Sansar डेली करंट अफेयर्स, 27 November 2018

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Sansar Daily Current Affairs, 27 November 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : International Day for the Elimination of Violence against Women (IDEVAW)

संदर्भ

25 नवम्बर को प्रतिवर्ष पूरे विश्व में नारी के प्रति हिंसा के निराकरण का अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDEVAW) मनाया जाता है. इस वर्ष इस दिवस से सम्बंधित जो थीम रखी गई है, वह है – “Orange the World: #HearMeToo”. इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य है महिलाओं और बच्चियों के प्रति हिंसा के विषय में जागरूकता लाना और इस हिंसा को मिटाना.

इतिहास

  • विश्व में नारी के प्रति हिंसा के निराकरण का अंतर्राष्ट्रीय दिवस की स्थापना दिसम्बर 1999 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गई थी.
  • इस दिवस के अवसर पर उन तीन मिराबल बहनों को याद किया जाता है जो डोमिनिकन गणतंत्र की राजनैतिक कार्यकर्ता थीं. उस देश में Rafael Trujillo के निरंकुश शासन (1930-1961) के दौरान 1960 में इन बहनों की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी.

नारी के प्रति हिंसा क्या होती है?

नारी के प्रति हिंसा कई प्रकार से होती है, जैसे –

  • पति/प्रेमी द्वारा (मार-कुटाई, मानसिक यंत्रणा, व्यवाहिक बलात्कार, हत्या).
  • यौन हिंसा एवं उत्पीड़न (बलात्कार, जबरदस्ती, अनचाहा यौनाचार, बाल यौन उत्पीड़न, बलपूर्वक विवाह, गली में छेड़ना, पीछा करना, साइबर माध्यम से सताना).
  • मानव तस्करी (दासता, यौन शोषण).
  • नारी जननांगो को क्षति पहुँचाना.
  • बाल विवाह.

चिंताजनक आँकड़े

  • तीन स्त्रियों/बच्चियों में से एक शारीरिक अथवा यौन हिंसा का शिकार होती है.
  • विवाहित स्त्रियों में से केवल 52% यौन सम्बन्ध, गर्भनिरोध और स्वास्थ्य की देखभाल के विषय में अपने मन से निर्णय ले पाती हैं.
  • विश्व में 750 मिलियन स्त्रियाँ 18 वर्ष की उम्र के पहले ब्याह दी गई हैं तथा 200 मिलियन स्त्रियों और बच्चों के जननांग को क्षति पहुँचाई गई है.
  • 2012 में हर दो में से एक स्त्री को उसके जीवनसाथी अथवा परिवार ने ही मारा.
  • मानव तस्करी के शिकार होने वालों में 71% स्त्रियाँ होती हैं.
  • कैंसर, सड़क दुर्घटनाओं और मलेरिया से होने वाली मृत्यु की संख्या को यदि जोड़ दिया जाए तो उससे भी अधिक स्त्रियों की मृत्यु का बड़ा कारण हिंसा ही होती है.

GS Paper 1 Source: The Hindu

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Topic : Titli cyclone is ‘rarest of rare’

संदर्भ

अक्टूबर 2018 में ओड़िसा में आये भीषण चक्रवात तितली को अफ्रीका एवं एशिया के लिए क्षेत्रीय समेकित बहु-आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली (Regional Integrated Multi-Hazard Early Warning System (RIMES) for Africa and Asia) ने बिरले चक्रवात की संज्ञा दी है.

तितली बिरला चक्रवात कैसे?

ओड़िसा में पिछले 200 वर्षों में आये चक्रवातों का इतिहास खंगालने पर पता चलता है कि तितली चक्रवात वास्तव में बिरलों में भी बिरला था. ऐसा इसलिए कि तट पर आने के पश्चात् यह चक्रवात फिर से मुड़ गया था और फिर भी दो से अधिक दिनों तक इसकी विनाशकारी क्षमता ज्यों-की-त्यों रह गई.

RIMES क्या है?

RIMES (अफ्रीका एवं एशिया के लिए क्षेत्रीय समेकित बहु-आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली) एक अंतर-सरकारी निकाय है जो संयुक्त राष्ट्र में पंजीकृत है. इस निकाय का प्रबन्धन एशिया-प्रशांत और अफ्रीका क्षेत्र के 45 देश करते हैं. इसकी कार्यक्रम-इकाई थाईलैंड में स्थित है. वर्तमान में भारत इसका अध्यक्ष है.

