Sansar डेली करंट अफेयर्स, 15 August 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 15 August 2020


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus : Women related issues.

Topic : Govt to rethink minimum marriage age for women

संदर्भ

हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का संकेत दिया कि सरकार लड़कियों की शादी के लिए तय कानूनी आयु में संशोधन (18 से 21 वर्ष) करने का विचार कर रही है.

पृष्ठभूमि

भारत सरकार ने 04 जून, 2020 को निर्गत एक राजपत्र अधिसूचना में मातृत्व की आयु,  दर (Maternal Mortality Ratio – MMR)  को कम करने की अनिवार्यताओं और पोषण स्तर बेहतर करने से जुड़े मुद्दों के साथ-साथ कुछ अन्‍य संबंधित विषयों पर भी ध्यान देने के लिए एक कार्यदल का गठन किया है.

जया जेटली टास्क फोर्स (कार्य दल)

सरकार ने मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को कम करने के उद्देश्य से मातृत्व की उम्र की समीक्षा के लिए जया जेटली की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय टास्क फोर्स (कार्य दल) का गठन किया गया था.

इस कार्यदल के विचारार्थ विषय निम्‍नलिखित थे :-

  • विवाह और मातृत्व की आयु के इन सभी के साथ सह-संबंध पर गौर करना
  • माँ का स्वास्थ्य, चिकित्सीय सेहत एवं पोषण की स्थिति और गर्भावस्था, जन्म एवं उसके बाद नवजात शिशु/ शिशु/ बच्चा
  • प्रमुख मापदंड जैसे कि शिशु मृत्यु दर (Infant Mortality Rate – IMR), मातृ मृत्यु दर (MMR), कुल प्रजनन दर (Total Fertility Rate – TFR), जन्म के समय लिंग अनुपात (Sex Ratio at Birth – SRB), बाल लिंग अनुपात (Child Sex Ratio – CSR), इत्‍यादि और इस संदर्भ में स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित कोई अन्य प्रासंगिक बिंदु :-
  1. लड़कियों को उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए उपाय सुझाना.
  2. कार्यदल की सिफारिशों के समर्थन में उपयुक्त विधायी उपाय और/अथवा विद्यमान कानूनों में संशोधन सुझाना.
  3. कार्यदल की संस्तुतियों को लागू करने के लिए समय-सीमा के साथ एक विस्तृत शुभारंभ योजना तैयार करना.
  4. कार्यदल जरूरत पड़ने पर अन्य विशेषज्ञों को अपनी बैठकों में आमंत्रित कर सकता है.
  • मातृत्व हेतु आयु की समीक्षा से संकेत मिलता है कि एक बार पुनः लड़कियों की शादी की न्यूनतम आयु बढ़ाई जा सकती है जो अभी 18 वर्ष है.
  • प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि ‘लड़कियों के विवाह के लिए सही आयु क्या होनी चाहिए’ इस मुद्दे पर गठित की गई समिति जैसे ही अपनी रिपोर्ट जमा करती है, इस पर निर्णय ले लिया जाएगा.

विवाह की आयु: इतिहास

  • भारतीय दंड संहिता ने वर्ष 1860 में 10 वर्ष से कम आयु की लड़की के साथ किसी भी प्रकार के शारीरिक संबंध को अपराध की श्रेणी में रखा था.
  • उपर्युक्त प्रावधान को वर्ष 1927 में आयु कानून 1927 के अधीन संशोधित किया गया, जिसने 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ विवाह को अमान्य बना दिया. इस कानून का प्रचुर विरोध राष्ट्रवादी आंदोलन के रूढ़िवादी नेताओं ने किया क्योंकि वे इस प्रकार के कानूनों को हिंदू रीति-रिवाजों में ब्रिटिश हस्तक्षेप मानते थे.
  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 के अनुसार, महिलाओं और पुरुषों के विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 16 और 18 वर्ष निर्धारित की गई थी. इसी कानून को हम शारदा अधिनियम के नाम से भी जानते हैं. विदित हो कि हरविलास शारदा न्यायाधीश और आर्य समाज की सदस्या थीं.

