Sansar डेली करंट अफेयर्स, 03 March 2020

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Sansar Daily Current Affairs, 03 March 2020


GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : RPA related issues.

Table of Contents

Topic : State funding of elections

संदर्भ

चुनाव आयोग ने सरकार से कहा है कि वह चुनावों में सरकारी वित्तपोषण का समर्थन नहीं करता.

चुनावों में सरकारी वित्तपोषण का तात्पर्य क्या है?

चुनावों में सरकारी वित्तपोषण का अर्थ है कि सरकार द्वारा राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए धन उपलब्ध करवाया जाए. जबकि वर्तमान व्यवस्था यह है कि इस काम में निजी या पार्टी फंड का प्रयोग किया जाता है.

राज्य वित्तपोषण के पक्ष में तर्क

  • राज्य द्वारा वित्तपोषण से दल और उम्मीदवारों में वित्त के सम्बन्ध में पारदर्शिता में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि वित्तपोषण के साथ-साथ कुछ प्रतिबंध भी लगाए जा सकते हैं.
  • राज्य द्वारा वित्तपोषण से धनी लोगों और अमीर माफियाओं के प्रभाव को सीमित किया जा सकता है, जिससे चुनाव प्रक्रिया को शुद्ध किया जा सके.
  • यह एक दूसरे को लाभ देने की प्रक्रिया को नियंत्रित करेगा और इस प्रकार भ्रष्टाचार को रोकने में सहायक सिद्ध हो सकता है.
  • वैसे राज्य द्वारा वित्तपोषण दलों में आंतरिक लोकतंत्र की माँग करता है, जिससे महिलाओं तथा कमजोर वर्गों के प्रतिनिधित्व को प्रोत्साहन मिले.
  • भारत में, उच्च स्तर की गरीबी के चलते, सामान्य नागरिकों से राजनीतिक दलों के लिए अधिक योगदान करने की आशा नहीं रखी जा सकती है. इसलिए पार्टियाँ कॉरपोरेट घराने और धनाढ्य व्यक्तियों द्वारा वित्तपोषण पर निर्भर करती हैं.
  • इंद्रजीत गुप्त समिति 1998, भारतीय विधि आयोग, 2nd ARC,संविधान के कार्य की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय आयोग सहित विभिन्न समितियों ने राज्य द्वारा चुनावों के वित्त पोषण का समर्थन के रूप में किया है.

राज्य वित्तपोषण के विपक्ष में तर्क

  • राज्य वित्तपोषण के जरिये चुनाव में करदाताओं को उन राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों का समर्थन करने के लिए विवश किया जाता है, जिनके विचारों से वे सहमत नहीं हैं.
  • राज्य के वित्तपोषण द्वारा स्थिरता को प्रोत्साहित किया जाता है जो स्थापित दलों या उम्मीदवारों को सत्ता में बनाए रखता है और नये दलों के लिए आगे की राह को कठिन बना देता है.
  • राज्य वित्तपोषण से राजनीतिक नेताओं और नागरिक समाज के बीच दूरियां बढ़ जाती हैं, क्योंकि पार्टियां पार्टी निधि जुटाने के लिए नागरिकों पर निर्भर नहीं रहती हैं.
  • राजनीतिक पार्टियां नागरिक समाज का हिस्सा होने की बजाय राज्य का अंग बन जाती हैं.
  • यह उम्मीदवारों को केवल मौद्रिक लाभ लेने के लिए चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है.
  • यह भी हो सकता है कि राज्य वित्तपोषण का उपयोग पूरक  के रूप में किया जाए न कि उम्मीदवार द्वारा किये जाने वाले व्यय के विकल्प के रूप में.

