Sansar डेली करंट अफेयर्स, 21 November 2020

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 21 November 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : India and Myanmar moving towards green energy cooperation

संदर्भ

तीसरे ग्लोबल रि-इंवेस्ट में मालदीव के देशीय सत्र में केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री ने द्वीपीय देश मालदीव को उसकी नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने के प्रयासों में पूरा सहायता करने का आश्वासन दिया. भारत का कहना है कि एक अत्यंत सुन्दर देश होने के चलते मालदीव को एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में अपनी सुंदरता को बचाने और बढ़ाने की आवश्यकता है. अतः यह बेहद आवश्यक है कि मालदीव में नवीकरणीय ऊर्जा को केंद्रीय महत्त्व दिया जाए.

माहात्म्य

  • पूरे मालदीव में नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने के अनेक अवसर हैं, जो कि वार्षिक रूप से लाखों डॉलर की बचत करके सरकार को बजटीय राहत प्रदान कर सकते हैं, जिसका अभी डीजल आयात और सब्सिडी देने में प्रयोग होता है.विश्व बैंक के एक्सेलेरेटिंग सस्टेनेबल प्राइवेट इंवेस्टमेंट इन रिन्यूअल एनर्जी (एएसपीआईआरई) परियोजना के तहत 5 मेगावॉट पीपीए (लोक-निजी भागीदारी) पर हस्ताक्षर मालदीव के नवीकरणीय ऊर्जा के इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण है.
  • यह परियोजना विस्तार के मामले में मालदीव के लिए अपने प्रकार की प्रथम परियोजना है और इसने 9 सेंट अमेरिकी डॉलर का टैरिफ प्राप्त किया है. यह मालदीव जैसे छोटे द्वीप विकासशील देशों (एसआईडीएस) के लिए सबसे कम टैरिफ में से एक है और आरई लक्ष्य पाने के उनके प्रयासों में आगे बढ़ने में सहायक है.
  • साल 2013 से, मालदीव सरकार पूरी सक्रियता से नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों का अनुसरण कर रही है जो उसकी पारिस्थितिकी के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को दृढ़ बनाने में सहयोग करते हैं.मालदीव ऊर्जा नीति और रणनीति-2016 (“ऊर्जा नीति 2016”), जो देश में नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित और अपनी नौ प्रमुख नीतियों में से एक नीति के रूप में निजी क्षेत्र नवीकरणीय ऊर्जा विकास को उत्साहित करना चाहती है, के साथ शुरू करते हुए, सारे उपायों से लेकर हालिया नेशनल स्ट्रेटजिक एक्शन प्लान फॉर द मालदीव (2019-2023) (एसएपी) तक, जिसमें 2023 तक नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के लक्ष्य के साथ स्वच्छ ऊर्जा का एक विशिष्ट स्तंभ शामिल है.
  • विश्व बैंक आगामी एक्सेलेरेटिंग रिन्यूअल एनर्जी इंटेग्रेशन एंड सस्टेनेबल एनर्जी (एआरआईएसई) परियोजना के तहत पहल करने के जरिए मालदीव सरकार के साथ घनिष्टता के साथ काम कर रहा है ताकि उसका जीवाश्म ईंधन मुक्त भविष्य का सपना हो सके.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus :  Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : What is the Sino-British Joint Declaration?

संदर्भ

हाल ही में, बीजिंग द्वारा सुरक्षा आधार पर हांगकांग की (Hong Kong)  की लेजिस्लेटिव काउंसिल से लोकतंत्र समर्थक चार विपक्षी सांसदों को निष्कासित करने के बाद ब्रिटेन ने चीन पर अपने अंतर्राष्ट्रीय संधि दायित्वों को तोड़ने का आरोप लगाया है.

ब्रिटेन ने कहा कि निर्वाचित विधानसभा सदस्यों को अयोग्य ठहराने संबंधी नए नियम “कानूनी रूप से बाध्यकारी चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा का स्पष्ट उल्लंघन” हैं.

चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा के विषय में

  1. यह हांगकांग का भविष्य निर्धारित करने के लिए वर्ष 1984 में ब्रिटेन और चीन के बीच एक समझौता है.
  2. 1840 में हुए अफीम युद्ध (Opium War) के पश्चात् हांगकांग पर ब्रिटेन का आधिपत्य था. ब्रिटेन तथा चीन, दोनों देशों के बीच 1 जुलाई 1997 से हांगकांग पर चीन के नियंत्रण पर सहमति हुई थी.
  3. इस संबंध में की गयी चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा को बाद में संयुक्त राष्ट्र को समर्पित कर दिया गया था.

संयुक्त घोषणा के प्रमुख बिंदु

  1. इस घोषणा में कहा गया है, कि चीन की हांगकांग के संबंध में मूल नीतियां अगले ‘50 वर्षों तक अपरिवर्तित रहेंगी’, इसके साथ ही घोषणा में, शहर के लिए उच्च स्तर की स्वायत्तता जारी रखने का वचन दिया गया था.
  2. इस संयुक्त घोषणा में यह भी कहा गया है कि 1997 के बाद से हांगकांग की कानूनी और न्यायिक प्रणाली भी 50 सालों तक अपरिवर्तित रहेगी.
  3. चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा के अनुसार, साल 1997 तक हांगकांग पर ब्रिटेन का प्रशासन जारी रहेगा और चीन सरकार इसमें अपना सहायता प्रदान करेगी.

बीजिंग द्वारा हांगकांग पर नियंत्रण के पश्चात चीन-ब्रिटिश संयुक्त घोषणा की स्थिति

  1. साल 1997 में हुए हस्तांतरण के समय बीजिंग द्वारा हांगकांग को उच्च स्तर की स्वायत्तता दिए जाने का वचन उस समय से एक पेचीदा विषय रहा है.
  2. जून 2014 में स्टेट काउंसिल द्वारा निर्गत एक श्वेत पत्र मेंबीजिंग ने हांगकांग पर व्यापक अधिकार क्षेत्रकी घोषणा की, जिससे यह विषय और ज्यादा बिगड़ गया.
  3. चीन के अनुसार, संयुक्त घोषणा “अब अमान्य है और इसमें केवल वर्ष 1984 में हस्ताक्षर किए जाने से लेकर वर्ष 1997 में हस्तांतरित किये जाने की अवधि को ही सम्मिलित किया गया था.”
  4. लेकिन, ब्रिटेन का कहना है कि यह समझौता अभी भी प्रभावी है और कानूनी रूप से बाध्यकारी है जिसका पालन होना अनिवार्य होना चाहिए.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and Bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : Various Security forces and agencies and their mandate.

संदर्भ

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार की सहमति उसके अधिकार क्षेत्र में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) द्वारा जाँच के लिये अनिवार्य है और इसके बिना CBI जाँच नहीं कर सकती है. न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की एक पीठ ने कहा कि यह प्रावधान संविधान के संघीय ढाँचे के अनुरूप है.

पृष्ठभूमि

उत्तर प्रदेश सरकार के दो अधिकारियों ने पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहा था कि राज्य सरकार द्वारा दी गई सामान्य सहमति पर्याप्त नहीं थी और उनकी जाँच किये जाने से पहले अलग सहमति प्राप्त की जानी चाहिये थी.

उत्तर प्रदेश राज्य ने भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 के अंतर्गत अपराधों की जाँच के लिये DSPE के सदस्यों की शक्तियों एवं अधिकार क्षेत्र के विस्तार के लिये एक सामान्य सहमति प्रदान की है.

हालाँकि राज्य सरकारों के तहत लोक सेवकों के मामले में जाँच के लिये राज्य द्वारा दी गई सामान्य सहमति के बाद भी संबंधित राज्य से पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है. 

  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने दो लोक सेवकों के खिलाफ ‘पोस्ट फैक्टो’ (Post Facto) की सहमति दी थी. गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई थी.

उच्चतम न्यायालय का पक्ष

  • यह माना जाता है कि यदि राज्य ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जाँच के लिये सामान्य सहमति दी और न्यायालय द्वारा संज्ञान लिया गया तो केस को तब तक अलग नहीं रखा सकता जब तक कि लोक सेवक यह निवेदन नहीं करते कि पक्षपात का कारण पूर्व सहमति न लेना है.
  • इसके अलावा न्यायाधीशों ने कहा कि केस को तब तक अलग नहीं रखा जा सकता जब तक कि जाँच में अवैधता को न्याय की विफलता के संदर्भ में न दिखाया जा सके.

राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली ‘सहमति’ के प्रकार

  • सहमति दो प्रकारकी होती है- एक केस-विशिष्ट सहमति और दूसरी, सामान्य सहमति. यद्यपि CBI का अधिकार क्षेत्र केवल केंद्र सरकार के विभागों और कर्मचारियों तक सीमित होता है, किंतु राज्य सरकार की सहमति मिलने के बाद यह एजेंसी राज्य सरकार के कर्मचारियों या हिंसक अपराध से जुड़े मामलों की जाँच भी कर सकती है.
  • दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम (DSPEA) की धारा 6 के मुताबिक, दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का कोई भी सदस्य किसी भी राज्य सरकार की सहमति के बिना उस राज्य में अपनी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का उपयोग नहीं करेगा.
  • जब एक सामान्य सहमति वापस ले ली जाती है, तो सीबीआई को संबंधित राज्य सरकार से जाँच के लिये केस के आधार पर प्रत्येक बार सहमति लेने की आवश्यकता होती है.
  • यह सीबीआई द्वारा निर्बाध जाँच में बाधा डालती है. ‘सामान्य सहमति’ सामान्यतः CBI को संबंधित राज्य में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच करने में मदद के लिये दी जाती है, ताकि CBI की जाँच सुचारु रूप से चले सके और उसे बार-बार राज्य सरकार के समक्ष आवेदन न करना पड़े. लगभग सभी राज्यों द्वारा ऐसी सहमति दी गई है. यदि राज्यों द्वारा सहमति नहीं दी गई हो तो CBI को प्रत्येक मामले में जाँच करने से पहले राज्य सरकार से सहमति लेना आवश्यक होता है.

राज्यों द्वारा सामान्य सहमति की वापसी का मुद्दा

  • हाल ही में यह देखा गया है कि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि विभिन्न राज्यों ने केंद्र एवं राज्यों के बीच झगड़े के परिणामस्वरूप अपनी सामान्य सहमति वापस ले ली है.
  • सहमति की वापसी का प्रभाव:किसी भी राज्य सरकार द्वारा सामान्य सहमति को वापस लेने का अर्थ है कि अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) द्वारा उस राज्य में नियुक्त किसी भी केंद्रीय कर्मचारी अथवा किसी निजी व्यक्ति के विरुद्ध तब तक नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा, जब तक कि केंद्रीय एजेंसी को राज्य सरकार से उस मामले के संबंध में केस-विशिष्ट सहमति नहीं मिल जाती.
  • इस प्रकार सहमति वापस लेने का सीधा मतलब है कि जब तक राज्य सरकार उन्हें केस-विशिष्ट सहमति नहीं दे देती, तब तक उस राज्य में CBI अधिकारियों के पास कोई शक्ति नहीं है.
  • सीबीआई के पास पहले से ही दर्ज मामलों की जाँच पर इसका कोई असर नहीं होगा क्योंकि पुराने मामले तब दर्ज हुए थे जब सामान्य सहमति प्रदान की गई थी.

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment- DSPE Act)

  • द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान वर्ष 1941 में ब्रिटिश भारत के युद्ध विभाग (Department of War) में एक विशेष पुलिस स्थापना (Special Police Establishment- SPE) का गठन किया गया था ताकि युद्ध से संबंधित खरीद मामलों में रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच की जा सके.
  • दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment- DSPE Act), 1946 को लागू करके भारत सरकार के विभिन्न विभागों/संभागों में भ्रष्टाचार के आरोपों के अन्वेषण हेतु एक एजेंसी के रूप में इसकी औपचारिक शुरुआत की गई.
  • CBI को दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 द्वारा अन्वेषण करने की शक्ति प्राप्त है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Issues related to direct and indirect farm subsidies and minimum support prices; Public Distribution System objectives, functioning, limitations, revamping; issues of buffer stocks and food security; Technology missions; economics of animal-rearing.

Topic : NADCP

संदर्भ

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) के अंतर्गत दुधारू मवेशियों के लिए घातक फुट एंड माउथ डिजीज (FMD) के उन्मूलन हेतु पंजाब में चल रहे टीकाकरण अभियान को तत्काल रोकने को कहा है.

