Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 December 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 05 December 2020


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Welfare schemes for vulnerable sections of the population by the Centre and States and the performance of these schemes; mechanisms, laws, institutions and bodies constituted for the protection and betterment of these vulnerable sections.

Topic : PM SVANidhi

संदर्भ

हाल ही में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (The Pradhan Mantri Street Vendor’s AtmaNirbhar Nidhi- PM SVANidhi) या पीएम स्वनिधि नामक योजना के कार्यान्वयन में मणिपुर राज्य ने पहाड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्यों की श्रेणी (hill and north-eastern states category) में पहला स्थान प्राप्त किया है.

प्रमुख बिन्दु

  • मणिपुर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने जानकारी दी कि पीएम स्वनिधि (PM SVANidhi) योजना के कार्यान्वयन में मणिपुर राज्य ने पहाड़ी और उत्तर-पूर्वी राज्यों की श्रेणी(hill and north-eastern states category) में पहला स्थान प्राप्त किया है.
  • पीएम स्वनिधि (PM SVANidhi) योजना के तहत कोविड -19 महामारी के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए सड़क विक्रेताओं(street vendors) की मदद करने हेतु मणिपुर ने अपेक्षाकृत अधिक ऋण (loans) का वितरण किया है.
  • मणिपुर में, अब तक पीएम स्वनिधि (PM SVANidhi) और मुद्रा(MUDRA) योजनाओं के तहत 5,354 विक्रेताओं को लाभान्वित किया गया है. राज्य सरकार ने कुल 20,000 विक्रेताओं को सहायता प्रदान करने का लक्ष्य रखा है.

PM SVANIDHI योजना का लाभ किसे मिलेगा?

  • इस योजना का लाभ रेहड़ी पटरी वालों और छोटी-मोटी दुकान लगाकर आजीविका चलाने वालों को प्राप्त होगा. फल-सब्जी, लॉन्ड्री, सैलून और पान की दुकानें भी इस श्रेणी में शामिल की गई हैं.
  • इस योजना के अंतर्गत सरकार इन लोगों को अपना कारोबार शुरू करने के लिए यथासंभव सहायता प्रदान करेगी. इससे रेहड़ी-पटरी वाले बिना किसी देरी के अपना काम-धंधा फिर से प्रारम्भ कर सकेंगे.

पीएम स्वनिधि योजना के बारे में मुख्य तथ्य

  • यह योजना मार्च 2022 तक वैध है.
  • इस योजना के लिये सरकार द्वारा 5,000 करोड़ रुपए की राशि मंज़ूर की गई है.
  • कोरोना वायरस की वजह से लड़खड़ाई देश की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक प्रभावित फेरीवालों, रेहड़ी-पटरी पर काम करने वालों (स्ट्रीट वेंडर्स) को अब पीएम स्व निधि स्कीम के तहत 10 हजार का कर्ज दिया जाएगा.
  • इस राशि को रेहड़ी-पटरी वाले 1 वर्ष के भीतर किस्त में लौटा सकते हैं.
  • यह ऋण बहुत ही आसान शर्तों के साथ दिया जाएगा. इसमें किसी ज़मानत या कोलैट्रल (Collateral) की आवश्यकता नहीं होगी.
  • इस ऋण को समय पर चुकाने वाले छोटे दुकानदारों, फेरीवालों को 7% का वार्षिक ब्याज सब्सिडी के तौर पर उनके खाते में सरकार की ओर से स्थानान्तरण किया जाएगा.
  • इस योजना के तहत जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

कोरोना की सबसे अधिक मार किसी ने झेला है तो वे छोटे-मोटे विक्रेता और रेहड़ी वाले ही हैं जिनकी रोजाना आय से उनका घर चलता था और उन्हें दो वक्त की रोटी मिलती थी. देश में बड़े पैमाने पर असंगठित क्षेत्र के प्रमाणिक आँकड़े उपलब्ध न होने से इस प्रक्षेत्र से संलग्न लोगों को सहायता पहुँचाना हमेशा से एक बड़ी चुनौती रही है.

हमें आशा है कि ‘पीएम स्वनिधि’ योजना से अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा और वे तालाबंदी के चलते प्रभावित हुई आजीविका को पुनः प्रारम्भ कर सकेंगे.

इससे ये लोग कोरोना संकट के समय अपने कारोबार को नए सिरे से खड़ा कर आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति देंगे. यह भारत में प्रथम बार हुआ है कि शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेता शहरी आजीविका कार्यक्रम के लाभार्थी बन गए हैं. वेंडर 10,000 रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं जिसे वे एक वर्ष में मासिक किस्तों में चुका सकते हैं.

