Sansar डेली करंट अफेयर्स, 16 April 2019

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Sansar Daily Current Affairs, 16 April 2019


GS Paper  2 Source: Indian Express

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Topic : Prime Minister and Sadr-e-Riyasat of Jammu & Kashmir

संदर्भ

हाल ही में कश्मीर के कुछ नेताओं ने यह बात उठाई कि कश्मीर में पहले की भाँति एक प्रधानमन्त्री अलग से होना चाहिए और सदर-ए-रियासत का पद फिर से स्थापित होना चाहिए. इसी माँग के संदर्भ में एक नया विमर्श आरम्भ हो गया है जिसमें प्रधानमंत्री के साथ-साथ सदर-ए-रियासत का पद फिर से लाने के पक्ष-विपक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं.

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • जम्मू-कश्मीर संविधान सभा सितम्बर, 1951 में गठित हुई और जनवरी 25, 1957 तक चली. इसने जो संविधान तैयार किया वह नवम्बर 17, 1956 में अंगीकृत हुआ और जनवरी 26, 1957 से प्रभावी हुआ.
  • इस संविधान सभा ने यह संकल्प लिया था कि जम्मू-कश्मीर का शासन प्रमुख भारत द्वारा नियुक्त राज्यपाल न होकर वहाँ के विधान सभा द्वारा चुना हुआ सदर-ए-रियासत होगा जिसे भारतीय राष्ट्रपति की मान्यता प्राप्त होगी. भारत सरकार ने इस व्यवस्था पर अपनी हामी भर ली थी.
  • योग्यता :- केवल जम्मू-कश्मीर का कोई स्थायी निवासी ही सदर-ए-रियासत हो सकता था. वह वहाँ के विधानसभा द्वारा चुना जाता था और फिर भारतीय राष्ट्रपति उसे मान्यता देकर नियुक्त करते थे.
  • 1965 के पहले तक जम्मू-कश्मीर में एक अपना प्रधानमंत्री और सदर-ए-रियासत हुआ करता था. 1965 के बाद यह दोनों पद मुख्यमंत्री और राज्यपाल में बदल दिए गये.
  • स्वतंत्रता के पहले भी जम्मू-कश्मीर में प्रधानमन्त्री का पद हुआ करता था. पहले प्रधानमन्त्री के रूप में सर. एल्बियन बनर्जी (1927-29) की नियुक्ति डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह ने की थी उसके पश्चात् स्वतंत्रता के पहले जम्मू-कश्मीर में नौ और प्रधानमंत्री हुए थे.

जम्मू-कश्मीर संविधान का छठा संशोधन

  • यह संशोधन 1965 में किया गया था जिसके अनुसार सदर-ए-रियासत का पद बदलकर राज्यपाल कर दिया गया, परन्तु संविधान की धारा 147 में संशोधन नहीं हुआ. फलस्वरूप एक समय ही जम्मू-कश्मीर में दो शासन प्रमुख हो गये – सदर-ए-रियासत और राज्यपाल.
  • 2015 में जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने यह निर्णय लिया कि सदर-ए-रियासत का पद बदलकर राज्यपाल करना असंवैधानिक था.
  • उच्च न्यायालय का तर्क था कि निर्वाचित सदर-ए-रियासत का पद राज्य के संविधान के बुनियादी ढाँचे का एक अभिन्न अंग है, अतः राज्य विधान सभा को यह शक्ति नहीं कि इसमें वह संशोधन कर सके.
  • छठे संशोधन ने न केवल सदर-ए-रियासत का नाम ही बदला, अपितु उसकी योग्यता तथा उसकी नियुक्ति के तरीके को भी बदल डाला.

राजनैतिक पहलू

जम्मू-कश्मीर के स्थानीय राजनैतिक दल राज्य में पुरानी स्वायत्तता वापस लाना चाहते हैं. 1996 में नेशनल कांफ्रेंस दल को विधान सभा चुनावों में दो तिहाई बहुमत मिला. इससे उत्साहित होकर उसने एक राज्य स्वायत्तता प्रतिवेदन पारित किया जिसमें माँग की गई कि 1993 में राज्य को जो स्वायतत्ता मिली हुई थी, वह वापस लाई जाए. इसका अभिप्राय यह हुआ कि फिर दुबारा प्रधानमन्त्री और सदर-ए-रियासत दोनों पद लाये जाएँ. इस प्रतिवेदन को वाजपेयी सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया था.