चुनाव आयोग की राय

  • आयोग ने कहा कि वह चाहता है कि राजनीतिक दलों द्वारा जिस तरह से धन खर्च किया जाता है, उसमें ‘भारी’ सुधार हों.
  • चुनाव आयोग सरकारी धन के प्रयोग के पक्ष में नहीं है क्योंकि तब राज्य सरकार की ओर से उपलब्ध करवाए गए धन से इतर उम्मीदवारों या अन्य के खर्च पर रोक लगना संभव नहीं होगा.
  • चुनाव आयोग का मानना है कि असल मुद्दों से निपटने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा लिए जाने वाले धन से जुड़े प्रावधानों में और इस धन को खर्च किए जाने के तरीके में बदलाव किए जाने की जरूरत है ताकि इस मामले में पूर्ण पारदर्शिता आ सके.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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UPSC Syllabus : Schemes for the vulnerable section.

Topic : Pradhan Mantri Laghu Vyapari Maan-dhan Yojana

संदर्भ

प्रधान मंत्री लघु व्यापारी मान-धन योजना में अपेक्षित प्रगति देखने को नहीं मिल रही है. केन्द्रीय श्रम मंत्रालय ने 2019 के अपने विज़न अभिलेख में इस योजना के अंतर्गत 2019-2020 में 25 लाख पंजीकरण का लक्ष्य रखा था, परन्तु अभी तक मात्र 14,000 के लगभग लोगों ने ही पंजीकरण करवाया है.

योजना के मुख्य तत्त्व

  • इस योजना के अंतर्गत सभी छोटे दुकानदारों, खुदरा विक्रेताओं और स्व-नियोजित व्यक्तियों को 60 वर्ष होने पर न्यूनतम 3,000 रुपये की मासिक पेंशन दी जायेगी.
  • इस योजना का लाभ उठाने के लिए वे ही व्यक्ति योग्य माने जाएँगे जिनकी आयु 18 से 40 के बीच है और जिनका GST टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रु. से कम है.
  • इस योजना में उन लोगों को सम्मिलित नहीं किया जाएगा जिनको सरकार की अन्य योजनाओं का लाभ मिल रहा है, जैसे – राष्ट्रीय पेंशन योजना, कर्मचारी राज्य बीमा योजना और कर्मचारी भविष्य निधि. इसके अतिरिक्त जो आयकर के दायरे में आते हैं, उनको इसका लाभ नहीं मिलेगा.
  • इस योजना के लिए लाभार्थी को प्रत्येक महीने एक विशेष राशि जमा करनी होगी और केंद्र सरकार उतनी ही राशि अपनी ओर से जमा करेगी.
  • यह योजना स्वघोषणा पर आधारित योजना है क्योंकि इसमें बैंक खाते और आधार कार्ड के अतिरिक्त कोई भी अभिलेख जमा करने की आवश्यकता नहीं है.

कुछ आँकड़े

  • सरकारों आँकड़ों के अनुसार, दिल्ली में मात्र 84 व्यापारियों और अपनी आजीविका चलाने वाले व्यक्तियों ने अपना पंजीकरण करवाया है.
  • ऐसे व्यक्तियों की संख्या केरल में 59, हिमाचल प्रदेश में 54, जम्मू-कश्मीर में 29 और गोवा में 2 है.
  • लक्षद्वीप और मिजोरम में अभी तक किसी ने भी पंजीकरण नहीं करवाया है.
  • सबसे अधिक पंजीकरण – 6,765 – उत्तर प्रदेश में हुआ है.

GS Paper 2 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Government policies and interventions for development in various sectors and issues arising out of their design and implementation.

Topic : How the Centre’s planned Sanskrit universities will function?

संदर्भ

हाल ही में राज्यसभा में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 को पेश किया गया. विदित हो कि यब विधेयक लोकसभा में पहले ही (दिसंबर महीने में) पास हो चुका है. ज्ञातव्य है कि यह देश के तीन संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने से जुड़ा विधेयक है.

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019

  • इस विधेयक तीन मानद संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिये जाने से जुड़ा है. ये विश्वविद्यालय हैं – राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, लाल बहादुर शास्त्री विद्यापीठ और राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ.
  • इन विश्वविद्यालयों का उद्देश्य छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देना है, ताकि उनको संस्कृत भाषा-साहित्य में समाहित ज्ञान प्राप्त हो और वे देश के विकास में सहायक बन सकें.

