1857 Ki Kranti -Sepoy Rebellion/Mutiny in Hindi

Sansar Lochan#AdhunikIndia, History, Modern History

1857 ki kranti

1857 Ki Kranti

आज मैं 1857 ki Kranti के विषय में केवल उन्हीं तथ्यों को लिखूंगा जो आपकी परीक्षा में काम आ सकें.

ठीक है, तो बताइये कि १८५७ की क्रांति किस ब्रिटिश गवर्नर जनरल के शासन काल में हुई थी? नहीं पता है तो आगे पढ़िए.

लॉर्ड डलहौजी के पश्चात् लॉर्ड कैनिंग गवर्नल जनरल (governor general) बनकर भारत आया और इसी के शासन काल में १८५७ ई. में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह हुआ. शीघ्र ही यह विद्रोह मेरठ, कानपुर, बरेली, झाँसी, दिल्ली और लगभग पूरे भारत में जड़ें जमाने लगा.

ऐसे तो कई  लोग 1857 ki Kranti के होने के कई कारण (Causes) देते हैं पर असल में यह एक सैनिक विद्रोह (Sepoy mutiny) ही था. इस विद्रोह का आगाज़ भारतीय सैनिकों द्वारा अपने अँगरेज़ सैनिक अधिकारियों के विरुद्ध हुआ, किन्तु तुरंत ही यह विद्रोह एक बड़ा रूप लेने लगा और एक जनव्यापी विद्रोह बन कर उभरा. 1857 ki Kranti को प्रथम भारतीय संग्राम भी कहा जाता है.

चलिए अब विद्रोह के कारण जान जाएँ (Reasons of this Mutiny)….

१८५७ विद्रोह के कारण

१. राजनीतिक कारण
२. आर्थिक कारण
३. सामाजिक कारण
४. धार्मिक कारण
५. सैनिक कारण
६. तात्कालिक कारण

1857 के विद्रोह के राजनीतिक कारण- Political Causess of 1857 Revolt

१. लॉर्ड डलहौजी का Doctrine of Lapse, जिसे हिंदी में हड़प नीति कहा जा सकता है या भारत को हड़पने की नीति भी कह सकते हैं, इसके कारण तत्कालीन राजवंशों में असंतोष, आक्रोश व्याप्त हो गया था.

२. भले ही बहादुरशाह जफर एक नाममात्र का शासक था किन्तु उसको चाहने वाले अब भी बाकी थे. अंग्रेजों ने 1835 ई. के पश्चात् मुग़ल बादशाह का आदर सम्मान करना बंद कर दिया था जिससे कुछ बहादुर शाह को चाहने वाले अंग्रेजों से क्षुब्ध थे.

३. नाना साहब की पेंशन बंद हो गयी थी. ऐसे ही कई देशी नरेश व्यक्तिगत रूप से अंग्रेजों से क्षुब्ध चल रहे थे.

४. अंग्रेजों ने नौकरी देने के सम्बन्ध में भारतीयों के साथ भेदभाव किया. इसलिए भारतीय युवा भी ब्रिटिश शासन से खफा थे.

1857 के विद्रोह के आर्थिक कारण- Economic Causes of 1857 Rebellion

१. लॉर्ड विलियम बैंटिक ने भारतीय जमींदारों से उन्हें इनाम में मिली भूमि को छीन लिया था, परिणामस्वरूप भारतीय जमींदार गरीब और निस्सहाय हो गए थे.

२. अंग्रेजों की व्यापारिक नीति के कारण भारतीय उद्योग-धंदे चौपट हो गये थे. धंधे में लगे लोग बेरोजगार हो गए थे.

३. भारतीय किसान भी अंग्रेजों के लगान और रैयतवाड़ी या महलवाड़ी कु-व्यवस्थाओं के कारण क्रोधित थे. किसानों की दशा बद से बदतर हो गयी थी.

1857 के विद्रोह के सामाजिक कारण- Social Causes of 1857 Mutiny

१. अंग्रेजों ने जाति नियमों की उपेक्षा की. विलियम बैंटिक ने सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया. भारतीय रुढ़िवादी आहत थे.

sati_pratha

२. अंग्रेजों द्वारा चलाये गए रेल, डाकतार आदि को भारतीयों ने भ्रमवश गलत अर्थ में लिया. उन्होंने सोचा कि ये साधन ईसाई धर्म के प्रचार के लिए है.

