Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 January 2022

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Sansar Daily Current Affairs, 05 January 2022


GS Paper 1 Source : Indian Express

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UPSC Syllabus: स्वतंत्रता के बाद का सुदृढ़ीकरण.

Topic : Goa Liberation Day

संदर्भ

19 दिसंबर, 2021 को गोवा को पुर्तगाली औपनिवेशिक शासन से मुक्त कराने वाले भारतीय सशस्त्र बलों की स्मृति में 60वाँ ‘गोवा मुक्ति दिवस’ (Goa Liberation Day) मनाया गया.

इस घटना का भारतीय इतिहास में महत्त्व

यद्यपि भारत ने ब्रिटिश शासन से वर्ष 1947 में ही स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी, फिर भी, गोवा – जोकि उस समय एक पुर्तगाली उपनिवेश था – को विदेशी नियंत्रण से मुक्त कराने में 14 वर्षों का और अधिक समय लग गया. अंततः, 19 दिसंबर 1961 को, भारतीय सशस्त्र बलों ने करीब 450 वर्षों के औपनिवेशिक शासन का अंत करते हुए, पुर्तगालियों से गोवा पर अपना नियंत्रण वापस प्राप्त कर लिया.

‘ऑपरेशन विजय’ क्या है?

  • पुर्तगाली, भारत में अपना उपनिवेश स्थापित करने वाले सबसे पहले औपनिवेशिक शासक थे और देश छोड़ने वाले अंतिम उपनिवेशी भी यही थे.
  • पुर्तगालियों ने वर्ष 1510 में गोवा पर आक्रमण किया था.
  • तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा भारतीय सशस्त्र बलों के लिए ‘गोवा’ पर हमला करने का आदेश दिए जाने के बाद, 17 दिसंबर 1961 को ‘ऑपरेशन विजय’ (Operation Vijay) शुरू किया गया. 17 दिसंबर को भारत ने 30 हजार सैनिकों को ऑपरेशन विजय के तहत गोवा भेजने का निर्णय किया. इसमें थलसेना, नौसेना और वायुसेना शामिल थी.
  • इस अभियान के तहत, लगभग 30,000 भारतीय सैनिकों ने, बुरी तरह से तैयार 3,000 पुर्तगाली सैनिकों पर आसानी से काबू पा लिया.
  • न्यूनतम रक्तपात के साथ, भारतीय सेना का यह अभियान सफल रहा और पुर्तगाल के नियंत्रण में अन्य भारतीय क्षेत्रों – दमन और दीव को अपने अधिकार में लेने के लिए इस ऑपरेशन को आगे जारी रखा गया.
  • इस बीच 18 दिसंबर को, पुर्तगाली गवर्नर जनरल ‘वासलो डी सिल्वा’ (Vassalo da Silva) ने केंद्र शासित प्रदेश गोवा, दमन और दीव पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया.

GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : UAE signs mega weapons deal with France

संदर्भ

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात ने फ्रांस के साथ रिकॉर्ड 14 बिलियन यूरो की लागत से 80 राफेल जेट खरीदने के लिए समझौता किया है. यह राफेल विमानों की खरीद का अब तक सबसे बड़ा समझौता है. यूएई, फ्रांस का 5वाँ सबसे बड़ा रक्षा खरीददार रहा है. हालाँकि यूएई द्वारा ख़रीदे गये रक्षा उपकरणों के यमन गृहयुद्ध में प्र्यप्ग के कारण फ्रांस को मानवाधिकार संगठनों की कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ा है.

प्रमुख तथ्य

  • ये विमान फ्रांस की कंपनी ‘डसॉल्ट एविएशन’ द्वारा निर्मित हैं.
  • इन विमानों की अधिकतम स्पीड 2200 किमी प्रति घण्टा है और ये 50,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ान भर सकते हैं.
  • ये Probe and Drogue पद्धति से हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता रखते हैं.
  • राफेल विमानों में इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर (EW) प्रणाली है, ये 6 एयर टू एयर मिसाइल ले जाने और इंफ्रा रेड सर्च एंड ट्रैकिंग में सक्षम हैं.
  • इन विमानों में Meteor, SCALP एवं MICA मिसाइल प्रणालियाँ प्रयुक्त की जा सकेंगी.

