Sansar डेली करंट अफेयर्स, 12 October 2018

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 12 October 2018


GS Paper 1 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Global Hunger Index

संदर्भ

2018 का वैश्विक भूख सूचकांक रिपोर्ट निर्गत कर दिया गया है. यह रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष Welthungerhilfe and Concern Worldwide नामक संस्था द्वारा प्रकाशित किया जाता है. इस सूचकांक में विभिन्न देशों में भूख की स्थिति का तीन आयामों से पता लगाया जाता है – कम कैलोरी लेना, बाल कुपोषण तथा बाल मृत्यु दर.

अपने आकलन में यह सूचकांक (GHI) चार संकेतकों पर विचार करता है जो हैं –

  • कुपोषण : जनसंख्या का कितना भाग कम कैलोरी लेने के कारण कुपोषित है.
  • बाल वृद्धि में कमी : पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उन बच्चों का अनुपात क्या है जो विकट कुपोषण के कारण वांछित भार और ऊँचाई प्राप्त नहीं कर पाते हैं.
  • कुंठित शारीरिक बाल विकास : पाँच वर्ष से नीचे के बच्चों में उन बच्चों का क्या अनुपात है जो पुराने कुपोषण के कारण उम्र के हिसाब से कम ऊँचाई प्राप्त कर पाते हैं.
  • बाल मृत्यु दर : पाँच वर्ष के अन्दर के बच्चों में बाल मृत्यु की दर.

भारत का प्रदर्शन

  • वैश्विक भूख सूचकांक 2018 में 119 देशों की सूची बनाई गई है जिनमें भारत का स्थान 103वाँ है अर्थात् भारत में भूख की स्थिति “गंभीर” श्रेणी की है.
  • भारत में पाँच वर्ष से कम के पाँच बच्चों में कम-से-कम एक ऐसा है जिसका भार उसके लम्बाई के हिसाब से नहीं है. भारत इस मामले में मात्र दक्षिणी सुडान से बेहतर है. विदित हो कि सुडान में गृह युद्ध चल रहा है.
  • सूचकांक में भारत का स्थान पिछले वर्ष की तुलना में तीन स्थान नीचे आया है.
  • जहाँ तक संकेतकों का प्रश्न है, तीन संकेतकों भारत में सुधार देखा गया है. कुपोषित लोगों की संख्या 2000 में जहाँ 18.2% थी, वहीं 2018 में 14.8% हो गई. इस अवधि में बाल मृत्यु दर आधी हो गई है अर्थात् 9.2% से घटकर 4.3% हो गई है. वहीं बच्चों की कुंठित शारीरिक विकास के मामले भी पहले के 54.2% से घटकर 38.4% हो गया है.

चिंता के विषय

  • रिपोर्ट के अनुसार विश्व-भर में भूख की समस्या का एक प्रधान कारण लोगों का विस्थापान है.
  • पिछली दो दशाब्दियों में सुधार के बावजूद वैश्विक भूख का स्तर अभी भी “गंभीर” श्रेणी में आता है.
  • सूचकांक में यह भविष्यवाणी की गई है कि यदि प्रगति की दर इसी प्रकार रही तो 50 देश 2030 तक “कम” भूख (“low” hunger) की श्रेणी नहीं पहुँच पायेंगे. विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य 2 में यह लक्ष्य रखा गया था कि 2030 तक विश्व से भूख का अंत कर दिया जाएगा.

GS Paper 2 Source: PIB

pib_logo

Topic : ‘National Policy on Electronics 2018’

संदर्भ

भारत के इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली रूपांकन एवं निर्माण (Electronics System Design and Manufacturing – ESDM) प्रक्षेत्र के लिए भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने “राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति 2018” / National Policy on Electronics 2018 (NPE 2018) का प्रारूप निर्गत किया है.

नीति के मुख्य तथ्य

उद्देश्य : इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना. वर्तमान में भारत में 500 मिलियन मोबाइल बनते हैं जिसे बढ़ाकर 2025 तक 1 बिलियन करना है.

लक्ष्य : 2025 तक 400 बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण उद्योग देश में स्थापित करना.

उत्प्रेरण : वर्तमान में निर्माताओं को दी गए उत्प्रेरण (incentive) की योजनाओं को बदलकर ऐसी योजनाएँ लाना जो आसानी से लागू हो सकें, जैसे – ब्याज में सब्सिडी, क्रेडिट डिफ़ॉल्ट की गारंटी इत्यादि.

