पिछले आर्टिकल में हमलोगों ने जाना कि GDP क्या है और कैसे calculate किया जाता है? पर उस आर्टिकल के अंत में मैंने to be continued कहा था इसलिए यह आर्टिकल लिख रहा हूँ. आपने बहुत बार किताबों में GDP at market price (MC) और GDP at factor price (FC) के विषय में पढ़ा होगा. पर इकोनॉमिक्स की क्लिष्ट भाषा हमें ले डूबती है. पता नहीं किताबों में घुमा-फिरा के चीजों को क्यों परोसते हैं जबकि इकोनॉमिक्स के कुछ टर्म को समझना बेहद आसान हैं. GDP mp और GDP fc को ही ले लीजिए.
GDP at market price (GDP mp)
नाम से ही स्पष्ट है कि यहाँ market price की बात चल रही है. किसी product या service का वह दाम/प्राइस जिसे हम बाजार से खरीदते हैं. मान लीजिए आप और हम होटल में जा कर तंदूरी रोटी खाते हैं. जब खा कर उठने लगे तो वेटर आकर बिल थमा जाता है. फिर हम दोनों में बहस होने लगती है कि बिल कौन देगा? बिल थोड़ा अधिक था तो मैंने आपसे कहा ठीक है! अगली बार से ऐसे नहीं चलेगा…अगली बार से मैं ही दूंगा….और अंततः आपने Rs.600 वेटर को थमा दिया.
तो यह Rs. 600 क्या है? यह तंदूरी का market price है. जब गवर्नमेंट अपना GDP कैलकुलेट करती है….तो उन तमाम चीजों को जोड़ती है जो बाजार की कीमतों (MRP) से सम्बंधित होते हैं. याद कीजिए:- Expenditure method of counting GDP (जिसका मैंने पिछले आर्टिकल में जिक्र किया था).
अब मैं आपके वार्षिक खर्च की खबर लेता हूँ:—
दूध= 10000 रु. वार्षिक
होटल खर्चा= 20000 रू. वार्षिक
गर्लफ्रेंड पर खर्च= 100000 रु. वार्षिक
किताबों पर खर्च= 5000 रू. वार्षिक
मल्टीप्लेक्स पर खर्च= 5000 रू. वार्षिक
कपड़ों पर खर्च= 30000 रू. वार्षिक
अब मैं यदि आपके इन खर्चों को जोड़ दूँ, तो आपका वार्षिक खर्चा निकलता है= १,70,000 रू.
इसलिए जब सरकार Consumption method (C) से GDP कैलकुलेट करेगी तो आपके इन तमाम खर्चों को जोड़ेगी और बताएगी कि India का GDP 1 लाख 70 हज़ार है (काल्पनिक फिगर है)
पर सोचिए कि आपने ये सब खर्च तो कर दिया….पर ये पैसे कहीं-न-कहीं किसी के पास तो गए होंगे न? जैसे- दूध वाले के पास, होटल वाले के पास, किताब वाले के पास…
तो क्या उनको पूरा पैसा मिल गया जितना आपने उन्हें दिया था? सोचिए….आपने होटल वाले को जो 20,000 रूपये दिए तो क्या वह होटल का मालिक पूरा का पूरा 20000 रु. गड़क गया?
नहीं….. अब आगे पढ़िए>>>
GDP at factor price (GDP fc)
होटल के मालिक को आपके दिए हुए पूरे के पूरे बीस हजार नहीं मिले. क्योंकि आपने जो 20 हज़ार उसे दिया था उसमें तमाम तरह के tax जुड़े हुए थे. VAT, Service Tax और पता नहीं क्या-क्या…. मानिए उन टैक्स का टोटल अमाउंट 50 रु. था तो होटल के मालिक को सिर्फ 19,550 रूपये मिले. बाकी के पैसे (50 रु.) सरकार को चले गये.
इसलिए हम इस निष्कर्ष पर आते हैं…कि consumer ने जो pay किया और producer ने जो receive किया, वह same नहीं होता. दोनों amount में एक gap होता है जो सरकार के पास जाता है.
किसी Factory के मालिक को मजदूर को पैसा (wages), interest, bill, rent, tax etc. देना होता है. ये सब उसके खर्च हैं.
इसलिए राष्ट्रीय खाते की गणना करते समय जब फैक्टर कॉस्ट टर्म का प्रयोग होता है तो हमें समझ लेना होगा कि सरकार उन पैसों/अमाउंट की बात कर रही है जो without indirect taxes (excise duty, sales tax, customs duty) etc. के बाद अंततः producer को मिली है.
इसलिए GDP (fc) का formula भी है=
GDP(fc)= GDP(mp) – indirect taxes+subsidy OR GDP(fc)= GDP(mp) – net indirect taxes
यहाँ फैक्टर कॉस्ट के फोर्मुले में GDP mp से सब्सिडी इसलिए घटा दिया गया क्योंकि किसी-किसी वस्तुओं की बिक्री पर सरकार subsidy देती है जैसे- (sugar, rice, LPG cylinder). सब्सिडी टैक्स के ठीक विपरीत है. सरकार market price पर नियंत्रण रखने के लिए वस्तुओं की बिक्री पर subsidy देती है. सब्सिडी से वस्तु का बाजार मूल्य गिरता है. जैसे गवर्नमेंट को एक LPG का कॉस्ट 1400 रु. वहन करना होता है. जबकि हम उसे मात्र 700 रु. में खरीदते हैं. यही सब्सिडी है. हम दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि किसी वस्तु के subsidized हो जाने पर उसका market price उसके factor cost से कम हो जाता है.
- जब economy फल-फूल रही होती है तो, GDPMP >GDPFC
- Slowdown के समय, GDPMP <GDPFC
- क्योंकि जब स्लो-डाउन होता है तो indirect tax भी गिरता है और सरकार पर सब्सिडी का बोझ बढ़ जाता है.
Conclusion:–>>
GDP Market Price = Factor Cost + Indirect taxes – Subsidies.
संक्षेप में, MP में net indirect tax शामिल हैं, जबकि FC में नहीं. दूसरे शब्दों में, FC तब MP बन जाता है जब उसमें net indirect tax जोड़ा जाता है. Indirect tax और subsidy के बिना GDPmp और GDPfc दोनों एक ही हैं.
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