इस योजना के माध्यम से डिजिटल भुगतान को भी प्रोत्साहन दिया जा रहा है क्योंकि इस योजना के अंतर्गत जो भी खुदरा विक्रेता डिजिटल भुगतान करेगा, उसे इनाम देकर प्रोत्साहित किया जाएगा. डिजिटल भुगतान पर एक लाभ यह भी है कि आने वाले समय में उन्हें ​कामकाज बढ़ाने के लिए अतिरिक्त धन (कैशबेक आदि के माध्यम से) उपलब्ध कराया जा सकेगा. 

प्रीलिम्स बूस्टर

 

SIDBI : भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) संसद के एक अधिनियम द्वारा 2 अप्रैल, 1990 को स्थापित किया गया था. यह बैंक सूक्ष्म, मघु और मध्यम उद्यमों (Micro, Small and Medium Enterprise – MSME) के लिए वित्त जुटाने वाला प्रधान बैंक है. साथ ही समान प्रकार की गतिविधियों में संलग्न अन्य संस्थाओं के कार्यकलाप का समन्वयन भी करता है.


GS Paper 2 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Effect of policies and politics of developed and developing countries on India’s interests, Indian diaspora.

Topic : SIPRI Report on Global Weapon Industry

संदर्भ

दुनिया के प्रमुख हथियार वॉचडॉग स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) की तरफ से प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और चीन का वर्ष 2019 में वैश्विक हथियारों के बाजार पर दबदबा रहा.

वैश्विक हथियार उद्योग पर SIPRI की रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

  • SIPRI के हथियार उद्योग डेटाबेस के नए आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया की 25 सबसे बड़ी हथियार उत्पादक और सैन्य सेवा कंपनियों (हथियार कंपनियों) द्वारा 2019 में कुल 361 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियार बिक्री की गई है. 2018 की तुलना में शीर्ष 25 हथियार कंपनियों द्वारा वास्तविक रूप से हथियारों की बिक्री में 8.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
  • अमेरिकी कंपनियों का दबदबा: 2019 में शीर्ष बिक्री दर्ज करने वाले पांच हथियार कंपनियों में सभी संयुक्त राज्य अमेरिका की कंपनीयां थी.
  • ये पाँच कंपनियाँ हैं: लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, नॉर्थ्रॉप ग्रुमैन, रेथियॉन और जनरल डायनेमिक्स.
  • इन पांचों ने मिलकर 166 बिलियन डॉलर की वार्षिक हथियारों की बिक्री दर्ज की है.
  • शीर्ष 25 हथियार निर्माताओं में से 12 अमेरिकी कंपनियाँ हैं, इन कंपनियों ने शीर्ष 25 कंपनियों द्वारा बेचे गए कुल हथियारों का 61% हिस्सा बेचा है.
  • चीन का उदय: वर्ष 2019 में 16 प्रतिशत हथियारों की बिक्री के साथ चीन दूसरे स्थान पर रहा, शीर्ष 25 हथियार निर्माताओं में चीन की चार हथियार बनाने वाली कंपनियां शामिल हैं.
  • चीन की चार हथियार बनाने वाली कंपनियों ने 2019 में 56.7 अरब डॉलर के हथियार बेचे हैं.
  • शीर्ष 25 कंपनियों में जगह बनाने वाली चीनी कंपनियों के नाम हैं- एविएशन इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना, चीन इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी ग्रुप कॉर्पोरेशन, चीन नॉर्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉरपोरेशन और चीन साउथ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉर्पोरेशन.
  • रिपोर्ट के अनुसार, चीन की हथियार कंपनियां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के आधुनिकीकरण कार्यक्रमों से लाभ उठा रही हैं. शीर्ष 25 कंपनियों की सूची में अधिक चीनी कंपनियों को शामिल किया जा सकता था, लेकिन “संतोषजनक और सटीक डाटा” की कमी के कारण उन्हें शामिल करना संभव नहीं था.
  • मध्य पूर्वी हथियार कंपनी पहली बार शीर्ष 25 में हथियार विक्रेताओं में शामिल: पहली बार एक मध्य पूर्वी हथियार कंपनी भी शीर्ष 25 कंपनियों में जगह बनाने में कामयाब रही है. संयुक्त अरब अमीरात की कंपनी “ऐज” को सूची में 22वां स्थान प्राप्त हुआ है.
  • शीर्ष 25 हथियार कंपनियों की कुल हथियारों की बिक्री में इसका हिस्सा 1.3 प्रतिशत है.
  • इसके अलावा भारत को राफाल लड़ाकू विमान बेचने वाली फ्रांस की कंपनी दसौल्ट एविएशन ग्रुप ने पहली बार शीर्ष 25 हथियार कंपनियों की सूची में जगह बनाई है. दसौल्ट की वार्षिक हथियारों की बिक्री भी 105 प्रतिशत बढ़ी है. सिपरी के मुताबिक दसौल्ट की रैंकिंग में सुधार इसके राफेल लड़ाकू जेट के निर्यात में वृद्धि के कारण है.

