Sansar डेली करंट अफेयर्स, 28 October 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 28 October 2019


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : Vigilance Awareness Week

संदर्भ

इस वर्ष 28 अक्टूबर से 2 नवम्बर तक केन्द्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) के तत्त्वावधान में “सतर्कता जागरूकता सप्ताह”/Vigilance Awareness Week मनाया जा रहा है. जिसकी थीम होगी :- इमानदारी – जीने का एक ढंग (Theme of the Vigilance Awareness Week).

CVC क्या है?

  • पूर्व NIA प्रमुख शरद कुमार को (चार साल की अवधि के लिए/65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक) Vigilance Commissioner के रूप में नियुक्त किया गया है.
  • यह सतर्कता से सम्बंधित देश की सर्वोच्च संस्था (vigilance institution) है.
  • यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है.
  • यह एक संवैधानिक संस्था नहीं है अपितु Santhanam committee की सिफारिशों के आधार पर एक कार्यकारी आदेश से इसका गठन 1964 में किया गया.
  • इस आयोग में एक केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं.
  • इनका चयन प्रधान मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा के विपक्षी के नेता मिल कर करते हैं और उस पर राष्ट्रपति मुहर लगाते हैं.
  • यदि कोई विपक्ष का नेता नहीं है तो लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी का नेता इस चयन में भाग लेता है.
  • इनका कार्यकाल 4 साल का अथवा आयुक्त के 65 वर्ष के हो जाने तक होता है.
  • दुर्व्यवहार और अयोग्यता साबित हो जाने पर राष्ट्रपति केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त और अन्य सतर्कता आयुक्त को हटा सकता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Eligibility Criteria for Grant of Maharatna, Navratna and Miniratna Status

संदर्भ

भारत सरकार की ओर से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड और पॉवर ग्रिड कारपोरेशन को महारत्न की पदवी दी गई है.

महारत्न बनने के लाभ

  • महारत्न की पदवी मिलने से इन लोक उपक्रमों को अधिक संचालनात्मक और वित्तीय स्वायत्तता मोल जायेगी और इनके बोर्डों की वित्तीय निर्णय लेने की शक्ति बढ़ जायेगी.
  • इन लोक उपक्रमों के बोर्ड अब वित्तीय जॉइंट वेंचर तथा पूर्ण स्वामित्व वाले सब्सीडियरी में इक्विटी का निवेश कर सकेंगे तथा भारत और विदेश में विलय एवं अधिग्रहण का काम कर सकेंगे. परन्तु इसके लिए प्रत्येक परियोजना में उच्चतम सीमा 5,000 करोड़ की होगी.
  • महारत्न बनने से यह लाभ होगा कि इन उपक्रमों के बोर्ड मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से सम्बंधित योजनाओं के ढांचे में परिवर्तन करते हुए उनका क्रियान्वयन कर पायेंगे.
  • महारत्न लोक उपक्रम को यह शक्ति होती है कि वह नई इक्विटी निकाल सकते हैं, संपदाओं का हस्तांतरण कर सकते हैं तथा सब्सीडियरी के शेयरों का विनिवेश कर सकते हैं.

महारत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मानदंड

  1. कंपनी को नवरत्न कंपनी होना चाहिए.
  2. कम्पनी को भारतीय शेयर बाजार में पंजीकृत होना चाहिए और सेबी द्वारा तय की गयी सीमा के हिसाब से कुछ शेयर आम लोगों के पास होने चाहिए.
  3. पिछले 3 वर्षों के दौरान कंपनी का औसत वार्षिक कारोबार (Average annual turnover) 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का होना चाहिए.
  4. पिछले 3 वर्षों के दौरान कंपनी की कुल औसत वार्षिक शुद्ध मूल्य 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए.
  5. पिछले 3 वर्षों के दौरान ‘कर चुकाने’ के बाद कंपनी का कुल लाभ 5,000 करोड़ रुपये से अधिक होना चाहिए.
  6. कंपनी का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात होना चाहिए.