३. अंग्रेजों ने पाश्चात्य सभ्यता, संस्कृति, भाषा एवं साहित्य का अधिकाधिक प्रचार किया और भारतीय संस्कृति, भाषा-साहित्य को नीचा दिखाया, इससे भी लोग क्षुब्ध थे.

४. भारतीय रजवाड़ों को अपने अंकुश में रखा. रह-रह कर रजवाड़ों की बेज्जती भी करते थे.

1857 के विद्रोह के धार्मिक कारण- Religious Causes of 1857 ki Kranti

१. अँगरेज़ हिन्दू धर्म व इस्लाम की खुल कर आलोचना करते थे. इससे हिन्दू-मुस्लिम धर्म के लोगों को ठेस पहुँचती थी.

२. शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से अंग्रेजों ने ईसाई धर्म का जोर-शोर से प्रचार किया ताकि आने वाली भारतीय पीढ़ी का ईसाई धर्म के प्रति रुझान हो. इससे भी भारतीय रुष्ट थे. आधुनिक भारतीय शिक्षा का विकास का किस तरह हुआ, जानने के लिए क्लिक करें>> आधुनिक भारतीय शिक्षा का विकास

३. ईसाई धर्म स्वीकार करने वालों को सरकारी नौकरी, उच्च पद तथा अनेक सुविधाएँ प्रदान की गयीं. हिन्दू एवं मुस्लिम खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे.

1857 के विद्रोह  के सैनिक कारण- Military Causes of the Great Revolt of 1857

१. भारतीय सैनकों के साथ अँगरेज़ भेद-भाव करते थे, चाहे वह प्रोन्नति या नियुक्ति का मामला हो…हिन्दू-मुस्लिम को हेय दृष्टि से देखा जाता था.

२. प्रथम अफगान युद्ध में अंग्रेजों की पराजय से भारत में भारतीय सैनिकों के आत्मबल में वृद्धि हुई. उन्हें अब लगने लगा की अंग्रेज़ी शक्ति को भी परास्त किया जा सकता है.

३. मंगल पाण्डे वाली स्टोरी तो आप जानते ही होंगे. वही कारतूस वाला मामला. पर इसको तात्कालिक कारण में डालना ठीक होगा.

४. बंगाल सेना में जो ब्राह्मण, राजपूत जाति के थे, वे भारत देश से बाहर जाना नहीं चाहते थे, उन्हें लगता था कि बाहर जाकर उनका धर्म भ्रष्ट हो जायेगा. पर अंग्रेजों ने ऐलान किया कि सैनिकों को सेवा करने के लिए कहीं भी भेजा सकता है.

1857 के विद्रोह  के तात्कालिक कारण- Immediate Causes of 1857 Sepoy Mutiny

लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में सैनिकों को एक ऐसे कारतूस का प्रयोग करना पड़ा, जिसमें गाय और सूअर की चर्बी लगी थी जिसे मुँह से काटना पड़ता था (सच्ची????Oh my god)….इससे हिन्दू और मुसलमान सैनिकों में भारी रोष उत्पन्न हो गया.

विद्रोह के प्रमुख केंद्र और केंद्र के प्रमुख नेता (Leaders of revolt of 1857)

१. दिल्ली– बहादुरशाह (Bahadur Shah)

२. कानपुर– नाना साहब (Nana Saheb)

३. लखनऊ– बेगम हजरत महल (Beghum Hazrat Mahal)

४. इलाहाबाद– लियाकत अली (Liyaqat Ali)

५. झाँसी– रानी लक्ष्मीबाई (Rani Lakshmibai)

६. जगदीशपुर (बिहार)– कुँवर सिंह (Kunwar Singh)

७. बरेली – खान बहादुर

८. फैजाबाद – मोलवी अहमदउल्ला

९. गोरखपुर – गजाधर सिंह

१०. फर्रुखाबाद – नवाब तफज्जल हुसैन

११. सुल्तानपुर – शहीद हसन

१२. संभलपुर – सुरेन्द्र साई

१३. हरियाणा – राव तुलाराम

१४. मथुरा – देवी सिंह

१५. मेरठ – कदम सिंह

१६. सागर – शेख रमजान

१७. गढमंडला — शंकरशाह एवं राजा ठाकुर प्रसाद

१८. रायपुर – नारायण सिंह

१९. मंदसौर – शाहजादा हुमायूं (फ़िरोज़शाह)

