जलवायु की विभिन्न दशाओं और अन्य कारणों से भूमि पर अनेक प्रकार के पेड़-पौधे प्राकृतिक रूप से उग आते हैं – इन्हें वनस्पति कहते हैं. वनस्पति भूमि के ऊपर उगने वाली प्राकृतिक संपत्ति है. भारत में घास के मैदान प्रायः नहीं पाए जाते. वर्षा के दिनों में पहाड़ियों पर और यत्र-तत्र घास अवश्य हो जाती हैं. 2,000 मिलीमीटर से अधिक वर्षा वाले प्रदेशों में पहाड़ियों पर सदाबहार वन पाए जाते हैं. हिमालय के पूर्वी भाग में, जहाँ वर्षा अधिक होती है, असम की पहाड़ियों पर और पश्चिमी घाट के पश्चिम ढालों पर सदाबहार वन प्रमुख हैं. 1000 से 2000 मिलीमीटर तक की वर्षा वाले प्रदेशों में पतझड़ वन, जिन्हें मानसूनी जंगल भी कहते हैं, पाए जाते हैं.
मानसूनी जंगल हिमालय के दक्षिणी ढालों, देश के पश्चिमी भागों और दक्षिण पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में पाए जाते हैं. जहाँ 1,000 मिलीमीटर से भी कम वर्षा होती है वहाँ काँटेदार लम्बी जड़ वाले वृक्ष और झाड़ियाँ पाई जाती हैं जो अपनी नमी सुरक्षित रख सके. ये शुष्क जंगल दक्षिणी पंजाब, राजस्थान के अधिकतर भाग और गुजरात में पाए जाते हैं. नदियों के डेल्टा प्रदेशों और समुद्र तटों पर विभिन्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है. गंगा और ब्रह्मपुत्र डेल्टा पर सुन्दर वन प्रसिद्ध है. पहाड़ों पर ऊँचाई और उसके अनुसार जलवायु की बदलती हुई दशाओं के कारण वनस्पति भी विभिन्न प्रकार की पाई जाती है. हिमालय के निम्न पश्चिम भाग में मानसूनी जंगल और अधिक वर्षा वाले पूर्वी भाग में सदाबहार जंगल पाए जाते हैं. दक्षिण में नीलगिरी और कार्डमम (cardamom) की पहाड़ियों पर 1,500 मीटर की ऊँचाई तक लगभग इसी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है. हिमालत पर 100 से 1,500 मीटर ऊँचाई तक शीतोष्ण कटिबंध पर्वतीय जंगल पाए जाते हैं जिनमें देवदार और बलूत के वृक्ष मुख्य हैं. 1,500 से 2,100 मीटर ऊँचाई तक नोकदार पट्टी के जंगल (Coniferous forests) पाए जाते हैं जिनमें चीड़, सनोवर इत्यादि के वृक्ष मुख्य हैं. पर्वतों की अधिक ऊँचाइयों पर अधिक ठंडा और शुष्क होने के कारण केवल शुष्क वनस्पति – झाड़ी इत्यादि ही उग सकती है. भारतवर्ष में बाँस के जंगल भी मुख्य हैं.
सरकारी आँकड़े (Govt. Data)
सरकारी तौर पर नियंत्रण की दृष्टि से भारतीय वनों को तीन भागों में बाँटा गया है (July, 2017 के आँकड़े के अनुसार) –
- सुरक्षित वन (Reserved forests) – 24.16% of Geographical Area of India
- रक्षित वन (Protected forests) – 21.34 % of Geographical Area of India
- अन्य वन (Other forests)
भारत में प्राकृतिक वनस्पति को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है –
वनस्पति/वन के प्रकार
- ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार
- ऊष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन
- ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन
- उपोष्ण पर्वतीय वन
- शुष्क पर्णपाती वन
- हिमालय के आद्र वन
- हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन
- पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन
- अल्पाइन एवं अर्ध अल्पाइन वन
- मरुस्थल वनस्पति
- डेल्टाई वन
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार (Tropical Evergreen Forest)
ये forest अक्सर उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 150 cm. से ज्यादा वर्षा होती है. तापमान का भी 15-30° Celsius तक होना अनिवार्य है. ये वन उत्तर-पूर्वी भारत, पश्चिमी घाट के कुछ भागों, हिमालय के निम्नश्रेणी जैसे भाबर (foothills), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आदि में पाए जाते हैं. ऐसा देखा गया है कि जिन प्रदेशों में औसत वार्षिक 250 cm. से अधिक वर्षा होती है, उन क्षेत्रों के जंगल सघन होते हैं. इन क्षेत्रों में जो वरिश पाए जाते हैं, उनके पत्ते प्रतिवर्ष नियमित रूप से नहीं झड़ते और इसी के कारण ये सदाबहार वन कहलाते हैं. इन forests में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख प्रजातियाँ हैं – सफ़ेद देवदार, बेंत. मुली, बाँस, चपलास (chaplas), गर्जन (gurjan) आदि. बीहड़ स्थानों में (दुर्गम) होने के कारण इन वनों का पूरी तरह से प्रयोग नहीं हो पाता है. वे प्रदेश जहाँ वर्षा 200-250 cm के बीच पाई जाती है, वहाँ के forest अर्ध सदाबहार वन कहलाते हैं. ये पश्चिम घाट, असम के ऊपरी इलाकों या हिमालय के ढालों और उड़ीसा में पाए जाते हैं.
