Sansar डेली करंट अफेयर्स, 20 September 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 20 September 2019


GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Issues related to health.

Topic : What is Salmonella?

संदर्भ

पिछले दिनों अमेरिका में MDH मसालों में सालमोनेला (Salmonella) बैक्टीरिया की उपस्थिति पाई गई.

सालमोनेला (Salmonella) क्या है?

  • सालमोनेला बैक्टीरिया का एक समूह है जिससे भोजन-जन्य साल्मोनेलोसिस (salmonellosis) नामक रोग हो सकते हैं.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व-भर में अतिसार रोग के चार बड़े कारणों में से सालमोनेला एक है.
  • अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं बचाव केंद्र (US Centers for Disease Control and Prevention – CDC) का अनुमान है कि अमेरिका में प्रतिवर्ष सालमोनेला के कारण 1.2 मिलियन बीमारियाँ होती हैं और 23,000 लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. इनमें से 450 लोग अंततः प्राण गँवा बैठते हैं.
  • सालमोनेला से होने वाले रोग अधिकांशतः भोजन से होते हैं.

लक्षण

  • सालमोनेला से संक्रमित होने के पश्चात् मिचली, अतिसार, ज्वर के साथ-साथ 12-72 घंटों के अन्दर पेट में मरोड़ होने लगती है.
  • सालमोनेला से उत्पन्न रोग 4 से 7 दिन चलता है और अधिकांश लोग बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं.

सालमोनेला संक्रमण किसे अधिक होता है?

  • CDC के अनुसार, सालमोनेला संक्रमण सबसे अधिक 5 वर्ष से नीचे के बच्चों में होता है.
  • बूढ़े व्यक्तियों और दुर्बल-प्रतिरोध क्षमता वाले लोगों को इस बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है और ऐसी स्थिति में संक्रमण कष्टकारी सिद्ध होता है.

सालमोनेला का प्रसार

  • यह बैक्टीरिया घरेलू और जंगली दोनों पशुओं में से व्यापक रूप से पाया जाता है. जिन पशुओं को खाया जाता है, जैसे – मुर्गी, सूअर और मवेशी उनमें तो यह होता ही है, साथ-साथ यह बिल्लियों, कुत्तों, पंछियों और कछुओं जैसे पालतू पशुओं में भी रहता है.
  • खाद्य पदार्थों से होता हुआ सालमोनेला घरों अथवा खान-पान की दुकानों और होटल आदि संस्थानों तक फ़ैल जाता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Security challenges and their management in border areas; linkages of organized crime with terrorism.

Topic : Rohingya refugees

संदर्भ

बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को अगस्त 2019 तक म्यांमार वापस भेज देने का लक्ष्य था. परन्तु यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका क्योंकि म्यांमार भेजने के लिए जिन बसों का प्रबंध हुआ उन पर इन शरणार्थियों ने बैठने से मना कर दिया.

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रोहिंग्या कौन हैं?

  • रोहिंग्या म्यांमार के रखाइन प्रांत में रहने वाला एक समुदाय है जिसमें अधिकांश मुसलमान हैं.
  • उस देश में रोहिंग्याओं को पूर्ण नागरिकता प्राप्त नहीं है और उन्हें निवासी विदेशी अथवा सह-नागरिक के रूप में वर्गीकृत किया गया.
  • नस्ल की दृष्टि से ये म्यांमार में रहने वाले चीनी तिब्बती लोगों से अलग हैं और थोड़ा बहुत भारत के और बांग्लादेश के भारतीय आर्य जनों से मिलते-जुलते हैं.
  • इनकी भाषा और संस्कृति सभी देशों से बिल्कुल अलग है.
  • म्यांमार में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या बसते हैं पर म्यांमार उन्हें अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है. न ही इस प्रजाति को कोई सरकारी ID या चुनाव में भाग लेने का अधिकार दिया गया है.

रोहिंग्या संकट का इतिहास

अधिकांश रोहिंग्या मुसलमान हैं लेकिन कुछ रोहिंग्या अन्य धर्मों का भी अनुसरण करते हैं. 2017 में रोहिंग्या समुदाय के लोगों के विरुद्ध म्यांमार में हिंसा हुई थी. इस हिंसा के बाद लाखों रोहिंग्या म्यांमार को छोड़ कर कहीं और चले गए. अब भी कई रोहिंग्या म्यांमार में ही रखाइन के राहत शिविरों में दिन काट रहे हैं.