इलेक्ट्रॉनिक्स के सभी उपक्षेत्रों में क्षमता बढ़ाना : नीति के अनुसार 20 ग्रीन फील्ड और 3 ब्राउन फील्ड इलेक्ट्रॉनिक निर्माण संकुल परियोजनाएँ बनाई जायेंगी जिसमें पूरा खर्च 3,898 करोड़ रु. अनुमानित है जिसमें से 1,577 करोड़ रु. केंद्र का अंश होगा.

कर पर लाभ : प्रारूप नीति में कई प्रत्यक्ष कर-लाभ प्रस्तावित किये गए हैं, जैसे – निवेश के अनुसार आयकर में छूट आदि. कर में इस प्रकार की छूट शोध में किये गये खर्च पर भी लागू होगी. अर्ध कुचालक वेफेर फेब्रिकेशन (semiconductor wafer fabrication) और डिस्प्ले फेब्रिकेशन इकाइयों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार चुने हुए इलेक्ट्रॉनिक वस्तु संसाधनों पर अधिकार (cess) भी लगाएगी.


GS Paper 2 Source: The Hindu

the_hindu_sansar

Topic : Zika virus

संदर्भ

भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं पारिवारिक कल्याण मंत्रालय ने इस बात की पुष्टि की है कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में जीका वायरस (zika virus) के मामले में मिले हैं. ये मामले भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (Indian Council of Medical Research – ICMR) के सर्वेक्षण तन्त्र के माध्यम से पता लगे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सावधानी बरतते हुए इस विषय में कुछ कदम उठाये हैं :

  • इसने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Centre for Disease Control – NCDC) में एक नियंत्रण कक्ष चालू कर दिया है जो स्थिति पर निगरानी रखेगा.
  • जयपुर में एक केन्द्रीय दल भेज दिया गया है.
  • राज्य सरकार को ऐसी सामग्रियाँ भेज दी गई हैं जिनका उपयोग कर वह राज्य में Zika virus रोग के प्रति जागरूकता तथा उसको रोकने के लिए उपायों के बारे में जानकारी का प्रचार-प्रसार करेगी.
  • रोग के वाहक मच्छरों को मारने के लिए और उनके ठिकानों का पता लगाने के लिए राज्य सरकार के स्तर पर आवश्यक कदम उठाये जा हे हैं.

जीका वायरस क्या है?

जीका वायरस एक ऐसा वायरस है जो डेंगी ज्वर के वायरस, येलो ज्वर के वायरस और वेस्ट नाइल वायरस के समान होता है. इस रोग के वाहक मच्छर का नाम Aedes aegypti है. जब यह मच्छर किसी को काटता है तो उसे यह रोग हो जाता है परन्तु गर्भाशय संक्रमण से भी यह किसी को हो सकता है.

  • इस वायरस का नामा जीका इसलिए पड़ा क्योंकि इसकी पहचान सबसे पहले 1947 में यूगांडा के जीका जंगल में हुई थी.
  • यदि कोई संक्रमित मच्छर किसी औरत को काट लेता तो जीका वायरस धीरे-धीरे यह गर्भनाल तक पहुँच जाता है और भ्रूण पर असर करता है.
  • ऐसा देखा गया है कि इस वायरस से सबसे बड़ी हानि गर्भवती स्त्री को होती है क्योंकि तब भ्रूण के सिर के छोटा होने तथा अन्य स्नावयिक असमान्यताओं के होने का सबसे अधिक खतरा होता है.
  • जीका वायरस के मुख्य लक्षण हैं – ज्वर, सिर दर्द, लाल आँखें, त्वचा पर फफोले, थकान, माँसपेशियों में पीड़ा इत्यादि.

उपचार और रोकथाम

वर्तमान में जीका के उपचार के लिए न कोई विशेष तरीका है और न ही कोई टीका उपलब्ध है. इसके रोकथाम के लिए सबसे अच्छा उपाय मच्छरों से बचना और घर के आस-पास जमा जल को निकाल देना है क्योंकि मच्छर उसी में पनपते हैं.


GS Paper 2 Source: PIB

pib_logo

Topic : World Bank’s Human Capital Index

संदर्भ

विश्व बैंक ने हाल ही में विश्व विकास रिपोर्ट 2019 के एक अंश के रूप में मानव पूँजी सूचकांक (Human Capital Index – HCI) निर्गत किया है. इसकी theme है – “The Changing Nature of Work” अर्थात् कामकाज की प्रकृति में परविर्तन.

