Sansar डेली करंट अफेयर्स, 05 August 2021

Sansar LochanSansar DCA

Sansar Daily Current Affairs, 05 August 2021


GS Paper 1 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Modern Indian history from about the middle of the eighteenth century until the present- significant events, personalities, issues.

Topic : Pingali Venkayya

संदर्भ

अगस्त 2, 2021 को स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूपांकणकर्ता पिंगली वेंकैया (Pingali Venkayya) की 145वीं जयंती मनाई गई.

pingali_venkayya

पिंगली वेंकैया कौन थे?

  • पिंगली वेंकैया का जन्म अगस्त 2, 1876 में आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था.
  • अफ्रीका में हुए Anglo Boer युद्ध में उन्होंने दक्षिणी अफ्रीका में ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में काम किया था.
  • वे गाँधीवादी सिद्धांतों में दृढ़ विश्वास रखते थे और एक कट्टर राष्ट्रवादी भी थे.
  • उन्होंने एंग्लो-बोर युद्ध के समय महात्मा गाँधी से भेंट भी की थी.

revolution of indian flag

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास

1918 से लेकर 1921 तक सम्पन्न कांग्रेस के हर अधिवेशन में वेंकैया ने एक अलग झंडा होना चाहिए, यह बात उठायी थी. उस समय वे मछलीपट्टनम में स्थित आंध्र नेशनल कॉलेज में व्याख्याता थे.

  • वे महात्मा गाँधी से एक बार फिर विजयवाड़ा में मिले और उन्हें झंडे की ढेर सारी रूपरेखाएँ दिखायीं. गाँधी ने राष्ट्रीय ध्वज होने की आवश्यकता को स्वीकार किया और पिंगली वेंकैया को एक नई रुपरेखा तैयार कर कांग्रेस की 1921 में होने वाली बैठक में प्रस्तुत करने करने को कहा.
  • प्रारम्भ में वेंकैया ने अपने झंडे में केसरिया और और हरा रंग का प्रयोग किया है पर बाद में उन्होंने उसमें श्वेत रंग जोड़ते हुए बीच में एक चरखा भी डाल दिया. चरखे का सुझाव लाला हंस राज सोंढ़ी ने दिया था.
  • पिंगली वेंकैया द्वारा सुझाया गया झंडा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1931 में अपना लिया गया.

GS Paper 2 Source : Indian Express

indian_express

UPSC Syllabus : India and its neighbourhood- relations.

Topic : Gilgit-Baltistan

संदर्भ

पाकिस्तान सरकार गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र को एक पूर्ण प्रांत का अस्थायी दर्जा देने के लिए एक विधेयक लेकर आई है, भारत सरकार ने इसके विरुद्ध विरोध दर्ज कराया है. ज्ञातव्य है कि भारत ने बार-बार पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि केन्द्र-शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, के साथ गिलगिट-बाल्टिस्तान भी भारत का अभिन्न अंग हैं और पाकिस्तान को इन क्षेत्रों में से किसी की भी स्थिति में बदलाव का कोई अधिकार नही है.

पृष्ठभूमि

2018 में एक अध्यादेश (Gilgit-Baltistan Order 2018) के जरिये पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री को गिलगित-बल्तिस्तान के संवैधानिक, न्यायिक अधिकार देने की कोशिश की गई. इसके बाद पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री गिलगित-बल्तिस्तान के किसी भी मौजूदा क़ानून में बदलाव करने में सक्षम हो गये.

भूमिका

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक स्वायत्तशासी इलाका है जिसे गिलगित-बल्तिस्तान के नाम से जाना जाता है. यह इलाका पहले शुमाली या उत्तरी इलाके के नाम से जाना जाता था. करीब 73 हजार किमी. वाले इस स्थान पर 1947 ई. में पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर लिया था. भारत और यूरोपीय संघ इस इलाके को कश्मीर का अभिन्न हिस्सा मानते हैं लेकिन पाकिस्तान की राय इससे अलग है. पाकिस्तान ने 1963 ई. में इस इलाके का हिस्सा अनधिकृत रूप से चीन को सौंप दिया था. इसके बाद 1970 में गिलगित एजेंसी के नाम से यहाँ एक प्रशासनिक इकाई का गठन किया गया. 2009 में गिलगित-बल्तिस्तान अधिकारिता और स्व-प्रशासन आदेश जारी किया गया.