संविधान का दृष्टिकोण

  • विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में भी महिलाओं और पुरुषों के लिये विवाह की न्यूनतम आयु क्रमशः 18 और 21 वर्ष निर्धारित है.
  • कानून विवाह की न्यूनतम आयु का प्रावधान करके बाल विवाह और नाबालिगों के अधिकारों के दुरुपयोग को रोकते हैं. विवाह के संबंध में विभिन्न धर्मों के व्यक्तिगत कानूनों के अपने मानक हैं, जो प्रायः रीति-रिवाजों को दर्शाते हैं.
  • इस्लाम में यौवन प्राप्ति (puberty) को नाबालिगों के विवाह के लिये व्यक्तिगत कानून के अंतर्गत वैध माना जाता है.
  • हिंदू धर्म में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 5 (iii) के अंतर्गत दुल्हन और वर की न्यूनतम आयु क्रमशः 18 और 21 वर्ष निर्धारित की गई थी. इस अधिनियम के अनुसार, बाल विवाह गैरकानूनी नहीं था परन्तु विवाह में नाबालिग के अनुरोध पर इस विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता था.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

अवश्य ही महिलाओं के विवाह की उम्र को बढ़ाना महिला सशक्तीकरण और महिला शिक्षा की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है, परन्तु यह भी आवश्यक है कि नियम बनाने के साथ-साथ उनके कार्यान्वयन पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, क्योंकि भारत में पहले से ही महिलाओं के विवाह की न्यूनतम सीमा 18 वर्ष तय है और आँकड़े यह बताते हैं कि अधिकांश क्षेत्रों में इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है. भारतीय समाज में लड़कियों के प्रति दृष्टिकोण के परिवर्तन की भी आवश्यकता है. अधिकांश भारतीय घरों में यह विचार बहुत ही प्रचलित है कि लड़कियाँ पराया धन होती हैं, और उन्हें यथाशीघ्र विदा करना आवश्यक है. जब तक हम अपनी मानसिकता में बदलाव नहीं लायेंगे तब तक बाल विवाह को रोकना असंभव है.

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

कानून में पुरुषों और महिलाओं के लिये विवाह की अलग-अलग आयु का प्रावधान क्यों है? क्या विवाह की अलग-अलग आयु संविधान के अनुच्छेद 14 ( समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार) का उल्लंघन करती है? तर्कयुक्त मंतव्य प्रस्तुत करें.

Why does the law provide separate ages of marriage for men and women? Does separate ages of marriage violate Article 14 (right to equality) and Article 21 (right to live with dignity) of the Constitution? Give your logical opinion.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections

Topic : Arunachal groups push for 6th Schedule status

संदर्भ

बहुत ही समय से अरुणाचल प्रदेश में दो स्वायत्त परिषदों को स्थापित करने की माँग चली रही है. हाल ही में इन माँगों के साथ ही प्रदेश के राजनीतिक दलों तथा अन्य समुदायों द्वारा पूरे अरुणाचल प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची अथवा अनुच्छेद 371 (A) के दायरे में लाने के लिए माँग की गई है.

माँग के विषय में 

आज की तिथि में, अरुणाचल प्रदेश को संविधान की पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत रखा गया है. इसमें छठी अनुसूची की भाँति ‘देशज समुदायों’ के लिए विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होते है.

  1. कई राजनीतिक दलों द्वारा अरुणाचल प्रदेश को छठी अनुसूची में सम्मिलित किये जाने की माँग की जा रही है. छठी अनुसूची में सम्मिलित होने से अरुणाचल के मूल निवासियों को सभी प्राकृतिक संसाधनों पर स्वामित्व अधिकार प्राप्त हो जायेंगे, जबकि अभी इन्हें मात्र संरक्षक के अधिकार प्राप्त हैं.
  2. राज्य को छठी अनुसूची में शामिल किये जाने पर राज्य को अपने प्राकृतिक संसाधनों पर वैध स्वामित्व अधिकार प्राप्त हो जायेगा जिससे राज्य की केंद्रीय अनुदान पर निर्भरता बहुत हद तक समाप्त हो जायेगी तथा आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होगा.

