Sansar डेली करंट अफेयर्स, 26 December 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 26 December 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Bilateral, regional and global groupings and agreements involving India and/or affecting India’s interests. Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : India and Australia Economic Strategy Report

संदर्भ

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक रणनीति प्रतिवेदन (India and Australia Economic Strategy Report) का विमोचन किया.

मुख्य बिंदु

  • यह रणनीति ऑस्ट्रेलिया की आर्थिक साझेदारी के साथ भारत की व्यापार और आर्थिक नीतियों को परिवर्तित करने की एक महत्त्वकांक्षी योजना है.
  • वर्तमान में, भारत में ऑस्ट्रेलिया के निवेश की व्यापक संभावना है, क्‍योंकि भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के मानदंडों को आसान बनाया है और इसे अनेक क्षेत्रों के लिए भी खोल दिया है.
  • वर्ष 2018-19 में भारत ऑस्ट्रेलिया का आठवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार और पांचवां सबसे बड़ा निर्यात बाजार था, जो कोयला एवं अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा द्वारा संचालित था.
  • साथ ही नए क्षेत्र जैसे अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रक्षा उत्पादन, खेल, वस्त्र आदि परस्पर संलग्नता के बेहतर अवसर प्रदान करेंगे.

भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का सिंहावलोकन

  • आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध: वर्ष 2018-19 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय वस्तु और सेवा व्यापार 30.3 बिलियन डॉलर था.
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: दोनों देशों ने सामरिक भागीदारी (Strategic Partnership), असैन्य परमाणु सहयोग समझौते (Civil Nuclear Cooperation Agreement) (ऑस्ट्रेलिया से यूरेनियम के आयात को सुरक्षित करने के लिए) आदि पर हस्ताक्षर किए हैं.
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी: अग्रणी अनुसंधान पर सहयोग करने के लिए ऑस्ट्रेलिया-भारत रणनीतिक सामरिक कोष (Australia-India Strategic Research Fund) की स्थापना की गई है, साइबर और साइबर-सक्षम महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी पर समझौता किया गया है आदि.
  • वैश्विक सहयोग: दोनों देश “क्वाड” (QUAD) के सदस्य हैं और दोनों ने आपूर्ति श्रृंखला नम्यता पहल (Supply Chain Resilience Initiative) प्रस्तावित की है. इसके अतिरिक्त, दोनों ही देश चीन की आक्रामकता और अधिकार-घोतक विदेश नीति के विरुद्ध अपनी चिंताएं भी साझा करते हैं.
  • लोगों के मध्य संबंध: वर्तमान में ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों (लगभग 7 लाख) की संख्या सर्वाधिक तीव्र गति से बढ़ रही है.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

  • भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को दो अलग-अलग मार्गों के माध्यम से अनुमति दी जाती है- पहला, स्वचालित (Automatic) और दूसरा, सरकारी अनुमोदन के माध्यम से.
  • स्वचालित मार्ग में विदेशी संस्थाओं को निवेश करने के लिये सरकार की पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं है.
  • हालाँकि उन्हें निर्धारित समयावधि में निवेश की मात्रा के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित करना होता है.
  • विशिष्ट क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सरकारी अनुमोदन के माध्यम से होता है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Security Concerns. 

Topic : National Security Directive on Telecom Sector

संदर्भ

हाल ही में सरकार ने सुरक्षित नेटवर्क के लिए दूरसंचार क्षेत्र पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश (National Security Directive on Telecom Sector: NSDTS) की घोषणा की है.

NSDTS साइबर हमलों, डेटा की चोरी और खतरा उत्पन्न करने वाली अन्य आभासी सुभेद्यताओं के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भारत का प्रथम और सबसे व्यापक ढाँचा है.

क्या-क्या प्रावधान हैं?

  • सरकार देश के दूरसंचार नेटवर्क में अधिष्ठापन के लिए विश्वसनीय स्रोतों और विश्वसनीय उत्पादों की एक सूची घोषित करेगी.
  • इस सूची को राष्ट्रीय दूरसंचार सुरक्षा समिति (National Security Committee on Telecom: NSCT) द्वारा अनुमोदित किया जाएगा.
  • NSCT की अध्यक्षता उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार द्वारा की जाएगी.

