सिन्धु जल संधि के विषय में विचार करने के बाद, भारतीय सरकार ने पाकिस्तान के Most Favoured Nation के स्टेटस पर समीक्षा करने के लिए 29 तारीख, 2016 को मीटिंग बुलाई है. इसमें विदेशी मामले के सचिव और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल होंगे. जैसा कि हम जानते हैं Uri attack के बाद भारत पाकिस्तान को वैश्विक देशों या संगठनों की मदद से घेरने की कोशिश में लगातार लगा है. एक परीक्षार्थी के दृष्टि से आपको Most Favoured Nation (MFN) के विषय में निम्नलिखित बातें जाननी चाहिएँ-
1. MFN समानता का एक दर्जा है जो एक देश दूसरे देश को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के फायदे के लिए देता है; जैसे की टैरिफ कम होना या विशेष कोटा होना आदि.
2. भारत ने पाकिस्तान को MFN का दर्जा 1996 में दिया था.
3. पकिस्तान ने अभी तक भारत को MFN status नहीं दिया है. हालाँकि उसने 2012 में वादा किया था कि भारत को वह Most Favoured Nation का दर्जा देगा, पर हमेशा की तरह वह अपनी बात से मुकर गया.
4. 18 सितम्बर को उरी अटैक में 18 भारतीय जवानों की शहादत से भारत बहुत आहत हुआ है. उसने पाकिस्तान से MFN status छीनने का मन तो बना ही लिया है, साथ ही साथ सिन्धु जल संधि को भी तोड़ने के लिए उतावला है. Sindhu River Treaty के विषय में पढ़ने के लिए क्लिक करें :>> सिन्धु जल संधि
5. पाकिस्तान कपास, रसायन, स्टेपल फाइबर, चाय, नमक इत्यादि भारत से आयात करता है. यदि भारत अपने निर्यात को बंद कर दे तो पाकिस्तान का उद्योग चरमरा जाएगा.
6. भारत द्वारा पाकिस्तान को दिए हुए MFN status को वापस लिए जाने पर पाकिस्तान भी बदले के भाव से अपने निर्यात को बंद कर सकता है. परन्तु भारत पर उसका ख़ास प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि भारत बहुत ही कम सामान पाकिस्तान से आयात करता है.
7. भारत और पाकिस्तान दोनों वैश्विक स्तर पर कपड़े के उद्योग में अग्रणी हैं. यदि भारत पाकिस्तान को कच्चे कपास का निर्यात बंद कर दे तो पाकिस्तान को कपड़ा बनाना महँगा पड़ेगा और वह भारत से कपड़ा व्यापार में पिछड़ जाएगा.
8. भारत द्वारा पाकिस्तान को निर्यात की गई वस्तुओं का सकल मूल्य 2.17 अरब डॉलर है.
9. पाकिस्तान द्वारा भारत को निर्यात की गई वस्तुओं का सकल मूल्य 0.44 अरब डॉलर है.
10. दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा 2.7 अरब डॉलर है.
MFN स्टेटस क्या है?
- मोस्ट फेवर्ड नेशन वह दर्जा है जो एक देश दूसरे देश को देता है और जिसके अनुसार उन दोनों के बीच व्यापार में भेदभाव नहीं किया जाता है.
- MFN का महत्त्व इसी से पता चलता है कि यह GAT अर्थात् शुल्क एवं व्यापार पर सामान्य समझौता के तहत पहले अनुच्छेद में ही वर्णित किया गया है.
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत कोई सदस्य देश अपने व्यापार भागीदारों के बीच भेदभाव नहीं कर सकता है. यदि किसी एक व्यापार भागीदार को विशेष दर्जा दिया जाता है तो यह दर्जा विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्यों को मिलना चाहिए.
MFN इस सन्दर्भ में कुछ छूट भी देता है जो इस प्रकार हैं –
- मुक्त व्यापार समझौते करने का अधिकार :- इसका अर्थ है कि सदस्य क्षेत्रीय व्यापार समझौते में शामिल हो सकते हैं अथवा मुक्त व्यापार समझौते कर सकते हैं जिसके अन्दर सदस्य देशों और गैर-सदस्य देशों के बीच भेदभाव होता है.
- सदस्य विकासशील देशों को विशेष एवं अलग सुविधा दे सकते हैं. ये विशेष सुविधाएँ अलग-अलग हो सकती हैं, जैसे – अधिक बड़ा बाजार तक पहुँच, आयात शुल्क की घटी हुई दर, विकासशील देशों को उनके उत्पादन प्रक्षेत्रों आदि में सब्सिडी देना. इन सभी छूटों के लिए कठोर शर्ते भी लागू की जाती हैं.