SIPRI

  • SIPRI का गठन स्टॉकहोम (स्वीडन की राजधानी) में 1966 में हुई थी.
  • इसका एक कार्यालय बीजिंग, चीन में भी है और पूरी दुनिया में इसे एक सम्मानित थिंक-टैंक के रूप में जाना जाता है.
  • यह एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संस्थान है जो युद्ध, हथियार, शस्त्र-नियंत्रण और निरस्त्रीकरण से सम्बंधित अनुसंधान को समर्पित है.
  • यह संस्थान नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं, मीडिया और रूचि रखने वाले लोगों को आँकड़े, विश्लेष्ण और सुझाव देता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Challenges to internal security through communication networks, role of media and social networking sites in internal security challenges, basics of cyber security; money-laundering and its prevention.

Topic : Bioweapons

संदर्भ

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने कहा है कि ‘भविष्य में होने वाले युद्ध शून्य-लागत वाले युद्धों की ओर अग्रसर हो सकते हैं, जिसमे कोई एक बहुत ही घातक रोगाणु (Pathogen),  उच्च तकनीकों युक्त शस्त्रागार को गतिहीन कर सकता है.’

उन्होंने कहा है, कि कमजोर सेनाएं किसी अप्रतिबंधित युद्ध क्षेत्रों में अपने-अपने लाभप्रद स्थितियों की तलाश में रहेंगी, और वहीं बयानबाजी (Narratives) की लड़ाई के लिए सोशल मीडिया पसंदीदा मार्ग बना रहेगा. 

जैविक हथियार से तात्पर्य  

  • जैव आतंकवाद के माध्यम से प्रायः विषाणु या जीवाणु के साथ नई तकनीकी की सहायता से हमला किया जाता है जो अन्य हथियारों से और भी ज्यादा खतरनाक होता है. उल्लेखनीय है कि कीटाणुओं, विषाणुओं अथवा फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों जिन्हें जैविक हथियार कहा जाता है, का युद्ध में नरसंहार के लिये प्रयोग किया जा सकता है.
  • जैव आतंकवाद के वाहक के रूप में लगभग 200 प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस, फंगस पर्यावरण में मौजूद हैं. एंथ्रेक्स, प्लेग, बोटूलिज्म, टूलेरीमिया, ग्लैन्डर, जैसे खतरनाक जीव इसमें शामिल हैं.
  • कई वाहक पाउडर के रूप में होते हैं. इन्हें सरलता से पानी या हवा में छोड़ा जा सकता है या किसी के भोजन में मिलाया जा सकता है. ये 24 घंटे के अंदर प्राणी और अन्य जीवों की जान ले सकते हैं.

रासायनिक हथियार

  • एक रासायनिक हथियार मानव निर्मित रसायन के उपयोग से बनता है. अर्थात् रासायनिक हथियारों में उन हथियारों का प्रयोग होता है जो घातक रसायनों के उपयोग से बनते हैं और आबादी के लिये जान और माल के नुकसान का कारण बनते हैं.
  • ये हथियार जीवन को नष्ट करने के लिये प्रयोग किये जाते हैं. रासायनिक युद्ध से संपूर्ण मानवीय समुदाय को खत्म किया जा सकता है. रासायनिक हथियारों में ज़हरीला रसायन होता है जो IEDs, Mortars, मिसाइलों और अन्य एजेंटों का उपयोग कर प्रसारित किया जाता है.
  • इन्हीं एजेंटों के कारण विस्फोट होता है और परिणामस्वरूप ज़हरीले रासायनिक हवा में फैल जाते हैं. इस रसायन से किसी भी व्यक्ति की कुछ ही सेकेंड में मौत हो सकती है. इन रासायनिक हथियारों का प्रभाव तब तक रहता है जब तक हवा को साफ नहीं कर दिया जाता है. रासायनिक हथियार के कुछ उदाहरण- मस्टर्ड गैस, सरीन, क्लोरीन, हाइड्रोजन साइनाइड और टीयर गैस के रूप में हैं.