विद्रोह का दमन और अंग्रेज़ अधिकारी एवं विद्रोह नेता

विद्रोह का स्थान अधिकारी विद्रोही नेता
इलाहाबाद कर्नल नील लियाकत अली
झांसी कैप्टन ह्यूरोज़ रानी लक्ष्मीबाई
पटना आऊट्रूम/विंसेट आयर कुंवर सिंह
दिल्ली कैम्पबेल बख्त खां
कानपुर कैम्पबेल नाना साहब
बरेली कैम्पबेल खान बहादुर
जगदीशपुर जनरल आयर टेलर कुंवर सिंह
लखनऊ कैम्पबेल बेगम हजरत महल/बिजरिस कादिर
वाराणसी कर्नल नील लियाकत अली

विद्रोह की असफलता के कारण (Causes of Failure of 1857 ki Kranti)

1857 ई. में व्यापक पैमाने पर हुए इस विद्रोह में भारतीय सैनिकों की संख्या अंग्रेजों की सैनिकों की संख्या से कहीं अधिक थी. यही कारण रहा कि प्रारम्भ में अनेक स्थानों पर भारतीयों को सफलता प्राप्त हुई. किन्तु अंत में इस विद्रोह का दमन कर दिया गया.

१. विद्रोह का प्रारम्भ समय से पूर्व होना

विद्रोह की तिथि 31 मई, 1857 निर्धारित की गयी थी, किन्तु बैरकपुर में सैनिकों ने उत्साह में आकर समय से पूर्व ही विद्रोह कर दिया जिसके कारण भारत में एक साथ विद्रोह नहीं हो सका.

२. राष्ट्रीय भावना का अभाव

राष्ट्रीय भावना के अभाव के कारण भारतीय समाज के सभी वर्गों ने विद्रोह में साथ नहीं दिया बल्कि सामंतवर्ग अंग्रेजों के साथ ही चिपके रहे.

३. कमजोर नेतृत्व

bahadur_shah

लोग बहादुरशाह जफर को इतने बड़े विद्रोह का नेतृत्वकर्ता बनाने के फ़िराक में थे जो खुद अपने जीवन की उलटी गिनती गिन रहा था. लोगों की मानसिकता यह थी कि चूँकि मुगलों ने भारत पर इतने साल राज किया है, तो बहादुर शाह को ही इस विद्रोह की कमान सौंपी जाए.

बहादुर शाह एक कवि भी था. विद्रोह की असफलता, दिल्ली की बरबादी और अपनी बेबसी से खिन्न होकर उसने यह शेर लिखा था—

“दमदमे में दम नहीं अब खैर मानो जान की… ऐ जफ़र ठंडी हुई शमशीर हिन्दुस्तान की.”

४. सैनिक दुर्बलता

भारतीय सेना अंग्रेजी सेना के सामने कुछ नहीं थी. यही कड़वा सच है. अंग्रेजी सेना कुशल और संगठित थी और भारतीय सैनिकों में आपस में ही विभिन्न विचार और मत थे.

५. आवागमन तथा संचार के साधन

डलहौजी ने भारत में रेलवे और सड़कों पर बहुत काम किया था. संचार के जाल को फैलाने में उसका बहुत बड़ा हाथ था. ये सड़कें, पटरी पर दौड़ती रेलें अंग्रेजों के लिए युद्ध को दबाने के लिए बहुत सहायक सिद्ध हुए.

६. धन का अभाव

nirmala sitharaman

आज भी देश के रक्षा मंत्री कुछ शस्त्रों पर खर्च कर दें तो देश की जनता हो-हल्ला मचाने लगती है, कहने लगती है कि गरीबों पर खर्च करो, गरीबी दूर करो, फिर सैन्य सामग्री लेना. हद है.

1857 के समय भारत में क्रांतिकारियों के पास न पैसे थे और न उचित अस्त्र-शस्त्र. उनकी दयनीय स्थिति का अंग्रेजों ने भरपूर लाभ उठाया.

