IAS इंटरव्यू का अनुभव – मुझे कॉन्फिडेंस था या ओवर-कॉन्फिडेंस?

Sansar LochanInterviews5 Comments

नमस्कार,

मेरा नाम मनीष है. मैं लोचन अकादमी से मात्र एक साल से जुड़ा हूँ. यह अकादमी इतने गुप्त रूप से चलाई जाती है जैसे कोई गुप्त संगठन चलाया जाता हो (sorry to say sir), आशा है कि आप इसे एडिट नहीं करेंगे.🤣

हाँ, यह सच है. मुझे इसका पता मेरे मित्र से चला जो पिछले वर्ष यहाँ से पढ़ा था पर उसकी निजी कारणों की वजह से उसे बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह पुनः कृषि व्यवसाय से जुड़ गया. फिर मुझे पता चला कि यहाँ एक मौक टेस्ट होता है, फिर लिखित परीक्षा होती है और फिर साक्षात्कार होता है, तभी जाकर एंट्री मिलती है.

मैं आर्थिक रूप से बेहद कमजोर हूँ. जब पता चला कि लोचन अकादमी में UPSC इंटरव्यू तक पहुँचने में आधी फीज माफ़ कर दी जाती है तो मैं जी-जान से तैयारी करने लगा.

खैर, मुझे लोग बहुत घमंडी इंसान कहते हैं. यह “टैग” मुझे बचपन से ही मिलता आया है. मैं जो सोचता हूँ वो कर के ही दम लेता हूँ.

हाँ भले ही मेरा जन्म एक कृषक परिवार में हुआ पर मेरी सोच हमेशा ऊपर ही रही. मैंने कभी आज तक उत्तर प्रदेश सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी नहीं की क्योंकि मेरा मन था कि मुझे IAS ही बनना है तो बनना है.

बचपन से मेरी मेहनत, लगन और कॉन्फिडेंस ने मुझे कभी विफलता का मुंह नहीं दिखाया. हमेशा क्लास में अव्वल रहा और आशा है कि सिविल सेवा परीक्षा भी मैं प्रथम चांस में ही निकाल लूँ.

मेरा इंटरव्यू सुबह-सुबह था. मैं सुबह 5 बजे ही उठ जाता हूँ, फिर व्यायाम करके वापस सो जाता हूँ. यह दिन भी आम दिनों की तरह ही था. मैं कॉन्फिडेंस से भरपूर था. कुछ देर अखबार पढ़ा और फिर नहाने चला गया. कुछ घंटों तक तो मैंने ज्यादा सोचा भी नहीं कि आज साक्षात्कार देने वाला हूँ.

पर जैसे-जैसे घड़ी की सुई आगे बढ़ रही थी, मेरा कॉन्फिडेंस थोड़ा-थोड़ा डोलने लगा. आगे की सोचने लगा कि क्या होगा वहाँ. कहीं कुछ ऐसा तो नहीं पूछ लेंगे जो मैं नहीं जानता. नहीं जानता हूँगा तो उन्हें क्या कहूँगा? खैर, मैंने मौक इंटरव्यू किया था तो ज्यादा डर नहीं था और अपने कमजोर पक्ष से अच्छी तरह से अवगत था.

फिर संसार सर का फ़ोन आया. उन्होंने पूछा घबरा तो नहीं रहे हो? मैंने कहा नहीं सर, घबरा तो नहीं रहा पर दिल की धड़कन तेज है, इससे बचने का कुछ उपाय बताईये. उन्होंने कहा कि मेट्रो से जाना तो कान में ईरफ़ोन घुसेड़ कर मनपसंदीदा गाना सुन के जाना और UPSC परिसर में पहुँच कर लोगों से थोड़ा-बहुत बात कर लेना जिससे सहजता का अनुभव हो.

अब निकलने का समय आ गया था. मैंने तीन दिन पहले ही कपड़े आयरन के लिए दे दिए थे. मैंने हल्का नीला शर्ट और बादामी रंग का पैंट डाला. कोट भी लगभग वही रंग का था.

जब कपड़े पहन कर आईने के सामने खड़ा हुआ तो लगा कि सीधे Lbsnaa में पहुँच गया हूँ ट्रेनिंग के लिए. यह सोचकर अन्दर से फिर कॉन्फिडेंस आ गया.