भारतीय संविधान की छठी अनुसूची

संविधान की छठी अनुसूची (अनुच्छेद 244) देश के चार पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम – के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से सम्बंधित है.

छठी अनुसूची के मुख्य प्रावधान

  1. जनजातीय क्षेत्रों में राज्यपाल को स्वायत्त जिलों का गठन और पुनर्गठन करने का अधिकार है. राज्यपाल स्वशासी क्षेत्रों की सीमा घटा या बढ़ा सकता है तथा नाम भी परिवर्तित कर सकता है.
  2. यदि किसी स्वायत्त जिले में एक से अधिक जनजातियाँ हैं तो राज्यपाल इस जिले को अनेक स्वायत्त क्षेत्रों में बाँट सकता है.
  3. प्रत्येक स्वायत्त जिले में 30 सदस्यों की एक जिला परिषद् होती है जिसमें 4 जन राज्यपाल नामित करता है और शेष 26 व्यस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं.
  4. जिला परिषद् के सदस्यों का कार्यकाल पाँच वर्ष होता है और नामी सदस्य तब तक सदस्य बने रहते हैं जब तक राज्यपाल की इच्छा हो.
  5. प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र का अपनी एक अलग क्षेत्रीय परिषद् होती है.
  6. जिला और क्षेत्रीय परिषदें अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्र का प्रशासन देखती हैं.
  7. जिला व क्षेत्रीय परिषदें अपने अधीन क्षेत्रों में जनजातियों के आपसी मामलों के निपटारे के लिये ग्राम परिषद या न्यायालयों का गठन कर सकती हैं. वे अपील सुन सकती हैं. इन मामलों में उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार का निर्धारण राज्यपाल द्वारा किया जाता है.
  8. जिला परिषद अपने जिले में प्राथमिक विद्यालयों, औषधालय, बाजारों, फेरी, मत्स्य क्षेत्रों, सड़कों आदि को स्थापित कर सकती है या निर्माण कर सकती है. जिला परिषद साहूकारों पर नियन्त्रण और गैर-जनजातीय समुदायों के व्यापार पर विनियम बना सकती है, लेकिन ऐसे नियम के लिये राज्यपाल की स्वीकृति आवश्यक है.
  9. जिला व प्रादेशिक परिषद को भू-राजस्व का आकलन व संग्रहण करने का अधिकार है. वह कुछ विनिर्दिष्ट कर भी लगा सकता है.
  10. संसद या राज्य विधानमण्डल द्वारा निर्मित नियम को स्वशासी क्षेत्रों में लागू करने के लिये आवश्यक बदलाव किया जा सकता है.
  11. राज्यपाल, स्वशासी जिलों तथा परिषदों के प्रशासन की जांच और रिपोर्ट देने के लिये आयोग गठित कर सकता है. राज्यपाल, आयोग की सिफारिश पर जिला या परिषदों को विघटित कर सकता है.

नागालैंड के संबंध में

अनुच्छेद 371 ए को संविधान में 13वें संशोधन के बाद 1962 में जोड़ा गया था. यह अनुच्छेद नागालैंड के लिए है. इसके अनुसार, संसद बिना नागालैंड की विधानसभा की स्वीकृति के नागा धर्म से जुड़ी हुई सामाजिक परंपराओं, पारंपरिक नियमों, कानूनों, नागा परंपराओं द्वारा किए जाने वाले न्यायों और नागाओं की जमीन के मामलों में कानून नहीं बना सकती है अथवा इस अनुच्छेद के अनुसार, नागालैंड विधानसभा द्वारा संकल्प प्रस्ताव पारित किये बिना संसद का कोई भी अधिनियम राज्य के कई क्षेत्रों में लागू नहीं होगा.

