जैन धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश और सिद्धांत

Dr. SajivaAncient History, History6 Comments

jain_dharm

जैन धर्म – 24 तीर्थंकर

जैन धर्म और बौद्ध धर्म  में बड़ी समानता है. किन्तु अब यह साबित हो चुका है कि बौद्ध धर्म की तुलना में जैन धर्म अधिक प्राचीन है. जैनों का मानना है कि हमारे 24 तीर्थंकर हो चुके हैं जिनके द्वारा जैन धर्म की उत्पत्ति और विकास हुआ. क्या आपको पता है कि जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर का नाम क्या है? यदि आप परीक्षा की तैयारी अच्छे से कर रहे हो तो आपको इसका जवाब मालूम होगा. उनका नाम है – पार्श्वनाथ. उनका जन्म ईसा के पूर्व 8वीं शताब्दी में हुआ. पार्श्वनाथ एक क्षत्रिय थे. उनके मुख्य सिद्धांत थे – सदैव सच बोलना, अहिंसा, चोरी न करना और धन का त्याग कर देना.

24 तीर्थंकर के नाम और उनके चिन्ह 

1. श्री ऋषभनाथ- बैल
2. श्री अजितनाथ- हाथी
3. श्री संभवनाथ- अश्व (घोड़ा)
4. श्री अभिनंदननाथ- बंदर
5. श्री सुमतिनाथ- चकवा
6. श्री पद्मप्रभ- कमल
7. श्री सुपार्श्वनाथ- साथिया (स्वस्तिक)
8. श्री चन्द्रप्रभ- चन्द्रमा
9. श्री पुष्पदंत- मगर
10. श्री शीतलनाथ- कल्पवृक्ष
11. श्री श्रेयांसनाथ- गैंडा
12. श्री वासुपूज्य- भैंसा
13. श्री विमलनाथ- शूकर
14. श्री अनंतनाथ- सेही
15. श्री धर्मनाथ- वज्रदंड,
16. श्री शांतिनाथ- मृग (हिरण)
17. श्री कुंथुनाथ- बकरा
18. श्री अरहनाथ- मछली
19. श्री मल्लिनाथ- कलश
20. श्री मुनिस्रुव्रतनाथ- कच्छप (कछुआ)
21. श्री नमिनाथ- नीलकमल
22. श्री नेमिनाथ- शंख
23. श्री पार्श्वनाथ- सर्प
24. श्री महावीर- सिंह

महावीर स्वामी

परन्तु जैन धर्म के मूलप्रवर्त्तक के विषय में यदि बात की जाए तो महावीर स्वामी का नाम सामने आता है. इनका जन्म 540 ई.पू. के आस-पास हुआ था. इनके बचपन का नाम वर्धमान था. वह लिच्छवी वंश के थे. वैशाली (जो आज बिहार के हाजीपुर जिले में है) में उनका साम्राज्य था. गौतम बुद्ध (गौतम बुद्ध << के बारे में पढ़ें) की ही तरह राजकुमार वर्धमान ने राजपाट छोड़ दिया और 30 वर्ष की अवस्था में कहीं दूर जा कर 12 वर्ष की कठोर तपस्या की. इस पूरी अवधि के दौरान वे अहिंसा के पथ से भटके नहीं और खान-पान में भी बहुत संयम से काम लिया. सच कहा जाए तो राजकुमार वर्धमान ने अपनी इन्द्रियों को सम्पूर्ण रूप से वश में कर लिया था. 12 वर्ष की कठोर तपस्या के बाद, 13वें वर्ष में उनको महावीर और जिन (विजयी) के नाम से जाना जाने लगा. उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी.

महावीर स्वामी जैन परम्परा के 24वें तीर्थंकर कहलाए. उनके उपदेशों में कोई नई बात नहीं दिखती. पार्श्वनाथ की चार प्रतिज्ञाओं में उन्होंने एक पाँचवी प्रतिज्ञा और शामिल कर दी और वह थी – पवित्रता से जीवन बिताना. उनके शिष्य नग्न घूमते थे इसलिए वे निर्ग्रन्थ कहलाये. बुद्ध की भाँति ही महावीर स्वामी ने शरीर और मन की पवित्रता, अहिंसा और मोक्ष को जीवन का अंतिम उद्देश्य माना. पर उनका मोक्ष बुद्ध के निर्वाण से भिन्न है. आत्मा का परमात्मा से मिल जाना ही जैन धर्म में मोक्ष माना जाता है. जबकि बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म से मुक्ति ही निर्वाण है. लगभग 30 वर्षों तक महावीर स्वामी ने इन्हीं सिद्धांतों का प्रचार किया और 72 वर्ष की आयु में उन्होंने राजगीर के निकट पावापुरी नामक स्थान में अपना शरीर त्याग दिया.

महावीर के उपदेश

महावीर कहते थे कि जो भी जैन निर्वाण को प्राप्त करना चाहता है उसको स्वयं के आचरण, ज्ञान और विश्वास को शुद्ध करना चाहिए और पाँच प्रतिज्ञाओं का पालन अवश्य करना चाहिये. जैन धर्म में तप की बहुत महिमा है. उपवास को भी एक तप के रूप में देखा गया है. कोई भी मनुष्य बिना ध्यान, अनशन और तप किये  अन्दर से शुद्ध नहीं हो सकता. यदि वह स्वयं की आत्मा की मुक्ति चाहता है तो उसे ध्यान, अनशन और तप करना ही होगा. महावीर ने पूर्ण अहिंसा पर जोर दिया और तब से ही “अहिंसा परमो धर्मः” जैन धर्म में एक प्रधान सिद्धांत माना जाने लगा.

दिगंबर और श्वेताम्बर

300 ई.पू. के लगभग जैन धर्म दो सम्प्रदायों में विभक्त हो गया – दिगंबर और श्वेताम्बर. दिगम्बर नग्न मूर्ति की उपासना करते हैं और श्वेताम्बर अपनी मूर्तियों को श्वेत वस्त्र पहनाते हैं. 2011 के census के अनुसार भारत में जैन धर्म के अनुयायी 44 लाख 51 हजार हैं. इन्हें धनी और समृद्ध वर्ग में गिना जाता है. जैन धर्म के लोग अधिकांश व्यापारी वर्ग के हैं. जैन धर्म का प्रचार सब लोगों के बीच नहीं हुआ क्योंकि इसके नियम कठिन थे. राजाओं ने जैन धर्म को अपनाया और उनका प्रचार भी किया. अधिकांश वैश्य वर्गों ने जैन धर्म को अपनाया. जैन धर्म के अनुयायियों में बड़े-बड़े विद्वान् महात्मा भी शामिल हुए हैं.

चलिए अब समय आ गया है, सवाल और जवाब (Questions related to Jainism) का, देखते हैं आप कितने सवालों का सही-सही जवाब दे पाते हैं. Quiz के लिए नीचे के बटन को क्लिक करें. Click below to play Quiz on Jainism

जैन धर्म पर QUIZ

Print Friendly, PDF & Email
Read them too :
[related_posts_by_tax]

6 Comments on “जैन धर्म का इतिहास, नियम, उपदेश और सिद्धांत”

  1. सर मैं कॉमर्स से बी. कॉम किया हूँ, मैं आईएएस के लिए कौन सा विषय लूँ, कृपया जवाब दे

    धन्यवाद
    मन मोहन मिश्रा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.