गौतम बुद्ध : बौद्ध धर्म के विषय में संक्षिप्त जानकारी

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गौतम बुद्ध का जन्म

बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे. गौतम बुद्ध का जन्म 567 ई.पू. (born, according to Wikipedia) कपिलवस्तु के लुम्बनी नामक स्थान पर हुआ था. इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था. गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की अवस्था में यशोधरा के साथ हुआ. इनके पुत्र का नाम राहुल था.

गृह-त्याग और शिक्षा ग्रहण

सिद्धार्थ ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह-त्याग किया, जिसे बौद्धधर्म में “महाभिनिष्क्रमण” कहा गया है. गृह-त्याग करने के बाद सिद्धार्थ (बुद्ध) ने वैशाली के आलारकलाम से सांख्य धर्षण की शिक्षा ग्रहण की. आलारकलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरु हुए थे. आलारकलाम के बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रुद्र्करामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की.

ज्ञान प्राप्ति

35 वर्ष की आयु में वैशाख की पूर्णिमा की रात निरंजना (फल्गु) नदी के किनारे, पीपल के वृक्ष के नीचे, सिद्धार्थ को ज्ञान प्राप्त हुआ था. ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने गए.

प्रथम उपदेश

बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश सारनाथ (ऋषिपतनम)  में दिया, जिसे बौद्ध ग्रंथों में “धर्मचक्र प्रवर्त्तन” कहा गया है. बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए.

मृत्यु

बुद्ध की मृत्यु 80 वर्ष की अवस्था में 483 ई.पू. में कुशीनगर (देवरिया, उत्तर प्रदेश) में चुंद द्वारा अर्पित भोजन करने के बाद हो गयी, जिसे बौद्ध धर्म में “महापरिनिर्वाण” कहा गया है.

निर्वाण-प्राप्ति

बुद्ध ने निर्वाण प्राप्ति के लिए निम्न दस शीलों पर बल दिया है. ये शील हैं –

  1. अहिंसा
  2. सत्य
  3. अस्तेय (चोरी नहीं करना)
  4. अपरिग्रह (किसी प्रकार की संपत्ति नहीं रखना)
  5. मदिरा सेवन नहीं करना
  6. असमय भोजन नहीं करना
  7. सुखप्रद बिस्तर पर नहीं सोना
  8. धन-संचय नहीं करना
  9. स्त्रियों से दूर रहना और
  10. नृत्य-गान आदि से दूर रहना

अष्टांगिक मार्ग (Astangik Marg)

बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात कही है. ये मार्ग हैं –

  • सम्यक् कर्मान्त
  • सम्यक् संकल्प
  • सम्यक् वाणी
  • सम्यक् कर्मान्त
  • सम्यक् आजीव
  • सम्यक् व्यायाम
  • सम्यक् स्मृति एवं
  • सम्यक् समाधि

बौद्ध सभाएँ

सभा समय स्थान अध्यक्ष शासनकाल
प्रथम बौद्ध संगति 483 ई.पू. राजगृह महाकश्यप अजातशत्रु
द्वितीय बौद्ध संगति 383 ई.पू. वैशाली सबाकामी कालाशोक
तृतीय बौद्ध संगति 255 ई.पू. पाटलिपुत्र मोग्गलिपुत्त तिस्स अशोक
चतुर्थ बौद्ध संगति ई. की प्रथम शताब्दी कुंडलवन वसुमित्र/अश्वघोष कनिष्क

 

“विश्व दुःखों से भरा है” का यह सिद्धांत बुद्ध ने उपनिषद् से लिया था. बौद्धसंघ में प्रविष्ट होने को “उपसंपदा” कहा गया है. बौद्ध धर्म के तीन रत्न (त्रिरत्न) हैं – बुद्ध, धम्म और संघ. चतुर्थ बौद्ध संगीति के पश्चात् बौद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया – हीनयान और महायान.