मुख्य तथ्य

  • दूरसंचार सेवा प्रदाता केवल विश्वसनीय स्रोतों से उपकरण खरीदने के साथ-साथ केवल विश्वसनीय उत्पादों का उपयोग कर सकते हैं.
  • जिन स्रोतों से कोई खरीद नहीं की जाएगी, ऐसे निर्दिष्ट स्रोतों की एक सूची भी बनाई जा सकती है. इसके अतिरिक्त, इन निर्देशों में घरेलू अभिकर्त्ताओं द्वारा विश्वसनीय श्रेणी में बनाए गए दूरसंचार उपकरण की प्रमाणिकता प्राप्त करने के प्रावधान भी शामिल किए गए हैं.
  • यह कदम चीन के दूरसंचार उपकरण विक्रेताओं जैसे हुवावे (Huawei) और जेड.टी.ई (ZTE) के लिए भारतीय टेलीकॉम अभिकर्त्ताओं को उपकरणों की आपूर्ति करना संभावित रूप से अधिक कठिन बना सकता है.
  • ज्ञातव्य है कि दूरसंचार देश की अन्य सभी क्षेत्रक आधारित सूचना अवसंरचना जैसे विद्युत, बैंकिंग और वित्त, परिवहन, शासन तथा रणनीतिक क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण अंतर्निहित बुनियादी ढांचा है.
  • भारत साइबर हमलों का सामना करने वाले विश्व के शीर्ष तीन देशों में शामिल है.
  • ज्ञातव्य है कि IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) उपकरणों के बढ़ते उपयोग और 5G प्रौद्योगिकियों के आगमन के साथ साइबर-हमलों का जोखिम कई गुना बढ़ जाएगा.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

वित्तीय संगठनों और सरकारी प्रक्रियाओं को लक्षित करने वाले डिजिटल वारफेयर और हैकर्स के विरुद्ध ठोस उपाय करने के लिये भारत को अन्य देशों के साथ साझा उपाय करने होंगे और इस संदर्भ में जागरूकता में वृद्धि करनी होगी कि कोई भी व्यक्ति या संस्था अकेले डिजिटल वारफेयर के प्रति प्रतिरक्षित नहीं है. राष्ट्रीय साइबर समन्वय केंद्र (National Cyber Coordination Centre-NCCC), नेशनल क्रिटिकल इन्फॉर्मेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्शन सेंटर (National Critical Information Infrastructure Protection Centre-NCIIPC) और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (Computer Emergency Response Team-CERT) जैसी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा परियोजनाओं को कई गुना मज़बूत करने की आवश्यकता है. मोबाइल फोन और दूरसंचार के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति और राष्ट्रीय दूरसंचार नीति को वर्ष 2030 तक एक व्यापक समग्र नीति के निर्माण हेतु प्रभावी रूप से सहयोग करना होगा.


GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization of resources, growth, development and employment.

Topic : ESCAP

संदर्भ

एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (ESCAP) ने हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान वैश्विक व्यापार में गिरावट पर आँकड़े निर्गत किए हैं. इस वैश्विक महामारी ने वैश्विक और क्षेत्रीय व्यापार, निवेश और अर्थव्यवस्था को चौतरफा प्रभावित किया है.