यमन गृहयुद्ध में यूएई की भूमिका

उल्लेखनीय है कि यमन में चल रहे गृहयुद्ध में यूएई, वर्ष 2018 में हूथी (ईरान द्वारा समर्थित) विद्रोहियों के विरुद्ध सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हुआ था, हालाँकि यूएई ने यमन में अपनी भूमिका को वर्ष 2020 में कम करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब यूएई यमन के सोकोत्रा, मायूं द्वीपों पर महत्त्वपूर्ण एयर बेस बना रहा है.

पिछलों दिनों यूएई ने यमन के रणनीतिक स्थिति वाले मायूं द्वीप पर एयर बेस बनाया है, यह द्वीप बाब अल मंदब पर नियंत्रण के लिए बेहद जरुरी है. सोकोत्रा द्वीप पर भी इजराइली टूरिस्ट देखे गये हैं, जो यूएई-इजराइल के बीच हुए अब्राहम एकॉर्ड के तहत है. यमन की राष्ट्रपति हदी की सरकार जो सऊदी अख के संरक्षण में है, यमन के इन भागों पर यूएई के कब्जे का विरोध कर रही है, लेकिन वह कमजोर है और इससे अधिक कुछ कर नही सकती.

गृहयुद्ध के दुष्प्रभाव

यमन के गृहयुद्ध के कारण लगभग 40 लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा हैं, जिनमें से 80% महिलाएँ एवं बच्चे हैं. 1.6 करोड़ से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. वर्ष 2015 से अब तक 10,000 से अधिक बच्चे मारे जा चुके हैं, 4 लाख से अधिक कुपोषण से ग्रस्त हैं, 20 लाख से ज्यादा बच्चों को स्कूल छोड़ने पड़े हैं. वर्ष 2021 में भोजन की लागत में 60% से अधिक की वृद्धि हुई है, यमन के लगभग 47% लोग प्रतिदिन 2 डॉलर से कम पर जीवन बिता रहे हैं. महिलायें मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय.

Topic : Need for a bill on lynching-related matters

संदर्भ

18 दिसंबर को, सिख संगत (सिख धर्म के भक्तों) द्वारा अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा (स्वर्ण मंदिर) में सिख धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का अनादर करने का कथित रूप से प्रयास करने पर एक व्यक्ति की ‘पीट-पीटकर हत्या’ (Lynching) कर दी गई.

रिपोर्टों के अनुसार, हत्या करने वाले समूह का आरोप है, कि वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को अपवित्र करने का प्रयास कर रहा था.

संबंधित प्रकरण

विशेषकर यह पहली बार नहीं है जब सिख धर्म से संबंधित पवित्र पुस्तक की बेअदबी के आरोप में किसी की हत्या की गई हो. हाल के दिनों में, इस तरह की लिंचिंग की कई घटनाएँ हो चुकी हैं.

फिर भी, लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में लेने और पवित्र पुस्तक का अनादर करने के आरोप में लिंचिंग करने के बारे में, किसी भी राजनीतिक नेता या पुलिस ने एक शब्द भी नहीं कहा है.

मॉब लिंचिंग की हालिया घटनाएं

  • पिछले महीने असम में एक 23 वर्षीय छात्र नेता की भीड़ ने कथित तौर पर हत्या कर दी थी.
  • अक्टूबर माह में, एक व्यक्ति की कथित रूप से पीट-पीट कर हत्या कर दी गई, उसके अंगों को काट दिया गया और ‘तीन कृषि कानूनों’ के खिलाफ किसानों के विरोध स्थल, सिंघू बॉर्डर पर उसे मरने के लिए छोड़ दिया गया.
  • अगस्त महीने में, इंदौर में एक चूड़ी विक्रेता को कथित तौर पर अपनी पहचान छिपाने पर भीड़ ने पीटा था. वह व्यक्ति किसी तरह जीवित बच गया और बाद में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
  • इस साल मई में, गुरुग्राम के एक 25 वर्षीय व्यक्ति दवा खरीदने के लिए बाहर गया था, उसी दौरान कथित तौर पर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई थी.

‘लिंचिंग’ का तात्पर्य

धर्म, जाति, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, खान-पान, यौन-अभिरुचि, राजनीतिक संबद्धता, जातीयता अथवा किसी अन्य संबंधित आधार पर भीड़ द्वारा नियोजित अथवा तात्कालिक हिंसा या हिंसा भड़काने वाले कृत्यों आदि को मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहा जाता है.

