सामान्य अध्ययन पेपर – 2
Q1. CBI की कार्यप्रणाली से सम्बंधित वर्तमान समस्याओं के बारे में विस्तार से चर्चा करें.
Syllabus :-
“कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य-सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका”
उत्तर :-
CBI भारत सरकार की एक मूर्धन्य गवेषणात्मक एजेंसी है, परन्तु इसकी कार्यशैली और कार्यक्षमता को लेकर बहुधा सवाल उठाये जाते हैं. वास्तव में इस संस्था को कुछ मूलभूत समस्याओं का सामना करना पड़ता है. नीचे इन समस्याओं और बाधाओं के बारे में संक्षिप्त विवरण दिया जा रहा है –
विधायी समस्याएँ
- इसके कार्य केवल सरकारी संकल्प पर आधारित होते हैं. यह संकल्प DPSE अधिनियम 1946 के प्रावधानों के अनुरूप होता है.
- कुछ मामलों में यह पूरी तरह राज्य सरकारों की अनुमति पर निर्भर है.
प्रशासनिक बाधाएँ
- CBI का अपना कोई कैडर नहीं है और इसका कार्यकलाप प्रतिनियुक्त अधिकारियों के हाथों में होता है. ऐसे में इन अधिकारियों के निर्णयों पर सरकार का प्रभाव हो सकता है.
- यहाँ कार्मिकों की संख्या अपर्याप्त होती है, इसलिए कभी-कभी मामले लम्बी अवधि तक टल जाते हैं.
- यह कभी-कभी आंतरिक विवाद का केंद्र भी बन जाता है जैसे हाल ही में निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद उत्पन्न हो गया और बातें सार्वजनिक रूप से बाहर आ गईं.
अधिकार क्षेत्रों का टकराना
कभी-कभी CBI के अधिकार क्षेत्र CVC और लोकपाल के क्षेत्राधिकार से टकरा जाते हैं जिससे समस्याएँ पैदा हो जाती हैं.
पारदर्शिता का अभाव
CBI को सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI), 2005 के प्रावधानों से छूट प्रदान की गई है.
Q2. सांसदों या विधायकों के विशेषाधिकार क्या हैं? विशेषाधिकार कितने प्रकार के होते हैं? चर्चा करें.
Syllabus :-
“संसद और राज्य विधायिका – संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय”.
उत्तर :-
भारतीय संविधान में सांसदों और विधायकों को (क्रमशः अनुच्छेद 105 और 194 के तहत) कुछ विशेषाधिकार मिले हुए हैं जिनका उद्देश्य इनको स्वतंत्र होकर कार्य करने की छूट देना है. विशेषाधिकारों की अवधारणा का उद्भव ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में हुआ था.
सांसदों या विधायकों के विशेषाधिकार निम्नलिखित हैं –
- सदन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा.
- सदनों में किये गये व्यवहार के सम्बन्ध में न्यायिक मुकदमेबाजी से सुरक्षा.
- भाषण, मुद्रण या प्रकाशन के जरिये किसी भी अपमान के विरुद्ध सुरक्षा.
सांसदों/विधायकों को विशेषाधिकार मिलने से संसद की संप्रभुता सुनिश्चित होती है. सांसदों को विशेषाधिकार प्राप्त होने पर उनके कार्य संचालन में अनावश्यक प्रभाव नहीं पड़ता और न ही वे किसी के दबाव में काम करते हैं.
विशेषाधिकार दो प्रकार के होते हैं –
- सामूहिक विशेषाधिकार
- व्यक्तिगत
सामूहिक विशेषाधिकार
- सदन की कार्यवाही से बाहरी लोगों को अपवर्जित करना.
- विधायिका की गुप्त बैठक बुलाना.
- प्रेस को गुप्त बैठकों के मामले से दूर रखना.
- सदन की कार्यवाही (भाषण, मतदान इत्यादि) की जाँच करने से न्यायालय को प्रतिबंधित किया गया है.
व्यक्तिगत
- सत्र के दौरान तथा सत्र के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तारी से सांसदों को सुरक्षा प्राप्त है. हालाँकि, यह सुरक्षा केवल सिविल मामलों में ही प्राप्त है, आपराधिक मामलों में नहीं.
- संसद में दिए गये किसी भी वक्तव्य के लिए न्यायालय की कार्यवाही से उन्मुक्ति.
- सदन के सत्र में होने के दौरान साक्षी के रूप में उपस्थिति से उन्मुक्ति.
Q3. भारतीय संविधान के अंतर्गत राज्यपाल द्वारा राज्य विधानमंडल को विघटित करने के लिए क्या प्रावधान हैं? राज्यपाल को प्राप्त विघटन की शक्तियों से सम्बंधित वर्तमान मुद्दे की चर्चा कीजिए.
Syllabus :-
“संसद और राज्य विधायिका – संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय”.
उत्तर :-
अनुच्छेद 172 यह प्रावधान करता है कि राज्य की विधान सभा यदि समय से पहले विघटित नहीं की जाती है तो वह पाँच वर्ष तक बनी रहेगी.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 (2)(b) में प्रावधान है कि राज्यपाल समय-समय पर विधान सभा का विघटन कर सकता है. अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के अनुसार यदि राष्ट्रपति राज्यपाल द्वारा प्रस्तुत विघटन सम्बन्धी प्रतिवेदन से आश्वस्त हो जाता है तो वह उद्घोषणा के जरिये सम्बंधित राज्य की सरकार की सभी शक्तियां अपने हाथ में ले लेता है. वह यह भी घोषित कर सकता है कि राज्य के विधानमंडल की शक्तियां अब संसद या उसके प्राधिकार के अधीन प्रयोग की जाएँगी.
भले ही अनुच्छेद 174 के तहत राज्यपाल को विधानमंडल को विघटित करने का अधिकार प्राप्त है पर संविधान में इस विषय में इस बात का कोई उल्लेख नहीं है कि किस परिस्थिति में और किस अवधि के लिए सदन को विघटित किया जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर के संविधान के संदर्भ में राज्यपाल को विधानमंडल को विघटित करने का अधिकार अनुच्छेद 52 में निहित है.
हाल के दिनों, राजनैतिक अस्थिरता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर में राज्य विधानसभा को राज्यपाल द्वारा विघटित कर दिया गया था. इस विघटन के पीछे “भविष्य में राजनीतिक अस्थिरता की संभावना” संबंधी तर्क दिया गया. कुछ दलों का तर्क था कि यह विघटन अलोकतांत्रिक है. लेकिन राज्यपाल का विचार था कि यदि विधानमंडल को भंग नहीं किया जाता तो राजनीतिक दल आपस में विधान सभा सदस्यों की खरीद-फरोख्त कर गठबंधन की सरकार बनाने का प्रयास करते जो न केवल अनैतिक होता अपितु अस्थिरता को ही जन्म देती.
“संसार मंथन” कॉलम का ध्येय है आपको सिविल सेवा मुख्य परीक्षा में सवालों के उत्तर किस प्रकार लिखे जाएँ, उससे अवगत कराना. इस कॉलम के सारे आर्टिकल को इस पेज में संकलित किया जा रहा है >> Sansar Manthan
One Comment on “[संसार मंथन] मुख्य परीक्षा लेखन अभ्यास – Polity GS Paper 2/Part 15”
Very good site for hundastani hindi medium civil s……