Sansar डेली करंट अफेयर्स, 23 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 23 March 2020


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : World Happiness Report

संदर्भ

हाल ही में सतत् विकास समाधान नेटवर्क (Sustainable Development Solution Network- SDSN) ने वैश्विक संतुष्टि प्रतिवेदन – 2020 (World Happiness Report- 2020) निर्गत किया है.

मुख्य बिंदु

  • फिनलैंड शीर्ष स्थान पर है. दूसरे एवं तीसरे स्थान पर क्रमश: डेनमार्क एवं स्विटज़रलैंड हैं.
  • रैंकिंग में सबसे नीचे स्थान पाने वाले देश हिंसक संघर्ष एवं तीव्र गरीबी से पीड़ित हैं – ज़िम्बावे, दक्षिणी सूडान और अफगानिस्तान को दुनिया के सबसे कम खुशहाल देशों में स्थान दिया गया है.
  • इस वर्ष भारत का स्थान 144वाँ है जो पिछले वर्ष से 4 स्थान कम है.
  • भारत का स्थान अपने पड़ोसी देशों नेपाल, पाकिस्तान बांग्लादेश, श्रीलंका, चीन से खराब स्थिति में है.

विश्व संतुष्टि प्रतिवेदन क्या है?

  • इस रिपोर्ट (World Happiness Report) को सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क (SDSN) द्वारा जारी किया जाता है.
  • इस रिपोर्ट में इस बार 153 देशों को शामिल किया है और वहाँ के प्रति व्यक्ति आय, सामाजिक सहयोग, आयु की लम्बाई, सामाजिक स्वतंत्रता, उदारता और भ्रष्टाचार के अभाव आदि पैमाने के आधार पर अंक दिए जाते हैं.
  • इस प्रतिवेदन में सूचनाएँ एक प्रश्नावली के माध्यम से एकत्र होती हैं जिसमें दिए गये प्रश्न मोटे तौर पर गेलप वर्ल्ड पोल (Gallup World Poll ) से लिए जाते हैं.

निष्कर्ष कैसे निकाला जाता है?

प्रतिवेदन के लिए एक प्रश्नावली होती है जिसमें जीवन के 14 क्षेत्रों का मूल्यांकन किया जाता है. ये हैं —

  • व्यवसाय और आर्थिक स्थिति (2) नागरिकों का जुड़ाव (3) संचार और प्रौद्योगिकी, (4) विविधता (सामाजिक मुद्दे), (5) शिक्षा और परिवार, (6) भावनाएँ (कल्याण), (7) पर्यावरण और ऊर्जा, (8) भोजन और आश्रय, (9) सरकार और राजनीति, (10) कानून और व्यवस्था (सुरक्षा), (11) स्वास्थ्य, (12) धर्म और नैतिकता, (13) परिवहन, और (14) काम.
  • ऊपर दिए गये क्षेत्रों के बारे में पूछताछ करने पर आये परिणामों का अंत में कुछ अन्य कारकों से मेल किया जाता है, जैसे – GDP और सामाजिक सुरक्षा.

माहात्म्य

आजकल विश्व में सार्वजनिक नीति का एक लक्ष्य “संतुष्टि” को भी माना जाता है. कई देशों के अनुभव से पता चलता है कि जिन देशों में GDP और प्रति व्यक्ति आय अधिक है, वे सबसे संतुष्ट देश हों यह आवश्यक नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि सार्वजनिक संतुष्टि का सीधा सम्बन्ध विधि-व्यवस्था से होता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : Trump to host G7 meet via videoconference

संदर्भ

अमेरिका ने कोरोनोवायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के चलते जून में कैंप डेविड में होने जा रहे जी7 शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया है. अब यह सम्मेलन व्यक्तिगत बैठक के स्थान पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया जाएगा.

G7 शिखर सम्मेलन क्या है?

  1. यह 7 प्रमुख राष्ट्रों के प्रमुखों की बैठक है. पहले इसमें 8 देश थे. इसकी स्थापना 1975 में हुई थी.
  2. इसमें विश्व के 7 प्रमुख सशक्त देश शामिल होते हैं – अमेरिका, कनाडा, UK, फ़्रांस, जर्मनी, जापान और इटली. इसके अतिरिक्त यूरोपीय संघ के नेतागण भी इस बैठक में बुलाये जाते हैं. वे आपसी सहमति से नीतियाँ बनाते हैं और फिर सम्बंधित मुद्दों का समाधान ढूँढते हैं.
  3. इस सम्मलेन में विश्व भर के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है. जहाँ यह सम्मलेन होता है उसी देश का राष्ट्र प्रमुख बैठक की अध्यक्षता करता है और उसे यह अधिकार होता है कि वह अपनी इच्छा से किसी एक और देश को बैठक में आमंत्रित करे.