ये थे सन् सत्तावन की क्रांति में सामरिक हार के कारण. परन्तु इससे यह नहीं समझना कि वह क्रांति, क्रांति नहीं थी, या उसे राजनीतिक सफलता प्राप्त नहीं हुई. वह पहले दर्जे की क्रांति थी और उसे राजनीतिक दृष्टि से असाधारण सफलता प्राप्त हुई. 1958 के अंत में राजनीतिक दृष्टि से वह भारत सर्वथा लुप्त हो चुका था, जो 1857 के मई मास के आरम्भ में था. 57 की क्रांति ने उसकी अंतरात्मा में ऐसा भारी परिवर्तन कर दिया था कि लगभग एक सदी तक उसे दबाने की चेष्टा करके भी अंग्रेज सफल न हो सके. सन् १९४७ का राज्य-परिवर्तन सन् १८५७ की क्रान्ति की प्रेरणा का ही अंतिम फल था.

1857 ई. के विद्रोह के परिणाम (Consequences of revolt of 1857)

  1.  1857 ki Kranti के बाद ब्रिटेन में हल्ला मच गया. वहाँ के सरकार को लगने लगा कि ईस्ट इंडिया कंपनी भारत को संभाल नहीं पायेगी. 1858 ई. में ब्रिटिश संसद में एक कानून पारित हुआ और ईस्ट इंडिया कम्पनी के भारत में शासन का अंत कर दिया गया. भारत का शासन अब महारानी के हाथ में चला गया.
  2. 1858 ई. में पारित हुए कानून के अनुसार गवर्नर जनरल के पद में परिवर्तन कर उसे वायसराय नाम प्रदान किया गया. Viceroy (Vice = उप और Roy =राजा) अर्थात् राजा का प्रतिनिधि.
  3. सेना का पुनर्गठन किया गया. अँगरेज़ सैनिकों की संख्या में वृद्धि की गयी. तोपखाना पूरी तरह से अंग्रेजों के अधीन कर दिया गया.
  4. देर आये दुरुस्त आये. अब भारतीयों में राष्ट्रीय भावना के विकास ने गति पकड़ ली.
  5. 1858 ई. के अधिनियम के अंतर्गत ब्रिटेन में एक “भारतीय राज्य सचिव” का पद बनाया गया. इसके सहयोग के लिए 15 सदस्यों की एक “मंत्रणा परिषद्” भी बनाई गई. इन 15 सदस्यों में 8 लोगों की नियुक्ति सरकार द्वारा किए जाने और 7 की नियुक्ति कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा चुने किये जाने का प्रावधान रखा गया.
  6. सैन्य पुनर्गठन करने के लिए यूरोपीय सैनिकों की संख्या को बढ़ा दिया गया और उन्हें ऊँचे-ऊँचे पोस्ट पर रखा गया. भारतीय सैनिकों की भर्ती में कमी आई. सेना में भारतीयों और अंग्रेजों का अनुपात 2:1 हो गया.  विद्रोह के पहले यही अनुपात 5:1 था. तोपखानों पर सम्पूर्ण रूप से अंग्रेजी सेना का अधिकार हो गया.

विद्रोह का महत्त्व : Importance of the 1857 Revolt 

1857 के विद्रोह का योगदान इस रूप में है कि इस विद्रोह ने भारत को एक राष्ट्र के रूप में संगठित करने और  राष्ट्रीय भावना विकसित करने में मदद किया. इस विद्रोह ने भारतीयों को एकता और संघठन का पाठ पढ़ाया जो भविष्य में सभी भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना. विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन ने भारत के प्रति अपने उत्तरदायित्व को आभास किया और वह भारत की बिगड़ी स्तिथि को सुधारने के लिए अग्रसर हुआ.

अगले लेख में हम उन्नीसवीं शताब्दी के अन्य विद्रोहों के बारे में पढेंगे जैसे- कोल विद्रोह, संथाल विद्रोह, खासी विद्रोह, अहोम विद्रोह, पागल पंथी विद्रोह, फरैज़ियों का विद्रोह, भील विद्रोह, बघेरा विद्रोह, रॉमोसी विद्रोह, सूरत का नमक आन्दोलन, गाडकारियों का विद्रोह, कूका आन्दोलन, वहाबी आन्दोलन आदि.

अब कुछ सवालों के जवाब दें (MCQ Quiz). ये प्रश्न विभिन्न परीक्षाओं (UPSC, SSC, Railway आदि परीक्षाओं) में आ चुके हैं.