मैं समय से ठीक डेढ़ घंटे पहले परिसर पहुँच गया. कुछ लोग नहीं आये थे और कुछ लोग आने वाले थे. मैंने सब से गप-शप किया. मैं औरों के सामने बहुत कॉंफिडेंट लग रहा था क्योंकि मैं देख सकता था कि बहुत लोगों के पसीने छूट रहे थे जबकि दिल्ली में आकस्मिक बरसात की वजह से अभी ठण्ड का मौसम है.

इंटरव्यू का सीन

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सक्सेना बोर्ड सदस्य मेरा साक्षात्कार लेने वाले थे. मेरा कॉन्फिडेंस फिर से वापस आ गया था. जब मेरा नाम पुकारा गया तो मैं दबे क़दमों से इंटरव्यू रूम के अन्दर प्रवेश किया.

वहाँ चार लोग बैठे थे जिसमें सक्सेना जी, जो UPSC के चेयरमैन हैं, ने मुझे बैठने को कहा. कुछ देर मैं ऐसे ही बैठा रहा. उनमें से तीन लोग मुझे बहुत घूर रहे थे. मैं नकली हँसी हसे जा रहा था. सक्सेना जी कागज़ उलट-पलट रहे थे. शायद वह मेरा फॉर्म था.

तो वह अचानक बोले कि मनीष जी, आज का अखबार आपने पढ़ा है? मैंने बोला हाँ सर, पढ़ा है. तो उन्होंने पूछा, कुछ ख़ास था आज अखबार में?

मैंने मन ही मन सोचा, कि पढ़ा तो बहुत कुछ हूँ मगर बताउँगा वही जिसके बारे में मुझे अच्छे से पता हो (यह संसार सर ने ही सिखाया था कि इंटरव्यू को तुम अपने जवाब से ही प्रभावित कर सकते हो, जो मजबूत पक्ष हो वही बोलो ताकि इंटरव्यू लम्बा चले)

तो मैंने बोला हाँ सर, कोरोना के बारे में पढ़ा.

फिर वही हुआ, जो सोचा था, कोरोना पर पाँच-छह सवाल दागे गये. मैं भी कॉन्फिडेंस के साथ कोरोना के हर सवाल का उत्तर दिया. ऐसा लग रहा था कि मैं ही कोरोना वायरस हूँ. मुझे अच्छी-खासी जानकारी थी इस टॉपिक पर.

बात चलते-चलते वुहान और चीन तक पहुँच गया.

फिर दूसरे मेम्बर ने पूछा कि आपको नहीं लगता कि चीन भारत को घेर रहा है. पाकिस्तान हो, श्रीलंका हो, बांग्लादेश हो, वह कुछ न कुछ ऐसा कर रहा है जिससे भारत असहज मसहूस करे.

मैंने उत्तर दिया कि – सर, भारत राष्ट्र तेजी बदल रहा है, हमने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बहुत सारे काम किये हैं और हमारी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन रही है..

तभी बीच में एक सदस्य ने रोक दिया, कहा – शायद आप गलत समझ रहे हो. उन्होंने चीन के बारे में पूछा है, आपको भारत के गुणगान करने को नहीं कहा.

मुझे हल्का-सा बुरा लगा क्योंकि उनके बोलने का टोन थोड़ा कड़ा था. शायद वह मेरे टेम्परामेंट की परीक्षा ले रहे थे.

मैंने कहा – सॉरी सर, पर मैं उसी विषय पर आ रहा था.

“भारत हमेशा पड़ोसियों के साथ अच्छा रहा है और वह चाहे तो चीन को अपनी आक्रामक छवि भी दिखा सकता है.. पर हम जानते हैं कि चीन जो भी कर रहा है वह अपने स्वयं के हित के लिए कर रहा है और वह जिनसे भी मित्रता कर रहा है वह लॉन्ग टर्म के लिए नहीं है. वह व्यापारिक हित के लिए पाकिस्तान आदि से मित्रता कर रहा है. समय आने पर न तो वह पाकिस्तान की मदद करेगा और न ही किसी और देश की. इसलिए घेरने वाली बात मुझे सही प्रतीत नहीं होती. यदि चीन से हमें खतरा है तो वह है नक्सलवाद का भारत में आना.

(यह अंतिम लाइन मैंने जानबूझ कर जोड़ा जिससे नक्सलवाद पर बात निकल जाए जिसके लिए मैं हर तरह से तैयार था)

और वही हुआ…

किसी ने पूछा – “नक्सलवाद कैसे? भारत में नक्सलवाद समस्या का चीन से कैसे सम्बन्ध है?”