RIMES की स्थापना 2004 में हिन्द-महासागर में आई सुनामी के पश्चात् हुई क्योंकि उस समय यह प्रबलता से अनुभव किया गया था कि चक्रवातों के बारे में समय पर चेतावनी देना परमावश्यक है जिससे जनधन की हानि को रोकी जा सके.

चक्रवातों का नाम कैसे पड़ता है?

सितम्बर 2004 में ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों से सम्बंधित एक अंतर्राष्ट्रीय पैनल ने निर्णय किया कि इस क्षेत्र के देश अपना-अपना नाम देंगे जिसके आधार पर बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाली आँधियों का नाम रखा जाएगा.

  • 8 देश – भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, श्रीलंका और थाईलैंड – ने 64 नाम सुझाए.
  • आँधी आने पर नई दिल्ली स्थित क्षेत्रीय विशेषज्ञ मौसम वैज्ञानिक केंद्र (Regional Specialized Meteorological Centre) नामों की सूची में से एक नाम चुनता है.

चक्रवातों का नाम देना आवश्यक क्यों है?

ज्ञातव्य है कि अटलांटिक आँधियों के लिए 1993 से ही नाम दिए जाते रहे हैं. परन्तु ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण पहले नहीं होता था क्योंकि यह भय था कि बहुल राष्ट्रीयता वाले इस क्षेत्र का कोई न कोई देश नाम के मामले में संवेदनशील हो सकता है. अब ऊष्णकटिबंधीय चक्रवातों का भी नामकरण होता है. इसका उद्देश्य यह है कि लोग किसी चक्रवात के बारे में आसानी से समझ सकें और याद रख सकें. ऐसा करने से आपदा के बारे में जागरूकता, तैयारी, प्रबंधन एवं उसके निवारण में सुविधा हो सके.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Constitution Day of India

संदर्भ

प्रत्येक वर्ष नवम्बर 26 को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भारत के संविधान को अंगीकार किया गया था. विदित हो कि यह संविधान आगे चल कर जनवरी 26, 1950 से लागू किया गया था.

  • संविधान का प्रारूप संविधान प्रारूप समिति के द्वारा तैयार किया गया था. संविधान सभा की स्थायी अध्यक्षता डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने की थी और प्रारूप समिति के अध्यक्ष बी.आर. अम्बेडकर थे.
  • पहले यह दिवस राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था.

संविधान का ब्रेल संस्करण

सरकार की एक परियोजना के अनुसार संविधान को ब्रेल लिपि में पाँच खंडों में पहली बार उपलब्ध कराया जाएगा जिससे दृष्टिबाधित व्यक्ति भी इसका लाभ उठा सकें. इस परियोजना में बौद्ध नेत्रहीन संघ, सावी फाउंडेशन तथा स्वागत थोराट का सहयोग लिया जा रहा है.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : ZSI report on Andaman & Nicobar Islands fauna

संदर्भ

हाल ही में भारतीय प्राणि सर्वेक्षण (Zoological Survey of India – ZSI) ने एक प्रतिवेदन प्रकाशित किया है जिसका नाम है – “Faunal Diversity of Biogeographic Zones: Islands of India“. इस प्रतिवेदन में अंडमान-निकोबार द्वीपसमूहों में पाई जाने वाली सभी पशु प्रजातियों का डाटाबेस पहली बार दिया गया है.

प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य

पशु प्रजातियों की बहुलता : यद्यपि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह भारत के भूभाग का मात्र 0.25% है तथापि यहाँ देश की पशु-प्रजातियों का 10% से अधिक भाग निवास करता है. प्रतिवेदन के अनुसार इस द्वीपसमूह में कुल मिलाकर 11,009 प्रजातियाँ रहती हैं.

स्थानिक प्रजातियाँ : कुछ पशु-पक्षी ऐसे हैं जो मात्र अंडमान-निकोबार में पाए जाते हैं. इनमें से एक है Narcondam hornbill. एक और ऐसा पक्षी है Nicobar megapode जो भूमि पर घोसला बनाने वाली चिड़ियाँ है. इसी प्रकार छछूँदर जैसा छोटा पशु है जिसका नाम Nicobar treeshrew है. अन्य स्थानिक प्राजातियों में से कुछ हैं – बड़ी पूँछ वाला Nicobar macaque और Andaman day gecko. वास्तव में ऐसे पशु-पक्षियों की संख्या 1,067 है जो केवल यहीं पाई जाती हैं, अन्यत्र कहीं नहीं. यहाँ 23 प्रकार सरीसृप पाए जाते हैं जिनमें 8 स्थानिक हैं.