पृष्ठभूमि

केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NADCP) के अंतर्गत दुधारू मवेशियों के लिए घातक फुट एंड माउथ डिजीज (FMD) के उन्मूलन हेतु पंजाब में चल रहे टीकाकरण अभियान को तत्काल रोकने को कहा है.

NADCP कार्यक्रम क्या है?

यह एक पशु रोग निवारण कार्यक्रम है जिसके तहत पशुओं को खुरहा और मुंह के रोग तथा ब्रूसेलोसिस से बचाने के लिए टीकाकरण किया जाएगा. इस कार्यक्रम के अंतर्गत 500 मिलियन मवेशियों, भैंसों, भेड़ों, बकरियों और सूअरों को खुरहा और मुंह के रोग के लिए टीके दिए जाएँगे. साथ ही ब्रूसेलोसिस को रोकने के लिए प्रत्येक वर्ष 36 मिलियन गाय-भैंसों और बछडों को टीका लगाया जाएगा.

लक्ष्य

  1. 2025 तक रोगों पर नियंत्रण
  2. 2030 तक इन रोगों का उन्मूलन.

वित्तपोषण

इस योजना के लिए शत प्रतिशत वित्त पोषण केंद्र सरकार करेगी. 2024 तक पाँच वर्षों के लिए कुल मिलाकर 12,652 करोड़ रु. का प्रावधान किया जा रहा है.

आवश्यकता

भारत में गाएँ, भैसें, सूअर, सांड, भेड़ें और बकरियाँ खुरहा और मुंह के रोग तथा ब्रूसेलोसिस के बहुधा शिकार हो जाते हैं. इन रोगों का दूध के उत्पादन और और अन्य जैव उत्पादों पर नकारात्मक प्रभाव देखा जाता है.

  • यदि खुरहा और मुंह का रोग किसी गाय या भैंस को हो जाता है तो वह चार-छह महीने तक शत प्रतिशत तक दूध देना बंद कर देती है.
  • ब्रूसेलोसिस होने पर भी दूध देने वाले पशु का दूध जीवन भर के लिए एक तिहाई हो जाता है, बछड़ा-बछड़ी जनना भी बंद हो जाता है.
  • ब्रूसेलोसिस में यह दोष है कि यह गोसाला में काम करने वालों और मवेशी के मालिकों को भी संक्रमित होकर लग सकता है.

Prelims Vishesh

Negative Yield Bond :-

  • हाल ही में, चीन ने पहली बार नकारात्मक-यील्ड बॉन्ड की बिक्री की है तथा इसकी संपूर्ण यूरोप के निवेशकों में उच्च मांग दृष्टिगोचर हुई है.
  • ये ऋण प्रपत्र (debt instruments) हैं, जो निवेशक को बांड के क्रय मूल्य से कम परिपक्वता राशि का भुगतान करने की पेशकश करते हैं.
  • ये सामान्यतः केंद्रीय बैंकों या सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं तथा निवेशक अपने धन को उचचारकर्ताओं के पास रखने के लिए उन्हें ब्याज का भुगतान करते हैं.
  • नकारात्मक यीलड बांड तनाव और अनिश्चितता के समय निवेश को आकर्षित करते हैं, क्योँकि निवेशक अपनी पूंजी को महत्वपूर्ण क्षरण से बचाने का प्रयास करते हैं.

National Crisis Management Committee (NCMC) :-

  • हाल ही में, आसन्न चक्रवात की स्थिति की समीक्षा करने के लिए NCMC की बैठक आयोजित की गई थी.
  • NCMC को एक प्राकृतिक आपदा के दौरान राहत उपायों और कार्यवाहियों के प्रभावी समन्वयन तथा कार्यान्वयन के लिए स्थापित किया गया था.
  • यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है तथा प्राकृतिक आपदा प्रबंधन प्रणाली का एक अभिन्‍न अंग है.
  • NCMC आवश्यक समझे जाने पर संकट प्रबंधन समूह को दिशा-निर्देश भी प्रदान करती है।
  • इसकी अध्यक्षता मंत्रिमंडलीय सचिव द्वारा की जाती है तथा सभी संबंधित मंत्रालयों / विभागों के सचिवों के साथ-साथ संबंधित संगठन समिति के सदस्य होते हैं.

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