Sansar डेली करंट अफेयर्स, 07 May 2021

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Sansar Daily Current Affairs, 07 May 2021


GS Paper 1 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Salient features of world’s physical geography. Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment

Topic : Thwaites Glacier

संदर्भ

अंटार्कटिका में स्थित, इस ग्लेशियर को ‘थ्वायटेस’ (Thwaites) ग्लेशियर भी कहा जाता है.

  • इस ग्लेशियर का पिघलना काफी लंबे समय से चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि इसके द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक रूप से समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि और तेज हो सकती है.
  • थ्वायटेस ग्लेशियर की अधिकतम चौड़ाई 120 किमी. है. अपने 1.9 लाख वर्ग किमी के विशाल क्षेत्रफल के कारण, इस ग्लेशियर के पिघलने से वैश्विक जल स्तर में आधा मीटर से अधिक की वृद्धि हो सकती है.
  • पहले से ही ‘थ्वायटेस’ के पिघलने का वैश्विक समुद्र स्तर वृद्धि में प्रतिवर्ष 4% का योगदान है. अनुमान है कि यह 200-900 साल में समुद्र में समा जाएगा.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : Arctic Council

संदर्भ

हाल ही में भारत ने ‘तीसरी आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय’ (3rd Arctic Science Ministerial-ASM3) बैठक में भाग लिया है.

प्रमुख बिन्दु

  • हाल ही में भारत ने आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान और सहयोग पर विचार-विर्मश के लिए तीसरे आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय (ASM3) वैश्विक मंच की बैठक में भागीदारी की है.
  • इस बैठक में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विभिन्न हितधारकों के साथ आर्कटिक क्षेत्र में अनुसंधान कार्य और सहयोग के लिए भारत के दृष्टिकोण और दीर्घकालिक योजनाओं को साझा किया.
  • डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत अवलोकन, अनुसंधान, क्षमता निर्माण के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इस क्षेत्र के सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए संकल्पबद्ध है. इसके लिए भारत आर्कटिक क्षेत्र के संबंध में गूढ़ जानकारी को साझा करने में सकारात्मक भूमिका निभाता रहेगा.
  • इसके अतिरिक्त, भारत ने आर्कटिक क्षेत्र में रिमोट सेंसिंग की अपनी योजना भी साझा की.
  • डॉ हर्षवर्धन ने यह भी कहा कि सस्टेनेबल आर्कटिक ऑब्जर्वेशन नेटवर्क (एसएओएन) में भारत का योगदान जारी रहेगा.
  • ज्ञातव्य है कि ‘तीसरी आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय’ (3rd Arctic Science Ministerial-ASM3) बैठक का आयोजन आइसलैंड और जापान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है. इस वर्ष का विषय ‘नॉलेज फॉर ए सस्टेनेबल आर्कटिक’ है.
  • पहली दो बैठकों एएसएम 1 और एएसएम 2 का क्रमश: यूएसए (साल 2016) और जर्मनी (वर्ष 2018) में आयोजन किया गया था.
  • ‘आर्कटिक विज्ञान मंत्रिस्तरीय’ बैठकें, आर्कटिक परिषद् में सम्मिलित सदस्य देशों द्वारा की जाती हैं.

आर्कटिक काउंसिल क्या है?

  • आर्कटिक क्षेत्र में संसाधनों के प्रबंधन पर विचार के लिए विभिन्न देशों का एक मंच है जिसका नाम आर्कटिक परिषद् (Arctic Council परिषद्) है.
  • सभी देश हर दूसरे साल में एक सम्मेलन कर आर्कटिक से जुड़ी आर्थिक और पर्यावरण संबंधी चुनौतियों पर चर्चा करते हैं.
  • आर्कटिक विशेष रूप से सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर आर्कटिक देशों, क्षेत्र के स्वदेशी समुदायों और अन्य निवासियों के बीच सहयोग, समन्वय और बातचीत को बढ़ावा देती है.
  • यह परिषद् उत्‍तर-ध्रुवीय देशों के बीच साझा मुद्दों पर और विशेष रूप से सतत विकास और पर्यावरण सरंक्षण पर सहयोग, समन्‍वय और संवाद को बढ़ावा देती है.
  • सदस्यता: कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, रूस, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका.
  • पर्यवेक्षक सदस्य: जर्मनी, अंतर्राष्ट्रीय आर्कटिक विज्ञान समिति, नीदरलैंड, पोलैंड, उत्तरी मंच, यूनाइटेड किंगडम, भारत, चीन, इटली, जापान दक्षिण कोरिया और सिंगापुर.
  • गैर सरकारी सदस्य: यूएनडीपी, आईयूसीएन, रेडक्रॉस, नार्डिक परिषद्, यूएनईसी.
  • संरचना: सचिवालय और मंत्रिस्तरीय बैठक आर्कटिक परिषद् के मुख्य अंग हैं. सचिवालय का कोई स्थायी कार्यालय नहीं है तथा इसकी अध्यक्षता और स्थान प्रत्येक दो वर्षों पर सदस्यों के मध्य आवर्तित होते हैं. मंत्रिस्तरीय बैठकों के निर्णय सर्वसम्मति से लिये जाते हैं. यह बैठक प्रत्येक दो वर्ष के अंतराल पर आयोजित की जाती है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : RBI unveils measures for individuals, small businesses, MSMEs to deal with COVID-19 crisis