GS Paper  2 Source: The Hindu

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Topic : Bangladesh-Bhutan-India-Nepal (BBIN) initiative

संदर्भ

भूटान सरकार ने सड़क रेल सम्पर्क के लिए अभिकल्पित बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) पहल से सम्बंधित विधेयक को सम्पुष्टि हेतु अपने उपरी सेनट को अग्रसारित करने का निर्णय लिया है.

पृष्ठभूमि

2015 के जून में बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल ने एक मोटर यान संचालन (MVN) समझौते पर हस्ताक्षर किये थे जिसका उद्देश्य चारों देशों की सीमाओं के आर-पार यात्री वाहनों और माल वाहनों के आवागमन को बाधारहित बनाना है. बांग्लादेश, भारत और नेपाल इस समझौते की पुष्टि कर चुके हैं. अब भूटान की बारी है.

BBIN MVN क्या है?

  • यह एक युगांतरकारी समझौता है जिसपर 15 जून, 2015 को भूटान की राजधानी थिम्पू में चारों देशों के परिवहन मंत्रियों ने हस्ताक्षर किये थे. इस समझौते के अनुसार सभी देश सहमत हुए कि वे दूसरे देशों में पंजीकृत वाहनों को अपने भूभाग में कुछ शर्तों के साथ आवाजाही करने देंगे. समझौते में यह भी था कि चुंगी और शुल्क कितना होगा, इसका निर्धारण सम्बंधित देश करेंगे और इसे द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय वार्ता कर के अंतिम रूप दिया जाएगा.
  • उद्देश्य : इस समझौते का मुख्य उद्देश्य लोगों के बीच निर्बाध संपर्क मुहैया करना तथा लोगों और सामानों के सीमा पर आने-जाने की सुविधा देकर आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी करना है.
  • लाभ : BBIN MVN से सवारी और मालवाहक गाड़ियाँ चारों देश में बिना रोक-टोक के आना-जाना करेंगी. मालवाहक गाड़ी को सीमा पर बदलना आवश्यक नहीं होगा जोकि अभी तक होता आया है. इस समझौते से क्षेत्र में सुरक्षित, आर्थिक रूप से कारगर एवं पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल सड़क परिवहन की व्यवस्था होगी और क्षेत्रीय एकात्मता के सृजन में सहयोग मिलेगा.
  • ADB का सहयोग : एशियाई विकास बैंक (ADB) इस समझौते के लिए तकनीकी, परामर्शी और वित्तीय समर्थन दे रहा है. यह समझौते इस बैंक के दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग (South Asia Sub regional Economic Cooperation – SASEC) कार्यक्रम के अंतर्गत किया जा रहा है. विदित हो कि इस कार्यक्रम के माध्यम से BBIN देशों के अतिरिक्त मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार को परियोजनाओं पर आधारित सहायता दी जाती है. SASEC का सचिवालय एशियाई विकास बैंक में है.

GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : NGT forms Central Monitoring Committee to check river pollution

संदर्भ

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने हाल ही में एक केन्द्रीय अनुश्रवण समिति गठित की है जो देश की 350 से अधिक नदियों को प्रदूषण रहित बनाने के लिए एक राष्ट्रीय योजना तैयार करेगी और उसे लागू करेगी.

ngt_forms_central_monitoringमुख्य तथ्य

बनावट : इस समिति में ये व्यक्ति होंगे – नीति आयोग का एक प्रतिनिधि; जल संसाधन, शहरी विकास और पर्यावरण मंत्रालयों के सचिव; स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक तथा केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष. इस समिति के कार्यों के समन्वयन हेतु नोडल अधिकारी केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष होंगे और राज्यों के मुख्य सचिव राज्य-स्तर पर अपने-अपने राज्यों के लिए नोडल एजेंसी होंगे.

उद्देश्य : इस समिति का गठन नदियों के प्रदूषण पर नज़र रखने के लिए हुआ है. ज्ञातव्य है कि नदियों के प्रदूषण से जल एवं पर्यावरण की सुरक्षा पर भीषण खतरा हो गया है. यह समिति नदियों के प्रदूषण को रोकने के साथ-साथ राज्यों की नदी कायाकल्प समितियों के साथ समन्वयन करेगी और कार्य योजनाओं का पर्यवेक्षण करेगी. यह पर्यवेक्षण दी गई समय-सीमाओं, बजटीय उपबन्धों और अन्य कारकों के परिप्रेक्ष्य में किया जाएगा.