रोहिंग्या समुदाय को सदियों पहले अराकान (म्यांमार) के मुग़ल शासकों ने यहाँ बसाया था, साल 1785 में, बर्मा के बौद्ध लोगों ने देश के दक्षिणी हिस्से अराकान पर कब्ज़ा कर लिया था. उन्होंने हजारों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को खदेड़ कर बाहर भगाने की कोशिश की. इसी के बाद से बौद्ध धर्म के लोगों और इन मुसलमानों के बीच हिंसा और कत्लेआम का दौर शुरू हुआ जो अब तक जारी है.

क्या रोहिंग्या मुसलमान भारत के लिए खतरनाक हैं?

एक रिपोर्ट के अनुसार रोहिंग्या बड़ी संख्या में जम्मू के बाहरी भागों में और जम्मू के साम्बा और कठुआ इलाकों में बस गए हैं. ये इलाके हमारे अंतर्राष्ट्रीय सीमा से अधिक दूर नहीं है जो भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरा है.

अता उल्लाह जो Arkan Rohingya Salvation Army का सरगना है, उसका जन्म कराँची, पाकिस्तान में हुआ था. इसकी परवरिश मक्का में हुई. ऐसा कहा जाता है कि रोहिंग्या मुसलमान पाकिस्तान के आतंकवाद संगठनों के साथ जुड़े हुए हैं और लगातार उनसे संपर्क में रहते हैं. सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन द्वारा रोहिंग्या, जो बांग्लादेश के शरणार्थी कैंपों में रह रहे हैं, को आंतकवादी बनाया जा रहा है और पूरे देश की अशांति फैलाने के लिए इनका इस्तेमाल भी किया जा रहा है. सऊदी अरबिया का वहाबी ग्रुप इन्हें आंतकवाद की ट्रेनिंग दे रहा है.


GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life. Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Global Antimicrobial Resistance Research and Development Hub

संदर्भ

पिछले दिनों भारत वैश्विक जीवाणु प्रतिरोध शोध एवं विकास हब (Global Antimicrobial Resistance Research and Development Hub) का सदस्य बन गया है.

वैश्विक जीवाणु प्रतिरोध शोध एवं विकास हब क्या है?

  • मई, 2018 में इसका अनावरण 2017 में G20 के नेताओं के आह्वान पर विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) के 71वें सत्र के समय किया गया था.
  • इस हब में 16 देश, यूरोपीय आयोग और दो मानवतावादी फाउंडेशन सदस्य होते हैं. साथ ही इसमें पर्यवेक्षक के रूप में चार अंतर्राष्ट्रीय संगठन भी होते हैं.
  • इसका सचिवालय जर्मनी की राजधानी बर्लिन में है.
  • इसका वित्तपोषण जर्मनी के संघीय शिक्षा एवं शोध मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुदानों के माध्यम से होता है.
  • इसका कार्य जीवाणु प्रतिरोध के विषय में विश्व की प्राथमिकताओं का निर्धारण करना है.

सदस्य बनने से भारत को होने वाले लाभ

भारत के इसका सदस्य बन जाने से हमें यह लाभ होगा कि देश को इस हब से जुड़े हुए सभी भागीदारों के साथ काम करने का अवसर मिलेगा. साथ ही उनकी वर्तमान क्षमताओं और संसाधनों से भी हम लाभान्वित हो पायेंगे.

भारत में औषधि प्रतिरोधी संक्रमणों के उपचार के लिए विश्व के अन्य देशों के साथ मिल-जुलकर हमारे यहाँ शोध एवं विकास के कार्य को अधिक सबल बनाया है.

जीवाणु प्रतिरोध चिंता का विषय क्यों?

आज जीवाणुओं का प्रतिरोध (Antimicrobial resistance – AMR) एक बहुत बड़ी स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है. नए एंटी-बायोटिकों के आने की आशा बहुत कम रह गयी है, इसलिए यह आवश्यक है कि जो भी दवाइयाँ आज उपलब्ध हैं उनका उपयोग सोच समझकर किया जाए. भारत में एंटी-बायोटिक दवाइयों का उपयोग आवश्यकता से अधिक होता है. AMSP कार्यक्रम इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अस्पतालों के लिए तैयार किया गया है.