मेरा उत्तर था – “नक्सलवाद कम्युनिस्ट क्रांतिकारियों के उस आंदोलन का अनौपचारिक नाम है जो भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के फलस्वरूप उत्पन्न हुआ. नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से हुई है जहाँ भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता के खिलाफ़ एक सशस्त्र आंदोलन का प्रारम्भ किया. मजूमदार चीन के कम्यूनिस्ट नेता माओत्से तुंग के बहुत बड़े प्रशंसकों में से थे और उनका मानना था कि भारतीय मज़दूरों और किसानों की दुर्दशा के लिये सरकारी नीतियाँ जिम्मेदार हैं जिसकी वजह से उच्च वर्गों का शासन तंत्र और फलस्वरुप कृषितंत्र पर वर्चस्व स्थापित हो गया है…”

इतना बोल ही रहा था कि वह समझ गये इसको इस बात की पूरी जानकारी है.

सवालों की लड़ी- सवाल एक, जवाब दो

फिर कुछ अन्य सवाल पूछे गये –

  1. भारत में आतंकवाद
  2. मोदी सरकार की कृषि से सम्बंधित योजनाएँ कौन-कौन सी हैं?
  3. रूस और अमेरिका दोनों में से कौन भारत के हित के बारे में सोचता है?
  4. मीडिया की क्या भूमिका है – हाल में हुए CAA बिल को लेकर जो लोग सड़क पर उतरे, उनकी मानसिकता क्या है.
  5. NPR, NRC में क्या अंतर है?
  6. क्या NPR में डिटेल लिया जाना अनिवार्य है?
  7. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल के बारे में थोड़ा बताएँ.
  8. जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों की संख्या को लेकर क्यों बवाल हो रहा है? क्या इतिहास है इसका?
  9. आप लद्दाख में एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में क्या-क्या बदलाव ला सकते हो?
  10. दोनों राज्यों का एक ही हाईकोर्ट होगा, इससे क्या फर्क पड़ेगा?
  11. मध्य प्रदेश के राज्य इतने साफ़-सुथरे क्यों हैं? क्यों उन्हें हमेशा अच्छी रैंकिंग मिलती है?
  12. मालदीव में क्या हो रहा है?
  13. आधार एक्ट, शत्रु संपत्ति एक्ट, हिंदू मैरिज एक्ट और आरटीआई एक्ट के बारे में बताएँ
  14. जीरो बजट फार्मिंग से आप क्या समझते हैं?
  15. पेप्सिको बनाम आलू की खेती वाले किसानों के बीच क्या विवाद चल रहा है?
  16. अन्य प्रश्न मेरे वैकल्पिक विषय से पूछे गये जो यहाँ बताना उचित नहीं होगा.

मेरा साक्षात्कार लगभग 45 मिनट चला. ऐसा कहा जाता है कि जितना लम्बा साक्षात्कार चले उतना ही अच्छा माना जाता है.

बोर्ड से जाने की अनुमति ली और अन्य लोगों को शुभकामना देते हुए वहाँ से निकल पड़ा. बहुत हल्का महसूस कर रहा था. मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे फिर भी मन बहलाने के लिए एक महंगे रेस्टोरेंट में घुस गया और जम कर बर्गर और नूडल्स 🍔🍟🍕खाया. घर में और फिर सर को फ़ोन कर के बताया कि आज के इस निर्णायक दिन में मेरे साथ क्या-क्या हुआ.

आपके मन में कुछ सवाल है तो आप मुझसे बेहिचक यहाँ कमेंट करके पूछ सकते हैं.

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5 Comments on “IAS इंटरव्यू का अनुभव – मुझे कॉन्फिडेंस था या ओवर-कॉन्फिडेंस?”

  1. best of luck brother final selection ke liye ,mujhe coaching adress bta do bhai pls mujhe bhut jrurt h sir ki meri mail id [email protected] h pls brother aap hi bta do sir to bta hi nhi rahe ,sorry sir kya kru khna pd raha h aapke pas kai bar mail kiya h mene🙏🏻

    1. Sir congratulations for select as a IAS officer because jaise app Bata rahe ho apka selection pakka hai sir. How can I join Lochan institute?

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