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Sansar Daily Current Affairs, 18 February 2021
GS Paper 2 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.
Topic : National Food Security Mission – NSFM
संदर्भ
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (National Food Security Mission – NSFM) को वर्ष 2007-08 में केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में चावल, गेहूँ और दालों के उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए शुरू किया गया था.
इसके अंतर्गत, निम्नलिखित उपाय सम्मिलित हैं :–
- क्षेत्र विस्तार और उत्पादकता में वृद्धि;
- मृदा की उर्वरता और उत्पादकता की पुनर्स्थापना करना;
- रोजगार के अवसर उत्पन्न करना तथा
- कृषि स्तर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाना.
आज की तिथि में इसके अग्रलिखित उप-घटक हैं :-
NSFM चावल, NFSM गेहूं, NFSM दलहन, NFSM मोटे अनाज, NFSM पोषक अनाज और NFSM वाणिज्यिक फसलें.
वित्त पोषण प्रतिरूप
वर्ष 2015-16 से, मिशन को केंद्र व राज्य सरकारों के मध्य 60:40 के अनुपात में और केंद्र एवं पूर्वोत्तर तथा 3 पहाड़ी राज्यों के बीच 90:10 के अनुपात में साझाकरण प्रतिरूप पर लागू किया जा रहा है.
इसके परिणामस्वरूप (वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 के मध्य)
- कुल खाद्यान्न उत्पादन 252.02 मिलियन टन से बढ़कर 296.65 मिलियन टन हो गया.
- खाद्यान्नों की उत्पादकता 2028 किलोग्राम/ हेक्टेयर से बढ़कर 2325 किलोग्राम / हेक्टेयर हो गई.
- दलहन उत्पादन में 17.15 मिलियन टन से 23.15 मिलियन टन तक की वृद्धि संभव हो सकी.
- सूक्ष्म पोषक तत्वों, जैक-उर्वरकों और एकीकृत कीट प्रबंधन के साथ 100 लाख से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र को उपचारित किया गया.
- “हर खेत को पानी” और “प्रति बूंद अधिक फसल” के उद्देश्य से 2,74,600 पंप सेट, 1,26,967 स्प्रिकलर इत्यादि वितरित किए गए थे.
कृषोन्नति योजना से सम्बंधित विवरण यह योजना 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य के एक भाग के रूप में जारी रखी गई है. यह योजना कृषि मंत्रालय के अधीन 11 योजनाओं व मिशनों का समूह है. ये 11 योजनाएँ व मिशन कुछ इस प्रकार हैं – COVID-19 संक्रमण के दौरान भारत स्वास्थ्य चुनौतियों के अतिरिक्त जिन चुनौतियों का सामना कर रहा है, उनमें से खाद्य सुरक्षा की चुनौती सबसे प्रमुख चुनौतियों में से एक है. तीव्रता से बढ़ती हुई जनसंख्या, बढ़ते खाद्य मूल्य और जलवायु परिवर्तन का खतरा ऐसी चुनौतियाँ है जिनसे युद्ध स्तर पर निपटे जाने की जरूरत है. स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि ‘‘जो व्यक्ति अपना पेट भरने के लिये जूझ रहा हो उसे दर्शन नहीं समझाया जा सकता है.” यदि भारत को विकसित राष्ट्रों की सूची में शामिल होना है, तो उसे अपनी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. GS Paper 2 Source : The Hindu UPSC Syllabus : Separation of powers between various organs dispute redressal mechanisms and institutions. संदर्भ हाल ही में पुदुचेरी के उपराज्यपाल के पद से किरण बेदी को हटा दिया गया है तथा तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन को पुदुचेरी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है.पुदुचेरी में राजनीतिक अस्थिरता के बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में किरण बेदी को अचानक उपराज्यपाल के पद से हटा दिया. विदित हो कि राष्ट्रपति 5 साल के लिए राज्यपाल की नियुक्ति करते हैं, लेकिन जब तक कि राष्ट्रपति का विश्वास प्राप्त हो तब तक ही LG के पद पर बने रह सकते हैं. ज्ञातव्य है कि देश की पहली महिला IPS अफसर किरण बेदी करीब साढ़े 4 साल तक उपराज्यपाल के पद पर बनी रहीं. पुदुचेरी एक केंद्र शासित प्रदेश है, तथा संविधान के अनुच्छेद 239A द्वारा प्रशासित होता है. GS Paper 2 Source : PIBइस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?
