करता है.
  • इस वायरस की प्रजाति Henipavirus बताई जाती है.
  • यह वायरस ज्यादातर एक विशेष चमगादड़ से फैलता है जिसे fruit bat कहते हैं.
  • यह चमगादड़ Pteropodidae परिवार से आता है.
  • सूअरों के माध्यम से भी कभी-कभी निपाह का संक्रमण होता है.
  • इस वायरस का नाम निपाह इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका पता सबसे पहले 1998 में मलेशिया के Kampung Sungai Nipah गाँव में चला था.
  • निपाह वायरस से होने वाले रोग के लक्षण इन्फ्लुएंजा के समान होते हैं – बुखार, माँसपेशी में दर्द, सांस में दिक्कत.
  • Nipah virus के लिए अभी तक कोई टीका नहीं बना है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : Why CBI needs consent?

संदर्भ

अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू के एक आदेश को उलटते हुए वर्तमान मुख्यमंत्री वाई.एस. जगनमोहन रेड्डी ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को बिना राज्य सरकार की अनुमति के आंध्रप्रदेश में अन्वेषण और धावा (investigations and raids) करने की छूट दे दी है.

पृष्ठभूमि

गत वर्ष आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने अपने-अपने राज्यों में CBI को अन्वेषण करने से रोक दिया था. इन राज्यों का कहना था कि CBI में शीर्षस्थ अधिकारियों के बीच अंदरूनी उथल-पुथल चल रही है अतः उसपर उनका विश्वास उठ चुका है. इन सरकारों का यह भी कहना था कि केंद्र सरकार विपक्षी दलों को परेशान करने के लिए CBI का उपयोग कर रही है.

कानूनी स्थिति

  • एक ओर जहाँ NIA Act के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (National Investigation Agency – NIA) का अधिकारक्षेत्र पूरा देश है, वहीं दूसरी ओर CBI दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम से प्रशाषित होता है. इस अधिनियम के अनुसार यदि किसी राज्य में CBI को जाँच करनी है तो इसके लिए सम्बंधित राज्य की सहमति अनिवार्य होती है.
  • यह सहमति दो प्रकार की होती है – पहली मामला-विशेष से सम्बंधित अनुमति और दूसरी सामान्य अनुमति. मामला-विशेष से सम्बंधित सहमति वह अनुमति होती है जो राज्य सरकार किसी विशेष मामले में CBI को जाँच करने की अनुमति प्रदान करती है. दूसरी ओर, सामान्य सहमति इसलिए दी जाती है कि CBI बिना किसी बाधा के किसी भी राज्य में केंद्र सरकार के उन भ्रष्टाचारी कर्मियों के विरुद्ध जाँच कर सके. इस प्रकार की सामान्य सहमति लगभग सभी राज्य दे चुके हैं. अतः CBI को एक-एक वाद के लिए अनुमति लेने की आवश्कयता नहीं रहती.

किस प्रावधान के अंतर्गत सामान्य सहमति वापस ली जा सकती है?

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अनुभाग 6 में राज्य सरकारों को यह शक्ति दी गई है कि वे सामान्य अनुमति देने के पश्चात् उसे वापस ले सकती हैं. इस अनुभाग में कहा गया है कि संघीय क्षेत्रों और रेलवे क्षेत्र को छोड़कर किसी राज्य में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना का कोई अधिकारी अपनी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का उपयोग सम्बंधित राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं कर सकता है.


Prelims Vishesh

Financial Literacy Week :-

  • 3 जून से 7 जून तक वित्तीय साक्षरता सप्ताह, 2019 मनाया जाएगा.
  • यह समारोह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है.
  • इस बार की थीम है – किसान. इसका अर्थ यह हुआ कि इस वर्ष इस बात पर ज्यादा जोर दिया जाएगा कि किसानों को औपचारिक बैंक प्रणाली के अन्दर कैसे विभिन्न प्रकार के लाभ दिए जाएँ.

UdChalo’ :-

  • उड़ चलो यात्रा से सम्बंधित एक पोर्टल है जो विशेषकर उन सैनिकों के लिए है जो दिव्यांग हो चुके हैं.
  • इस पोर्टल के माध्यम से सैन्य एवं परासैन्य बलों के कर्मचारियों की व्यक्तिगत यात्राओं को विशेष छूट देते हुए सुविधाजनक बनाया जाएगा.

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