चालुक्य वंश के बारे में जानकारी – कला एवं स्थापत्य

Dr. SajivaCulture

आज हम चालुक्य वंश (Chalukya Dynasty) के बारे में जानेंगे in Hindi. इस पोस्ट के नीचे एक विडियो की लिंक दे गई है जिसमें तमिलनाडु टेक्स्टबुक की सहायता से चालुक्य वंश के बारे में समझाया गया है. उसे जरूर देखें.

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चालुक्य कौन थे?

  • चालुक्य दक्षिण और मध्य भारत में राज करने वाले शासक थे जिनका प्रभुत्व छठी से बारहवीं शताब्दी तक रहा.
  • इतिहास में चालुक्यों के परिवारों का उल्लेख आता है.
  • इनमें सबसे पुराना वंश बादामी चालुक्य वंश कहलाता है जो छठी शताब्दी के मध्य से वातापि (आधुनिक बादामी) में सत्ता में था.
  • कालांतर में बादामी चालुक्य राजा पुलकेसिन द्वितीय की मृत्यु के उपरान्त पूर्वी दक्कन में चालुक्यों का एक अलग राज अस्तित्व में आया जिसके राजाओं को पूर्वी चालुक्य कहा जाता है. ये लोग वेंगी से सत्ता चलाते थे और इनका राजपाठ 11वीं शताब्दी तक चला.
  • 10वीं शताब्दी में कल्याणी (आधुनिक बासवकल्याण) में एक तीसरे चालुक्य वंश का उदय हुआ जो पश्चिमी चालुक्य कहलाते थे. इनका शासन 12वीं शताब्दी तक चला.
  • ये तीनों चालुक्य वंशों के बीच रक्त का सम्बन्ध था.

चालुक्य वंश का परिचय एवं प्रमुख शासक

चालुक्यों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में निश्चयपूर्वक कुछ भी नहीं कहा जा सकता. वे अपने को ब्रह्मा या मनु अथवा चंद्रमा का वंश मानते हैं. वे ऐतिहासिक दृष्टि से स्वयं को बहुत प्राचीन जताने के लिए कहते हैं कि उनके पूर्वज अयोध्या में राज्य करते थे. वीसेंट स्मिथ जैसे प्रसिद्ध इतिहासकार उन्हें गुर्जर जाति का मानते हैं जो मूलतः सोंडियाना से आये हुए विदेशी थे और भारत में आने के बाद दक्षिण राजस्थान में रहते थे. स्मिथ के विचार से अब कोई भी सहमत नहीं है. अब अधिकांश इतिहासकार उन्हें क्षत्रिय वर्ण के स्थानीय लोग मानते हैं जो मूलतः उत्तर भारत के किसी स्थान से दक्षिण कर्नाटक में पहुँचे थे. 

पुलकेसिन प्रथम 

बादामी चालुक्यों का राजवंश संस्थापक पुलकेसिन प्रथम माना जाता है. उसने 549-50 ई. में सर्वप्रथम स्वयं को स्वतंत्र घोषित किया.

कीर्तिवर्मन प्रथम

पुलकेसिन प्रथम के बाद कीर्तिवर्मन प्रथम गद्दी पर बैठा. उसने कोंकण के के मौर्यों, वनवासी के क़दमों तथा दक्षिण मैसूर के नलों को पराजित किया. कोंकण की विजय के फलस्वरूप रेवतीद्वीप (आधुनिक गोवा) नामक तात्कालिक प्रसिद्ध बंदरगाह इस बढ़ते हुए साम्राज्य का अंग बन गया.

मंगलेश

कीर्तिवर्मन प्रथम की मृत्यु के समय उसके तीनों पुत्र नाबालिग थे, इसलिए उसका छोटा भाई मंगलेश सिंहासन पर (लगभग 597-98 ई. में) बैठा.

पुलकेसिन द्वितीय

कीर्तिवर्मन प्रथम का पुत्र पुलकेसिन द्वितीय लगभग 609-10 ई. में गद्दी में बैठा. उसने शीघ्र ही अपने को इस राजवंश का सबसे योग्य शासक प्रमाणित किया. 642 ई. में (नए पल्लव सम्राट) नरसिंह वर्मन ने अपने पिता (महेंद्रवर्मन) के अपमान का बदला लेने के लिए (श्रीलंका के राजकुमार मानव वर्मा के सहयोग से) चालुक्यों की राजधानी बादामी पर आक्रमण कर दिया. पुलकेसिन द्वितीय की पराजय तथा मृत्यु ने बादामी चालुक्यों के लिए इतना भयंकर संकट का समय पैदा कर दिया कि लगभग तेरह वर्ष (642 ई. से 655 ई.) तक चालुक्यों की गद्दी पर कोई मानी सम्राट ही नहीं रहा. 