सामुद्रिक प्रवाल प्रजातियाँ : यहाँ 555 प्रकार के प्रवाल पाए जाते हैं जिन्हें वन्यजीवन सुरक्षा अधिनियम में अधिसूचित किया गया है.

संकटग्रस्त समुद्री जीव : अंडमान-निकोबार में 10 प्रकार के समुद्री जीव पाए जाते हैं जैसे – डुबोंग/सी काऊ, हिन्द-प्रशांत, हम्पबैक डॉलफिन. ये सभी पशु IUCN द्वारा संकटग्रस्त घोषित हैं.

द्वीपसमूह का क्षेत्रफल, बनावट एवं इसके निवासी

अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में 572 द्वीप, लघुद्वीप एवं समुद्र में उभरी हुई चट्टानें हैं. इस द्वीपसमूह का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 8,249 वर्ग किलोमीटर है. यहाँ चार लाख से कम ही लोग रहते हैं. इन लोगों में कुछ ऐसे कबीले हैं जो विशेष रूप से संकटग्रस्त माने गये हैं. ये हैं – ग्रेट अंडमानी, ओंगे, जरावा, सेंटेनली, निकोबारी और शोम्पेन.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : SSB to patrol Dudhwa tiger reserve

संदर्भ

हाल ही में दुधवा व्याघ्र अभयारण्य और सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने यह निर्णय लिया है कि वे दुधवा वनों और इनके समृद्ध वन्यजीवन को संयुक्त रूप से सुरक्षा प्रदान करेंगे.

सुरक्षा के लिए क्या किया जायेगा?

  • नियमित अंतराल पर सेइस अभयारण्य में पहरेदारी की जायेगी जिसमें सशस्त्र सीमा बल, विशेष व्याघ्र सुरक्षा बल तथा दुधवा व्याघ्र अभयारण्य के कर्मचारी सम्मिलित होंगे.
  • वन्यजीवन की गतिविधियों और जंगल के अपराधियों के विषय में गुप्त सूचना एवं जानकारी को आपस में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच आदान-प्रदान के कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा.

दुधवा व्याघ्र अभयारण्य

  • यह एक सुरक्षित क्षेत्र है जो उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से लखीमपुर खेरी और बहराइच जिलों में फैला हुआ है.
  • इसके अंतर्गत दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, किशनपुर वन्यजीवन अभयारण्य तथा कतरनियाघाट वन्यजीव अभयारण्य आते हैं.
  • इस अभयारण्य की पूर्वोत्तर सीमा नेपाल से मिलती है. मोटे तौर पर इस अभयारण्य को मोहना नदी नेपाल से अलग करती है.
  • इस क्षेत्र की मिट्टी तराई जलोढ़ मिट्टी है. यह एक मैदानी क्षेत्र है जिसमें दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर बहने वाली कई नदियाँ और नाले हैं.
  • यहाँ बाघ तो हैं ही, साथ ही यहाँ कई पशु भी रहते हैं, जैसे – दलदली हिरण, सांबर हिरण, भौंकने वाला हिरण, चित्तेदार हिरण, हॉग हिरण, गैंडा, आलसी भालू, रैटल, गीदड़, कस्तूरी बिलाव, जंगली बिलाव, मछली मार विलाव आदि.

सशस्त्र सीमा बल

  • सशस्त्र सीमा बल एक केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल है जिसका काम नेपाल और भूटान से सटी देश की सीमा की रक्षा करना है.
  • इसकी स्थापना 1963 में हुई थी.
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
  • इस बल पर गृह मंत्रालय का प्रशासनिक नियंत्रण है.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Scientists mull stratospheric barrier to curb global warming

संदर्भ

वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि धूप को धीमा करने के लिए पृथ्वी के ऊपर ऊंचाई पर रसायन का छिड़काव किया जाए तो इससे वैश्विक तापवृद्धि धीमी हो जायेगी और इस पर अगले 15 वर्षों में आने वाला खर्च भी 2.25 बिलियन डॉलर होगा जोकि बहुत कम  है.