इन केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कार्य

  • इन विश्वविद्यालयों का उद्देश्य छात्रों को संस्कृत की शिक्षा देना है, ताकि उनको संस्कृत भाषा-साहित्य में समाहित ज्ञान प्राप्त हो और वे देश के विकास में सहायक बन सकें.
  • इन विश्वविद्यालयों में अकादमिक अनुशासन, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान के एकीकृत पाठ्यक्रम के लिए विशेष प्रावधान किया जाएगा.
  • इसके अतिरिक्त संस्कृत भाषा और उससे संबद्ध विषयों के समग्र विकास और संरक्षण के लिए लोगों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.

कार्यकारी परिषद् की भूमिका

  • इन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की नीतियों की समीक्षा अदालत करेगी और इसके विकास के लिए सुझाव देगी.
  • एक कार्यकारी परिषद् होगा जो कि मुख्य कार्यकारी निकाय का हिस्सा होगा, जिसमें 15 सदस्य होंगे.
  • केंद्र सरकार द्वारा इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्त किया जाएगा.
  • इस परिषद् में मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव भी सम्मिलित होगा.
  • इसके अतिरिक्त, संस्कृत भाषा के दो विद्वान भी कार्यकारी परिषद् में शामिल होंगे.
  • इसके अलावा, यह कार्यकारी परिषद् ही शिक्षकों की भर्ती कर सकेगी और विश्वविद्यालय के लिए वित्त का भी प्रबंधन करेगी.
  • कार्यकारी परिषद् ही अकादमी नीतियों को सुपरवाइज करने का काम करेगी. इसके साथ ही एक पाठ्यरक्रम समिति बनाई जाएगी, जो अनुसंधान के लिए विषयों को स्वीकृति देगी और शिक्षा के स्तर को बढ़ाने में मदद करेगी.

आगे की राह

जर्मनी के 14 विश्वविद्यालयों समेत 100 देशों के 250 विश्वविद्यालयों में संस्कृत भाषा की पढ़ाई होती है. सरकार संस्कृत के साथ ही तमिल, तेलुगू, बांग्ला, मलयालम, गुजराती, कन्नड़ आदि सभी भारतीय भाषाओं को सशक्त करने की पक्षधर है.


GS Paper 2 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Important International institutions, agencies and fora, their structure, mandate.

Topic : UNESCO World Heritage List

संदर्भ

भारत सरकार ने वर्ष 2020 के लिए विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए दो नामांकन डोजियर प्रस्तुत किए, वे हैं :- धोलावीरा :हड़प्पा का एक शहर और दक्कन सल्तनत के स्मारक एवं किले (Monuments and Forts of Deccan Sultanate).

विश्व धरोहर स्थल क्या है?

UNESCO विश्व धरोहर स्थल वह स्थान है जो UNESCO विशेष सांस्कृतिक अथवा भौतिक महात्म्य के आधार पर सूचीबद्ध करता है. यह सूची UNESCO विश्व धरोहर समिति के द्वारा प्रशासित अंतर्राष्ट्रीय विश्व धरोहर कार्यक्रम द्वारा संधारित की जाती है. इस समिति में 21 देश सदस्य होते हैं जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा करती है.

प्रत्येक विश्व धरोहर स्थल जिस देश में होता है उसके वैधानिक भूक्षेत्र का एक भाग बना रहता है, परन्तु UNESCO अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में इसके संरक्षण का जिम्मा लेता है.