गिलगित-बल्तिस्तान का इतिहास

साल 1947 तक भारत-विभाजन के समय गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र जम्मू और कश्मीर की तरह ना तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का. दरअसल 1935 में जम्मू कश्मीर के महाराजा ने गिलगित का इलाका अंग्रेजों को 60 साल के लिए लीज पर दे दिया था. अंग्रेज़ इस इलाके का उपयोग अपनी सामरिक रणनीति के तहत करते थे और यहाँ की ऊँची पहाड़ियों पर सैनिकों को रखकर आस-पास के इलाके पर नजर रखते थे. अंग्रेजों की गिलगित-स्काउट्स नाम की एक सैनिक-टुकड़ी यहाँ तैनात रहती थी.

विभाजन के समय डोगरा राजाओं ने अंग्रेजों के साथ अपनी लीज डीड को रद्द करके इस क्षेत्र में अपना अधिकार कायम कर लिया. लेकिन गिलगित-स्काउट्स के कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने कश्मीर के राजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया और 1 नवम्बर, 1947 को गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी का ऐलान कर दिया. इससे कुछ ही दिन पहले 26 अक्टूबर, 1947 को हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर रियासत के भारत में विलय की मंजूरी दे दी थी. गिलगित-बल्तिस्तान की आजादी की घोषणा करने के 21 दिन बाद ही पाकिस्तान ने इस इलाके पर कब्जा जमा लिया जिसके बाद से 2 अप्रैल, 1949 तक गिलगित-बल्तिस्तान पाकिस्तान के कश्मीर के कब्जे वाला हिस्सा माना जाता रहा. लेकिन 28 अप्रैल, 1949 को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की सरकार के साथ एक समझौता हुआ जिसके तहत गिलगित के मामले को सीधे पकिस्तान की केंद्र सरकार के अधीनस्थ कर दिया गया. इस करार को कराँची समझौते के नाम से जाना जाता है.

गिलगित-बल्तिस्तान का महत्त्व

सामरिक अवस्थिति: गिलगित-बल्तिस्तान भारतीय उपमहाद्वीप, मध्य एशिया और चीन के संपर्क बिंदु पर स्थित है.

चीनी हस्तक्षेप: चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (China-Pakistan Economic Corridor – CPEC) से होकर गुजरता है.

जल और ऊर्जा संसाधन: सियाचिन ग्लेशियर जैसे महत्वपूर्ण ग्लेशियर गिलगित-बल्तिस्तान में अवस्थित हैं. साथ ही, सिंधु नदी भी गिलगित-बल्तिस्तान से होकर गुजरती है.

विशाल क्षेत्र: गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र पाकिस्तान के नियंत्रणाधीन कश्मीर से पांच गुना अधिक बड़ा है.

इससे पूर्व, भारत अपना मत व्यक्त कर चुका है कि संपूर्ण जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र, जिसमें गिलगित-बल्तिस्तान का क्षेत्र भी शामिल है, भारत का अभिन्‍न हिस्सा है. पाकिस्तान को अवैध रूप से और बलपूर्वक नियंत्रित किए गए क्षेत्रों पर हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  1. पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर को दो प्रशासनिक हिस्सों में बाँट रखा है –  1. गिलगित-बल्तिस्तान और 2. PoK
  2. पाकिस्तान ने 1947 के बाद बनी संघर्ष-विराम रेखा (जिसे अब नियंत्रण रेखा कहा जाता है) के उत्तर-पश्चिमी इलाके को उत्तरी भाग और दक्षिणी इलाके को PoK के रूप में बाँट दिया.
  3. उत्तरी भाग में ही गिलगित-बल्तिस्तान क्षेत्र है.
  4. पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान को एक अलग भौगोलिक इकाई मानता है.
  5. पाकिस्तान का ताजा कदम स्थानीय लोगों के हित में नहीं बल्कि चीन के साथ उसके रिश्तों की वजह से उठाया गया है.
  6. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इस विवादित क्षेत्र से गुजरता है. यह चीन की One Belt One Road परियोजना का हिस्सा है.
  7. इसके आलावे चीन ने इस इलाके में खनिज और पनबिजली संसाधनों के दोहन के लिए भी भारी निवेश किया है.
  8. लेकिन गिलगित-बल्तिस्तान पर पाकिस्तान का कब्ज़ा कहीं से भी जायज नहीं है.