सवाल-जवाब

1. 1857 ई. के विद्रोह का तात्कालिक कारण था-

a) साम्राज्यवादी शोषण की नीति

b) ब्रिटिश सरकार की नीतियों से तीव्र असंतोष

c) आधुनिक शिक्षा प्रणाली को लागू करना

d) चर्बी वाले कारतूसों का मामला

2. 1857 ई. के विद्रोह के बारे में कई विचार नीचे दिए गए हैं, इनमें से कौन-सा विचार विद्रोह के सच्चे स्वरूप का द्योतक है?

a) यह अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के शोषण को समाप्त करने का प्रयास था

b) यह भूतपूर्व नरेशों को पुनः सत्ता प्राप्त करने का प्रयास था

c) यह अंग्रेजों को यह बताने का प्रयास था कि भारतीय हथियार के बल पर भी उन्हें मारकर भगाने में समर्थ हैं

d) यह भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने का प्रयास था

3. 1857 ई. के विद्रोह (1857 Ki Kranti) का आरंभ –

a) दिल्ली से हुआ

b) आगरा से हुआ

c) झाँसी से हुआ

d) मेरठ से हुआ

4. 1857 ई. के विद्रोह में कानपुर में क्रांतिकारियों का नेता था-

a) जनरल बख्त खां

b) तात्या टोपे

c) नाना साहब

d) कुँवर सिंह

5. “हड़प की नीति (Doctrine of lapse)” की नीति अपनाई गयी थी —

a) लॉर्ड विलियम बेंटिक के द्वारा

b) डलहौजी के द्वारा

c) लॉर्ड हार्डिंग्ज के द्वारा

d) लॉर्ड वेलेजेली के द्वारा

6. 1857 ई. के विद्रोह (1857 Ki Kranti) के अनेक कारण थे. निम्न में से कौन-सा कारण 1857 ई. के विरोह का कारण नहीं  था?

a) अंग्रेजों द्वारा भारतीयों का आर्थिक शोषण

b) भारतीय शासकों का असंतोष

c) धार्मिक कारण

d) भारतीयों की आर्थिक समृद्धि

7. किस वर्ष भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत हुआ?

a) 1857 ई.

b) 1835 ई.

c) 1847 ई.

d) 1867 ई.

8. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत  है?

a) लॉर्ड डलहौजी की हड़प की नीति 1857 ई. के विद्रोह के लिए उत्तरदायी थी

b) लॉर्ड डलहौजी की मुग़ल बादशाह को उसके विशेषाधिकारों से वंचित करने की नीति 1857 ई. के विद्रोह के लिए उत्तरदायी थी

c) 1857 ई. के विद्रोह के लिए अंग्रेजी शिक्षा उत्तरदायी थी

d) कम्पनी की सेना में भारतीयों सैनिकों का असंतोष 1857 ई. के विद्रोह के लिए उत्तरदायी था.

9. 1857 के विद्रोह (1857 Ki Kranti) दमन के उपरान्त तात्या टोपे के साथ क्या घटा?

a) उसे भारत से निर्वासित किया गया

b) युद्ध में लड़ते हुए उसकी मृत्यु हो गई

c) वह अपने साथी के विश्वासघात के कारण पकड़ा गया और फाँसी पर लटका दिया गया

d) कोई नहीं जानता कि उसके साथ क्या हुआ

10. 1857 ई. के विद्रोह के समय बिहार में क्रांतिकारियों का नेता कौन था?

a) मौलवी अहमदशाह

b) बहादुरशाह जफ़र

c) राजा तेज सिंह

d) कुँवर सिंह

11. 1857 ई. के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल (Governor General) कौन था?

a) डलहौजी

b) कैनिंग

c) ऑकलैंड

d) रिपन

12. 1857 ई. के विद्रोह का किस रियासत ने समर्थन किया था?

a) जयपुर

b) जोधपुर

c) हैदराबाद

d) जगदीशपुर

English Summary

Today I wrote an article related to 1857 mutiny. This article will prove to be very beneficial for Hindi-medium students because in modern history, the Sepoy mutiny is the most important chapter covering a large number of questions in exams like Civil Services, SSC, Railway etc.

The Sepoy mutiny started from Meerut and it spread country-wide like fire. After Lord Dalhousie, Lord Canning came to India as a Governor-General. 1857 mutiny occurred was the first Indian revolt against the Britishers. We discussed about political, economic, social, religious, military and immediate causes of the Sepoy rebellion. We named the leaders involved in the revolt in different cities or states.

Lack of appropriate leadership, want of nationalist spirit among Indians, weak Indian military, dearth of money were the top reasons of the failure of this mutiny. After the 1857 war of independence, the East India Company was replaced by that of the British government.

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]