इस भू-अभियंत्रण तकनीक का नाम stratospheric aerosol injection (SAI) अर्थात्  समतापमंडलीय वायुकण छिड़काव है. इसके प्रयोग से बढ़ते हुए तापमान को सीमित किया जा सकता है जो जलवायु परिवर्तन का एक प्रमुख कारण है.

समतापमंडलीय गंधक वायुकण क्या हैं?

समतापमंडलीय गंधक वायुकण वे गंधकयुक्त कण हैं जो पृथ्वी के संतापमंडल में रहते हैं. समतापमंडल की जिस परत में ये कण होते हैं उनको जुंग परत (Junge Layer) अथवा समतापमंडलीय वायुकण परत कहते हैं. इन कणों में गंधकाम्ल और जल का मिश्रण होता है. ये कण प्राकृतिक रूप से कार्बोनिक सल्फाइड (carbonyl sulfide) जैसे सल्फर-युक्त गैसों के विघटन से बनते हैं.

  • गंधक वायुकण क्षोभमंडल में कोयले के जलने से होने वाले प्रदूषण के कारण पाए जाते हैं.
  • समतापमंडलीय वायुकण की उत्पत्ति का एक मुख्य स्रोत ज्वालामुखी का फटना भी है क्योंकि ज्वालामुखी के फटने से ढेर सारा गंधक से भरी गैस समताप मंडल में पहुँच जाती है.

समतापमंडलीय वायुकण छिड़काव (SAI) क्या है?

इस प्रक्रिया में गंधकाम्ल (sulfuric acid), हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) अथवा सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का छिड़काव किया जाता है. इस छिड़काव के लिए बड़े-बड़े पाइपों, तोपों अथवा विशेष रुप से बनाये गये हवाई जहाजों का प्रयोग होता है. इनसे वायुमंडल की ऊपरी परत में सल्फेट कण छोड़े जाते हैं जो पृथ्वी और सूर्य की धूप के बीच में आकर ताप को बढ़ने से रोक देते हैं.

इस प्रक्रिया की लागत को कम रखने के लिए वैज्ञानिकों का सुझाव है कि इसके लिए विशेष रूप से बनाये गये हवाई जहाजों का ही प्रयोग हो जो 20 किलोमीटर की ऊँचाई पर 25 टन का भार लेकर जा सकें.

SAI के संभावित दुष्प्रभाव

  • ओजोन परत को क्षति.
  • आकाश का सफ़ेद हो जाना.
  • क्षोभमंडल और समतापमंडल के बीच के भाग (tropopause) का गर्म होना तथा समतापमंडल में आर्द्रता की वृद्धि.
  • स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव.
  • समतापमंडल के तापमान में वृद्धि.

Prelims Vishesh

New species of shark identified in Indian Ocean :-

New species of shark identified in Indian Ocean

  • उत्तरी हिन्द महासागर में गहरे समुद्र में रहने वाले पिग्मी फाल्स कैटशार्क नामक शार्क की एक नई प्रजाति का पता चला है.
  • यह शार्क समुद्र में 200-1000 मील अंदर रहता है और इसकी लम्बाई लगभग 65 cm होती है.
  • इसका रंग गहरा भूरा होता है.
  • यह नई प्रजाति भारत के दक्षिण-पूर्वी समुद्र तट और श्रीलंका के उत्तर में पाई गई है.
  • इसका वैज्ञानिक नाम Planonasus indicus है.

70-feet tall statue of Lord Buddha unveiled at Rajgir in Nalanda district :-

  • हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री ने राज्य के नालंदा जिले में स्थित राजगीर में भगवान् बुद्ध की 70 फुट ऊँची प्रतिमा का अनावरण  किया.
  • यह प्रतिमा देश में बुद्ध की दूसरी सबसे ऊँची प्रतिमा है.
  • इसको बनाने में 45 हजार घन फुट गुलाबी बलुआ पत्थर का प्रयोग हुआ है.

Odisha now has a lexicon for rare tribal languages :-

  • ओडिसा सरकार ने 21 जनजातीय भाषाओं के शब्दकोष प्रकाशित किये हैं जिनका उपयोग जनजातीय-प्रधान जिलों में प्राथमिक स्तर की शिक्षा में किया जायेगा.
  • ज्ञातव्य है कि इस राज्य में सबसे अधिक प्रकार के आदिवासी समुदाय रहते हैं. इन समुदायों की संख्या 62 है.

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