नवरत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मानदंड

  1. किसी कंपनी को नवरत्न कम्पनी का दर्जा तभी मिलता है जब वह पहले से ही मिनीरत्न कम्पनी की कैटेगरी 1 में रजिस्टर्ड हो और उसने पिछले 5 सालों में से 3 साल उत्कृष्ट (excellent) ‘या’ बहुत अच्छा (very good) की रेटिंग हासिल की हो.
  2. कंपनी ने नीचे दिए गए 6 प्रदर्शन मापदंडों में कम से कम 60 या उससे अधिक का स्कोर प्राप्त किया हो.
  3. छह प्रदर्शन मापदंड इस प्रकार हैं:
  1. प्रति शेयर कमाई
  2. कम्पनी की शुद्ध पूँजी और शुद्ध लाभ
  3. उत्पादन की कुल लागत के सापेक्ष मैनपॉवर (manpower) पर आने वाली कुल लागत
  4. ब्याज भुगतान से पहले लाभ और कुल बिक्री पर लगा कर
  5. मूल्यह्रास के पहले कम्पनी का लाभ, वर्किंग कैपिटल पर लगा टैक्स और ब्याज
  6. जिस क्षेत्र की कंपनी है उसमे कम्पनी का प्रदर्शन

मिनीरत्न कम्पनी बनने के लिए निम्न मानदंड

केन्द्रीय सार्वजानिक क्षेत्र की वे कम्पनियाँ जिन्होंने;
1. पिछले लगातार तीन सालों से लाभ कमाया हो
2. जिनकी कुल संपत्ति धनात्मक हो उनको मिनीरत्न कम्पनी का दर्जा दे दिया जाता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : Who are the developing countries in the WTO?

संदर्भ

दक्षिण कोरिया ने कहा है कि उसकी वैश्विक आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो चुकी है, अतः वह विकासशील देशों को विश्व व्यापार संगठन की ओर से मिलने वाली विशेष सुविधाओं को अब नहीं चाहता है.

विदित हो कि 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के समय से ही एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश दक्षिण कोरिया विकासशील देश की पदवी धारण किये हुए है, विशेषकर इसलिए कि वह अपने कृषि उद्योग का संरक्षण करना चाहता था.

WTO के अनुसार विकासशील देश किसे कहते हैं?

विश्व व्यापार संगठन में विकसित और विकासशील देशों के लिए कोई परिभाषा निर्धारित नहीं है. इस संगठन के सदस्य-देश यह घोषणा स्वयं करते हैं कि वे विकसित हैं या विकासशील हैं. परन्तु संगठन के अन्य देश चाहें तो किसी देश के निर्णय को चुनौती दे सकते हैं.

विकासशील देश होने का लाभ क्या है?

विश्व व्यापार संगठन विकासशील देशों को कतिपय अधिकार देता है. उन्हें समझौतों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए अधिक समय मिलता. साथ ही व्यापार के अवसर को बढ़ाने तथा अपने व्यापारिक हितों की सुरक्षा करने का उन्हें अधिकार होता है. विकासशील देश विवादों के निष्पादन हेतु अपनी क्षमता को बढ़ाने तथा तकनीकी मानकों को लागू करने में विश्व व्यापार संगठन का सहयोग प्राप्त करते हैं.

ज्ञातव्य है कि विश्व व्यापार संगठन के प्राय: 2/3 देश अपने-आप को विकासशील देश घोषित किये हुए हैं और इस पदवी का लाभ उठा रहे हैं. अमेरिका और अन्य विकसित देश विकासशील देशों को मिलने वाले लाभों को समाप्त करने के पक्षधर हैं.


GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Awareness in the fields of IT, Space, Computers, robotics, nano-technology, bio-technology and issues relating to intellectual property rights.

Topic : IndiGen Genome project

संदर्भ

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (Council of Scientific & Industrial Research – CSIR) की परियोजना इंडीजेन जीनोम परियोजना के विवरण पिछले दिनों प्रकाशित हुए हैं.

इस परियोजना के क्रियान्वयन में दिल्ली की Genomics and Integrative Biology (IGIB) और हैदराबाद की CSIR-Centre for Cellular and Molecular Biology (CCMB) का सहयोग लिया गया है.

इंडीजेन कार्यक्रम क्या है?

  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत मानव जीनोम को क्रमबद्ध किया जाता है और प्रत्येक व्यक्ति की आनुवंशिक अनूठी बनावट और उसको होने वाले रोग के बीच सम्बन्ध की व्याख्या की जाती है.
  • चिकित्साशास्त्र का कहना है कि सिस्टिक फाइब्रोसिस (cystic fibrosis), थेलसिमिया जैसे अनेक रोग मात्र एक जीन की विकृति से जन्म लेते हैं.

इंडीजेन का उद्देश्य

  • इंडीजेन कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के विविध नस्ली समूहों के हजारों व्यक्तियों के जीनोम को पूरी तरह क्रमबद्ध करना है.
  • इस कार्यक्रम का लक्ष्य भारत के लोगों के जीनोम डाटा का उपयोग करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य तकनीकों में उनका प्रयोग करना है और आनुवंशिक रोगशास्त्र की समझ को बढ़ाना है.