विनयादित्य

विक्रमादित्य प्रथम के बाद उसी का पुत्र विनयादित्य बादामी का शासक बना. उसने पल्लवों, कलभ्रों, मालवों और चोलों आदि को पराजित किया.

विजयादित्य

उसने 696 ई. से 733 ई. तक राज किया. वह साहस एवं वीरता की दृष्टि से अपने पिता के समान था. अभिलेखों के अनुसार उसने किन्हीं चार प्रदेशों को जीता.

विक्रमादित्य द्वितीय 

वह 733 ई. में गद्दी पर बैठा. पल्लवों पर तीन बार सफल आक्रमण किये.

कीर्तिवर्मन द्वितीय 

कीर्तिवर्मन ने 746 ई. से 753 ई. तक राज किया. वह बादामी चालुक्य शाखा का अंतिम सम्राट था. 

चालुक्य कला एवं स्थापत्य

  • चालुक्यों ने कई गुफा मन्दिर बनाए जिनमें सुन्दर भित्ति चित्र भी अंकित किये गये. चालुक्य मंदिर स्थापत्य की वेसर शैली के अच्छे उदाहरण हैं.
  • वेसर शैली को ही दक्कन शैली अथवा कर्नाटक द्रविड़ शैली अथवा चालुक्य शैली कहा जाता है.
  • इस शैली में द्रविड़ और नागर दोनों शैलियों का मिश्रण है.
  • चालुक्य मंदिरों से सम्बंधित एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान पट्टडकालु है. यह एक UNESCO विश्व धरोहर स्थल है. यहाँ चार मंदिर नागर शैली में हैं और छह मंदिर द्रविड़ शैली में हैं. द्रविड़ शैली के दो प्रसिद्ध मंदिरों के नाम विरूपाक्ष मंदिर और संगमेश्वर मंदिर हैं. नागर शैली का एक प्रसिद्ध मंदिर पापनाथ मंदिर भी यहीं है.
  • पट्टडकालु के मंदिर 7वीं और 8वीं शताब्दी के बने हुए हैं. ये मंदिर हिन्दू और जैन दोनों प्रकार के हैं.
  • पट्टडकालु मालप्रभा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है.
  • पट्टडकालु की मिट्टी लाल है. इसलिए इसे “किसुवोलाल” (लाल मिट्टी की घाटी) अथवा रक्तपुरा (लाल नगर) अथवा पट्टड-किसुवोलाल (लाल मिट्टी वाली राज्यारोहण की घाटी) भी कहते हैं.

मूर्तिकला

चालुक्य शासन काल में मूर्तिकला की भी प्रगति हुई. बादामी में मिले तीन हिन्दू तथा एक जैन हॉलों में अनेक सुन्दर मूर्तियाँ मिलती हैं. हिन्दू हॉलों में एक गुफा में अनंत के वाहन पर बैठे हुए विष्णु की तथा नरसिंह की दो मूर्तियाँ बहुत सुन्दर हैं. विरूपाक्ष मंदिर की दीवारों पर शिव, नागिनियों तथा रामायण के दृश्यों की मूर्तियाँ बनिया गई हैं. एलोरा की अनेक मूर्तियाँ चालुक्यों के शासनकाल में बनाई गयी थीं.

चित्रकला

अजंता और एलोरा की गुफाएँ अपनी सुन्दर चित्रकला के लिए विश्व-विख्यात हैं. ये दोनों राज्य चालुक्य राज्य में स्थित थे. विद्वानों की राय है कि इसमें से कई चित्र चालुक्य शासन काल में बनवाये गये. अजंता के एक चित्र में ईरानी दूत-मंडल को पुलकेसिन द्वितीय के समक्ष अभिवादन करते हुए दिखाया गया है. अनेक स्थानों पर गुफाओं की दीवारों को सजाने के लिए भी चित्र बनाए गए. इस चित्र में बहुत से लोगों को भगवान् विष्णु की उपासना करते हुए दिखाया गया है. यह इतना सुन्दर है कि दर्शकगण आश्चर्यचकित रह जाते हैं.

 

Tags: Chalukya Dynasty in Hindi. Chalukya- spread, ruling, key features and cultural contributions.

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