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

इनर लाइन परमिट क्या है? सम्बंधित राज्यों की जनसांख्यिक बनावट और विरासत को देखते हुए इसका औचित्य प्रमाणित करें.

What is an Inner Line Permit? Validate its justification in view of the demographic structure and heritage of the states concerned.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Related to Health. Government Policies & Interventions, Central Sector Schemes.

Topic : National Digital Health Mission

संदर्भ

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश के लिए एक “राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन” (National Digital Health Mission) की घोषणा की.

राष्‍ट्रीय डिजिटल स्‍वास्‍थ्‍य मिशन

  • इस मिशन के अंतर्गत, प्रत्येक भारतीय को हेल्थ आईडी प्रदान की जाएगी. इस हेल्थ आईडी में व्यक्ति की पिछली चिकित्सा स्थिति, उपचार और निदान से संबंधित सभी जानकारी होगी.
  • देश में कहीं भी इलाज के लिए जाएंगे तो आपको कोई जांच रिपोर्ट या पर्ची आदि नहीं ले जानी होगी, क्योंकि आपकी सारी जानकारी हेल्थ कार्ड में मौजूद होगी.
  • हर मरीज का पूरा मेडिकल डेटा रखने के लिए अस्पताल, क्लीनिक और डॉक्टर्स को एक सेंट्रल सर्वर से लिंक किया जाएगा. यानी इसमें अस्पताल, क्लीनिक और डॉक्टर भी रजिस्टर होंगे.
  • डॉक्टर और मरीज की तरह ही प्रत्येक स्वास्थ्य सुविधा जो एक यूनिक इलेक्ट्रॉनिक पहचान दी जाएगी.
  • निजी रिकॉर्ड में नागरिक की सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारियाँ सम्मिलित होंगी. इसमें जन्म से लेकर प्रतिरक्षा, सर्जरी, प्रयोगशाला टेस्ट तक सारी जानकारी होंगी.
  • इसे हर नागरिक की हेल्थ आईडी से लिंक किया जाएगा. निजी हेल्थ रिकॉर्ड का स्वामित्व व्यक्ति के पास ही होगा.
  • जब एक व्यक्ति अपने रिकॉर्ड दिखाने की अनुमति देगा तभी दूसरा डॉक्टर या व्यक्ति उस नागरिक की सारी जानकारी देख पाएगा.
  • अगर कोई व्यक्ति किसी तरह का कैश ट्रांसफर स्कीम का लाभ उठाना चाहता है तो ही उसे अपनी हेल्थ आईडी को आधार कार्ड से लिंक करना होगा और अगर ऐसा नहीं है तो आधार कार्ड से लिंक करने की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी.
  • हर नागरिक के स्वास्थ्य, डॉक्टर का लेखा-जोखा एक एप या वेबसाइट के जरिए संचालित होगा.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र से सम्बंधित समस्याओं को इंगित करते हुए भारत में स्वास्थ्य देखभाल के विषय में की गई पहलों की विस्तार से चर्चा करें.

Mention the issues related to Indian healthcare sector and discuss in detail the initiatives taken with regard to healthcare in India.


GS Paper 2 Source : Times of India

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UPSC Syllabus : Related to Health.

Topic : Recombinant adenovirus vaccine (Ad5-nCoV)

संदर्भ

चीन ने एक COVID-19 वैक्सीन “रिकोम्बिनेंट एडीनोवाइरस वैक्सीन (Ad5-nCoV )” को पहला आविष्कार पेटेंट प्रदान किया है.