चिंताएँ

सरकार की कई योजनाओं के माध्यम से नदियों को साफ़ करने पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. ये योजनाएँ हैं – राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (NRCP), अटल कायाकल्प एवं शहरी रूपांतरण मिशन (AMRUT), स्मार्ट सिटी मिशन कार्य्रकम, नमामि गंगे तथा नदी विकास एवं गंगा कायकल्प योजना.

फिर भी इन नदियों में प्रदूषण का स्तर ख़ास सुधरा नहीं है. 38,000 मिलियन लीटर से भी अधिक पानी बेकार होकर बड़ी-बड़ी नदियों और जलाशयों में चला जाता है तथा वहाँ से भूमि के अन्दर प्रतिदिन रिस कर पहुँच जाता है. इसके अतिरिक्त उद्योगों से भी दूषित पानी निकलता है.

CPCB और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को चाहिए कि वे एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम चलायें जिसका विषय जैव-विवधता का अनुश्रवण तथा नदियों का सूचकांक तैयार करना हो जिससे कि नदी स्वच्छता कार्यक्रम के कारगर होने की जाँच हो सके.


GS Paper  3 Source: The Hindu

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Topic : ‘Three-person’ baby boy born in Greece

संदर्भ

यूनान और स्पेन के प्रजनन विशेषज्ञ डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्होंने किसी स्त्री के बाँझपन की समस्या के समाधान के लिए तीन व्यक्तियों से एक बच्चा उत्पन्न कराया है.

पृष्ठभूमि

इस प्रयोग में माँ के अंडे, पिता के शुक्राणु और एक दाता स्त्री से एक और अंडे का उपयोग किया गया. ऐसा प्रयोग उन परिवारों को सहायता पहुँचाने के लिए होता है जिन्हें घातक माइटोकोंड्रियल रोग है जो माँ से संतान तक संक्रमित हो जाते हैं.

इस तकनीक का प्रयोग मैक्सिको में 2016 में हुआ था और इसके माध्यम से माइटोकोंड्रिया से सम्बंधित रोग से ग्रस्त एक परिवार ने एक बच्चा उत्पन्न किया था. 2017 में इसी प्रक्रिया से युक्रेन में अकारण बांझपन से ग्रस्त एक 34 वर्षीय यूक्रेनी माँ ने बच्चा पैदा किया था.

यह कैसे हुआ?

  • चिकित्सकों के एक दल ने MST तकनीक अपनाई. MST का पूरा नाम है – maternal spindle transfer. जैसा कि ज्ञात है कि सभी कोषों में माइटोकोंड्रिया होता है जो उन कोषों को शक्ति देता है और वह ऊर्जा उत्पन्न करता है जिससे कोष जिन्दा रहते हैं. बच्चे के DNA में माता-पिता दोनों का मिश्रण होता है, परन्तु माइटोकोंड्रिया केवल माता की ओर से आता है.
  • कुछ लोगों को माइटोकोंड्रिया से सम्बंधित हो जाता है जो एक विरल रोग है परन्तु प्राणघातक भी है.
  • ऐसे रोग से ग्रस्त स्त्री के उपचार की एक पद्धति उसके अंडों में स्थित माइटोकोंड्रिया को IVF के माध्यम से हटा देना है. यही पद्धति यूनान के डॉक्टरों ने अपनाई. उन्होंने स्त्री के अंडे से DNA निकालकर उसको दाता स्त्री के अंडे में डाल दिया. उस अंडे को शुक्राणुओं से सिंचित कर एक भ्रूण तैयार किया गया.

क्या है यह नैतिकतापूर्ण है?

इंग्लैंड के कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार तीन व्यक्तियों से बच्चा उत्पन्न करना नैतिकता से सम्बंधित प्रश्न खड़े करता है और ऐसा नहीं किया जाना चाहिए था. वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि यही प्रक्रिया ऐसी स्त्री के साथ अपनाई गई जो माइटोकोंड्रिया संबंधी रोग से ग्रस्त नहीं है तो यह उचित नहीं होगा. अभी यह नई-नई प्रक्रिया है. संभव है कि भविष्य में पता चले कि इस तकनीक में खतरे भी हैं.

कोष की बनावट

  1. केन्द्रक – केन्द्रक वह स्थान है जहाँ हमारे अधिकांश DNA होते हैं. यही निश्चित करता है कि हम कैसे दिखते हैं और हमारा व्यक्तित्व कैसा है.
  2. माइटोकोंड्रिया – यह कोषों को ऊर्जा प्रदान करता है.
  3. साइटोप्लाज्म – यह एक जेली जैसा पदार्थ है जिसमें केन्द्रक और माइटोकोंड्रिया रहते हैं.