महत्त्व

जीनोम इंडिया पहल के माध्यम से सामान्य रोगों के लिए जीनों और आनुवंशिक विविधताओं को पहचाने में सहायता मिलेगी. साथ ही इससे मेंडेलियन विकारों (Mendelian disorders) का उपचार करने में भी सहयोग मिलेगा. इसके अतिरिक्त भारत में प्रीसिजन मेडिसिन (Precision Medicine) के माध्यम से उपचार का मार्ग भी प्रशस्त होगा और फलतः देश के जनसामान्य के स्वास्थ्य की देखभाल में सुधार आएगा.

जीनोमिक्स क्या है?

  • किसी प्राणी के जीन सहित उसके पूरे DNA के क्रम को जीनोम कहते हैं.
  • जीनोमिक्स (Genomics) विज्ञान का वह बहु-शाखीय अध्ययन क्षेत्र है जिसमें जीनोमों की बनावट, कार्य, क्रमिक विकास, मानचित्रण और सम्पादन का अध्ययन होता है.
  • जीनोमिक्स में जीनोमों को क्रमबद्ध कर के उनका विश्लेषण किया जाता है.
  • जीनोमिक्स में हुई प्रगति के कारण मनुष्य को जटिल जैव-वैज्ञानिक प्रणालियों, यहाँ तक की मस्तिष्क को समझने में सहयता मिली है.

जीनोम को क्रमबद्ध करना आवश्यक क्यों?

मानव जीनोम को सबसे पहले 2003 में क्रमबद्ध किया गया था. तब से वैज्ञानिकों को यह पता है कि हर व्यक्ति की आनुवांशिक बनावट अनूठी होती है और उसका रोग से सम्बन्ध होता है. सिस्टिक फाब्रोसिस और थेलसिमिया जैसे लगभग 10,000 रोग इसलिए होते हैं कि कोई एक अकेला जीव ठीक से काम नहीं कर रहा होता है. जीनोम को क्रमबद्ध करने से यह सिद्ध हुआ है कि कैंसर भी कुछ अंगों का रोग न होकर आनुवांशिक भी हो सकता है.

विश्व-भर में चल रही जीनोम परियोजनाएँ

Genome Sequencing To Map Population Diversity

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CSIR) पूरे भारत वर्ष से लगभग 1,000 ग्रामीण युवाओं के जीनोमों को क्रमबद्ध करेगा जिससे कि देश की जनसंख्या का एक आनुवांशिक मानचित्र तैयार हो सके. इस परियोजना का उद्देश्य छात्रों को जीनोमिक्स की उपादेयता के विषय में जागरूक करना है. भारत सरकार पहले से एक वृहद् कार्यक्रम चला रही है जिसमें कम से कम दस हजार भारतीय जीनोमों को क्रमबद्ध किया जाना है. वर्तमान परियोजना उसी वृहद् परियोजना का एक अंश है. इस परियोजना के लिए जिन व्यक्तियों से जीनोमों के नमूने जमा किये जा रहे हैं वे देश की जनसांख्यिक विविधता को प्रदर्शित करते हैं. अधिकांश जीनोम महाविद्यालय के उन छात्र-छात्राओं से लिए जा रहे हैं जो जीव विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं. परियोजना का लक्ष्य है अधिक से अधिक महाविद्यालय के छात्रों तक पहुंचना और उन्हें जीनोमिक्स के सम्बन्ध में शिक्षित करना. इस परियोजना के फलस्वरूप वे अपनी जीनोम से प्रकट हुई सूचना के बारे में जान सकेंगे.

Earth Biogenome Project

अंतर्राष्ट्रीय जीव वैज्ञानिकों ने अर्थ बायो-जीनोम प्रोजेक्ट (BioGenome Project – EBP) नामक परियोजना आरम्भ की है. यह एक बड़े सोच वाली परियोजना है जिसमें अगले 10 वर्षों तक विश्व के एक-एक ज्ञात पशु, पौधे और फंफूद प्रजाति (fungal species) के DNA का अध्ययन किया जाएगा. इसके लिए 1.5 मिलियन अलग-अलग जिनेमों को क्रमबद्ध किया जाएगा जिसपर अनुमानतः 4.7 बिलियन डॉलर का व्यय आएगा.