जैविक हथियार अभिसमय (BWC)

जैविक हथियार अभिसमय (Biological Weapons Convention- BWC), सामूहिक विनाश के हथियारों की पूरी श्रेणी के विकास, उत्पादन और भंडार पर प्रतिबंध लगाने वाली पहली बहुपक्षीय निरस्त्रीकरण संधि है. इस संधि को 10 अप्रैल 1972 को हस्ताक्षर के लिए खोला गया था. जैविक हथियार अभिसमय (BWC) 26 मार्च 1975 को लागू किया गया था.

BWC के तहत प्रतिबंध

जैविक हथियार अभिसमय (BWC) के तहत निम्नलिखित के विकास, भंडार, अधिग्रहण, प्रतिधारण, और उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया है:

  1. रोगनिरोधी, सुरक्षात्मक या अन्य शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अतर्कसंगत जैविक एजेंटों और विषाक्त पदार्थों के प्रकार और उनकी मात्रा;
  2. शत्रुतापूर्ण उद्देश्यों के लिए या सशस्त्र संघर्ष में जैविक एजेंटों या विषाक्त पदार्थों का उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हथियार, उपकरण और डिलीवरी वाहन;
  3. ऊपर वर्णित एजेंटों, विषाक्त पदार्थों, हथियारों, उपकरणों और डिलीवरी वाहनों को हासिल करने अथवा इनका हस्तांतरण.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Infrastructure: Energy, Ports, Roads, Airports, Railways etc.

Topic : Inland Waterways Authority of India: IWAI

संदर्भ

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (Inland Waterways Authority of India: IWAI) ने तीन नदी टर्मिनलों क निजीकरण के लिए निविदा शर्तों को सरल बनाया है.

मुख्य तथ्य

  • IWAI ने राष्ट्रीय जलमार्ग (NW) 1 पर वाराणसी, हल्दिया और साहिबगंज में मल्टी-मॉडल टर्मिनलों (multi-modal terminals :MMT) के निजीकरण के लिए निविदा शर्तों में राहत प्रदान की है.
  • MMT का निजीकरण सज्जित करना, संचालन और स्थानांतरण (EOT model) के आधार पर किया जा रहा है. विदित हो कि EOT मॉडल का उपयोग वस्तुतः वहां किया जाता है, जहां बुनियादी ढांचा पहले से मौजूद है और पूंजीगत निवेश की कोई आवश्यकता नहीं होती है.
  • NW1 इलाहाबाद से हल्दिया तक विस्तृत है. यह गंगा-भागीरथी-हुगली नदी तंत्र से संबंधित है. यह जलमार्ग उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से होकर गुजरता है.
  • MMT कार्गों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए न्यूनतम दो या अधिक मार्गों (रेल, सड़क व जलमार्ग) के संयोजन का उपयोग करता है.
  • MMTs को जल मार्ग विकास परियोजना के हिस्से के रूप में निर्मित किया जा रहा है. इसका उद्देश्य 1500-2000 टन वजन तक के बड़े जहाजों के नौपरिवहन के लिए वाराणसी से हल्दिया के मध्य गंगा नदी के विस्तार को विकसित करना है.
  • IWAI इस परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी है.
  • भारत में लगभग 14,500 किमी का नौवहन योग्य जलमार्ग विद्यमान है, परन्तु सड़क मार्ग के 65 प्रतिशत और रेल द्वारा 27 प्रतिशत की तुलना में जलमार्ग के माध्यम से माल की आवाजाही 5 प्रतिशत से भी कम है.

भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)

  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) एक वैधानिक प्राधिकरण है जो 27 अक्टूबर, 1986 में अस्तित्व में आया था. यह भारत में जलमार्ग का काम देखता है.
  • इसका मुख्यालय उत्तर प्रदेश के नोयडा शहर में स्थित है.
  • यह जलमार्गों में आवश्यक निर्माण कार्य करता है तथा साथ ही नई परियोजनाएँ आर्थिक रूप से हाँथ में लेने लायक हैं या नहीं इसकी जाँच करता है.

GS Paper 3 Source : The Hindu

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UPSC Syllabus : Conservation, environmental pollution and degradation, environmental impact assessment.

Topic : Cereal production and trade in groundwater crisis states

संदर्भ

हाल ही में एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में भू-जल (groundwater) संकट का सामना कर रहे राज्यों में अनाज (cereals) का उत्पादन और व्यापार अपेक्षाकृत अधिक रहा है.