मेरी राय – मेंस के लिए
Topic : Removal of Puducherry Lt Governor
पुदुचेरी के उपराज्यपाल की शक्तियाँ और स्रोत
UPSC Syllabus : Statutory, regulatory and various quasi-judicial bodies.
Topic : Border Roads Organisation – BRO
संदर्भ
केंद्रीय बजट 2021-22 में सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे को प्रोत्साहन देने के लिए सीमा सड़क संगठन (Border Roads Organisation – BRO) के लिए धन बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है. सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क विकास परियोजनाओं के लिए आवंटन 5,586.23 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 6,004.08 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
इस बढ़े हुए आवंटन से रणनीतिक अनिवार्यताओं द्वारा आवश्यक निर्माण की गति को बढ़ाने के लिए आधुनिक निर्माण संयंत्रों, उपकरणों और मशीनरी की खरीद में सुविधा होगी. बढ़ी हुई निधि का एक बड़ा भाग सीमावर्ती क्षेत्रों में णगनीतिक सड़कों के बेहतर रख-रखाव के लिए प्रयोग किया जाएगा और इससे उत्तरी एवं पूर्वोत्तर सीमाओं के साथ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा.
BRO क्या है?
- BRO का full-form है – Border Roads Organisation.
- BRO 2015 से रक्षा मंत्रालय के साथ काम कर रहा है.
- इसका कार्य सीमा के आस-पास कठिन एवं दुर्गम स्थानों तक सड़क बनाना है.
- सेना में “Indian Army’s Corps of Engineers” नामक एक इंजीनियरिंग शाखा होती है, उसी से BRO में इंजिनियर लिए जाते हैं.
- वर्तमान में BRO द्वारा 21 राज्य और एक संघ शासित क्षेत्र (अंडमान और निकोबार) में काम किया जा रहा है.
- इसके आलावा BRO को अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका में भी काम मिला है.
- बीआरओ देश की 32,885 किलोमीटर सड़कों और 12,200 मीटर स्थायी पुलों का रखरखाव करता है.
- उत्तर-पूर्व भारत में आधारभूत संरचना के विकास में BRO का महान योगदान है.
चीनी सीमा के पास भारत सरकार ने 73 सड़कों की स्वीकृति दे रखी है पर यह संगठन समय पर इनके निर्माण का कार्य पूरा नहीं कर पाया है इसलिए भारत सरकार ने हाल ही में इसको अतिरिक्त वित्तीय शक्तियाँ प्रदान की हैं जिससे कि यह काम में तेजी ला सके.
सुधार की आवश्यकता
सीमा सड़क संगठन (BRO) में सुधार लाने के लिए बहुत प्रयत्न हुए हैं, परन्तु यह अभी भी एक विभाजित संगठन बना हुआ है जिसमें इस संगठन के कैडर के अफसरों और इसमें प्रतिनियुक्ति पर पदस्थापित सैनिक अफसरों के बीच में खटपट चलती रहती है. BRO कैडर के अफसर यह नहीं चाहते हैं कि संगठन के उच्चस्थ कार्यकारी और कमांड के ढेर सारे पद सैनिकों को मिलें.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure- energy.
Topic : National Hydrogen Mission
संदर्भ
भारत सरकार ने एक राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की है, जो ऊर्जा स्रोत के रूप में हाइड्रोजज का उपयोग करने के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा.