गिलगित-बल्तिस्तान

  • गिलगित-बल्तिस्तान सात जिलों में बँटा है.
  • दो जिले बल्तिस्तान डिवीज़न में और पाँच जिले गिलगित डिवीज़न में हैं.
  • इस क्षेत्र की अपनी विधानसभा है.
  • पाक-अधिकृत कश्मीर सुन्नी-बहुल है जबकि गिलगित-बल्तिस्तान शिया-बहुल इलाका है.
  • इसकी आबादी करीब 20 लाख है.
  • इसका क्षेत्रफल करीब 73 हजार वर्ग किमी. है.
  • इसका ज्यादातर इलाका पहाड़ी है.
  • यहीं दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी K2 है.
  • इस इलाके की सीमाएँ भारत, पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान से मिलती हैं. इसके उत्तर में चीन और अफगानिस्तान, पश्चिम में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और पूरब में भारत है.
  • पाकिस्तान यह दावा करता है कि वह गिलगित-बल्तिस्तान के नागरिकों के साथ देश के अन्य नागरिकों के जैसा ही व्यवहार करता है. लेकिन स्थानीय लोग पाकिस्तान सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते रहे हैं.
  • इस वजह से इस इलाके में कई बार आन्दोलन भी हुए. स्थानीय जनता CPEC को पाकिस्तान सरकार की चाल बताती है. लोगों का कहना है कि उनके मानवाधिकार और संसाधन खतरे में है.

भारत का क्या कहना है?

भारत का कहना है कि यह इलाका जम्मू-कश्मीर राज्य का अभिन्न हिस्सा है. भारत जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से को एक अलग पाकिस्तानी प्रांत बनाये जाने का विरोध कर रहा है. भारत का कहना है कि पाकिस्तान गिलगित-बल्तिस्तान समेत कश्मीर के उन इलाके से भी हटे जहाँ उसने अवैध कब्ज़ा कर रखा है. उधर पाकिस्तान इस इलाके पर अपना कानूनी दावा मजबूत करने की साजिशें रच रहा है. भारत इस इलाके में चीन की गतिविधियों का भी विरोध करता रहा है.

मेरी राय – मेंस के लिए

 

गिलगित-बल्तिस्तान पाक-अधिकृत इलाके का हिस्सा है. भौगोलिक स्थिति की वजह से यह इलाका सामरिक दृष्टि से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन से जुड़े होने के कारण यह इलाका भारत के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है. पाकिस्तान और चीन किसी न किसी बहाने इस इलाके में अपने पैर पसारने की कोशिश करते रहे हैं. चीन ने 60 के दशक में गिलगित-बल्तिस्तान होते हुए काराकोरम राजमार्ग बनाया था. इस राजमार्ग के कारण इस्लामाबाद और गिलगित आपस में जुड़ गये. इस राजमार्ग की पहुँच चीन के जियांग्जिग प्रांत के काशगर तक है. इतना ही नहीं, चीन अब जियांग्जिग प्रांत को एक राजमार्ग के जरिये बलूचिस्तान की ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है. इसके जरिये चीन की पहुँच खाड़ी समुद्री मार्गों तक हो जायेगी. चीन गिलगित पर भी अपनी पैठ बनाना चाहता है और इसके लिए वह पाकिस्तान का साथ चाहता है क्योंकि गिलगित पर नियंत्रण के बिना ग्वादर का चीन के लिए कोई मतलब नहीं है.


GS Paper 2 Source : PIB

pib_logo

UPSC Syllabus : Related to Health Issues. 