रिकोम्बिनेंट एडीनोवाइरस वैक्सीन (Ad5-nCoV)

  • इस वैक्सीन का आविष्कार चीनी सेना के साथ मिलकर चीन की बायोफार्मास्युटिकल फर्म CanSino Biologics Inc द्वारा किया गया है.
  • इस वैक्सीन बनाने वाले का नेतृत्व चीनी सेना के संक्रामक रोग विशेषज्ञ चेन वेई (Chen Wei) द्वारा किया गया है.
  • चीन के विशेषज्ञों का दावा है कि चीन सुरक्षित और प्रभावी तरीके से बहुत तेजी से कोरोना वायरस वैक्‍सीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. वैक्‍सीन को इस साल के आखिर तक लॉन्‍च किया जा सकता है.
  • चीन में इस वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के प्रभाव का आकलन पूरा नहीं हुआ है फिर चीन ने बड़े पैमाने पर अपने सैनिकों को कोरोना का टीका लगाना शुरू कर दिया है.

विश्व की अन्य प्रमुख संभावित कोविड वैक्सीन

  • विश्व भर की 165 कंपनियां कोरोना वाइरस की वैक्सीन बनाने में जुटीं हुई हैं.
  • भारत में फिलहाल तीन कंपनियाँ भारत बायोटेक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और जाइडस कैडीला वैक्सीन की दौड़ में आगे है. भारत बायोटैक इंटरनेशनल लिमिटेड की वैक्सीन का नाम कोवैक्सीन है.
  • ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैक्सीन प्रोजेक्ट ChAdOx1 में स्वीडन की फार्मा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका भी शामिल है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोविड वैक्सीन के ट्रायल का काम दुनिया के अलग-अलग देशों में चल रहा है.
  • भारत की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया और ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका मिलकर कोविशील्ड (AZD 1222) वैक्सीन पर काम कर रहे है.
  • रूस ने भी एक वैक्सीन के अविसकार का दावा किया है जिसे स्पूतनिक-V नाम दिया गया है.
  • एक अमरीकी बॉयोटेक्नॉलॉजी कंपनी मॉडर्ना थेराप्युटिक्स की mRNA-1273 वैक्सीन में उन विषाणुओं का इस्तेमाल नहीं किया गया है जो कोविड-19 की महामारी के लिए ज़िम्मेदार है.
  • चीन की कंपनी Sinovac Biotech Ltd की वैक्सीन CoronaVac का ब्राज़ील में नौ हज़ार वॉलिंटियर्स पर ट्रायल चल रहा है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

किसी वैक्सीन के नैदानिक परीक्षण (Clinical Trial) से आप क्या समझते हैं? चर्चा करें

What do you understand by clinical trial of a vaccine? Discuss.


GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.

Topic : Dark Net

संदर्भ

हाल ही में भारत ने ब्रिक्स देशों के ‘एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप’ के वेबिनार सम्मेलन के दौरान मादक पदार्थों की तस्करी हेतु डार्कनेट और आधुनिक तकनीक के दुरुपयोग पर चर्चा की.

एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप’ के वेबिनार सम्मेलन के महत्त्वपूर्ण बिन्दु

  • रूस की अध्यक्षता में ब्रिक्स एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप का चतुर्थ सत्र आयोजित किया गया और इस बैठक में भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने किया .
  • एंटी-ड्रग वर्किंग ग्रुप में चर्चा के दौरान उभरे सामान्य बिंदुओं में सदस्य देशों के मध्य वास्तविक समय की जानकारी साझा करने की जरूरत और समुद्री मार्गों के माध्यम से बढ़ती नशीली दवाओं की तस्करी पर अंकुश लगाने की आवश्यकता जैसे मुद्दे शामिल रहे.
  • मादक पदार्थों की तस्करी के लिए डार्कनेट और अन्य उन्नत तकनीकों का दुरुपयोग बैठक का प्रमुख केंद्र क्षेत्र था.

डार्कनेट

  • इंटरनेट पर ऐसी कई वेबसाइटें हैं जो आमतौर पर प्रयोग किये जाने वाले गूगल, बिंग जैसे सर्च इंजनों और सामान्य ब्राउज़िंग के दायरे से परे होती हैं. इन्हें डार्क नेट या डीप नेट कहा जाता है.
  • सामान्य वेबसाइटों के विपरीत यह एक ऐसा नेटवर्क होता है जिस तक लोगों के चुनिंदा समूहों की पहुँच होती है और इस नेटवर्क तक विशिष्ट ऑथराइज़ेशन प्रक्रिया, सॉफ्टवेयर और कन्फिग्यूरेशन के माध्यम से ही पहुँचा जा सकता है.
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 देश में सभी प्रकार के प्रचलित साइबर अपराधों को संबोधित करने के लिये वैधानिक रूपरेखा प्रदान करता है. ऐसे अपराधों के नोटिस में आने पर कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ इस कानून के अनुसार ही उचित कार्रवाइयाँ करती हैं.