मुख्य तथ्य

  • भारत और विदेश में स्थित विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने कृषि उत्पादन (जैसे – अनाज आदि) और उसमें प्रयोग होने वाले जल पर अध्ययन किया है. इस अध्ययन में अनाज के उत्पादन,व्यापार और अनाज के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले जल के संदर्भ में अंतर्राष्ट्रीय सहित घरेलू निष्कर्षों व रुझानों के बारे में चर्चा की गयी है.
  • इस अध्ययन के लिए, शोधकर्ताओं ने गणितीय मॉडलिंग (mathematical modelling) को अपनाया और वर्ष 2011-12 के डेटा-सेट (data-sets) का प्रयोग किया, जिसमें अनाज के अंतरराज्यीय व्यापार(interstate trade of cereals), घरेलू अनाज उत्पादन(domestic cereal production), राज्यों के बीच रेल और सड़क द्वारा परिवहन की लागत(cost of transportation by rail and road between states) आदि की जानकारी थी.
  • इस अध्ययन में अनाज के उत्पादन और परिवहन(producing and transporting cereals) के आधार पर ‘वाटर फुटप्रिंट'(water footprint) का अनुमान भी लगाया गया है.
  • वैज्ञानिकों के विश्लेषण के अनुसार, गंभीर रूप से कम भूजल भंडार वाले राज्य (States with critically low groundwater reserves) 41% या लगभग 38.6 मिलियन टन भारत के घरेलू अनाज व्यापार (India’s domestic cereal trade) के लिए जिम्मेदार हैं. इन राज्यों ने 41% या लगभग 38.6 मिलियन टन अनाज के उत्पादन और व्यापार में भारत के कुल भूजल (India’s total groundwater) का लगभग 39% हिस्से का उपयोग किया.
  • इसके अलावा, भारत में घरेलू स्तर पर कुल उत्पादित अनाज का 21% (अर्थात 19.6 मिलियन टन) विदेशों में निर्यात ‘सेमीक्रिटिकल’ (semicritical) से लेकर क्रिटिकल (critical) स्टेटस (status) वाले छह राज्यों ने किया. इसके लिए इन राज्यों ने भारत में उपयोग होने वाले कुल भू-जल के 32% हिस्से का प्रयोग किया है.

Prelims Vishesh

J&K Roshni Act :-

  • जम्मू एवं कश्मीर राज्य भूमि (कब्जाधारी के लिए स्वामित्व का अधिकार) अधिनियम {Jammu and Kashmir States Land (vesting of ownership to the occupants) Act}, जिसे रोशनी अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, के कार्यान्वयन में अनियमितताओं से संबंधित आरोपों के उपरांत अब इसे अमान्य घोषित कर दिया गया है.
  • इस अधिनियम के अंतर्गत राज्य भूमि के स्वामित्व अधिकारों का कब्जाधारियों को हस्तांतरण का प्रावधान किया गया है, जो सरकार द्वारा निर्धारित लागत के भुगतान के अधीन है.
  • इससे सृजित आय को जलविद्युत परियोजनाओं को आरंभ करने पर व्यय किया जाना था, इसलिए इसका नाम रोशनी है.

K Curve :-

  • के वक्र ने विभिन्‍न वित्तीय संस्थाओं (बैंकों, NBFCs आदि) के मध्य विद्यमान असमानता को उनकी विशेषताओं के संदर्भ में दर्शाया है, जो उनके भावी विकास और लाभप्रदता को निर्धारित करती हैं.
  • के वक्र के विस्तृत होने का अर्थ यह होगा कि असमानता बढ़ रही है, जबकि “के” वक्र के विस्तार का संकीर्ण होने का अर्थ इसके विपरीत होगा.

Green Charcoal :-

  • हाल ही में, विद्युत्‌ मंत्रालय द्वारा ग्रीन चारकोल हैकथौन का आयोजन किया गया. इसके उद्देश्य खेत में कृषि अवशेषों के दहन की प्रथा को समाप्त करके वायु को स्वच्छ बनाना, कृषि अवशेषों से नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना आदि हैं.
  • ग्रीन चारकोल वस्तुतः एक प्रकार का जैव ईंधन है, जिसे स्थानीय और वहनीय रूप में बनाया जा सकता है.
  • इसे बनाने के लिए, मौसम और क्षेत्र के लिए अनुकूल कृषि अपशिष्ट पदार्थों को एक भट्ठी में कार्बनीकृत (एक जैविक पदार्थ को कार्बन या कार्बन युक्त अवशेषों में परिवर्तित करना) किया जाता है. इसका दहन स्वच्छ होता है और धुएं के जोखिम को कम करता है, जो श्वसनीय संक्रमण के लिए उत्तरदायी है.

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