उष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन (Tropical Wet Deciduous Forest)
ये मानसूनी वन हैं. ये वन भारत के उन भागों में पाई जाती हैं जहाँ औसत वर्षा 100-200 cm. के बीच होती है. ये forest सह्याद्रि, प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग और हिमालय के foothills में पाए जाते हैं. इन वनों में सागवान, साल, सखुआ, खैर आदि पेड़ पाए जाते हैं जो आर्थिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण हैं.
उष्ण कटिबंधीय कटीले वन (Tropical Thorn Forest)
ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 75-100 cm. के बीच होती है और औसत तापमान 16-22° Celsius होता है. ये वन मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कच्छ आदि स्थानों में पाए जाते हैं. बबूल, पलास, काजू, खैर, जंगली ताड़ आदि इस forest में पाए जाते हैं.
उपोष्ण पर्वतीय वन (Himalayan Subtropical Pine Forests)
ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ 100-200 cm. के बीच वर्षा होती है और तापमान 15-22° Celsius के बीच होता है. ये वन उत्तर-पश्चिम हिमालय, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी पर्वतीय राज्यों के ढालों पर पाए जाते हैं. चीड़ (Pine) इस वन की प्रमुख वनस्पति है.
शुष्क पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forest)
शुष्क पर्णपाती वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100-150 cm. और तापमान 10-12° Celsius के बीच होता है. बबूल, जामुन, मोदेस्ता (modesta tree), Pistache tree आदि यहाँ के प्रमुख वृक्ष हैं.
हिमालय के आद्र वन (Himalayan Wet Forest)
आद्र शीतोष्ण वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ औसत ऊँचाई 1000-2000 meter के बीच होती है. ये forest जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरी पर्वतीय भाग, उत्तरी बंगाल में पाए जाते हैं. यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं – साल, पाइन, ओक (oak), चेस्टनट आदि.
हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन (Himalayan Dry Temperate Forest)
हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन जम्मू-कश्मीर, लाहौल-स्पीति (Lahaul & Spiti) , चंबा, किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) और सिक्किम में पाए जाते हैं. दरअसल, ये वन शंकुधारी वन हैं. इस वन की प्रमुख किस्मों की बात करें तो देवदार, ओक, विलो, मलबरी, ओलिव आदि वनस्पतियाँ हैं.
पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन (Montane Wet Temperate Forests)
जिन क्षेत्रों में पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन पाए जाते हैं वहाँ का तापमान 12-15 के बीच होता है. ये forest पूरे हिमालय प्रदेश में जम्मू और कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 1500 मीटर से 3000 मीटर की ऊँचाई के बीच पाए जाते हैं. ज्यादातर इन वनों में झाड़ियाँ, लताएँ और फर्न पाए जाते हैं. देवदार, ओक, मैग्नोलिया (magnolia), चेस्टनट (chestnut), स्प्रूस (spruce tree), सिल्वर फर इसकी प्रमुख प्रजातियाँ हैं.
अल्पाइन और अर्द्ध अल्पाइन वन (Alpine and Semi-Alpine Forest)
अल्पाइन और अर्द्ध अल्पाइन वन हिमालय के उन प्रदेशों में पाए जाते हैं, जिसकी ऊँचाई 2500-3500 मीटर के बीच होती है. इस प्रदेश की विशेषता है – छोटे और कम ऊँचे शंकुवृक्ष. कैल, स्प्रूस, देवदारु आदि इस forest के प्रमुख वृक्ष हैं.
मरुस्थल वनस्पति (Desert Vegetation)
इस प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 50 cm. से कम होती है. मरुस्थल वनस्पति अरावली के पश्चिम में राजस्थान और उत्तरी गुजरात तक फैली है. इन प्रदेश में दैनिक और वार्षिक ताप का अंतर बहुत अधिक होता है. कैक्टस, काजू, खजूर, अकेशिया (acacia tree) इस प्रदेश की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं.
डेल्टाई वन (Delta Forest)
डेल्टाई वन नदियों के डेल्टा पर समुद्र-तट पर पाए जाते हैं, जहाँ ज्वारों के द्वारा नमी मिलती रहती है. इसलिए इन्हें Tidal forests भी कहते हैं. ये forest बंगाल की खाड़ी के तटीय प्रदेशों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु और कच्छ , काठियावाड़ (गुजरात), खम्भात की खाड़ी के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं. मैन्ग्रोव (mangrove) इस प्रदेश की सबसे प्रमुख वृक्ष हैं, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में होता है. सुंदरवन के डेल्टा प्रदेश में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं.
32 Comments on “भारत में वन के प्रकार – Types of Forests or Vegetation in Hindi”
Sir…how can I get this blog in PDF format…. Please confirm
copy them and paste in ms word then convert it into PDF format
Very nice and thank you for information
Thank you sir
Thanks
धन्यवाद गुरू जी ।
Bharat me van ke prakar – Are they Short notes of NCERT?
Thanks so much you sir
Thanks for my help.
Thanks
sir, please provide this content in English also
kya ye sabhi qustion regular updates hote rahate hai kya
Thanks sir ji
Thank you sir
bahut badhiya post sir thanks very much
also your reders read our post – about type of forest in india in hindi
http://hihindi.com/classification-types-names-forest-in-india-hindi/
Thanks sir
Thanks sir
Thanku sir ji
Thank you very much Sir.
यह सामग्री कहा से ली गयी है।
Useful for evryone
Nice every thing very important….. this is nice information tq so much
Thank u sir
Very informative content.
वन किस प्रकार का है
Very nice
NICE SIR
very nice
Thank you sir ji
Very good sir ji
Nice knowledge sir
thank u sir ji