डार्क नेट की उपयोगिता

  • नियंत्रण/सेंसरशिप से बचाव के लिये: संवृत समाज (Closed Society) और अत्यधिक नियंत्रण या सेंसरशिप का सामना कर रहे लोग डार्क नेट का प्रयोग अपने समाज से बाहर के दूसरे व्यक्तियों के साथ संवाद के लिये कर सकते हैं.
  • गुमनामी और गोपनीयता: वैश्विक स्तर पर विभिन्न देशों में सरकार द्वारा जासूसी और डेटा संग्रह के विषय में बढ़ रही अनियमितताओं के चलते खुले समाज (Open Society) के व्यक्तियों को भी डार्क नेट के उपयोग में रुचि उत्पन्न हो सकती है.
  • यह मुखबिरों (Whistleblowers) और पत्रकारों हेतु संचार में गोपनीयता बनाए रखने तथा जानकारी लीक करने एवं स्थानांतरित करने के लिए उपयोगी है.

डार्क नेट के विषय में चिंताएँ

  • अवैध गतिविधियों की सुगमता: डार्क नेट पर संचालित गतिविधियों का एक बड़ा भाग अवैध है. डार्क नेट एक स्तर की पहचान सुरक्षा प्रदान करता है जो कि सतही नेट प्रदान नहीं करता है.
  • डार्क नेट एक काला बाज़ार (Black Market) की भाँति है जहाँ अवैध गतिविधियाँ संचालित होती हैं.
  • डार्क नेट का उपयोग करे अपराधी वर्ग स्वयं को किसी की नज़र में आने और पकड़े जाने से बचने के लिये अपनी पहचान छुपा सकता है. इसलिये यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कई चर्चित हैक (Hack) और डेटा उल्लंघनों के मामले किसी-न-किसी प्रकार डार्क नेट से संबद्ध पाए गए हैं.
  • डार्क नेट की सापेक्ष अभेद्यता ने इसे ड्रग डीलरों, हथियार तस्करों, चाइल्ड पोर्नोग्राफी संग्रहकर्त्ताओं तथा वित्तीय और शारीरिक अपराधों में शामिल अन्य अपराधियों के लिये एक प्रमुख केंद्र बना दिया है.
  • यदि संभावित क्रेता की डार्क नेट पर ऐसी वेबसाइट तक पहुँच हो जाए तो इनके जरिये विलुप्तप्राय वन्यजीव से लेकर विस्फोटक सामग्री एवं किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों की खरीद की जा सकती है.
  • उदाहरणार्थ सिल्क रोड मार्केटप्लेस नामक एक वेबसाइट डार्क नेटवर्क का एक प्रसिद्ध उदाहरण है जहाँ हथियारों सहित विभिन्न प्रकार की अवैध वस्तुओं की खरीद एवं बिक्री की जाती थी. यद्यपि इसे वर्ष 2013 में सरकार द्वारा बंद करा दिया गया परन्तु इसने ऐसे कई अन्य बाज़ारों के उभार को प्रेरित किया.
  • सक्रियतावादियों (Activists) और क्रांतिकारियों द्वारा भी डार्क नेट का दुष्प्रयोग किया जा सकता है. इससे सरकार द्वारा उनकी गतिविधियों को ट्रैक कर पाने में परिशानी हो सकती है.
  • आतंकवादियों द्वारा डार्क नेट का उपयोग साथी आतंकवादियों तक सूचनाओं के प्रसार, उनकी भर्ती और उनमें कट्टरता का प्रसार, अपने आतंकी विचारों के प्रचार-प्रसार, धन जुटाने तथा अपने कार्यों व हमलों के समन्वय के लिये किया जाता है.
  • आतंकवादी बिटकॉइन (Bitcoin) एवं अन्य क्रिप्टोकरेंसी जैसी आभासी मुद्राओं का उपयोग करके विस्फोटक पदार्थों एवं हथियारों की अवैध खरीद के लिये भी डार्क नेट का उपयोग करते हैं.
  • सुरक्षा विशेषज्ञों का दावा है कि हैकिंग और धोखेबाज़ी में शामिल व्यक्ति डार्क वेब पर चर्चा मंचों के माध्यम सेपर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (Supervisory Control and Data Acquisition-SCADA) और औद्योगिक नियंत्रण प्रणाली (Industrial Control System-ICS) तक पहुँच की पेशकश करने लगे हैं जो विश्व भर के महत्तवपूर्ण अवसंरचनात्मक नेटवर्कों की सुरक्षा के लिये बड़ी चुनौती हो सकती है.
  • पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण(SCADA) प्रणाली का उपयोग परमाणु ऊर्जा स्टेशनों, तेल रिफाइनरियों और रासायनिक संयंत्रों जैसी सुविधाओं के संचालन के लिये किया जाता है इसलिये यदि साइबर अपराधियों को इन प्रमुख नेटवर्कों तक पहुँच प्राप्त हो गई तो इसके परिणाम अत्यंत घातक हो सकते हैं.