उद्देश्य

समूह खुद को “कम्यूनिटी ऑफ़ वैल्यूज” यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है. स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और क़ानून का शासन और समृद्धि और सतत विकास, इसके प्रमुख सिद्धांत हैं.

  1. अवसरों में असमानता दूर करना, लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, शिक्षा और उच्चकोटि की स्वास्थ्य सेवा की उपलब्धता प्रदान करना.
  2. पर्यवारणगत असमानता घटाना.
  3. वैश्वीकरण के सामाजिक आयाम को सुदृढ़ करना.
  4. सुरक्षागत खतरों और आतंकवाद के विरुद्ध कार्रवाई करना.
  5. डिजिटल तकनीक और कृत्रिम बुद्धि से उत्पन्न अवसरों का पता लगाना.

G7 का माहात्म्य

G7 में विश्व की बड़ी-बड़ी आर्थिक शक्तियाँ सम्मिलित होती हैं. अतः G7 जो भी निर्णय लेता है उसका पूरे विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. यद्यपि G7 के निर्णय कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं, परन्तु इनका राजनैतिक प्रभाव अत्यंत प्रबल होता है.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.

Topic : Technology Development Board

संदर्भ

कोविड-19 से लड़ने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अधीनस्थ प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने प्रौद्योगिकी से सम्बंधित प्रस्ताव आमंत्रित किये हैं. इन प्रस्तावों में प्रौद्योगिकी की दृष्टि से नवाचारयुक्त समाधान हो सकते हैं जैसे – कम लागत वाले मास्क, उचित लागत वाले स्कैनिंग उपकरण, बड़े क्षेत्रों को जीवाणुरहित करने की तकनीकें, सम्पर्करहित प्रवेश की तकनीक, शीघ्र निदान करने वाली किटें, ओक्सीजनरेटर तथा वेंटिलेटर.  

प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड क्या है?

  • भारत सरकार ने सितम्बर 1996 में प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (प्रौ.वि.बो.) का गठन प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड अधिनियम 1995 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया.
  • इसका उद्देश्य स्वदेसी प्रौद्योगिकी का विकास और वाणिज्यीकरण अथवा आयातित प्रौद्योगिकी के व्यापक घरेलू अनुप्रयोग को बढ़ावा देना है.
  • इस बोर्ड में 11 सदस्य होते हैं.
  • प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड औद्योगिक निकायों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों को इक्विटी या ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान करता है.

उद्देश्य

  • उद्योग, वैज्ञानिक, तकनीकि विषेशज्ञों के बीच बातचीत की सुविधा प्रदान करना.
  • उद्यमियों की नई पीढ़ी के निर्माण की सुविधा प्रदान करना.
  • अन्य समान प्रौद्योगिकी वित्तपोशन निकायों के साथ साझेदारी में सहायता करना.
  • रोजगार के नए अवसर तैयार करना.

वैश्विक नवाचार एवं तकनीक गठबंधन 

  • वैश्विक नवाचार एवं तकनीक गठबंधन (Global Innovation Technology Alliance- GITA) की स्थापना अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निजी क्षेत्र के निवेश को प्रेरित करने के लिए किया गया था.
  • यह भारतीय उद्योग संघ (Confederation of Indian Industry – CII) और प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड का एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें इनका अंश क्रमशः 51:49 के अनुपात से है.
  • GITA का काम विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग के समझौतों के माध्यम से औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम को लागू करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को सहायता पहुँचाना है.

GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : Modified Electronics Manufacturing Clusters (EMC 2.0) Scheme

संदर्भ

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में संशोधित इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (EMC 2.0) योजना को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दी. इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) के जरिये सामान्य सुविधाओं के साथ विश्व-स्तरीय के बुनियादी ढांचे का विकास करना है. EMC 2.0 योजना का कुल परिव्यय 3,762.25 करोड़ रुपये है.

लाभ

इस योजना से ईएसडीएम सेक्‍टर में निवेश आकर्षित करने के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक उद्योग के लिए एक सुदृढ़ अवसंरचना आधार का सृजन होगा और इससे रोजगार अवसर बढ़ाने का मार्ग प्रशस्‍त होगा. इस योजना के लिए अपेक्षित परिणाम निम्‍नलिखित हैं:-

  1. इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए तैयार अवसंरचना और कंप्‍यूटर प्रणाली से जुड़े उपकरणों की उपलब्‍धता सुनिश्चित होगी.
  2. इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स क्षेत्र में नया निवेश आकर्षित होगा.
  3. विनिर्माण इकाइयों द्वारा रोजगार सृजित किए जाएंगे.
  4. विनिर्माण इकाइयों द्वारा अदा किए जाने वाले टैक्‍स के रूप में राजस्‍व अर्जित होगा.