पृष्ठभूमि
ज्ञातव्य है कि कुछ समय पहले ही संयुक्त राज्य अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने भी हाइड्रोजन उत्पादन और ईंधन सेल प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास में $100 मिलियन तक के निवेश की घोषणा की थी. गत वर्ष सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा हाइड्रोजन ईंधन सेल वाहनों के सुरक्षा मूल्यांकन के मानकों को अधिसूचित किया गया था. उन्हें केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 में संशोधन के माध्यम से अधिसूचित किया गया था. ये मानक उपलब्ध अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी हैं. इससे भारत में हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित वाहनों को बढ़ावा मिलेगा.
हाइड्रोजन ईंधन सेल की कार्यप्रणाली (चित्र से समझिये)
- इसमें हाइड्रोजज और ऑक्सीजन के सम्मिश्रण से विद्युत धारा का निर्माण किया जाता है.
- इस प्रक्रिया में जल उप उत्पाद होता है.
- चूँकि इसमें कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन नही होता अतः इसे स्वच्छ ऊर्जा तकनीक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है.
- इसे भविष्य का ईंधन बताया जा रहा है, हालाँकि विकसित सुरक्षा तकनीक के प्रयोग के कारण हाइड्रोजन चलित वाहन अभी महँगे हैं.
हाइड्रोजन ईंधन ही क्यों?
- हाइड्रोजन ईंधन का एक स्वच्छ स्रोत है क्योंकि इसके प्रयोग से सह उत्पाद के रूप में मात्र पानी और ताप का ही सृजन होता है.
- हाइड्रोजन कई स्रोतों से निकाला जा सकता है, जैसे – मीथेन, कोयला, पानी और यहाँ तक की कचरा भी.
- बिजली से चलने वाली गाड़ियों को रिचार्ज करने में घंटों लग जाते हैं और वे कुछ सौ किलोमीटर ही चल पाती हैं. किन्तु FCVs को रिचार्ज करने में कम समय लगता है और ये अधिक दूर तक भी जाती हैं.
- यह प्रदूषण को समाप्त करता है, तेल और गैस के आयात पर निर्भरता को कम करता है, उच्च विद्युत दक्षता से युक्त है, शोर-रहित परिचालन होता है आदि.
सीमाएँ
उपकरणों की उच्च लागत, हाइड्रोजन गैस के भंडारण एवं रखरखाव से संबद्ध मुद्दे (जैसे संक्षारण) आदि.
अनुप्रयोग
स्थिर क्षेत्र (भवनों, पृथक घरों आदि के लिए विद्युत आपूर्ति), वहनीय (पोर्टेबल) क्षेत्र (सैन्य अनुप्रयोगों जैसे सुवाह्य सैनिक शक्ति, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आदि), परिवहन क्षेत्र इत्यादि.
GS Paper 3 Source : The Hindu
UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.
Topic : Blue Economy
संदर्भ
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने भारत के लिए ड्राफ्ट ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी पर सुझाव माँगे हैं. एनजीओ, उद्योग, शिक्षाविदों और नागरिकों जैसे हितधारकों को 27 फरवरी 2021 तक अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.
ड्राफ्ट के प्रमुख बिंदु
- ड्राफ्ट का उद्देश्य भारत के जीडीपी में नीली अर्थव्यवस्था के योगदान को बढ़ाना, तटीय समुदाय के लोगों की जिंदगी में सुधार लाना, समुद्री जैव विविधता को संरक्षित रखना तथा समुद्री क्षेत्रों, संसाधनों की राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखना है.
- इसमें 7 थीम-आधारित क्षेत्रों पर बल दिया गया है: नीली अर्थव्यवस्था और महासागर शासन का राष्ट्रीय लेखा फ्रेमवर्क; तटीय समुद्री स्थानिक योजना और पर्यटन; समुद्री मत्स्य पालन, मछली प्रसंस्करण और एक्वाकल्चर, विनिर्माण, सेवाएँ, व्यापार, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास; लॉजिस्टिक्स, बुनियादी ढांच और शिपिंग, तटीय और गहरे समुद्र में खनन एवं अपतटीय ऊर्जा और सुरक्षा, रणनीतिक आयाम और अंतर्राष्ट्रीय संलग्नक.