वैश्विक व्यापार पर ESCAP रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष

  • 2020 में वैश्विक व्यापार में भारी गिरावट के बावजूद कोरोनावायरस महामारी और व्यापारिक तनावों के बावजूद भी एशिया और प्रशांत के व्यापार में शेष विश्व की तुलना में अपेक्षाकृत कम गिरावट हुई है.
  • 2020 में विश्व-भर में व्यापार में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है और इस प्रवृत्ति का अनुसरण करते हुए, एशिया प्रशांत क्षेत्र में व्यापार में 1.9 प्रतिशत की कमी हो सकती है.
  • वैश्विक व्यापार के अंतर्गत निर्यात में एशिया प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी 2020 में अब तक के उच्च स्तर 41.8 प्रतिशत एवं आयात में 38.2 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष क्रमशः 39.9 प्रतिशत और 36.9 प्रतिशत था.
  • 2019 में इसी अवधि की तुलना में 2020 की पहली तीन तिमाहियों में, “ग्रीनफील्ड” एफडीआई में 40 प्रतिशत की गिरावट हुई है. इस गिरावट का मुख्य कारण लॉकडाउन के परिणामस्वरूप परियोजनाओं में देरी या उनको रद्द किया जाना है.
  • ESCAP के अनुसार प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भविष्य का दृष्टिकोण “अत्यधिक अनिश्चित” है और यह संकट की अवधि, निवेश को प्रोत्साहित करने और महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों से उबरने के लिए नीतियों की प्रभावशीलता पर निर्भर करता है. ESCAP का अनुमान है कि 2021 में पूरे वर्ष भर एफडीआई की स्थिति इस महामारी के पूर्व के स्तर से नीचे ही रहेगी.
  • संयुक्त राष्ट्र के इस निकाय के अनुसार व्यापार पुनरुद्धार की स्थितियां अभी “अत्यधिक अनिश्चित” बनी रहेगी. इसके अलावा ESCAP ने आगाह किया कि उच्च बेरोजगारी, ऋण और अपस्फीति के साथ-साथ कई अर्थव्यवस्थाओं को प्रतिकूल मैक्रोइकोनॉमिक परिस्थितियों और एक तेजी से बदल रही अंतर्निहित चुनौतियों का अभी सामना करना पड़ सकता है.

एशिया और प्रशांत महासागर के लिये संयुक्त राष्ट्र का आर्थिक और सामाजिक आयोग

  • एशिया और प्रशांत महासागर के लिये संयुक्त राष्ट्र का आर्थिक और सामाजिक आयोग (Economic and Social Commission for Asia and the Pacific- ESCAP) एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिये संयुक्त राष्ट्र की एक क्षेत्रीय विकास शाखा है.
  • यह 53 सदस्य देशों और 9 एसोसिएट सदस्यों से बना एक आयोग है. इसका अधिकार क्षेत्र पश्चिम में तुर्की से पूर्व में किरिबाती तक और दक्षिण में न्यूज़ीलैंड से उत्तरी क्षेत्र में रूसी संघ तक फैला हुआ है.
  • यही कारण है कि ESCAP संयुक्त राष्ट्र के पाँच क्षेत्रीय कमीशनों में सबसे व्यापक होने के साथ-साथ 600 से अधिक कर्मचारियों के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र की संयुक्त राष्ट्र की सबसे बड़ी संस्था है.
  • इसकी स्थापना 1947 में की गई थी.
  • इसका मुख्यालय थाईलैंड के बैंकॉक शहर में है.
  • ESCAP सदस्य राज्यों हेतु परिणामोन्मुखी परियोजनाएँ विकसित करने, तकनीकी सहायता प्रदान करने और क्षमता निर्माण जैसे महत्त्वपूर्ण पक्षों के संबंध में कार्य करता है.

GS Paper 3 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : Bad Bank

संदर्भ

आर्थिक मामलों के सचिव के अनुसार, देश में बैंकिंग क्षेत्र के स्वास्थ्य में सुधार करने हेतु सरकार ‘बैड बैंक’ (Bad Bank) की स्थापना सहित अन्य सभी विकल्पों की तलाश कर रही है.

आवश्यकता

वर्तमान परिस्थितियों में, जब गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) में अत्यधिक वृद्धि होने की सम्भावना है और इनके अधिकाँश समाधान दिवाला एवं दिवालियापन संहिता’ (IBC) तंत्र से बाहर ही करने होंगे. ऐसे में सरकार का यह कदम न केवल आवश्यक है, बल्कि अपरिहार्य भी है.

बैड बैंक क्या है?

  • बैड बैंक की अवधारणा को बैंकों की वाणिज्यिक अचल संपत्ति पोर्टफोलियो (Commercial Real-Estate Portfolio) की समस्या का निदान करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम वर्ष 1988 में मेल्लोन बैंक (Mellon Bank) के पिट्सबर्ग (Pittsburgh) मुख्यालय में प्रस्तुत किया गया था. 
  • बैड बैंक एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है. ये बैड बैंक कर्ज़ में फँसी बैंकों की राशि को खरीद लेगा और उससे निपटने का काम भी इसी बैंक का होगा.
  • जब किसी बैंक की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ सीमा से अधिक हो जाती हैं, तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिये धारण कर लेता है.