Topic : World Breastfeeding Week

संदर्भ

विश्व स्तनपान सप्ताह अगस्त माह के पहले सप्ताह 1 अगस्त से लेकर 7 अगस्त तक मनाया जाता है.

विश्व स्तनपान सप्ताह- 2021 की थीम है – “Protect Breastfeeding: A shared Responsibility”. इस बार के समारोह में स्तनपान की सुरक्षा, प्रोत्साहन और समर्थन पर बल दिया जा रहा है.

विश्व स्तनपान सप्ताह

  • अगस्त 1 से 7 तक प्रत्येक वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है जिसका आयोजन विश्व स्तनपान कार्रवाई गठबंधन (World Alliance for Breastfeeding Action – WABA), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और UNICEF द्वारा किया जाता है.
  • इस आयोजन का लक्ष्य जीवन के पहले 6 महीनों के अन्दर बच्चे को स्तनपान कराने को बढ़ावा देना है क्योंकि इस समय स्तनपान कराने से बच्चे के स्वास्थ्य को बड़ा लाभ होता है. स्तनपान से बच्चों को कई महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्व मिलते हैं, निमोनिया जैसे मारक रोगों से सुरक्षा मिलती है और उसका सम्यक विकास भी होता है.

स्तनपान को शीघ्र चालू करने विषयक UNICEF प्रतिवेदन

  • नवजात बच्चों को मां के दूध की उपलब्धता को लेकरयूनिसेफ की एक प्रतिवेदन में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इस प्रतिवेदन के अनुसार, विश्व के लगभग 77 करोड़ नवजात या हर दो में से एक शिशु को मां का दूध पहले घंटे में नहीं मिल पाता है. यह आंकड़ा शिशु मृत्यु दर के लिए बेहद अहम है.
  • यूनिसेफ के मुताबिक दो से 23 घंटे तक मां का दूध न मिलने से बच्चे के जन्म से 28 दिनों के भीतर मृत्यु दर का यह आंकड़ा 40% होता है, जबकि 24 घंटे के बाद भी दूध न मिलने से मृत्यु दर का यही आंकड़ा बढ़कर 80 प्रतिशत तक हो जाता है.
  • यूनिसेफ के मुताबिक अगर जन्म से छह महीने तक शिशु को स्तनपान कराया जाए तो लगभग आठ लाख शिशुओं को मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकता है. यह शोध पिछले 15 वर्षों के अध्ययन के आधार पर तय की गई है. भारत में वर्ष 2000 में 16% ऐसे शिशु थे जिन्हें मां का दूध नहीं मिल पाया था. वर्ष 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 45% तक हो गया है.
  • UNICEF और WHO ने 2018 में विश्व-भर के देशों में स्तनपान को शीघ्र चालू करने के विषयक एक प्रतिवेदन निर्गत किया था. इस प्रतिवेदन में 76 देशों से प्राप्त आँकड़ों का विश्लेषण किया गया. इस प्रतिवेदन में श्रीलंका को पहले स्थान पर रखा गया. भारत का इस सूची में 56वाँ स्थान है. कज़ाकिस्तान, रवांडा, भूटान और उरुग्वे भारत से बेहतर स्थिति में हैं. इस सूची में सबसे अंत में आने वाले देश थे – अज़रबैजान, पाकिस्तान और मोंटेनेग्रो प्रतिवेदन से एक बात उभर कर आई है कि पूरे विश्व में जन्मने वाले पाँच शिशुओं से मात्र दो ही पहले घंटे में स्तनपान कर पाते हैं.

इस टॉपिक से UPSC में बिना सिर-पैर के टॉपिक क्या निकल सकते हैं?

MAA कार्यक्रम

स्तनपान को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आरम्भ किया है जिसका नाम MAA अर्थात् Mother’s Absolute Affection रखा गया है.

इस कार्यक्रम के मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं –

  1. स्तनपान के विषय में जागरूकता उत्पन्न करना
  2. स्तनपान को प्रोत्साहित करना
  3. सामुदायिक स्तर पर परामर्श देना
  4. स्वास्थ्य सुविधा की निगरानी करना
  5. स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने वालों को पुरस्कृत करना

इस कार्यक्रम के तहत ASHA कर्मियों को गर्भवती और दूध पिलाने वाली माताओं तक पहुँचने और उन्हें स्तनपान के सही तरीकों और लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रेरित किया जाता है.


