बोस्टन की चाय-पार्टी की घटना क्या थी?

Dr. SajivaWorld History

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ब्रिटिश संसद ने चाय के व्यापार के सम्बन्ध में नया कानून बनाया था. इस कानून के अनुसार ईस्ट इंडिया कंपनी को अमेरिका में चाय भेजने की अनुमति दी गई थी. चाय के व्यापार को बढ़ाने के लिए मूल्य में कमी की गई थी. फलस्वरूप अमेरिकनों को सस्ती चाय मिल जाती थी और ईस्ट इंडिया कंपनी को भी आर्थिक लाभ हो जाता था. लेकिन अमेरिकन उपनिवेशवासियों ने इसे ब्रिटिश सरकार की चाल समझा. उन्होंने सोचा कि यदि संसंद व्यापारिक मामलों पर एकाधिकार कायम कर लेगी तो इससे उपनिवेश के व्यापार को हानि होगी. ईस्ट इंडिया कंपनी के कुछ जहाज बोस्टन बंदरगाह में ठहरे हुए थे. बोस्टन के नागरिकों ने जहाज़ों को लूट लिया और लगभग 342 चाय के बक्सों को समुद्र में फेंक दिया. इसे ही “बोस्टन की चाय-पार्टी दुर्घटना (Boston tea-party incident)” कहा जाता है.

बोस्टन की चाय-पार्टी घटना के परिणाम

इस घटना से इंग्लैंड में उत्तेजना फैली. ब्रिटिश संसद ने दमन की नीति का समर्थन किया और मेसाचुसेट्स एक्ट (Massachusetts Act) पास किया. इस कानून के द्वारा ब्रिटिश सैनिक कमांडर को अमेरिकन प्रान्तों का राज्यपाल बनाया गया. सभी प्रकार के वाणिज्य के लिए बोस्टन का बंदरगाह बंद कर दिया गया. क्यूबेक एक्ट (Quebec Act) के अनुसार कनाडा की सीमा ओहायो नदी तक बढ़ा दी गई. रोमन कैथलिकों को विशेष सुविधा दी गई. कैथलिक चर्च की प्रधानता कायम होने से प्यूरिटनों को कष्ट हुआ और वे अंसतुष्ट हुए.

ब्रिटिश सरकार की दमन-नीति का प्रतिकूल प्रभाव उपनिवेशों पर पड़ा. वे आपस में संगठित हो गए. 5 सितम्बर, 1774 ई. को फिलेडेलफिया में पहली कांग्रेस की बैठक हुई. उपनिवेशवासियों ने अपने अधिकारों का एक घोषणापत्र तैयार किया. ब्रिटिश संसद द्वारा पारीय कानूनों को समाप्त करने की माँग की गई. ब्रिटेन के साथ आयात-निर्यात बंद करने का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ. लॉर्ड नॉर्थ ने उपनिवेशों के साथ समझौता का प्रस्ताव रखा लेकिन लॉर्ड नॉर्थ का प्रस्ताव देर से आया तबतक युद्ध की घोषणा हो चुकी थी. इसे ही अमेरिका का स्वातंत्र्य-संग्राम का जाता है.

आपने यदि अमेरिका का स्वतंत्रता-संग्राम वाला पोस्ट नहीं पढ़ा है, तो उसे जरुर पढ़ें. पढ़ने के लिए क्लिक करें >> American Revolution in Hindi

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