इसमें अनियंत्रित भीड़ द्वारा किसी दोषी को उसके किये अपराध के लिये या कभी-कभी मात्र अफवाहों के आधार पर ही बिना अपराध किये भी तत्काल सज़ा दी जाए अथवा उसे पीट-पीट कर मार डाला जाता है.

इस प्रकार के मामलों से किस प्रकार निपटा जाता है?

  • मौजूदा ‘भारतीय दंड-विधान संहिता’ (IPC) के तहत, इस प्रकार घटनाओं के लिए “कोई अलग” परिभाषा नहीं है. लिंचिंग की घटनाओं से ‘आईपीसी’ की धारा 300 और 302 के तहत निपटा जाता है.
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के अनुसार, जो कोई भी किसी व्यक्ति की हत्या करता है, तो उसे मृत्यु दंड या आजीवन कारावास और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा. ‘हत्या करना’ एक गैर-जमानती, संज्ञेय और गैर-शमनीय अपराध है.

इस संबंध में उच्चत्तम न्यायालय के दिशानिर्देश

  1. लिंचिंग एक ‘पृथक अपराध’ होगा तथा ट्रायल कोर्ट अभियुक्तों को दोषी ठहराए जाने पर अधिकतम सजा का प्रावधान कर मॉब लिंचिंग करने वाली भीड़ के लिए कड़ा उदहारण स्थापित करें.
  2. राज्य सरकारें, प्रत्येक ज़िले में मॉब लिंचिंग और हिंसा को रोकने के उपायों के लिये एक सीनियर पुलिस अधिकारी को प्राधिकृत करें. राज्य सरकारें उन ज़िलों, तहसीलों, गाँवों को चिन्हित करें जहाँ हाल ही में मॉब लिंचिंग की घटनाएँ हुई हैं.
  3. नोडल अधिकारी मॉब लिंचिंग से संबंधित ज़िला स्तर पर समन्वय के मुद्दों को राज्य के DGP के समक्ष प्रस्तुत करेगें.
  4. केंद्र तथा राज्य सरकारों को रेडियो, टेलीविज़न और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह प्रसारित कराना होगा कि किसी भी प्रकार की मॉब लिंचिंग एवं हिंसा की घटना में शामिल होने पर विधि के अनुसार कठोर दंड दिया जा सकता है.
  5. केंद्र और राज्य सरकारें, भीड़-भाड़ और हिंसा के गंभीर परिणामों के बारे में रेडियो, टेलीविजन और अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रसारित करेंगी.
  6. राज्य पुलिस द्वारा किए गए उपायों के बावजूद, मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएँ होने पर संबंधित पुलिस स्टेशन तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा.
  7. राज्य सरकारें मॉब लिंचिंग से प्रभावित व्यक्तियों के लिये क्षतिपूर्ति योजना प्रारंभ करेगी.
  8. यदि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी अपने कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो यह जानबूझकर की गई लापरवाही माना जाएगा.

इस सन्दर्भ में विभिन्न राज्यों द्वारा किये गए प्रयास:

  • मणिपुर सरकार द्वारा वर्ष 2018 में इस संदर्भ में कुछ तार्किक और प्रासंगिक उपबंधो को सम्मिलित करते हुए एक विधेयक पारित किया गया.
  • राजस्थान सरकार द्वारा अगस्त 2019 में लिंचिंग के खिलाफ एक विधेयक पारित किया गया.
  • पश्चिम बंगाल सरकार ने भी मॉब लिंचिंग के विरूद्ध कठोर प्रावधानों सहित एक विधेयक पेश किया.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