संदर्भ

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा देश में लघु एवं मध्यम व्यवसायों और व्यक्तिगत ऋणकर्ताओं को कोविड-19 की तीव्र दूसरी लहर के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के लिए उपायों की घोषणा की गई है.

घोषित उपाय

  1. रिज़र्व बैंक द्वारा लघु वित्त बैंकों के लिए द्वारा रेपो दर पर ₹10,000 करोड़ के ‘विशेष दीर्घावधि रेपो परिचालन’ (special three-year long-term repo operations– SLTRO) करने का निर्णय लिया गया है. लघु वित्त बैंकें (SFBs), इस राशि से प्रति उधारकर्ता को ₹10 लाख तक का नया ऋण देने में सक्षम होंगी.
  2. लघु वित्त बैंकों (SFBs) के लिए व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को आगे उधार देने के लिए लघु वित्त संस्थानों अर्थात् MFIs (₹ 500 करोड़ तक की संपत्ति के आकार वाले) को नए ऋण देने की अनुमति दी गई है.
  3. राज्य सरकारों को अपने नकदी-प्रवाह और बाजार उधार के संदर्भ में अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए, ओवरड्राफ्ट (OD) सुविधाओं के लाभ के संबंध में कुछ छूट दी जा रही है. तदनुसार, एक तिमाही में ओवरड्राफ्ट की अधिकतम दिनों की संख्या 36 से 50 दिन और ओवरड्राफ्ट की लगातार दिनों की संख्या 14 से बढ़ाकर 21 दिन की जा रही है.

पात्रता

  1. ₹25 करोड़ तक के सकल एक्सपोजर वाले उधारकर्ता, जिन्होंने पहले के पुनर्गठन ढाँचे के अंतर्गत पुनर्गठन का कोई भी लाभ नहीं उठाया है, और 31 मार्च 2021 तक जिन्हें ‘मानक’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था, प्रस्तावित फ्रेमवर्क के तहत पात्र होंगे.
  2. समाधान ढाँचा के तहत अपने ऋणों का पुनर्गठन करने वाले व्यक्तिगत उधारकर्ताओं और छोटे व्यवसायों के संबंध में, जहाँ समाधान योजना को दो वर्ष से कम की अधिस्थगन की अनुमति दी गई है, ताकि अधिस्थगन अवधि और / या अवशिष्ट अवधि को कुल 2 वर्षों तक बढ़ाया जा सके.
  3. पूर्व में पुनर्गठन किए गए छोटे व्यवसायों और एमएसएमई के संबंध में, कार्यशील पूंजी चक्र, मार्जिन आदि के पुनर्मूल्यांकन के आधार पर, कार्यशील पूंजी की स्वीकृत सीमाओं की समीक्षा करने के लिए, ऋण संस्थानों को एकबारगी उपाय के रूप में अनुमति दी जा रही है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Disaster management.

Topic : SDRF

संदर्भ

यह वर्ष 2021-22 के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष  (State Disaster Response Fund –SDRF) के केंद्रीय हिस्से की प्रथम किस्त है. इसे सामान्य नियत समय से पूर्व ही जारी कर दिया गया है. केंद्र ने कहा कि राज्य कोविड-19 रोकथाम उपायों के लिए 50% तक राशि का उपयोग कर सकते हैं.   इसका उपयोग ऑक्सीजन उत्पादन, वेंटिलेटर आदि की लागत को पर्ण करने के लिए किया जा सकता है.

राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) क्या है?