GS Paper 3 Source : The Hindu

the_hindu_sansar

UPSC Syllabus : Related to Space.

Topic : North Eastern Space Applications Centre

संदर्भ

उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र हाल ही में केंद्र सरकार ने “उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (North Eastern Space Applications Centre  – NESAC) से असम-मिजोरम सीमा विवाद को हल करने और स्थायी समाधान पर पहुंचने हेतु उपग्रह चित्रण के माध्यम से राज्य की सीमाओं का मानचित्रण और सीमांकन करने को कहा है.

पृष्ठभूमि

ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद के चलते दोनों राज्यों की सीमाओं पर दोनों राज्यों की पुलिस एवं स्थानीय नागरिकों के बीच हिंसक झड़प में असम पुलिस के 6 जवान मारे गये और दोनों ओर के 50 से अधिक व्यक्ति घायल हुए.

उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र क्या है?

  • अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास में सहायता के लिए मेघालय में शिलांग के पास उमियाम में स्थापित उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनई-सैक). अंतरिक्ष विभाग और पूर्वोत्तर परिषद की एक संयुक्त पहल है.
  • इसकी स्थापना वर्ष 2005 में की गई थी.
  • इस केन्द्र को यहां अव्वल दर्ज की तकनीकी आधारभूत सुविधाओं को विकासित करने का दायित्व सौंपा गया है ताकि पूर्वोत्तर के राज्य अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से प्राप्त सूचनाओं को अपना कर अपने क्षेत्र का विकास कर सकें.
  • इस समय उत्तर-पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र सुदूर संवेदन, भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) व उपग्रह संचार के प्रयोग से विशिष्ट परियोजनाओं को चलाने के अलावा अंतरिक्षविज्ञान अनुसंधान कार्यों में भी सहयोग कर रहा है.

Prelims Vishesh

Anaimalai flying frog :-

  • वैज्ञानिक नाम: रैकोफोरस स्यूडोमालाबेरिकस (Racophorus pseudomalabaricus)
  • अन्य नाम: भ्रामक मालाबार ग्लाइडिंग मेंढक और भ्रामक मालाबार ट्री फ्रॉग.
  • यह एक ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ (critically endangered) मेंढक प्रजाति है.
  • यह, पश्चिमी घाट के दक्षिणी भाग की स्थानिक प्रजाति है, और वास-स्थलों के नष्ट होने की वजह से इन मेंढकों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है.
  • वर्तमान में, यह प्रजाति, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उद्यान और परम्बिकुलम टाइगर रिजर्व, दो संरक्षित क्षेत्रों में पायी जाती है.

CERT-IN :-

  • वर्ष 2021 के पहले छह महीनों में, CERT-In द्वारा 6.07 लाख साइबर सुरक्षा घटनाओं को ट्रैक किया गया है, इनमे से लगभग 12,000 साइबर सुरक्षा संबंधी मामले सरकारी संगठनों से संबंधित थे.
  • CERT-In का full form है – Computer Emergency Response Team – India
  • यह एक सरकारी सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा संगठन है.
  • इसे 2004 में भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने सृजित किया था और यह उसी विभाग के अधीन काम करता है.
  • CERT- In के कार्य हैं – कंप्यूटर सुरक्षा से सम्बंधित मामलों पर प्रतिक्रिया देना, कहाँ-कहाँ साइबर आक्रमण हो सकता है उस पर प्रतिवेदन देना और देशभर में सूचना प्रौद्योगिकी सुरक्षा के लिए कारगर चलनों को बढ़ावा देना.
  • सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 में यह प्रावधान किया गया है कि इस अधिनियम के कार्यान्वयन का निरीक्षण करने के लिए CERT-In ही उत्तरदायी होगी.

Click here to read Sansar Daily Current Affairs – Current Affairs Hindi

July,2021 Sansar DCA is available Now, Click to Download

Spread the love
Read them too :
[related_posts_by_tax]