EBP परियोजना में काम करने के लिए विश्व के 19 शोध संस्थानों ने अब तक अपने हस्ताक्षर कर दिए हैं और कुछ अन्य इसमें सम्मिलित होने की सोच रहे हैं. जिन प्राणियों की DNA शृंखला का अध्ययन होने वाला है, उनमें बैक्टीरिया और archaea जैसे अ-जटिल सूक्ष्म जीवाणुओं को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के प्राणी होंगे, जैसे – पशु, पौधे, फंफूद, प्रोटोजोआ आदि. इस परियोजना के लिए धनराशि सरकारों, फाउंडेशनों, धार्मादा प्रतिष्ठानों (charities) से प्राप्त की जायेगी. इस परियोजना के पहले चरण में 9,000 यूकेरियोटिक (eukaryotic) प्राणिवर्गों, अर्थात् उन प्राणियों जिनके कोषों में झिल्ली से घिरा एक नाभिक होता है, का रेफरेन्स जीनोम तैयार किया जाएगा. इसमें 600 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी और अभी तक 200 मिलियन डॉलर का प्रबंध हो भी चुका है. इस परियोजना में सम्मिलित ब्रिटेन के प्रतिभागी Wellcome Sanger Institute के नेतृत्व में देश में रहने वाले सभी 66,000 ज्ञात प्रजातियों के जेनेटिक कोड को क्रमबद्ध करेंगे. 100 मिलियन पौंड (£100m) वाले इस राष्ट्र-स्तरीय कार्यक्रम को Darwin Tree of Life का नाम दिया गया है.

100K Genome Asia Project

सिंगापुर-स्थित नान्यांग प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (Nanyang Technological University – NTU) के नेतृत्व में एक परियोजना चल रही है जिसमें 50 हजार भारतीयों सहित एक लाख एशियाई लोगों के सम्पूर्ण जीनोम को क्रमबद्ध किया जाएगा. इस योजना का नाम 100k जीनोम एशिया प्रोजेक्ट है. इसमें भारत के वैज्ञानिक और कंपनियाँ भी काम कर रही हैं. यह एक लाभ रहित परियोजना है जिसमें एशिया के एक लाख लोगों के जीनोम को इस उद्देश्य से क्रमबद्ध किया जा रहा है कि इससे एशिया महादेश के लोगों को सही-सही औषधि देना संभव हो जाएगा. इस परियोजना में डाटा विज्ञान एवं कृत्रिम बुद्धि (Artificial Intelligence – AI) के क्षेत्र में हुई प्रगतियों तथा डाटा विश्लेषण का भी सहारा लिया जाएगा. इसके लिए दक्षिण एशिया के 12 देशों तथा उत्तरी एवं पूर्वी एशिया के कम-से-कम 7 देशों के लोग चुने जाएँगे. प्रथम चरण में परियोजना में एशिया की सभी प्रमुख प्रजातियों के लिए चरणबद्ध reference genomes बनाने पर बल होगा. इससे एशिया की विभिन्न आबादियों के इतिहास और उसकी भीतरी बनावट को समझने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी. एक लाख व्यक्तिगत जीनोम को क्रमबद्ध करने के समय उससे माइक्रो-बायोम, चिकित्सकीय और फेनोटाइप सूचनाएँ भी जोड़कर रखी जायेंगी. इससे लाभ यह होगा कि स्थानीय समुदायों के मरे हुए और स्वस्थ जीवित व्यक्तियों के विषय में गहनतर विश्लेषण संभव हो सकेगा.


Prelims Vishesh

Shakti-2019 :-

  • 2019 का भारत-फ्रांस द्वि-वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास राजस्थान में होने जा रहा है.
  • इस अभ्यास का मुख्य ध्यान अर्ध-मरुस्थलीय धरती पर आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई पर दिया जाएगा.

INS Baaz :-

  • INS बाज़ ग्रेटर निकोबार द्वीप की केम्पबल खाड़ी में स्थित भारतीय सेना का सबसे दक्षिणी हवाई अड्डा है.
  • इसका मुख्य कार्य विमानों मानव रहित हवाई वाहनों का प्रयोग करके सामुद्रिक क्षेत्र से सम्बंधित सूचना एकत्र करना है.
  • केम्पबल खाड़ी का सैन्य महत्त्व बहुत ही अधिक है क्योंकि एक ओर यह खाड़ी इंडोनेशिया से मात्र 250 किलोमीटर की दूरी पर है तो दूसरी ओर यह 6 डिग्री चैनल के भी एक दम निकट है जहाँ से पूर्व एशिया के देशों के लिए कार्गो का सबसे अधिक आना-जाना होता है.

What is Uluru? :-

  • पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासी अनंगु समुदाय के कहने पर मध्य ऑस्ट्रेलिया में स्थित उलुरु नामक प्राचीन एवं पवित्र माने जाने वाले लाल बालू-पत्थर के विशाल खंड पर पर्वतारोहण सदा के लिए बंद कर दिया गया.
  • विदित हो कि यह एकलौता पत्थर 1,140 फुट ऊँचा है और इसकी परिधि 9.4 किलोमीटर है.

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