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15 Comments on “गौतम बुद्ध : बौद्ध धर्म के विषय में संक्षिप्त जानकारी”

  1. 1. गौतम बुद्ध ने 6 वर्ष ध्यान किया तो उन्हे ज्ञात हुआ कि कोई भी तपशर्या करने से कोई ज्ञान प्राप्त नहीं होता। बुद्ध जब तपचर्या करने बैठे तो करते करते उनकी जान खतरे में आ गई । तो एक राह चलती लड़की उन्हे खीर देके बचा लिया । तब बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ कि बस ये शरीर को जीवित रखकर हि इस दुनिया के दुखो का निवारण किया जा सकता है। और एक बुद्ध हि एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने हि दुःख कारण ढूंढ निकाला जो कि है तृष्णा। यही बुद्ध का सबसे बड़ा ज्ञान प्राप्त हुआ।

  2. श्रीमान, कुशीनगर पृथक एक जनपद है। लेख में सँशोधन करें।

  3. Hello
    Sir…. Mujhe IAS exam ki total previous paper chahiye… Mere imail I’d par bhej dijiye….
    Thanks

  4. सर, सवाल थोड़ा अटपटा लग सकता है पर आशा है के उत्तर जरूर देंगे।
    मुझे सर #नोट्स बनाने के बारे में थोड़ा बताइये।
    मुख्य रूप से इतिहास के नोट्स!

    धन्यवाद सर।

    1. 1.गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति कैसे हुआ..?
      2. बुद्ध पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर क्या…?
      3. निर्वाण प्राप्ति क्या है..?
      4. बुद्ध यदि ध्यान किया है तो किस नाम का ध्यान
      किया है..
      5. जब बुद्ध ने मूर्ति पूजा का विरोध किया है तो विश्व
      में सबसे ज्यादा बुद्ध का मूर्ति क्यो है…?

      इन पांच प्रश्नों का उत्तर दीजिये..

      1. २. Buddha पीपल के पेड़ के नीचे हि बैठे थे जब वो ध्यान में थे । और उन्हे वहीं ज्ञान प्राप्ति हुई।
        ३. निर्वाण मतलब सभी सुख दुख से परे होकर। और इस दुनिया से चले जाना।
        ४. बुद्ध के ध्यान को हम अपनी सांसों कि और लक्ष केंद्रित करने वाला ध्यान बोलेंगे। जो हमे मन एकाग्र करना सिखाता है। और खुद के बुद्धि को खुदके काबू में रखना सिखाता है।
        ५. बुद्ध ने मूर्ति पूजा के बारे में जो कहा है उसे जान लो। उन्होंने यही कहा है । जो चीज़ तुम्हारे बुद्धि को संतुष्ट करे और तुम्हारे बुद्धि को सच्ची लगे उसे करो । श्रद्धा रखो अंधश्रद्धा नहीं। फिर भी friend तुम्हे ऐसा लगता है कि बुद्ध की मूर्ति की पूजा होती है तो उसे पूजा नहीं कहते।
        पूजा मतलब मूर्ति के यहां दिया लगाना , फूल चढ़ाना, दूध चढ़ाना, तेल चढ़ाना आदि। जो कि सब waste हो जाना है। इसके अलावा वो दिए का तेल किसी गरीब को काम आयेगा। वो दूध किसी बच्चे कि भूक को संतुष्ट करेगा।
        और ऐसा कोई भी चढ़ावा बुद्ध की मूर्ति पर बिल्कुल नहीं होता। उनकी इतनी मूर्तियां इसलिए है । कि वो अनंत काल याद रहेंगे। इसलिए है कि उनके मूर्ति को देखते ही मन शांत हो जाता हैं 🙏☺️

        नमो बुद्धाय।🙏☺️

    1. बौध्द धर्म की लोकप्रियता के कारण का उत्तर मिल जाएगा

  5. HELLO SIR,MERA NAAM PRINCE SHARMA HAI ME B.SC II YEAR ME HU.SIR ME PHYSICALLY HANDICAPPED HU.SIR ME DAINIK BHASKAR NEWSPAPER KARIB 1 YEAR SE FOLLOW KAR RAHA HU.ME NCERT KI 9 CLASS KI GEOGRAPHY PADH RAHA HU.SIR PLEASE MUJHE BATAE KI

    1)MUJHE PHYSICALLY HANDICAPPED HONE KA KOI ADVANTAGE MILEGA KYA???

    2)ME NESWPAPER SE NOTES KAB BANAU?

    3)ME P.I.B SE KON SI NEWS NOTE KARU YA READ KARU?

    4)SIR ME 1 GHANTA RAJYASHABHA AND DD NEWS DEKH NE KI SOACH RAHA THA.PLEASE BTAE KI ME ME KYA KARU OR KON SE NEWS CHANNEL DEKHU

    5)ME DIN ME EK GHANTA HI PADH PATA HU JISME ME NCERT BOOK OR SSC NOTES PADHTA HU….

    Sir please help me

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