मानव पूँजी सूचकांक (HCI)

यह सूचकांक 157 देशों के लिए बनाया गया. इस रिपोर्ट में यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि 18 वर्ष की उम्र आने तक आज के दिन जन्मा कोई बच्चा मानव पूँजी की कितनी मात्रा तक पहुँचने की आशा रख सकता है. एक प्रकार से यह रिपोर्ट बताता है कि एक बच्चा 18 वर्ष की उम्र तक समाज के लिए कितना फलदायी हो सकता है. इसके लिए मानव पूँजी सूचकांक इन तीन अवयवों की पड़ताल करता है –

  • पाँच वर्ष से कम के बच्चों में मृत्यु दर
  • कोई बच्चा कितने वर्ष ऐसे विद्यालय में पढ़ता है जहाँ गुणवत्तायुक्त शिक्षा दी जाती हो.
  • स्वास्थ्यगत वातावरण जिसमें यह देखा जाता है कि वयस्क मृत्यु दर क्या है और पाँच वर्ष के अन्दर के बच्चों के शारीरिक विकास के कुंठित होने की दर क्या है.

वैश्विक प्रदर्शन

जैसी कि आशा थी कि उत्तरी अमेरिका और यूरोप के उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देश सूचकांक में ऊपर हैं एवं उनका HCI मान 0.75 से ऊपर है. दूसरी ओर दक्षिणी एशिया और सहारा के नीचे वाले अफ्रीकी क्षेत्रों के देश में HCI की दर सबसे नीचे है.

भारत का प्रदर्शन

  • भारत के लिए HCI दर 0.44 बताई गई है. परन्तु भारत के बारे में जो भी निष्कर्ष दिया गया है वह 2009 के आँकड़ों के आधार पर है.
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य के अभाव में भारत में आज के दिन जन्मा बच्चा भविष्य में 44% ही फलदायी होगा.
  • भारत की बच्चियों और स्त्रियों की HCI पुरुषों की तुलना में थोड़ी बेहतर है.
  • रिपोर्ट के अनुसार पिछले पाँच वर्षों में HCI के विभिन्न अवयवों में भारत में अच्छा सुधार देखा गया है.
  • रिपोर्ट के अनुसार भारत में 100 बच्चे में 96 बच्चे पाँच वर्ष की उम्र तक पहुँच जाते हैं. (5: 96)
  • भारत में जो बच्चा 4 वर्ष में स्कूल जाने लगता है वह 18 वर्ष की उम्र आने तक 10.2 वर्ष की स्कूली पढ़ाई पूरी करने की आशा रखता है.
  • सूचकांक के अनुसार हार्मोनाइज्ड टेस्ट (Harmonized Test) करवाने पर भारत के छात्र 355 अंक लाते हैं. ज्ञातव्य है कि ऐसे टेस्ट के लिए सबसे कम अंक 300 होते हैं और सबसे अधिक 625 होते हैं.
  • स्कूल में पढ़ते समय बच्चे मात्र 5.8 वर्ष ही वास्तविक शिक्षा प्राप्त करते हैं.
  • भारत में 15 वर्ष के बच्चों में 83% 60 वर्ष तक जीवित रहेंगे, ऐसा सूचकांक का कहना है.
  • HCI रिपोर्ट के अनुसार भारत के 100 वर्षों में 62 ऐसे हैं जिनका शारीरिक विकास कुंठित नहीं है परन्तु शेष 38 बच्चे कुंठित शरीर वाले हैं, जिसके चलते उन्हें जीवन भर कष्ट होगा.

GS Paper 3 Source: PIB

pib_logo

Topic : Centre for the Fourth Industrial Revolution

संदर्भ

विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने हाल ही में भारत में चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति के लिए अपने नए केंद्र की घोषणा की है. इसका उद्देश्य सरकार और व्यवसाय जगत के अग्रणियों को एक मंच पर लाकर उभरती हुई तकनीकी नीतियों का संचालन करना है.

चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति केंद्र क्या है?

  • यह महाराष्ट्र में बनेगा. प्रारम्भ में इस केंद्र के पास तीन परियोजनाएँ होंगी जो ड्रोन, कृत्रिम बुद्धि एवं ब्लॉक चैन से सम्बंधित होंगी. यह केंद्र राष्ट्रीय स्तर पर सरकार के साथ सहयोग करते हुए उभरती हुई तकनीकों के बारे में नई नीतियों का ढाँचा और नियमावली तैयार करेगा. इसके लिए वह व्यवसाय, शिक्षा, स्टार्ट-अप जगत के अग्रणियों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से भी विमर्श करेगा.
  • इस केंद्र को अपने काम के लिए भारत सरकार के कई मंत्रालयों का सहयोग लेना होगा जिसके लिए समन्वय का कार्य नीति आयोग करेगा.
  • विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने इसके लिए महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की सरकारों के साथ भागीदारी का समझौता किया है. भविष्य में अन्य राज्यों को भी ऐसी भागीदारी में शामिल करने की योजना है.
  • विश्व आर्थिक मंच के वैश्विक तंत्र के एक भाग के रूप में यह नया केंद्र विश्व के उन शहरों में स्थित केन्द्रों के साथ मिल-जुलकर काम करेगा जहाँ पहले से ही ऐसे केंद्र स्थापित हैं, जैसे – सेंट फ्रांसिस्को, टोक्यो और बीजिंग.