नीली अर्थव्यवस्था
- नीली अर्थव्यवस्था से अभिप्राय आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और रोजगार के लिए महासागरीय संसाधनों का सतत उपयोग करते हुए महासागर पारिस्थितिकी-तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करने से है.
- भारत की कुल अर्थव्यवस्था में नीली अर्थव्यवस्था की भागीदारी 4.1% है.
- मत्स्य पालन, गहरे समुद्र में खनन और अपतटीय तेल एवं गैस भारत की नीली अर्थव्यवस्था के बड़े घटक हैं.
नीली अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए भारत द्वारा किए गए उपाय
- पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) द्वारा सागरमाला परियोजना को प्रारंभ किया गया है.
- यह परियोजना बंदरगाहों के आधुनिकीकरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी सक्षम सेवाओं के व्यापक उपयोग के माध्यम से बंदरगाह आधारित विकास (port-led development) सुनिश्चित करने वाली एक रणनीतिक पहल है.
मत्स्य संपदा योजना
- इसका उद्देश्य मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना और वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात आय को बढ़ाकर 1 लाख करोड़ रुपये करना है.
- सागरमाला पहल के अंतर्गत सभी समुद्र तटवर्ती राज्यों को समाविष्ट करते हुए तटीय आर्थिक क्षेत्र (Coastal Economic Zones: CEZs) विकसित किए जा रहे हैं.
- CEZ स्थानिक आर्थिक क्षेत्र हैं. इनमें उस क्षेत्र के बंदरगाहों से गहन रूप से जुड़े हुए तटीय जिलों (coastal districts) या अन्य जिलों का एक समूह शामिल है.
- बहुधात्विक नोड्यूल: भारत को मध्य हिंद महासागर में गहरे समुद्र में खनन के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्र तल प्राधिकरण (International Seabed Authority) से स्वीकृति प्राप्त हुई है.
Prelims Vishesh
Technograhis :-
- आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने टेक्नोग्रहियों के लिए एक नामांकन मॉड्यूल (Enrolment Module) का शुभारंभ किया है.
- टेक्नोग्राहियों में आई.आई.टी., एन.आई.टी., इंजीनियरिंग, प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर कॉलेज के छात्र तथा संकाय सदस्य सम्मिलित हैं.
- ये छात्र अधिगम, परामर्श, नए विचार व समाधान, अनुप्रयोग, नवाचार और तकनीकी जागरूकता के लिए छह लाइट हाउस परियोजनाओं (LHPs) साइट पर लाइव प्रयोगशालाओं से जुड़ पाएँगे.
- LHPs वस्तुतः क्षेत्र की भू-जलवायु और परिसंकटमय परिस्थितियों के प्रति सक्षम सूचीबद्ध वैकल्पिक प्रौद्योगिकी के साथ निर्मित घरों से युक्त आदर्श आवास परियोजनाएँ हैं.
E-Chahawani :-
- ई-छावनी पोर्टल भारत-भर में 62 छावनी बोडों के 20 लाख से अधिक निवासियों को ऑनलाइन नागरिक सेवाएँ प्रदान करेगा.
- इस पोर्टल के जरिये छावनी क्षेत्रों के निवासी पट्टों के नवीकरण, जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन, जल एवं सीवरेज कनेक्शन आदि जैसी बुनियादी सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे.
- यह पोर्टल ई-गवर्नेंस फाउंडेशन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), रक्षा संपदा महानिदेशालय और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है.
- छावनी बोर्ड रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक नागरिक प्रशासन निकाय है, जिसका गठन छावनी अधिनियम, 2006 (Cantonment Act, 2006) के तहत किया गया है.
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