  • SDRF हर राज्य में गठित हुआ है. इसका गठन 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम के अनुसार हुआ है. ज्ञातव्य है कि इसके गठन के लिए 13वें वित्त आयोग ने अनुशंसा की थी.
  • इस कोष से राहत कार्य के लिए व्यय से सम्बंधित सभी मामलों में अंतिम निर्णय एक राज्य कार्यकारिणी समिति करती है जिसके प्रमुख मुख्य सचिव होते हैं.
  • SDRF के अन्दर आने वाली आपदाएँ हैं – च्रकवात, सूखा, भूकम्प, आगजनी, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, टिड्डी आक्रमण, बर्फीली और ठंडी हवाएँ.
  • भारत सरकार SDRF कोष में 75% और 90% योगदान करती है. 75% योगदान सामान्य राज्यों को दिया जाता है और 90% उन राज्यों के लिए जिनको विशेष श्रेणी का दर्जा मिला हुआ है.
  • इसके वित्तीय वितरण से संबंधित नोडल एजेंसी वित्त आयोग है, जिसकी सिफारिश से राहत कोष की धनराशि आवंटित की जाती है.
  • जब किसी आपदा को “गंभीर प्रकृति की आपदा” के रूप में घोषित किया जाता है जैसा की केरल के मामले में किया गया, तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया निधि (National Disaster Response Fund – NDRF) कोष से अतिरिक्त सहायता प्रदान की जाती है, अन्यथा SDRF कोष का उपयोग किया जाता है.

सरकार आपदाओं को कैसे वर्गीकृत करती है?

  • 10वें वित्त आयोग (1995-2000) ने एक प्रस्ताव की जाँच के आधार पर पाया गया कि एक आपदा की दुर्लभ गंभीरता को राष्ट्रीय आपदा” तब कहा जाता है, जब यह राज्य की एक-तिहाई आबादी को प्रभावित करती है.
  • पैनल ने “दुर्लभ गंभीरता की आपदा” को परिभाषित नहीं किया था, किंतु यह कहा कि दुर्लभ गंभीरता की आपदा को केस-टू-केस आधार पर अन्य बातों के साथ-साथ आपदा की तीव्रता और परिमाण को भी ध्यान में रखना होगा.
  • इसमें समस्या से निपटने के लिये राज्य की क्षमता, सहायता और राहत प्रदान करने की योजनाओं के भीतर विकल्प और लचीलेपन की उपलब्धता शामिल है.
  • गौरतलब है कि उत्तराखंड और चक्रवात हुदहुद फ्लैश बाढ़ को बाद में “गंभीर प्रकृति” की आपदाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया.

आपदा घोषणा के लाभ

  • जब एक आपदा “दुर्लभ गंभीरता”/”गंभीर प्रकृति” के रूप में घोषित की जाती है, तो राज्य सरकार को समर्थन राष्ट्रीय स्तर पर प्रदान किया जाता है.
  • इसके अतिरिक्त केंद्र एनडीआरएफ की सहायता भी प्रदान कर सकता है.
  • आपदा राहत निधि (सीआरएफ) को स्थापित किया जा सकता है, यह कोष केंद्र और राज्य के बीच 3:1 के साझा योगदान पर आधारित होता है.
  • इसके अतिरिक्त, सीआरएफ में संसाधन अपर्याप्त होने की अवस्था में राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) से अतिरिक्त सहायता पर भी विचार किया जाता है, जो केंद्र द्वारा 100% वित्तपोषित होती है.

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल

  • यह एक विशेषज्ञ दल है, जिसका गठन वर्ष 2006 में किया गया था.
  • इसके गठन का उद्देश्य प्राकृतिक और मानवकृत आपदा या खतरे की स्थिति का सामना करने के लिये विशेष प्रयास करना है.

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति क्या है?

  • भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा आने पर राहत उपायों और कार्रवाइयों के समन्वयन और क्रियान्वयन के लिए एक अस्थाई समिति गठित की है जिसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति का नाम दिया गया है.
  • इस समिति के अध्यक्ष कैबिनेट सचिव होंगे.
  • इस समिति में और कौन-कौन होंगे इसके लिए कृषि सचिव आवश्यक सूचनाएँ उपलब्ध करायेंगे और निर्देश प्राप्त करेंगे.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Indian Economy and issues relating to planning, mobilization, of resources, growth, development and employment. Inclusive growth and issues arising from it.