चतुर्थ औद्योगिक क्रान्ति क्या है?

जैसा सब जानते हैं कि 18वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग के मशीनीकरण, वाष्पशक्ति के प्रयोग तथा आधुनिक कारखानों के उदय के साथ पहली औद्योगिक क्रान्ति का आरम्भ हुआ था. दूसरी औद्योगिक क्रान्ति 19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों से लेकर प्रथम विश्व युद्ध शुरू होने अर्थात् 1915 तक चली. इस युग में जिन क्षेत्रों में औद्योगिक विकास हुए, वे थे – बिजली, परिवहन, रसायन, इस्पात, बहुतायत में उत्पादन और बहुतायत में खपत. यह क्रांति जापान और रूस तक प्रवेश कर गई. तीसरी औद्योगिक क्रान्ति मूलतः डिजिटल क्रान्ति थी जिसका आरम्भ 1970 के आस-पास हुआ. इस समय अनुप्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना तकनीक में नई-नई खोजें हुईं और साथ ही 3D printing जैसी अवधारणाओं का उदय हुआ. उत्पादन को बड़े पैमाने पर ग्राहकों के अनुकूल बनाया गया और निर्माण में नई-नई विशेषताएँ उभरती रहीं. वस्तुतः यह दौर अभी भी चल रहा है परन्तु कुछ विचारकों का कहना है कि अब चौथी औद्योगिक क्रान्ति का आगमन हो चुका है. इनका कहना है कि यह सच है कि अभी भी तीसरी औद्योगिक क्रांति की तकनीकों और अवसंरचनाओं का प्रयोग हो रहा है तथापि अब इसमें ऐसी साइबर-फिजिकल प्रणालियाँ आ रही हैं जिसके कारण तकनीक न केवल समाज में छा जायेगी अपितु यह हमारे शरीरों में भी प्रवेश कर जायेगी. इसके उदाहरण हैं – जेनोम एडिटिंग (genome editing), मशीनी बुद्धि के नए-नए रूप और ब्लॉकचैन जैसी क्रिप्टोग्राफ़िक विधियों पर आधारित प्रशासनिक दृष्टिकोण आदि.

इस प्रकार कहा जा सकता है कि चौथी औद्योगिक क्रान्ति तीसरी औद्योगिक क्रान्ति का एक उत्क्रमित (upgraded) चरण होगा जिसकी मुख्य विशेषता तकनीकों का ऐसा सम्मिश्रण होगा जो भौतिक, डिजिटल और जैविक तीनों जगत पर छा जाएगा.

विश्व आर्थिक मंच

  • विश्व आर्थिक मंच एक गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था है जिसका गठन 1971 में हुआ था.
  • इसकी स्थापना यूरोपियन प्रबंधन के नाम से जिनेवा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्लॉस एम. श्वाब (Klaus Schwab) ने की थी.
  • 1987 में इसका नाम बदलकर World Economic Forum कर दिया गया.
  • इसका मुख्यालय जिनेवा में है.
  • इसके अलावा टोकियो, न्यूयॉर्क, बीजिंग में इसका कार्यालय है.
  • इसकी बैठक हर साल जनवरी महीने में होती है.
  • फाउंडेशन बोर्ड फोरम, अतर्राष्ट्रीय बिज़नेस कौंसिल और मैनेजिंग बोर्ड इसका सामान्य कामकाज और प्रशासन संभालते हैं.
  • 2015 में इसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन के तौर पर मान्यता दी गई.
  • शुरूआती दौर में इस बैठक में सिर्फ व्यापार पर ही बात होती थी पर अब इस बैठक में दुनिया-भर के बड़े नेता, अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी, बुद्धिजीवी और पत्रकार शामिल होते हैं.
  • इस दौरान औपचारिक बैठक और अनौपचारिक बातचीत के जरिये दुनिया भर की समस्याओं का हल निकालने की कोशिश की जाती है.

Prelims Vishesh

IND-INDO CORPAT 2018 :-

इंडोनेशिया के बेलावन में भारत-इंडोनेशिया समन्वित सैन्य पहेरिदारी (IND-INDO CORPAT) का 32वाँ संस्करण चल रहा है.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Sansar DCA

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]