BRICS क्या है?

  • BRICS विश्व की उभरती हुई अर्थव्यस्थाओं वाले पाँच बड़े देशों – ब्राजील, रूस, भारत, चीन एवं दक्षिण अफ्रीका – का संघ है. इसका नाम इन देशों के पहले अक्षरों को मिला कर बना है.
  • BRICS की पहली बैठक जून 2009 रूस के Yekaterinburg शहर में हुई थी.
  • 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे “BRIC” के नाम से जाना जाता था.
  • यह नाम 2001 में Goldman Sachs संस्था के अर्थशास्त्री Jim O’Neill द्वारा सुझाया गया था.
  • इसकी बैठक हर वर्ष होती है जिसमें राजनीतिक एवं सामाजिक-आर्थिक सहयोग के क्षेत्र के विषय में चर्चा होती है.
  • BRICS की अध्यक्षता एक देश के पास न होकर प्रतिवर्ष बदलती रहती है और बदलने का एक क्रम भी BRICS के नाम के अनुसार ही होता है अर्थात् पहले B=Brazil, R=Russia आदि आदि…
  • BRICS में सम्बंधित देशों के प्रमुखों की बैठक तो होती है, साथ ही कई क्षेत्रीय (sectoral) बैठकें भी होती हैं जिनकी संख्या पिछले दस वर्षों में 100 पहुँच चुकी है.
  • BRICS देशों के बीच में सहयोग का कार्यक्रम तीन स्तरों अथवा ट्रैकों (TRACKS) पर चलता है. ये ट्रैक हैं –
  1. Track I = सम्बंधित देशों के बीच में औपचारिक कूटनीतिक कार्यकलाप,
  2. Track II = सरकार से सम्बद्ध संस्थानों, यथा – सरकारी उपक्रम एवं व्यवसाय परिषदों के माध्यम से किये गये कार्यकलाप,
  3. Track III = सिविल सोसाइटी के साथ और “जन से जन” स्तर पर किये गए कार्यकलाप.