Topic : Social stock exchange

संदर्भ

हाल ही में, सेबी के तकनीकी समूह (Technical Group- TG) द्वारा ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंजों’ (Social stock exchanges- SSE) पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.

इस विशेषज्ञ समिति की अध्यक्षता नाबार्ड के पूर्व अध्यक्ष हर्ष भानवाला द्वारा की गई थी.

पृष्ठभूमि

टाटा समूह के दिग्गज इशात हुसैन की अध्यक्षता वाली 15 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन SEBI ने गत वर्ष सितंबर में किया था, जिसके लिए जुलाई में आम बजट में प्रस्ताव आया था. सोशल स्टॉक एक्सचेंज का प्रयोग वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली निवेश के लिए किया जाता है, जिसका उद्देश्य कुछ निश्चित सामाजिक उद्देश्य प्राप्त करना होता है.

समिति की प्रमुख संस्तुतियाँ

  1. पात्रता: लाभकारी (for-profit: FP) तथा गैर-लाभकारी संगठनों (not-for-profit organisations- NPO), दोनों के लिए ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंजों’ (Social stock exchanges- SSE) में संभावनाओं की तलाश करने की अनुमति दी जानी चाहिए, बशर्ते वे यह साबित करें कि सामाजिक उद्देश्य और सामाजिक प्रभाव उनका प्रमुख लक्ष्य है. कॉर्पोरेट फाउंडेशन, राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के लिए ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंज’ (SSE) तंत्र का उपयोग करके धन जुटाने के लिए अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए.
  2. अनुदान संचयन हेतु उपलब्ध प्रणालियाँ: गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) के लिए, इक्विटी, जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल बांड (ZCZP), विकास प्रभाव  इम्पैक्ट बांड, वर्तमान में 100 प्रतिशत अनुदान सहित साथ सोशल वेंचर फ़ंड (SVP) के रूप में प्रचलित सामाजिक प्रभाव बांड (Social Impact Bond), तथा म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से निवेशकों द्वारा दान के माध्यम से अनुदान संचयन (Fundraising) की अनुमति है. लाभकारी (for-profit: FP) उद्यम, इक्विटी, ऋण, विकास प्रभाव बांड और सामाजिक उद्यम निधि के माध्यम से अनुदान संचयन (Fundraising) कर सकते है.
  3. फंड का आकार: इस प्रकार के फंडों के लिए न्यूनतम राशि को 20 करोड़ से घटाकर 5 करोड़ रुपये और इनकी न्यूनतम सदस्यता राशि को 1 करोड़ रुपये से घटाकर 2 लाख रु की जानी चाहिए.
  4. सोशल स्टॉक एक्सचेंज’ के लिए क्षमता निर्माण निधि: इसमें 100 करोड़ रुपये की राशि होनी चाहिए. इस फंड को नाबार्ड के अधीन रखा जाना चाहिए. एक्सचेंजों और सिडबी जैसी अन्य विकास एजेंसियों को इस फंड में योगदान करने के लिए कहा जाना चाहिए.
  5. सतत विकास लक्ष्यों के तहत नीति आयोग द्वारा चिह्नित की गई व्यापक गतिविधियों की सूची, जिनमे ‘सोशल स्टॉक एक्सचेंज’ भाग ले सकते है: इन गतिविधियों में,  भुखमरी-उन्मूलन (Eradicating Hunger); गरीबी, कुपोषण और असमानता; LGBTQIA+ समुदायों और महिला सशक्तिकरण के माध्यम से लैंगिक समानता को बढ़ावा देना; ग्रामीण खेलों को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण; और स्लम एरिया डेवलपमेंट, किफायती आवास शामिल हैं.

सोशल स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) एक ऐसा मंच है जो निवेशकों को सामाजिक उद्यमों में शेयर क्रय करने की अनुमति देता है.
  • सोशल स्टॉक एक्सचेंज, ऐसे संगठनों को इक्विटी, डेट और म्यूचुअल फंड के माध्यम से पूँजी इकट्ठा करने की स्वीकृति प्रदान करता है.
  • इस प्रकार के स्टॉक एक्सचेंज यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, जमैका और केन्या में पहले से ही स्थापित हैं.

Prelims Vishesh

Dahla Dam :-

  • यह अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.
  • महीनों तक चली भीषण लड़ाई के बाद तालिबान ने इस पर कब्जा कर लिया है.
  • यह अफगानिस्तान में कंधार प्रांत में अवस्थित है.
  • दहला बांध अरगंडाब नदी पर निर्मित है.

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