[Sansar Editorial] सेल्यूलोज नैनो फाइबर – कीटनाशकों के प्रयोग को नियंत्रित करने का एक वैज्ञानिक स्रोत

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फसलों को नष्ट होने से रोकने के लिए रसायनों का सही मात्रा में उपयोग और छिड़काव की नियंत्रित विधियों को अपनाने की आवश्यकता होती है. भारत के शोधकर्ताओं ने अब एक ऐसे ईको-फ्रेंडली फॉर्मूले का आविष्कार किया है, जिसकी सहायता से खेतों में रसायनों के छिड़काव को नियंत्रित किया जा सकता है.

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वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (CISR) की पुणे स्थित नेशनल केमिकल लैबोरेटरी (NCL) के शोधकर्ताओं ने गन्ने की पेराई के उपरान्त बचे अपशिष्ट, मक्का स्टार्च और यूरिया फॉर्मेल्डहाइड को मिश्रित करके एक विशेष रूप के नैनो-कम्पोजिट दाने (ग्रैन्यूल्स) निर्मित किये हैं. इन दानों के अंदर एक कीट-प्रतिरोधी रसायन डिमेथिल फाथेलेट (DMP) और परजीवी रोधी दवा एक्टो-पैरासिटाइडिस को मिलाया गया है.

इसकी मदद से जब चाहे कीटनाशकों का छिड़काव किया सकता है और उन्हें आवश्यकतानुसार सही जगह तक पहुँचाया जा सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस खोज से फसल पैदावार को बढ़ाया जा सकता है और साथ ही पर्यावरण प्रदूषण को भी नियंत्रित किया जा सकता है.

स्टार्च, जिलेटिन, प्राकृतिक रबड़ और पॉलियूरिया, पॉलीयूरेथेन, पॉली विनाइल अल्कोहल एवं इपोक्सी रेजिन जैसे सिंथेटिक पॉलिमर आदि इन प्रणालियों को तैयार करने के लिए उपयोग किए जाते हैं.

सेल्यूलोज नैनो फाइबर क्या होता है?

  • सेल्यूलोज नैनो फाइबर (CNF) लकड़ी के गुदे से बनता है.
  • इन गुदे को बहुत परिष्कृत कर सूक्ष्म से सूक्ष्म (nano) बना दिया जाता है.
  • सेल्यूलोज नैनो फाइबर विश्व का सबसे अधिक उन्नत जैव बायो-मास पदार्थ (advanced biomass material) है.
  • चूँकि यह पौधों के रेशे बनता है इसलिए इसका पर्यावरण पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है.
  • यह बहुत हल्का होता है इसलिए इसमें उतना ही लचीलापन और शक्ति होती है जितना कि aramid fiber में.

ग्रेन्यूल्स कैसे काम करते हैं?

  1. ग्रेन्यूल्स का प्रयोग कृषि क्षेत्रों में किया जाता है तो इसमें विद्यमान स्टार्च जल को सोखकर फूल जाता है और इस प्रकार रसायनों का रिसाव नियंत्रित रूप से होता है. इस प्रणाली में प्रयोग किए गए गन्ने के अपशिष्टों के सूक्ष्म रेशों (सेल्यूलोज नैनो-फाइबर्स) के कारण इसकी क्षमता पर्याप्त रूप में बढ़ जाती है.
  2. केवल स्टार्च का उपयोग करने पर DMP के निस्सरण होने की प्रारम्भिक दर ज्यादा होती है और लगभग आधी DMP निस्सरण हो जाने के उपरान्त यह दर शनैः शनै: कम होने लगती है.
  3. सेल्यूलोज नैनो-फाइबर (cellulose nanofiber) युक्त इस नई प्रणाली में DMP के निस्सरण होने की दर प्रारम्भ में कम होती है और 90% तक DMP निस्सरण हो जाती है. सेलुलोज फाइबर में जल को सोखने की प्रवृत्ति होती है और इसी प्रवृत्ति के कारण ऐसा संभव हो पता है. सेल्यूलोज नैनो फाइबर स्टार्च ग्रेनेयूल्स के छिद्रों के आकार और DMP निस्सरण को नियंत्रित करते हैं.
  4. इस प्रणाली में सक्रिय एजेंट के निस्सरण होने की दर जल अवशोषण के स्तर पर निर्भर करती है. वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी के प्रकार, सिंचाई पैटर्न और मिट्टी में विद्यमान नमी के आधार पर अनेक प्रकार के निस्सरण फॉर्मूलेशन सिस्टम को विकसित करना संभव है.

आगे की राह

शोधकर्ता भविष्य में खरपतवार के नियंत्रण के लिए नियंत्रित निस्सरण फार्मूलेशन विकसित करने हेतु अनुसंधान करना चाहते हैं. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के नैनो मिशन के अंतर्गत वैज्ञानिकों ने इसको लेकर प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया है.

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