Sansar Daily Current Affairs, 01 October 2021
Topics covered today:-
- मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) योजना
- वाहन स्क्रैपिंग नीति
- ‘आयुध निर्माणी बोर्ड’ (Ordnance Factory Board – OFB)
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (Renewable Energy Certificates – RECs)
- ‘उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना (Production Linked Incentive Scheme – PLI Scheme)
- Prelims Vishesh
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Sansar डेली करंट अफेयर्स, 01 October 2021
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Question 1 |
मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) योजना का नाम बदलकर क्या रखा जाने वाला है?
प्रधानमंत्री-भोजन (पीएम-भोजन) योजना | |
प्रधानमंत्री-पोषण (पीएम-पोषण) योजना | |
प्रधानमंत्री-भरण (पीएम-भरण) योजना | |
प्रधानमंत्री-उदरपूर्ति (उदरपूर्ति-भरण) योजना |
Question 1 Explanation:
हाल ही में केंद्र सरकार ने मध्याह्न भोजन (मिड डे मील) योजना का नाम बदलकर प्रधानमंत्री-पोषण (पीएम-पोषण) योजना करने का निर्णय लिया है.
Question 2 |
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
- जो महिलाएँ केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में काम करती हैं और जिन्हें इसी प्रकार का लाभ पहले से मिल रहा है, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा
- इस योजना के अंतर्गत गर्भवती स्त्रियों को आर्थिक मदद देने का प्रावधान नहीं है.
- यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसमें केंद्र और राज्य की लागत 90:10 होती है.
केवल 1 | |
केवल 1 और 3 | |
केवल 2 | |
1, 2 और 3 |
Question 2 Explanation:
इसके अंतर्गत गर्भवती स्त्रियों के बैंक खातों में 6,000 रु. सीधे भेज दिए जाते हैं जिससे कि वे प्रसव की बेहतर सुविधाएँ पा सकें. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना एक मातृत्व लाभ की योजना है जिसका आरम्भ 2010 में इंदिरा गाँधी मातृत्व सहयोग योजना के नाम से (IGMSY) हुआ था. इस योजना के अंतर्गत पहले बच्चे के जन्म के लिए 19 वर्ष अथवा उससे अधिक उम्र की गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नकद राशि दी जाती है. इस राशि से बच्चा होने और उसकी देखभाल करने के कारण दिहाड़ी की क्षति का सामना करने वाली महिला को आंशिक क्षतिपूर्ति दी जाती है और साथ ही इससे सुरक्षित प्रसव और उत्तम पोषण का प्रबंध किया जाता है. अपवाद : जो महिलाएँ केंद्र सरकार अथवा राज्य सरकार अथवा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में काम करती हैं अथवा जिन्हें इसी प्रकार का लाभ पहले से मिल रहा है, उनको इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा. वित्त पोषण : यह एक केंद्र संपोषित योजना है जिसमें केंद्र और राज्य की लागत 60:40 होती है. पूर्वोत्तर राज्यों में और तीन हिमालयवर्ती राज्यों में यह अनुपात 90:10 है. जिन केंद्र शाषित क्षेत्रों में विधान सभा नहीं है वहाँ इस योजना के लिए केन्द्रीय योगदान 100% होता है.
Question 3 |
निम्नलिखित में से किनका मूलनाम "नरेन्द्रनाथ दत्त" है?
विवेकानंद | |
दयानंद सरस्वती | |
रवीन्द्रनाथ टैगोर | |
रामकृष्ण परमहंस |
Question 3 Explanation:
विवेकानंद का मूलनाम नरेन्द्रनाथ दत्त था. उनका जन्म कलकत्ता में जनवरी 12, 1863 को हुआ था.
Question 4 |
शिकारी पक्षियों (Rapters) के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
- उल्लू शिकारी पक्षी की श्रेणी में आता है.
- विश्व में भारत में सबसे अधिक शिकारी पक्षी की प्रजातियाँ पाई जाती हैं.
- ये जलवायु परिवर्तन आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं.
केवल 1 | |
केवल 1 और 3 | |
केवल 2 और 3 | |
केवल 3 |
Question 4 Explanation:
ये शिकारी पक्षी खाद्य शृंखला के शीर्ष पर स्थित होते हैं, जो मांसाहारी होते हैं तथा स्तनधारियों, सरीसूर्पों, उभयचरों, कीटों के साथ-साथ अन्य पक्षियों को शिकार करते हैं.
शिकारी पक्षियों के उदाहरण: उल्लू, गिद्ध, बाज, फाल्कन, चील, काइट्स, ब्यूटियो, एक्सीपिटर्स, हैरियर और ओस्प्रे.
शिकारी पक्षियों के पास मुड़ी हुई चोंच, नुकीले पंजे वाले मज़बूत पैर एवं तीव्र दृष्टि होती हैं.
इंडोनेशिया में सबसे अधिक रैप्टर प्रजातियां पाई जाती हैं. इसके बाद कोलंबिया, इक्वाडोर और पेरू का स्थान है.
ये जलवायु परिवर्तन आदि के प्रति संवेदनशील होते हैं, अत: ये संकेतक (indicator) प्रजाति भी हैं.
Question 5 |
लघु वन उपज (MFP) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के विषय में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए -
- इस योजना में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वन उत्पादों के क्रय का दायित्व राज्यों द्वारा नामित एजेंसियों के ऊपर होता है.
- इस योजना के कार्यान्वयन और अनुश्रवण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय नाभिक मंत्रालय (nodal ministry) होता है.
- इस योजना के अंतर्गत उत्पादों को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने की भी व्यवस्था की जाती है.
केवल 3 | |
केवल 2 और 3 | |
केवल 1 और 2 | |
1, 2 और 3 |
Question 5 Explanation:
इस योजना में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लघु वन उत्पादों के क्रय का दायित्व राज्यों द्वारा नामित एजेंसियों के ऊपर होता है.
ये एजेंसियाँ बाजार का मूल्य बाजार संवादाताओं के माध्यम से पता लगाती हैं.
इस योजना में शीतभंडार, गोदाम आदि अवसंरचनाओं के साथ-साथ उत्पादों को अधिक गुणवत्तापूर्ण बनाने की भी व्यवस्था की जाती है.
इस योजना के कार्यान्वयन और अनुश्रवण के लिए जनजातीय कार्य मंत्रालय नाभिक मंत्रालय (nodal ministry) होता है. यही मंत्रालय TRIFED की तकनीकी सहायता से न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करता है.
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