पृष्‍ठभूमि

  1. इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण हेतु आवश्‍यक अवसंरचना परिवेश के निर्माण के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण क्‍लस्‍टर (ईएमसी 2.0) योजना को अधिसूचित किया जिसके अंतर्गत अक्‍टूबर 2017 तक आवेदन आमंत्रित किए गए.
  2. स्‍वीकृत परियोजनाओं हेतु धनराशि के बंटवारे के लिए पांच वर्षों की अवधि (यानी वर्ष 2022 तक) तय है.
  3. ईएमसी योजना के तहत देश भर में 15 राज्‍यों में कुल 3,565 एकड़ क्षेत्र में फैले 20 नए ईएमसी और 3 साझा सुविधा केंद्रों (सीएफसी) को स्वीकृति दी गई है. इन पर 3,898 करोड़ रुपये की लागत आएगी जिसमें 1577 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता शामिल है.
  4. देश में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स उद्योग हेतु अवसंरचना आधार को और मजबूत करने तथा इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स मूल्‍य श्रृंखला को सुदृढ़ करने के लिए इस योजना को संशोधित रूप में जारी रखने की जरूरत है.
  5. भारत में इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स उत्‍पादन वित्‍त वर्ष 2014-15 के 1,90,356 करोड़ रुपये (29 अरब अमेरिकी डॉलर) से बढ़कर वित्‍त वर्ष 2018-19 में 4,58,006 करोड़ रुपये (70 अरब अमेरिकी डॉलर) के स्‍तर पर पहुंच गया. अत: इस दौरान लगभग 25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) रही. वैश्विक इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स विनिर्माण में भारत की हिस्‍सेदारी 1.3 प्रतिशत (वर्ष 2012) से बढ़कर 3.0 प्रतिशत (वर्ष 2018) हो गई. वर्तमान में भारत की जीडीपी में इसका योगदान 2.3 प्रतिशत है.

Prelims Vishesh

What is Devonian period? :-

  • मत्स्य युग या ‘डिवोनी कल्प’ (Devonian) भूवैज्ञानिक काल है जो पुराजीवी महाकल्प (Paleozoic Era) के सिल्युरी युग के अन्त से आरम्भ होकर (लगभग 416.0 ± 2.8 Mya (million years ago).
  • कार्बनी कल्प के आरम्भ तक (लगभग 359.2 ± 2.5 Mya) फैला हुआ है. इस कल्प का नाम इंग्लैण्ड के डेवन प्रदेश के नाम पर पड़ा है जहाँ सबसे पहले इस काल के शैलों का अध्ययन किया गया था. मत्स्य वर्ग का विकास इस युग में विशेष रूप से हुआ और इसी के आधार पर इस युग को ‘मत्स्य युग’ भी कहते हैं.
  • भारत में डिवोनी कल्प का प्रादुर्भाव सिल्यूरियन चूना पत्थर समूह (Silurian Lime Stone Group) के पश्चात्‌ माना जाता है. भारतीय डिवोनी के अंतर्गत स्पीति घाटी में स्थित 4,000 फुट मोटे सफेद क्वार्ट्ज़ाइट (quartzite) आते हैं, जो क्वार्ट्ज़ाइट के नाम से विख्यात हैं.

CARISSA KOPILII :-

  • हाल ही में भारत के असम राज्य में कैरिसा कैरेंडस (Carissa Carandas) की एक अन्य प्रजाति कैरिसा कोपिली (Carissa kopilii) का पता लगाया गया है.
  • कैरिसा कोपिली (Carissa kopilii) कैरिसा कैरेंडस की एक मृदु किस्म है. कैरिसा कैरेंडस एक बहु-उपयोगी जंगली बेरी (छोटा फल) है. इसे हिंदी में करौंदा (Karonda), तमिल में कलक्काई (Kalakkai), बंगाली में कोरोम्चा (Koromcha) और असमिया में कर्जा टेंगा (Karja Tenga) के नाम से जाना जाता है.
  • कैरिसा कोपिली, कोपिली नदी (Kopili River) के किनारे समुद्र के स्तर से 85-600 मीटर की ऊँचाई पर पाई जाती  है.
  • विदित हो कि कोपिली नदी मेघालय के पठार से निकलती है और ब्रह्मपुत्र में मिलने से पहले मध्य असम के पहाड़ी ज़िलों से होकर बहती है.
  • असम के कछार जिले में कोपिली नदी कोपिली जलविद्युत परियोजना चलाई गई जिसका शुभारम्भ 1976 में हुआ. कोपिली पनबिजली परियोजना मेघालय और असम राज्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण पनबिजली परियोजनाओं में से एक है.

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