बैड बैंक से संबंधित चुनौतियाँ 

  • बैड बैंक की स्थापना में सबसे बड़ी समस्या बैंक में हिस्सेदारी को लेकर है. यह जानना दिलचस्प है कि समस्या निजी और सार्वजनिक दोनों ही क्षेत्रों के अधिकतम भागीदारी से है.
  • यदि बैड बैंक में सरकार की हिस्सेदारी अधिक हो तो बैंकों की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ इतनी अधिक हो गई हैं कि बैड बैंक के माध्यम से इनकी खरीद पर सरकार को उल्लेखनीय व्यय करना पड़ सकता है.
  • यदि बैड बैंक को निजी क्षेत्र के हवाले कर दिया गया, तो सबसे बड़ी समस्या गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों के मूल्य को लेकर हो सकती है. निजी क्षेत्र का बैड बैंक अपने लाभ को ध्यान में रखते हुए गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियों का मूल्य तय करेगा.
  • यदि यह मूल्य बहुत अधिक हुआ, तो बैड बैंक का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा और यदि यह मूल्य बहुत ही कम हो गया, तो बैंकों को उनकी ऋण देयता के अनुपात में राशि नहीं मिल पाएगी.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के अनुसार, बैड बैंक की अवधारणा एक नैतिक संकट उत्पन्न कर सकती है और बैंकों को अनुत्तरदायित्वपूर्ण उधार प्रथाओं को जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करेगी.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

भारत की बैंकिंग प्रणाली ऐसी चुनौती भरी पृष्ठभूमि में अपेक्षाकृत लंबे समय से कार्य कर रही है, जिसके कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की आस्ति गुणवत्ता, पूंजी पर्याप्तता तथा लाभ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. जब तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रबंधन राजनेताओं और नौकरशाहों के प्रति निष्ठावान रहेंगे, तब तक व्यावसायिकता में उनकी कमी बनी रहेगी, इसलिये संपूर्ण बैंकिंग व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है. बैंकिंग व्यवस्था में समग्र सुधारों के उचित कार्यान्वयन के साथ ही बैड बैंक की अवधारणा पर बहस होनी चाहिये, जैसा की इंद्रधनुष योजना (Indra Dhanush plan) में परिकल्पित किया गया है.


Prelims Vishesh

Ministry of Food Processing Industries (MoFPI) signed 5 MoUs and a Joint Communique for PM FME :-

  • यह अधिसूचना E20 ईंधन को एक मोटर वाहन इंधन के रूप में अपनाने और इस ईंधन के लिए वृहद पैमाने पर उत्सर्जन मानकों को अंगीकृत करने हेतु जारी की.
  • E20 ईंधन 20% इथेनॉल और गैसोलीन का मिश्रण है.
  • यह अधिसूचना E20 अनुपालन योग्य वाहनों के विकास की सुविधा प्रदान करती है, कार्बन फुटप्रिंट को कम करती है और आयात बिल में कमी करके विदेशी मुद्रा की बचत करती है.
  • राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के अंतर्गत वर्ष 2030 तक ईंधन में 20% इथेनॉल-मिश्रण और 5% बायोडीजल-मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

60th Goa Liberation Day :-

  • गोवा मुक्ति दिवस प्रति वर्ष 19 दिसंबर को मनाया जाता है.
  • यह वर्ष 1961 में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 450 वर्षों के पुर्तगाली शासन से गोवा को मुक्त करवाने की स्मृति में मनाया जाता है.
  • पुर्तगालियों ने 1510 ईस्वी में भारत के कई हिस्सों को अपना उपनिवेश बनाया था, किंतु 19वीं शताब्दी के अंत तक भारत में गोवा, दमन व दीव (दिसंबर 1961 को मुक्त) और दादरा एवं नगर हवेली (2 अगस्त 1954 को मुक्त) के रूप में कुछ पुर्तगाली उपनिवेश ही शेष रह गए थे.

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