#AdhunikIndia के पहले series में आपका स्वागत है. आज हम इस सीरीज की शुरुआत पुर्तगालियों के भारत आगमन से कर रहे हैं. पन्द्रहवीं शताब्दी की अंतिम दशाब्दी की भौगोलिक खोजों के बड़े महत्त्वपूर्ण परिणाम हुए. कोलम्बस ने एक नए संसार का पता लगाया; बारतोलोमिओ डिएज़ ने Cape of Good Hope (उत्तमाशा अंतरीप) को, जिसे वह तूफानी अंतरीप कहता था, 1488 ई. में पार किया; वास्को-डी-गामा ने पुरानी दुनिया तक पहुँचने के लिए एक नए रास्ते का पता लगाया और 17 मई, 1498 को वह प्रसिद्ध बंदरगाह कालीकट पहुँचा. इसमें संदेह नहीं कि पूरे संसार पर इस घटना के महत्त्वपूर्ण प्रभाव हुए. (Source, Cambridge History of India, Cover 5, Page no, 1).
पुर्तगालियों का भारत आगमन
प्राचीन कालीन इतिहास में पश्चिमी देशों के साथ भारत का व्यापारिक सम्बन्ध बराबर बना हुआ था. परन्तु सातवीं शताब्दी से हिन्दमहासागर और लालसागर के सामुद्रिक व्यापार पर अरबों ने अधिकार कर लिया. वे अपनी नावों में भारतीय माल को पश्चिम ले जाते थे और वेनिस तथा जेनोआ के सौदागर उनसे इन चीजों को खरीदते थे. पुर्तगाल के व्यापारी बहुत दिनों से पूर्वी व्यापार के मुनाफे में हिस्सा लेने को चिंतित थे. वास्को-डी-गामा की खोज ने भारत से एक नए मार्ग के माध्यम से सीधा सम्बन्ध स्थापित किया.
कालीकट का शासक हिन्दू था और उसकी वंशानुगत उपाधि “जमोरिन” थी. उसने वास्को-डी-गामा और उसके दल का मैत्रीपूर्ण स्वागत किया. दो वर्ष के बाद पुर्तगाल लौटने पर वास्को-डी-गामा ने पुर्तगाल के व्यापारियों को कालीकट के बाजार में मिलनेवाली चीजों के नमूने दिखलाए और उन्हें बतलाया कि मालाबार तट के लोग क्या पसंद करते हैं. 9 मार्च, 1500 को लिस्बन से ‘पेड्रो अल्वारेज केब्राल‘ को 13 जहाज़ों का नेतृत्व देकर भेजा गया. वास्कोडिगामा के बाद भारत आने वाला यह दूसरा पुर्तग़ाली यात्री था. इस समय से कालीकट के शासक और मुसलमान व्यापारियों के साथ पुर्तगालियों का सीधा संघर्ष आरम्भ हुआ. वे भारतवर्ष के राजनैतिक षड्यंत्रों में भाग लेने लगे और उन्होंने जमोरिन के शत्रुओं के साथ, जिनमें कोचिन का शासक प्रमुख था, संधियाँ कीं. इन संधियों का कारण यह था कि पुर्तगालियों ने समझा कि व्यापार की अपार संभावनाओं का पूर्ण उपयोग करने के निमित्त “स्थानीय भारतीय शासकों को मिलाना तथा अरब व्यापारियों को भगाना” उनके लिए आवश्यक है. परन्तु कालीकट का शासक अरबों का पक्ष लेता था और उन्हीं के कारण कालीकट की उन्नति हो रही थी. कुछ दूसरे मुसलमानी राज्य भी उनके प्रति सहानुभूति रखते थे.
पूर्वी जगत के काली मिर्च और मसालों के व्यापार पर एकाधिकार प्राप्त करने के उद्देश्य से पुर्तगालियों ने 1503 में कोचीन में अपने पहले दुर्ग की स्थापना की. भारत में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर के रूप में फ्रांसिस्को डी अल्मीडा को तैनात किया गया.
[vc_row][vc_column][vc_column_text][/vc_column_text][vc_single_image image=”6415″ img_size=”medium” alignment=”center” style=”vc_box_circle” title=”Dr. Sajiva – Author of this post”][vc_column_text]मेरा संक्षिप्त परिचय
मेरा नाम डॉ. सजीव लोचन है. मैंने सिविल सेवा परीक्षा, 1976 में सफलता हासिल की थी. 2011 में झारखंड राज्य से मैं सेवा-निवृत्त हुआ. फिर मुझे इस ब्लॉग से जुड़ने का सौभाग्य मिला. चूँकि मेरा विषय इतिहास रहा है और इसी विषय से मैंने Ph.D. भी की है तो आप लोगों को इतिहास के शोर्ट नोट्स जो सिविल सेवा में काम आ सकें, उपलब्ध करवाता हूँ. मुझे UPSC के इंटरव्यू बोर्ड में दो बार बाहरी सदस्य के रूप में बुलाया गया है. इसलिए मैं भली-भाँति परिचित हूँ कि इतिहास को लेकर छात्रों की कमजोर कड़ी क्या होती है.
