खनिज विधि (संशोधन) अध्यादेश 2020 में प्रावधान और निहितार्थ

RuchiraBills and Laws: Salient Features

खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957/Mines and Minerals (Development and Regulation) Act 1957 तथा कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015/Coal Mines (Special Provisions) Act 2015 में संशोधन करके खनिज विधि (संशोधन) अध्यादेश 2020/Mineral Laws (Amendment) Ordinance 2020 की अधिसूचना निकालने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अपना अनुमोदन दे दिया है.

खनिज विधि (संशोधन) अध्यादेश 2020 में क्या है?

  1. इसमें मिश्रित लाइसेंस सह-खदान लीज के लिए कोयला/लिग्नाइट के ब्लॉकों के आवंटन का प्रावधान किया गया है.
  2. जिन ब्लॉकों को केंद्र सरकार पहले ही आवंटित कर चुकी है उनके लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता को निरस्त कर दिया गया है.
  3. यह अध्यादेश परियोजनाओं के कार्यान्वयन की प्रक्रिया में गति लाएगा और व्यवसाय की सुगमता को बढ़ावा देगा. इसमें प्रक्रिया को सरलतर बना दिया गया है, अतः इससे उन सभी पक्षकारों को लाभ मिलेगा जो उन क्षेत्रों में कार्यरत हैं जहाँ खनिज पाए जाते हैं.

पृष्ठभूमि

2018 में सरकार ने निजी प्रतिष्ठानों के द्वारा वाणिज्यिक खनन कार्य की अनुमति दे दी थी. परन्तु नीलामी म एन केवल कोयला कम्पनियों को  ही प्रतिभागिता करने दिया गया था.

अगस्त 2019 में सरकार ने खुले विक्रय और सम्बद्ध अवसंरचना, जैसे वाशरी (washeries) के निर्माण के लिए कोयला खनन में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति की घोषणा की थी.

खनिज विधि (संशोधन) अध्यादेश 2020 के निहितार्थ

  1. यह अध्यादेश कोयला के खनन में इस्पात और ऊर्जा के अतिरिक्त अन्य व्यवसायियों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है.
  2. इससे कुशल ऊर्जा का एक बाजार तैयार होगा जिससे प्रतिस्पर्धा तो बढ़ेगी ही, साथ ही कोयले के आयात में भी घटत होगी. उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष भारत ने 235 मिलियन टन कोयले का आयात किया था. यदि यह अध्यादेश पहले लागू हो जाता तो 135 मिलियन टन कम कोयला आयात करना पड़ता जिसका मूल्य 171 हजार करोड़ होता.
  3. यह अध्यादेश कोयला प्रक्षेत्र में काल इंडिया लिमिटेड के एकाधिकार को समाप्त कर देगा.
  4. यह अध्यादेश विश्व-भर में खननकर्ताओं के द्वारा प्रयोग में लाई गई भूगर्भ खनन की आधुनिकतम तकनीक भारत को उपलब्ध कराने में सहायता पहुँचायेगा.

नया खनन लक्ष्य (New mining target)

2018 में भारत सरकार ने निजी प्रतिष्ठानों को वाणिज्यिक खनन की अनुमति देते समय 2020 तक 1.5 बिलियन टन के खनन का लक्ष्य निर्धारित किया था. इसमें 1 बिलियन टन खनन कोल इंडिया को करना था और शेष 500 मिलियन टन अन्य प्रतिष्ठानों को करना था. अब इस लक्ष्य को सुधार करके 2023-24 तक 1 बिलियन टन के खनन का लक्ष्य रखा गया है.

खनन की अनुमति कौन देता है?

खनन की अनुमति राज्य सरकार उन सभी खनिजों के लिए देती है जो उस राज्य की सीमा के भीतर अवस्थित हैं. ऐसा प्रावधान खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 तथा खनिज छूट नियमावली, 1960 (Mineral Concession Rules, 1960) के तहत किया जाता है. परन्तु, खदान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 की प्रथम अनुसूची में वर्णित खनिजों के खनन के लिए केंद्र सरकार का अनुमोदन अनिवार्य होता है. उल्लेखनीय है कि इस अनुसूची में वर्णित खनिज इस प्रकार हैं – हाइड्रोकार्बन, आणविक खनिज तथा धात्वीय खनिज, जैसे – लौह अयस्क, बॉक्साइट अयस्क, ताम्र अयस्क, सीसा, बहुमूल्य पत्थर, जस्ता और सोना.

Tags :- Overview of the Mineral Laws (Amendment) Ordinance 2020 in Hindi, how is coal mining regulated in India? Current challenges and ways to address them. Khanij Kanoon sanshodhan adhyadesh, 2020

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