जीवाणुओं का प्रतिरोध क्या होता है और क्यों बढ़ रहा है?

भारत में रोगियों को बहुत अधिक एंटी-बायोटिक दवाइयाँ दी जाती हैं. इस कारण लोगों में इनके प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो रहा है जोकि स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत चिंतनीय है.

सूक्ष्माणु प्रतिरोध के मुख्य कारण हैं –

  • एंटी-बायोटिक औषधियों को खाने के लिए कई रोगों में बिना सोचे समझे सलाह देना.
  • एंटी-बायोटिक औषधियों की बिक्री के ऊपर उचित नियंत्रण नहीं होना.
  • बिना चिकित्सक की सलाह से एंटी-बायटिक दवाएँ लेना.
  • एंटी-बायोटिक दवाओं के बारे में ज्ञान और जागरूकता की कमी.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 भी यही कहती है कि जीवाणुओं का प्रतिरोध आज स्वास्थ्य की एक बहुत बड़ी समस्या है. इस नीति के अनुसार एंटी-बायोटिक के उपयोग के बारे में निर्देश निर्गत होने चाहिएँ जिनमें बिना चिकित्सक के इनकी खरीद पर रोकथाम लगाई जाए और पशुओं पर इनके प्रयोग को सीमित कर दिया जाए.

क्या करना चाहिए?

  1. समस्या के समाधान के लिए निजी उद्योग, लोकोपकारी समूहों और नागरिक कार्यकर्ताओं सब को आगे आना चाहिए.
  2. निजी दवा निर्माताओं को चाहिए कि वे उत्तरदायित्वपूर्ण रीति से दवाओं के वितरण पर ध्यान दें.
  3. लोकोपकारी धर्मादा प्रतिष्ठानों को नए एंटीबायटिक बनाने में आर्थिक सहायता देनी चाहिए.
  4. नागरिक कार्यकर्ताओं को चाहिए कि वे जीवाणु प्रतिरोध के बारे में जनता को जागरूक करें.
  5. जीवाणु-प्रतिरोध को टालने के लिए सबसे उत्तम उपाय स्वच्छता बरतना और टीके लेना है. अतः इसके लिए अभियान चलाकर काम करना चाहिए.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Linkages between development and spread of extremism.

Topic : Bioterrorism

संदर्भ

पिछले दिनों रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि SCO देशों की सेनाओं की चिकित्सा सेवा के समक्ष आज जैव आतंकवाद (Bioterrorism) का नया खतरा खड़ा हो गया है.

उन्होंने आह्वान किया कि नई युद्ध तकनीकों से इस खतरे से निबटने के लिए कारगर उपाय ढूँढे जाएँ.

जैव आतंकवाद क्या होता है?

जैव आतंकवाद मूलतः कीटाणु युद्ध को कहते हैं जिसमें शत्रु सेना जानबूझकर ऐसे बैक्टीरिया, वायरस अथवा कीटाणु छोड़ते हैं जो उनके विरोधियों को हानि पहुँचा सके.

उदाहरण के लिए एक बार अमेरिका में एक लिफ़ाफ़े में डालकर एंथ्रेक्स फैलाया गया था जिससे न केवल 22 लोग बीमार पड़ गये, अपितु 5 लोगों की मृत्यु भी हो गई.

जैव आतंकवाद खतरनाक कैसे है?

  • जैव आतंकवाद बैक्टीरिया आदि जीवाणुओं के माध्यम से होता है अतः इसको नियंत्रित करना कठिन होता है और यह पूरे विश्व पर दुष्प्रभाव छोड़ सकता है.
  • जैव आतंकवाद में जिन जीवाणुओं का प्रयोग होता है उनकी भविष्यवाणी करना असंभव है और ये अविश्वसनीय रूप से प्रतिरोधक क्षमता वाले होते हैं.
  • जैव तकनीक उद्योग के निरंतर होते विकास और विस्तार के कारण जैव आतंकवाद का खतरा बढ़ता ही जा रहा है.
  • कई आतंकवादी समूह आजकल जैव हथियारों के प्रयोग में रूचि दिखा रहे हैं. जैव तकनीक के बढ़ते विस्तार को देखते हुए यह असंभव नहीं है कि इनके हाथ खतरनाक जैव हथियार आ जाएँ.
  • जैव हथियार न केवल मनुष्यों को हताहत करते हैं. ये पशुओं और पौधों को भी क्षति पहुँचा सकते हैं.
  • आतंकवादी जैव हथियारों का प्रयोग कर नागरिकों की दृष्टि में सरकार की छवि को आसानी से कमजोर कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए दबाव बना सकते हैं.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges.