अलबुकर्क
भारतवर्ष में पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक अल्फ़ान्सो डि अलबुकर्क था. 1509 में वह भारत में पुर्तगाली सरकारी काम का गवर्नर बनकर आया और नवम्बर 1510 के अंत में उसने बीजापुर के शासक आदिलशाह युसुफ से युद्ध कर गोआ पर अधिकार कर लिया जो कालांतर में भारत में पुर्तगाली व्यापारिक केंद्रों की राजधानी बन गई. उसने गोआ की किलेबंदी मजबूत करने और इसके व्यापारिक महत्त्व को बढ़ाने की चेष्टा की. स्थायी पुर्तगाली जनसंख्या को बढ़ाने के विचार से उसने पुर्तगालियों को हिन्दुस्तानी स्त्रियों से विवाह करने के लिए प्रोत्साहित किया. उसने मुसलामानों का भी निर्दयतापूर्ण दमन किया.
धीरे-धीरे उसके परवर्ती गवर्नरों ने समुद्र के निकट कई उपनिवेश कायम किये. उन्होंने दीव, दमन, सालसिट, बेसिन, चौल और बंबई, मद्रास के निकट सैनथोम और बंगाल में हुगली पर अधिकार जमाया. लंका के बहुत बड़े भाग पर भी उन्होंने अपनी सत्ता स्थापित की. शाहजहाँ के राज्यजाल में उन्होंने हुगली खो दिया और 1739 में मराठों ने सालसिट और बेसिन पर अधिकार कर लिया. मुगल बादशाह अकबर ने लाल सागर मे नि:शुक्ल व्यापार करने हेतु पुर्तगालियों से कार्ट्ज (परमिट) प्राप्त किया.
पुर्तगाली साम्राज्य का पतन
यद्यपि पुर्तगाल ने सर्वप्रथम “पूर्व में अनधिकार प्रवेश किया” परन्तु वह भारत में कोई स्थायी राज्य स्थापित न कर सका. इनके पतन का मुख्य कारण अल्बुकर्क की मृत्यु के उपरान्त कोई शक्तिशाली वायसराय का नहीं उ भरना है. इसके अतिरिक्त भारत में पुर्तगाली प्रशासन भ्रष्टचार, रिश्वतखोरी और हिन्दुओं के प्रति हिंसा को बढ़ावा देने वाला था.
1. पुर्तगाल के द्वारा ब्राजील का अनुसंधान
2. धार्मिक अनुदारता
3. गवर्नरों में दूरदर्शिता का अभाव
4. व्यापार करने के बुरे ढंग
5. अन्यान्य यूरोपीय शक्तियों की प्रतिद्वन्द्विता (डच, अँगरेज़, फ़्रांसिसी आदि)
ब्राजील का पता लग जाने से पुर्तगाल पश्चिम में उपनिवेश बसाने का काम करने लगा. धार्मिक अनुदारता के कारण पुर्तगालियों ने अपने राजा की आज्ञा से 1540 में गोआ टापू के सभी हिन्दू मंदिरों को नष्ट कर डाला.
पुर्तगालियों के आगमन से भारत पर प्रभाव
- यहाँ तम्बाकू की खेती पुर्तगालियों की ही देन है. फूलगोभी, टमाटर, हरी मिर्च, रसभरी, पपीता, आलू, मूंगफली इत्यादि कृषि फसलें भारत में पुर्तगाली ही लाये.
- भारत के पश्चिमी और पूर्वी तट में कैथोलिक धर्म का प्रचार जम कर किया गया और इस प्रकार भारत में ईसाइयत के आगमन का ये माध्यम बने.
- पहली प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना भारत में इन्होंने ने ही की.
- पुर्तगालियों के साथ ही भारत में गोथिक स्थापत्यकला का आगमन हुआ.
- पुर्तगाली शासन भारत में लगभग 450 सालों (1961 तक) तक रहा जिससे भारत पर व्यापार प्रभाव पड़े.
आगे हम लोग पढ़ेंगे कि और कौन-कौन से देश कौन-कौन यूरोपीय देश भारत में अपना दाँव आजमाने आये.
आपको इस सीरीज के सभी पोस्ट रोज इस लिंक में एक साथ मिलेंगे >> #AdhunikIndia[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]
21 Comments on “पुर्तगालियों का भारत में आगमन – Advent of Portuguese in India”
Thank you sir
Verry verry thanks apka sir
बेहद सटीक जानकारी
ह्रदय से धन्यवाद।♥️♥️♥️♥️
Sir morden history k pure notes jaldi finished karna and medieval and accent history and art culture bhi M sir sansar lochan par hi depand hu please please….
Thanku so much sir, maira apki web ki help se pre clear ho gya thha bt mains ni hua optional m reh gya hu to apse req h ki ap polity k liya bhi kuch acha kre i hope u
Sir please map bhi provide kijiye taki samajne m aur help ho jaye
सभी पोस्ट मै बहुत महत्वपूर्ण जानकारी होती है । धन्यवाद sir
Thanku sir
Hum Hindi Medium wale sabhi student ke liye ek bahut hi upayogee website hai, iske liye hum aap ka aabhari hai, Thanks a lot sir,
nice post
Sir,good morning, sir current affairs ko or aap ke sabi post ko pdf link bhi dallo sirji
Thanx sir .sach a helpfull notes for us
This chapter is very useful for me
Thank you so much sir
Thank you soo much sir
Bht hi ache notes h sir .. Thanku so much sir ji ..daily aaenge sir ye
Yes daily aayenge. December tak modern history complete karne ka lakshy hai.
sir plzz sociology optional k liye hindi books bta dijiye jisse mai 3 month me complete notes bna lu
bahut hi accha lga… or hm dua krte h aapke liye ki aap hmesha swasth bne rhe or hmari madad krte rhe ☺☺☺
sir kya hame book bhi follow karna hoga ya isse se kaam chul jaye ga
NCERT भी पढ़ते रहें.
you are doing a grear job sir…hats of you