विश्व धरोहर स्थल के लिए पात्रता

  • विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुने जाने के लिए उस स्थान पर विचार किया जाता है जो पहले से ही श्रेणीबद्ध लैंडमार्क के रूप में मानी है और जो भौगोलिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अनूठा है. इसका विशेष सांस्कृतिक अथवा महत्त्व होना आवश्यक है, जैसे – कोई प्राचीन भग्नावशेष अथवा ऐतिहासिक स्मारक, भवन, नगर, संकुल, मरुभूमि, वन, द्वीप, झील, स्थापत्य, पर्वत अथवा जंगल.
  • विश्व धरोहर स्थल उस स्थल को कहते हैं जो या तो प्राकृतिक है अथवा मनुष्यकृत है. इसके अतिरिक्त कोई भी ऐसा ढाँचा जिसका अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व है अथवा ऐसी जगह जिसके लिए विशेष सुरक्षा की आवश्यकता है, वह विश्व धरोहर स्थल (world heritage site) कहलाता है.
  • ऐसे धरोहर स्थलों को संयुक्त राष्ट्र संघ और UNESCO की ओर से औपचारिक मान्यता दी जाती है. UNESCO का विचार है कि विश्व धरोहर स्थल मानवता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं और इनकी सांस्कृतिक एवं भौतिक सार्थकता ही है.

विश्व धरोहर स्थल का वैधानिक दर्जा

जब UNESCO किसी स्थल को विश्व धरोहर स्थल नामित करता है तो प्रथमदृष्टया यह मान लिया जाता है कि सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील यह स्थल वैधानिक रूप से सुरक्षित होगा. सुरक्षा की यह गारंटी जेनेवा और हेग संधियों में वर्णित प्रावधानों से प्राप्त होती है. विदित हो कि ये संधियाँ युद्ध के समय सांस्कृतिक संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय  कानून की परिधि में लाती हैं.

संकटग्रस्त स्थल (endangered sites) क्या होते हैं?

  • यदि विश्व धरोहर की सूची में सम्मिलित किसी स्थल पर सशस्त्र संघर्ष और युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण, अवैध शिकार अथवा अनियंत्रित नगरीकरण अथवा मानव विकास से खतरा उत्पन्न होता है तो उस स्थल को संकटग्रस्त विश्व धरोहरों की सूची में डाल दिया जाता है.
  • ऐसा करने का उद्देश्य यह होता है कि पूरे विश्व में इन खतरों के प्रति जागरूकता उत्पन्न की जाए और उनके प्रतिकार के लिए उपाय करने को प्रोत्साहन मिले. खतरों को दो भागों में बाँट सकते हैं – पहले भाग में वे खतरे हैं जो सिद्ध हो चुके हैं और दूसरे भाग में वे खतरे हैं जो संभावित हैं.
  • UNESCO प्रतिवर्ष संकटग्रस्त सूची के स्थलों के संरक्षण के बारे में जानकारी लेता रहता है. समीक्षोपरान्त सम्बंधित समिति अतिरिक्त कदम उठाने का अनुरोध कर सकती है. चाहे तो वह उस स्थल को सूची से इस आधार पर निकाल दे कि खतरे समाप्त हो गये हैं अथवा उसे संकटग्रस्त सूची एवं विश्व धरोहर की सूची दोनों से विलोपित भी कर सकती है.

GS Paper 3 Source: PIB

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UPSC Syllabus : Employment related issues.

Topic : Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushlaya Yojana

संदर्भ

राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (National Institute of Rural Development and Panchayati Raj – NIRDPR) भारत सरकार की युवा आजीविका से सम्बंधित मूर्धन्य योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) का मूल्यांकन करने जा रहा है.

इस संस्थान ने कौशल भारत नामक एक उद्यम संसाधन योजना निर्माण मंच विकसित किया है जिसकी सहायता से राज्य दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के अंतर्गत संचालित परियोजनाओं का डाटा प्राप्त कर

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना 

  • दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना(DDU-GKY) भारत सरकार की एक योजना है जिसका उद्देश्य गाँव में रहने वाले निर्धन युवाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना और उन्हें एक ऐसे कार्यबल में रूपांतरित करना है विश्व में कहीं भी कार्य करने में सक्षम हो.
  • इस योजना में 15 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है.
  • यह योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (National Rural Livelihood Mission – NRLM) का एक भाग है.

दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के उद्देश्य

  • निर्धन और वंचित हासिये पर पड़े जनों को लाभ पहुँचाना.
  • लाभार्थी जनों में से 50% अजा/अजजा से, 15% अल्पसंख्यकों से और 33% स्त्रियों को लक्षित करना है.
  • प्रशिक्षण के स्थान पर आजीविका की प्रगति पर बल देना.
  • नौकरी लग जाने पर, परिव्रजन और शिक्षा नेटवर्क के लिए समर्थन देना.
  • नौकरी लगाने से सम्बंधित भागीदारियाँ बनाने में सक्रिय दृष्टिकोण रखना.
  • कम से कम 75% प्रशिक्षित व्यक्तियों को नौकरी की गारंटी देना.
  • कार्यान्वयन में संग्लन प्रतिभागियों की क्षमता को बढ़ाना.
  • प्रशिक्षण देने के लिए नए सेवा प्रदाताओं का पोषण करना और उनके कौशल्य को विकसित करना.
  • जम्मू और कश्मीर के निर्धन ग्रामीण युवाओं के लिए बनी HIMAYAT परियोजना पर पहले से अधिक बल देना.

DDU-GKY में किसकी कितनी हिस्सेदारी?

DDU-GKY में सामाजिक रूप से वंचित समूह को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें उम्मीदवारों का पूरा सामाजिक समावेश सुनिश्चित करने का लक्ष्य है. इस तरह के कुशलता कार्यक्रम में युवाओं की संख्या में एक तिहाई संख्या महिलाओं की रखी गयी है.


GS Paper 3 Source: Indian Express

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UPSC Syllabus : Science and Technology- developments and their applications and effects in everyday life Achievements of Indians in science & technology; indigenization of technology and developing new technology.

Topic : How will in-flight WiFi work?

संदर्भ

केंद्र सरकार ने भारत में संचालित सभी एयरलाइंस को यात्रियों को इन-फ़्लाइट वाई-फाई सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति दे दी है.

पृष्ठभूमि

इन-फ्लाइट वाई-फाई सेवा दुनिया के लिए कोई नई बात नहीं है. एमिरेट्स जैसे एयर कैरियर कुछ समय के लिए यह सेवा प्रदान करते रहे हैं. लेकिन भारत में परिचालन करने वाली एयरलाइनों को अपनी उड़ानों में वाई-फाई प्रदान करने की अनुमति नहीं थी.

कौन अनुमति दे सकता है?

सरकार की तरफ से अधिसूचना में कहा गया है कि जब लैपटॉप, स्मार्टफोन, टैबलेट, स्मार्टवॉच, ई-रीडर या पॉइंट-ऑफ-सेल डिवाइस का उपयोग फ्लाइट मोड या एयरप्लेन मोड में किया जाता है तो पायलट-इन-कमांड विमान में वाई-फाई के माध्यम से यात्रियों को इंटरनेट सेवा उपयोग करने की अनुमति दे सकता है.

इन-फ्लाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है?

  • अब सवाल यह है कि हवा में करीब 35 हजार फीट की ऊंचाई पर यात्रा करने के दौरान इंटरनेट आपके फोन तक कैसे पहुंचेगा. इसके दो तरीके हैं. पहला – जमीन पर मौजूद मोबाइल ब्रॉडबैंड टावर जो एयरक्राफ्ट के एंटीना तक सिग्नल भेजते हैं. एंटीना जहाज के ढांचे के निचले हिस्से पर लगा होता है. प्लेन उड़ान भरते हुए नज़दीकी टावर से सिग्नल ग्रहण करता है ताकि इंटरनेट की सुविधा में कोई बाधा उत्पन्न न हो. लेकिन अगर आप समुद्र या सुदूर पहाड़ से गुज़र रहे हैं तो आमतौर पर इंटरनेट मिल पाने की गुंजाइश कम होती है.
  • दूसरा तरीका है सैटेलाइट तकनीक. प्लेन का संपर्क उन सैटेलाइट से होता है जो ग्रह के 35 हजार किलोमीटर ऊपर मौजूद है. यही सैटेलाइट, रिसीवर और ट्रांसमीटर के ज़रिए धरती से सिग्नल लेता और देता है. साधारण शब्दों में कहें तो ये वही सैटेलाइट है जिसके ज़रिए मौसम का हाल या टीवी का सिग्नल मिल पाता है. सबसे करीबी सैटेलाइट सिग्नल से स्मार्टफोन, एयरक्राफ्ट के ऊपर लगे एंटीना के जरिए कनेक्ट करता है. ग्राउंड और प्लेन के बीच जानकारी की अदला बदली इसी सैटेलाइट के जरिए होती है. वाय फाय सिग्नल के माध्यम से प्लेन यात्रियों को इंटरनेट तक पहुंच मिल पाती है.