BRICS और भारत

हालांकि, भारत को व्यापक रूप से एक मजबूत, उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है, लेकिन BRICS के अन्य सदस्यों से तुलना करने के लिए इसकी आर्थिक क्षमता ही एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए. समग्र GDP, सामाजिक असमानताओं एवं बुनियादी स्वास्थ्य और अन्य कल्याण सेवाओं तक पहुँच के मामले में, भारत अन्य BRICS राष्ट्रों से पीछे है. कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां भारत अपने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हितों की वृद्धि हेतु, इस फोरम का उपयोग कर सकता है –

  • भारत द्वारा विदेशी निवेशकों को और अधिक आकर्षित करने के लिए, अपने बुनियादी डांचे में सुधार हेतु अत्यधिक वित्त की आवश्यकता है. विश्व बैंक और IMF के अतिरिक्त, न्यू डेवलपमेंट बैंक भी एक महत्वपूर्ण संगठन है, जो भारत को बुनियादी ढांचे हेतु ऋण प्रदान कर सकता हैं.
  • भारत की शक्ति श्रम, सेवा, जेनेरिक दवाइयों और सूचना प्रौद्योगिकी में निहित है. इसके साथ ही अन्य BRICS भागीदारों के साथ अन्य पर्याप्त सहक्रियाएं हैं, जिनका उपयोग कर इन क्षेत्रों में अंतर-BRICS संबंधों को और मजबूत बनाया जा सकता है.
  • BRICS के सभी सदस्यों छ्वारा तीव्र शहरीकरण की चुनौती का सामना किया जा रहा है. इससे निपटने के लिए भारत ने BRICS सहयोग तंत्र में अर्थवनाईज़ैशन फोरम को शामिल किया है, जिसके माध्यम से एक-दूसरे के अनुभव से सबक लेकर BRICS सहयोग को आगे बढ़ाया जा सकता है.
  • पूर्व सोवियत संघ के विघटन के पश्चात्, रूस के साथ भारत के महत्त्वपूर्ण संबंधों में कमी आती जा रही थी. BRICS एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसके द्वारा भारत रूस के साथ अपने सहयोग को बढ़ावा देने के लिए अपनी वार्ता को आगे बढ़ा सकता है.
  • BRICS में सदस्य देशों के मध्य अधिक साझेदारी और सहयोग का वादा किया गया है. यह द्विपक्षीय मुद्दों को हुल करने के लिए भी मंच विकसित कर सकता है.
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न
 

डीप वेब (Deep Web), सतही वेब (Surface Web) और डार्क वेब (Dark Web) की परिभाषा बताएँ और डार्क नेट से सम्बंधित चिंताओं का वर्णन करें.

Define Deep Web, Surface Web and Dark Web and describe the concerns related to Dark Net.


Prelims Vishesh

National Flag :-

  • भारत का पहला राष्ट्रीय ध्वज संभवतः 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में पारसी बागान स्क्वायर (ग्रीन पार्क) में फहराया गया था.
  • मैडम भीकाजी कामाऔर निर्वासित क्रांतिकारियों के समूह द्वारा वर्ष 1907 में जर्मनी में भारतीय ध्वज फहराया गया जो विदेशी भूमि में फहराया जाने वाला पहला भारतीय ध्वज था.

An India Economic Strategy to 2035 :-

  • यह संधारणीय-दीर्घकालिक आर्थिक रणनीतिक निर्माण पर संकेंद्रित एवं तीन-स्तम्भों पर आधारित एक रणनीति है.
  • ये तीन स्तम्भ हैं – आर्थिक सम्बन्ध, भू-सामरिक संलग्नता और संस्कृति-सॉफ्ट पॉवर कूटनीति पर बल.
  • इसके अंतर्गत भारतीय बाजार में 10 क्षेत्रों एवं 10 राज्यों की पहचान की गई है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के लिए प्रतिस्पर्धी लाभ उपलब्ध हैं और जहाँ ऑस्ट्रेलिया को अपने प्रयासों पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए.
  • इन्हें एक फ्लैगशिप क्षेत्रक (शिक्षा), तीन अग्रणी क्षेत्रकों (कृषि व्यवसाय, संसाधन और पर्यटन) तथा छह संभावनापूर्ण क्षेत्रकों (ऊर्जा, स्वास्थ्य, वित्तीय सेवाओं, अवसरंचना, खेल, विज्ञान और नवाचार) में विभाजित किया गया है.

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