GS Paper  3 Source: PIB

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Topic : Nirbhay missile

संदर्भ

हाल ही में भारत ने निर्भय नामक अपने पहले ध्वनि की गति से कम गति से चलने वाले क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.

  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा रूपांकित और निर्मित यह मिसाइल हर मौसम में चलने वाला, आवाज़ की गति से कम गति वाला और दूर तक मार करने वाला एक मिसाइल है.
  • यह क्रूज मिसाइल अमेरिका के क्रूज मिसाइल टॉमहॉक का भारतीय प्रतिरूप है.
  • यह मिसाइल कई मंचों से छोड़ा जा सकता है और यह पारम्परिक और आणविक दोनों प्रकार के बम को ले जाने में समर्थ है.
  • यह मिसाइल ठोस रॉकेट मोटर बूस्टर द्वारा दो चरणों में प्रक्षेपित होता है. यह मिसाइल 300 किलोग्राम तक का बम 6 से 0.7 मैक (अर्थात् ध्वनि की गति से कम गति) की गति से ले जा सकता है.
  • इसकी मारक क्षमता 1,000 कि.मी. है.

Prelims Vishesh

IMD rainfall distribution categories :-

  • हाल ही में भारतीय मौसम विभाग ने मानसून का पूर्वानुमान प्रतिवेदन प्रकाशित किया है जिसमें बताया गया है कि इस वर्ष दीर्घावधि बरसात की औसत (Long Period Average – LPA) 96% होगी.
  • 1951 से लेकर 2000 के आँकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने तय किया है कि देश के मानसून की दीर्घावधि औसत 89 cm है.
  • अलग-अलग क्षेत्रों में यह औसत 6 cm से लेकर 143.83 cm तक होती है.

Saraswati Samman :

  • 2018 का सरस्वती सम्मान तेलगु कवि के. शिव रेड्डी को उनके कविता संकलन Pakkaki Ottigilite के लिए दिया गया है.
  • यह पुरस्कार प्रतिवर्ष के.के. बिरला फाउंडेशन द्वारा साहित्य के लिए दिया जाता है जिसमें एक प्रशस्ति पत्र, एक अभिलेख और 15 लाख रु. मिलते हैं.

Coast Guard patrol ship Veera commissioned :

  • लार्सन और टूब्रो द्वारा निर्मित तटरक्षक सेना के लिए तीसरे गश्ती जहाज को चालू किया गया.
  • इसका नाम वीर रखा गया है. इसका निर्माण चेन्नई के कट्टुपल्ली में Make in India के तहत हुआ.

Uighur Muslims :

  • उइगरों पर नज़र रखने के लिए चीन सरकार कृत्रिम बुद्धि पर आधारित चेहरा पहचान करने की उन्नत रहस्यमय तकनीक अपना रही है.
  • उइगर मुसलमानों की एक नस्ल है जो बहुत करके चीन के चीन के Xinjiang प्रांत में रहती है.
  • उइगर लोग उस प्रांत की जनसंख्या के 45% हैं.
  • विदित हो कि तिब्बत की भांति Xinjiang भी चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र घोषित है.

Nandhaur Wildlife Sanctuary :

  • उत्तराखंड की नन्धौर वन्यजीवन आश्रयणी में बाघों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अतः अधिकारी ऐसा सोच रहे हैं कि इस आश्रयणी को उत्क्रमित कर व्याघ्र अभयारण्य में बदल दिया जाए.
  • यह आश्रयणी उत्तराखंड के कुमाऊ क्षेत्र में बहने वाली नन्धौर नदी के निकट स्थित है.

What are Non-Core Assets?

  • हाल ही में निवेश एवं लोक संपदा प्रबंधन विभाग ने केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (Central Public Sector Enterprises – CPSEs) की निष्पादनीय संपदाओं (non-core assets) से पैसा निकालने के विषय में मार्गनिर्देश जारी कए हैं.
  • निष्पादनीय सम्पदाएँ वे सम्पदाएँ हैं जो या तो बहुत आवश्यक नहीं हैं अथवा कम्पनी के व्यवसायिक संचालन में उनका उपयोग नहीं हो रहा है.
  • ऐसी सम्पदाओं से पैसा निकालने के लिए कम्पनियाँ बहुधा उन्हें बेच देती हैं. अपने कर्ज को चुकाने के लिए भी कुछ कंपनियाँ इनको बेच दिया करती हैं.

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