चुनौतियाँ

  • इन दिनों सैटेलाइट कनेक्शन 12Mbps के लगभग रफ्तार देता है, परन्तु सैटेलाइट के रख-रखाव का काम काफी महँगा है. ऐसे में एयरलाइन के लिए इस खर्चे को पूरा करने के लिए या तो टिकट दर महंगी करनी पड़ेगी या फिर स्पीड के साथ समझौता करना पड़ेगा. टिकट महँगी करने से प्रतियोगी कंपनियों को लाभ पहुँच सकता है और इंटरनेट की कम गति, इंटरनेट न के बराबर ही समझा जाता है. ऐसे में भारतीय कंपनियों को भी इस दौड़ में जुट जाना है कि वह कैसे इन-फ्लाइट वाई-फाई की बेहतर और सस्ती सेवा दे पाएं.
  • बताया जाता है कि अमेरिका में इन-फ्लाइट वाई फाई के बेहतर और सस्ते विकल्प मौजूद हैं. वहीं यूरोप की हवाई सुरक्षा एजेंसी EASA ने 2014 में फ्लाइट के दौरान मोबाइल फोन प्रयोग करने की अनुमति दे दी थी. हालांकियूरोप में भी वाई-फाई सुविधा को लेकर यात्रियों के बीच संतुष्टि नहीं है. इन फ्लाइट इंटरनेट की तकनीक सस्ती नहीं है. इस काम के लिए प्रयोग होने वाले एंटीना, एयरलाइन की रफ्तार पर असर डालता है जिसकी वजह से ईंधन का खर्चा बढ़ता है. इसके अलावा रख रखाव का खर्चा भी आमतौर पर ग्राहकों की तरफ बढ़े हुए दाम के रूप में पेश किया जाता है.

आगे की राह

हालाँकि देखा जाए तो हवाई यात्रा में इंटरनेट प्रयोग करने की अनुमति दे देना पर्याप्त नहीं है. वे देश जहाँ के एयरस्पेस में यह सुविधा पहले से ही उपलब्ध है, वहाँ भी वाई-फाई की धीमी रफ्तार परेशानी का कारण रही है. 2008 में फ्लाइट में ब्रॉडबैंड उपलब्ध करवाने वाली कंपनी गोगो – जिसे उस वक्त एयरसेल के नाम से जाना जाता था – ने वर्जिन अमेरिका प्लेन में पहली वाई-फाई सेवा की प्रारम्भ की थी. यद्यपि उस वक्त 3 एमबीपीएस कनेक्शन हुआ करता था क्योंकि लैपटॉप का प्रयोग करने वाले यात्री भी कम थे. परन्तु अब ठीक विपरीत हो गया है अर्थात् हर व्यक्ति के पास मोबाइल और उसमें अनगिनत ऐप उपलब्ध हैं. ऐसे में वाई-फाई की गति पर कार्य करना जरूरी है.


Prelims Vishesh

Directorate General of Foreign Trade (DGFT) :-

  • विदेश व्यापार महानिदेशालय भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय का एक आनुषंगिक कार्यालय है जिसका गठन 1991 में विदेश व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नियम बनाना है.
  • यह निदेशालय अपने प्रादेशक कार्यालयों के माध्यम से निर्यातकों को अधिकार पत्र निर्गत करता है तथा उनके दायित्वों पर नज़र रखता है.

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