  • लिंचिंग एक ऐसी घृणित घटना है जिसका उस लोकतांत्रिक समाज में कोई स्थान नहीं होना चाहिये, जिस पर भारत को गर्व है. लिंचिंग की घटना शासन को विशेष रूप से अस्थिर करती है, जबकि भीड़ द्वारा की गई हिंसा का कार्य स्वयं कानून प्रवर्तन की विफलता का संकेत है, यह एक स्पष्ट विचार के रूप में प्रतिबद्ध होती है जिसमें कानून की सहायता नहीं ली जाती है. भीड़ की हिंसा के मामलों में पुलिस की निष्क्रियता सिद्धांतों को विकृत रूप से तोड़मरोड़, पुलिस द्वारा न्यायेतर दंड की स्पष्ट सार्वजनिक स्वीकृति न दिये जाने के कारण देखी जाती है. यह देश के लिये घातक है. भीड़ की हिंसक घटनाओं के कारण वास्तव में देश की बदनामी होती है और इसे समाप्त करने के लिये पुलिस को सख्ती के साथ हस्तक्षेप करना चाहिये। भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसक कार्यवाहियों को अनुमति देने वाली सामाजिक सहमति पर सवाल उठाने में राजनीतिक नेतृत्व की भी भूमिका होती है.
  • प्रत्येक बार ऑनर किलिंग, घृणा-अपराधों, डायन-हत्या अथवा मॉब लिंचिंग की घटनाओं के होने पर इन अपराधों से निपटने के लिए विशेष कानून की मांग उठायी जाती हैं.
  • लेकिन, तथ्य यह है कि यह अपराध हत्याओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं हैं तथा IPC और सीआरपीसी (CrPC) के तहत मौजूदा प्रावधान ऐसे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त हैं.
  • पूनावाला मामले में निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ, हम मॉब लिंचिंग से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से सक्षम हैं. इन अपराधों से निपटने के लिए मौजूदा कानूनों और प्रवर्तन एजेंसियों को अधिक जवाबदेह बनाने की आवश्यकता है.

GS Paper 2 Source : PIB

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UPSC Syllabus: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ.

Topic : Bill to link voter ID with Aadhaar cards passed by the Lok Sabha

संदर्भ

हाल ही में, ‘मतदाता पहचान पत्र को ऐच्छिक रूप से आधार कार्ड से जोड़ने सहित अन्य प्रमुख सुधार करने हेतु ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम’ में संशोधन करने के उद्देश्य से संसद में ‘निर्वाचन कानून (संशोधन) विधेयक’, 2021 (Election Laws (Amendment) Bill, 2021) को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दे दी गयी है.

आधार कार्ड को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की जरूरत

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा वर्ष 2015 से यह मांग की जा रही है. निर्वाचन आयोग द्वारा आधार संख्या को मतदाता पहचान संख्या से जोड़ने के लिए, ‘राष्ट्रीय निर्वाचन कानून शोधन और प्रमाणीकरण कार्यक्रम’ (National Electoral Law Purification and Authentication Programme) शुरू किया गया था. आयोग के अनुसार, इस संबद्धता (लिंकिंग) से एक व्यक्ति के नाम पर कई नामांकनों को चिह्नित कर उन्हें समाप्त किया जा सकेगा.

  • उस समय, इस कार्यक्रम पर रोक लगा दी गयी थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए ‘आधार संख्या’ का उपयोग वैकल्पिक रहेगा.
  • इसके बाद, चुनाव निर्वाचन ने अपने प्रस्ताव में संशोधन करते हुए ‘लिंकिंग’ को वैकल्पिक बना दिया.

विधेयक के अन्य प्रावधान

विधेयक में, हर वर्ष चार ‘अहर्ता तिथियों’ पर नए मतदाताओं के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है, वर्तमान में नए मतदाताओं के पंजीकरण हेतु केवल 1 जनवरी को ‘अहर्ता तिथि’ माना जाता है.

  • वर्तमान में, 1 जनवरी को या उससे पहले 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाला कोई भी व्यक्ति मतदाता के रूप में पंजीकृत होने के लिए पात्र होता है.
  • केवल एक कटऑफ डेट होने के कारण 2 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिये अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था.
  • विधेयक के अनुसार, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में, मतदाता पंजीकरण के लिए 1 जनवरी के साथ-साथ तीन अन्य अहर्ता तिथियां – 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर – होंगी.

संशोधन विधेयक में ‘सेवारत मतदाताओं’ (Service Voters) के लिए निर्वाचन को ‘लैंगिक रूप से तटस्थ’ बनाने का प्रावधान किया गया है.

  • संशोधन के अंतर्गत, ‘पत्नी’ शब्द के स्थान पर ‘पति/पत्नी’ (Spouse) किया जाएगा, जिससे यह क़ानून ‘लैंगिक रूप से तटस्थ’ (Gender Neutral) बन जाएगा.
  • वर्तमान में सशत्र सेना के एक जवान की ‘पत्नी’ ‘सेवा मतदाता’ के रूप में नामांकित होने की हकदार है, लेकिन ‘महिला अधिकारी’ के पति को यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. ‘पत्नी’ के स्थान पर ‘पति/पत्नी’ शब्द का प्रयोग किए जाने से इसमें परिवर्तन हो जाएगा.