Topic : NATGRID

संदर्भ

भारत सरकार की राष्ट्रीय गुप्त सूचना ग्रिड परियोजना (National Intelligence Grid – NATGRID) चाहती है कि उसके पास जो आव्रजन प्रवेश और निर्गमन, बैंकिंग, टेलीफोन से सम्बंधित विवरणों आदि का जो विशाल डेटाबेस है उससे सोशल मीडिया के खातों को भी जोड़ दिया जाए.

NATGRID क्या है?

  • यह एक आतंकविरोधी कार्यक्रम है जो मुंबई में 26 नवम्बर, 2008 को हुए आतंकवादी आक्रमण के उपरान्त तैयार किया गया था.
  • संदिग्ध आतंकियों पर नजर रखने और आतंकी आक्रमणों को रोकने के लिए NATGRID बिग डाटा और एनेलिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग करते हुए विभिन्न गुप्त सूचना और प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त डाटा की विशाल मात्रा का अध्ययन और विश्लेषण करता है.
  • NATGRID डाटा उपलब्ध कराने वाले संगठनों और उपयोगकर्ताओं के बीच विभिन्न चरणों में सम्पर्क स्थापित करेगा.
  • NATGRID एक वैधानिक ढाँचा भी बना रहा है जिसका उपयोग विधि प्रवर्तन एजेंसियाँ करेंगी.

NATGRID का महत्त्व

  • NATGRID का महत्त्व ऐसे समझा जा सकता है कि यदि यह नहीं होता तो पुलिस को सूचना उगाहने के लिए कठोर और दमनात्मक कार्रवाई का ही भरोसा रह जाता.
  • जब कभी कोई आतंकी घटना होती है तो पुलिस लोगों की पकड़-धकड़ करने लगती है. इनमें से कई निर्दोष होते हैं. यदि कोई ऐसी प्रणाली हो जिसमें संधान और पहचान की व्यवस्था हो तो मानव अधिकार के उल्लंघन के ऐसे मामले कम बनेंगे.
  • NATGRID गुप्त सूचना ब्यूरो को संदिग्ध इतिहास वाले व्यक्तियों पर नजर रखने में सहायता पहुँचाता है.

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Drought Toolbox:-

  • UNCCD के पक्षकारों के चल रहे 14वें सम्मलेन में सूखा टूल बॉक्स (Drought Toolbox) का अनावरण किया गया है.
  • यह टूल बॉक्स वस्तुतः एक ज्ञान बैंक है जिसमें सूखे के जोखिम को घटाने, सूखे के लिए बेहतर तैयारी करने और सूखे से निबटने के उपाय संगृहीत हैं.

World University Rankings 2020 :-

  • पिछले दिनों TIMES हायर एजुकेशन (THE) ने विश्व-भर के विश्वविद्यालयों की रैंकिंग (2020) का 16वाँ संस्करण प्रकाशित किया है जिसमें 92 देशों के 1,300 विश्वविद्यालयों पर मन्तव्य दिए गये हैं.
  • इस बार रैंकिंग सूची में भारत के 56 संस्थानों को जगह मिली है जबकि पिछले वर्ष ऐसे संस्थान 49 ही थे.
  • पिछले तीन वर्षों की तरह इस बार भी शीर्ष पर यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड का नाम है.
  • भारत के जिस संस्थान को उच्चतम स्थान मिला है वह IISc बेंगलुरु है. यद्यपि इस बार उसके स्थान में गिरावट देखी गई. विदित हो कि पिछले वर्ष यह संस्थान 251-300 श्रेणी में था, पर इस बार यह 301-350 श्रेणी में चला आया है.

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