विदेश की रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण आधारभूत संरचना से सम्बंधित परियोजनाओं के लिए बोली लगाने वाले भारतीय प्रतिष्ठानों को प्रश्रय देने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने रियायती वित्त योजना (Concessional Financing Scheme -CFS) के पहले विस्तार की मंजूरी दे दी है.
इस योजना का उद्देश्य विदेशों में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अवसरंचना परियोजनाओं के लिए बोली लगाने वाले भारतीय निकायों को आर्थिक समर्थन प्रदान करना है.
CFS कैसे कार्य करता है?
- सर्वप्रथम आर्थिक कार्य मंत्रालय भारत के रणनीतिक हितों को ध्यान में रखते हुए विशेष परियोजनाओं का चयन करता है तथा उन्हें आर्थिक कार्य विभाग को भेज देता है.
- आर्थिक कार्य विभाग के सचिव की अध्यक्षता में एक समिति रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं पर विचार करके यह निर्धारित करता है कि कौन-सी योजनाओं में इस योजना के तहत वित्त लगाया जा सकता है.
- समिति के अनुमोदन के पश्चात् आर्थिक कार्य विभाग EXIM Bank को एक औपचारिक पत्र देता है जिसमें CFS के अन्दर परियोजना को वित्त देने सम्बन्धी अनुमोदन की सूचना होती है.
- CFS योजना वर्तमान में भारतीय निर्यात-आयात बैंक (EXIM Bank) के माध्यम से संचालित होती है और यही बैंक रियायती वित्त मुहैया करने हेतु बाजार से वित्त उठाता है.
- भारत सरकार (GoI) EXIM बैंक को काउंटर गारंटी देती है तथा साथ ही 2% ब्याज समानीकरण समर्थन (interest equalization support) भी प्रदान करती है.
- इस योजना के अंतर्गत EXIM बैंक जो कर्ज देता है उसकी दर LIBOR (छह महीने का औसत) +100 bps से अधिक नहीं होती है. कर्ज की वापसी के लिए विदेशी सरकार गारंटी देती है.
What is LIBOR?
लिबोर [LIBOR] या आइस लिबोर (ICE LIBOR) एक बेंचमार्क दर है जिसे विश्व के कुछ अग्रणी बैंकों द्वारा अल्पकालिक ऋणों के लिए एक-दूसरे पर लगाया (charge) किया जाता है. यह इंटरनेशनल एक्सचेंज लन्दन इंटर बैंक ऑफर्ड रेट का स्न्खिप्त रूप है और विश्व-भर में विभिन्न ऋणों पर ब्याज दरों की गणना करने के लिए पहले चरण के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है.
योजना का महत्त्व
- CFS योजना के लागू होने के पहले भारतीय प्रतिष्ठान विदेश में बड़ी-बड़ी परियोजनाओं में बोली लेने में असमर्थ रहते थे क्योंकि उन्हें कठोर शर्तों पर इसके लिए धन की व्यवस्था की करनी पड़ती थी.
- रियायती वित्तपोषण योजना (CFS) के आरम्भ से पूर्व भारतीय संस्थाएँ विदेशों में बड़ी परियोजनाओं के लिए बोली लगाने में सक्षम नहीं थीं क्योंकि वित्त पोषण की लागत अत्यधिक थी और जापान, यूरोप और अमेरिका जैसे अन्य देशों के बोलीदाता (bidders) बेहतर शर्तों पर क्रेडिट प्राप्त करने में सक्षम थे, अर्थात्, कम ब्याज दरों पर और दीर्घावधि के लिए, जिसमें इन देशों के बोलीदाता लाभ की स्थिति में रहते थे.
- भारतीय प्रतिष्ठानों को रणनीतिक हितों वाली विदेशी योजनाओं में काम मिल जाने का लाभ यह होगा कि भारत में नए रोजगारों का सृजन होगा, सामग्रियों तथा मशीनों की माँग बढ़ेगी और भारत के लिए विश्व में प्रचुर सद्भाव उत्पन्न होगा.
- इस योजना से भारत में रोजगार का सृजन होगा और यहाँ मशीनों और निर्माण-सामग्रियों की माँग भी बढ़ेगी.
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6 Comments on “रियायती वित्तपोषण योजना – Concessional Financing Scheme (CFS)”
Thanks a lot mam bhut helpful h ye
thnq so much…. hindi walo k liye wardan h ye… thnq so much
Very nice
Nice
thanku so much sir
Thank u mam ….