वोटर आईडी-आधार कार्ड युग्मन से संबंधित मुद्दे

  • संसोधन प्रस्ताव में ‘भारत निर्वाचन आयोग’ (ECI) और UIDAI डेटाबेस को किस सीमा तक साझा किया जाएगा, मतदाता से उसकी सहमति हासिल लेने की क्या प्रक्रिया होगी, और क्या डेटाबेस को जोड़ने के लिए दी गयी सहमति रद्द की जा सकती है, जैसे सवालों को स्पष्ट नहीं किया गया है.
  • एक सशक्त ‘निजी डेटा संरक्षण कानून’ के अभाव में ‘डेटा साझा करने की अनुमति’ देने संबंधी कोई भी कदम समस्यात्मक साबित हो सकता है. यह व्यक्ति की निजता में दखल होगा. ‘निजी डेटा संरक्षण कानून’ के संबंध में एक विधेयक अभी संसद में विचाराधीन है.

Prelims Vishesh

Samaj Sudhar Andolan :-

  • हाल ही में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सामाजिक सुधारों के लिए अभियान ‘समाज सुधार अभियान’ शुरू किया है.
  • अभियान के हिस्से के रूप में, मुख्यमंत्री लोगों को शराबबंदी के लाभों और समाज पर दहेज प्रथा और बाल विवाह के बुरे प्रभावों के बारे में जागरूक करेंगे.

Typhoon Rai  :-

  • फिलीपींस के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में सुपर ‘टाइफून राय’ (Typhoon Rai) द्वारा तबाही जारी है, जिससे हजारों लोगों को व्यापक बाढ़ और विनाश की चेतावनी के बीच, शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
  • टाइफून राय को फिलीपींस में टाइफून ओडेट (Typhoon Odette ) कहा जाता है. यह वर्तमान में एक शक्तिशाली उष्णकटिबंधीय चक्रवात (tropical cyclone) है, जिसने पलाऊ द्वीप के पास से गुजरने के बाद फिलीपींस को प्रभावित कर रहा है.
  • टाइफून राय, वर्ष 1954 के पामेला और वर्ष 2014 के राम्मसून (Rammasun) के बाद दक्षिण चीन सागर में आने वाला श्रेणी 5 का तीसरा सुपर टाइफून बन गया है.

Tablighi Jamaat :-

  • तब्लीगी जमात की स्थापना 1927 में एक सुधारवादी धार्मिक आंदोलन के तौर पर मोहम्मद इलियास कांधलवी ने की थी. यह इस्लामिक आंदोलन देवबंदी विचारधारा से प्रभावित है और उसके सिद्धांतों का दुनिया-भर में प्रचार करता है.
  • जमात उर्दू भाषा का शब्द है. जमात शब्द का मतलब किसी खास उद्देश्य से इकट्ठा होने वाले लोगों का समूह है. तब्लीगी जमात के संबंध में बात करें तो यहां जमात ऐसे लोगों के समूह को कहा जाता है जो कुछ दिनों के लिए खुद को पूरी तरह तब्लीगी जमात को समर्पित कर देते हैं. इस दौरान उनका अपने घर, कारोबार और सगे-संबंधियों से कोई संबंध नहीं होता है. लोगों के बीच इस्लाम की बातें फैलाते हैं और अपने साथ जुड़ने का आग्रह करते हैं. इस तरह उनके घूमने को गश्त कहा जाता है. गश्त के बाद के समय का प्रयोग वे लोग नमाज, कुरान की तिलावत और प्रवचन में करते हैं.
  • जमात के बाद ये लोग अपनी अपनी सुविधा के अनुसार तीन दिन, 40 दिन, कोई चार महीने के लिए तो कोई साल भर के लिए सम्मिलित होते हैं. यह अवधि के समाप्त होने के बाद ही वे अपने घरों को लौटते हैं और रुटीन कामों में लग जाते हैं.
  • इस विचारधारा यानि तब्लीगी जमात के लोग पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. बड़े-बड़े शहरों में उनका एक सेंटर होता है जहां जमात के लोग जमा होते हैं. इसे मरकज कहा जाता है. उर्दू में मरकज इंग्लिश के सेंटर और हिंदी के केंद्र के लिए इस्तेमाल होता है.

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