Most Favoured Nation Status के लाभ
- MFN का दर्जा विकासशील देशों के लिए अत्यंत ही लाभप्रद होता है. ऐसे देशों को अपने माल के लिए बड़ा बाजार मिल जाता है तथा घटे हुए शुल्क और व्यापारिक व्यवधानों में कमी के कारण उन्हें निर्यात पर कम लागत आती है. अतः उनका व्यापार अधिक प्रतिस्पर्धात्मक अर्थात् लाभकारी हो जाता है.
- MFN में नौकरशाही की अड़चनें कम हो जाती हैं और अनेक प्रकार के शुल्क के बदले सभी आयातों के लिए एक समान शुल्क लग जाता है. इससे व्यापार की सामग्रियों की माँग बढ़ जाती है और इस प्रकार अर्थव्यवस्था और आयात प्रक्षेत्र को बढ़ावा मिलता है.
- यह व्यापार सुरक्षावाद के चलते अर्थव्यवस्था पर होने वाले दुष्प्रभाव को भी ठीक करता है.
- जो देश आयातों पर MFN देता है, उसको सर्वाधिक कुशल आपूर्तिकर्ता से आयात की प्राप्ति होती है.
- MFN से घरेलू बाजार में भी लाभ होता है. सभी देशों के लिए एक ही प्रकार का शुल्क होने से नियम अधिक सरल और अधिक पारदर्शी हो जाते हैं. अन्यथा जिस देश से माल पहुँचता है, उस देश के हिसाब से शुल्क तय करने से समय और ऊर्जा नष्ट होने के साथ-साथ उलझन भी पैदा होती है.
- MFN अनुच्छेद देशों के बीच अ-भेदभाव को बढ़ावा देता है, इसलिए यह कुल मिलाकर मुक्त व्यापार के लक्ष्य को भी पोषित करता है.
MFN की हानियाँ
MFN से सबसे बड़ी हानि यह है कि यह दर्जा देने वाले देश को उन सभी देशों के साथ समान व्यवहार करना पड़ता है जो WTO के सदस्य हैं. इसका अभिप्राय यह हुआ है कि उस देश के घरेलू उद्योग में मूल्य का युद्ध छिड़ जाता है जिससे स्थानीय व्यापार को घाटा होता है. बाहर से आने वाली सामग्रियाँ सस्ती होती हैं, अतः अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए घरेलू बाजार को दाम घटाना पड़ता है और फलतः आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है.
MFN का दर्जा लेने का निहितार्थ
भारत ने पाकिस्तान से MFN का दर्जा वापस ले लिया. इसका अभिप्राय यह हुआ कि अब यह वहाँ से आने वाले आयात पर जितना शुल्क लगाना चाहता है, लगा सकता है. इस प्रकार पाकिस्तान से भारत आने वाली सामग्रियों अथवा सेवाओं का मूल्य बढ़ जाएगा. इससे भारत में इनकी माँग घट जायेगी और इस प्रकार पाकिस्तान को आर्थिक घाटा होगा.
Conclusion
Most Favoured Nation का उद्देश्य व्यापार में विभेदीकरण को रोकना है. सेवा व्यापार पर सामान्य समझौता (GATs: General Agreement on Trade in services) में कुल 161 सेवाओं का उल्लेख है जिनका व्यापार किया जा सकता है. उन्हें चार श्रेणियों में विभक्त किया गया है.
Mode 1
इसमें किसी देश की आर्थिक ईकाइयों द्वारा अन्य देशों को दी जाने वाली वे सेवाएँ शामिल हैं जिनमें बैंकिंग अथवा वित्तीय सेवाएँ शामिल नहीं है.
Mode 2
इसमें किसी देश में विदेशियों को प्राप्त होने वाली सेवाएँ शामिल हैं जैसे पर्यटन आदि.
Mode 3
इसमें मुख्यतः बैंकिंग और वित्तीय सेवायें शामिल हैं.
Mode 4
इसमें व्यक्तिगत स्तर पर दी जाने वाली सेवाएँ शामिल हैं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य सम्बंधित सेवाएँ.
Read this article in English:>> Most-Favoured Nation (MFN) Status
6 Comments on “पाकिस्तान से Most Favoured Nation (MFN) का दर्जा वापस लेने का मामला”
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Sir ,
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Sir plz art and culture aur environment ke topics bhi lekar aayein
sir please provide deeply information about “KARGIL YUDDHH”.
sir please provide some topics of modern history ex- about freedom of india
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