विशेष आर्थिक जोन (SEZ) क्या हैं? – Special Economic Zone in Hindi

Sansar LochanFinance

पिछले दिनों केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने त्रिपुरा के लिए पहला विशेष आर्थिक जोन (Special Economic Zone – SEZ) अधिसूचित किया. यह जोन त्रिपुरा औद्योगिक विकास निगम (TIDC) उन उद्योगों के लिए बनाने जा रहा है जो रबर, कपड़े और परिधान, बाँस और कृषि खाद्य प्रसंस्करण पर आधारित हैं.

विशेष आर्थिक जोन (SEZs) क्या हैं?

विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) वे भौगोलिक क्षेत्र हैं जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बन्धित नियम और प्रथाएँ देश के अन्य भागों से अलग हैं. दूसरे शब्दों में, इस भौगोलिक क्षेत्र में स्थित व्यवसायों को विशेष अधिकार होते हैं. SEZs स्थापित करने के पीछे मूल विचार यह है कि व्यवसाय के लिए संरचना और परिवेश का निर्माण करना रातों-रात संभव नहीं होता, अतः इसके लिए ऐसे विशेष क्षेत्र बनाए जाएँ जो कम अवधि में तैयार हो सकें और जहाँ व्यवसाय और व्यापार से सम्बंधित समस्याओं के हल अधिक कुशलता से किया जा सके.

SEZ Act, 2005 में SEZs और इसके अन्दर संचालित इकाइयों की स्थापना के लिए कानूनी ढाँचे का प्रावधान किया गया है.

Special Economic Zone में दी जाने वाली सुविधाएँ और उत्प्रेरणाएँ

  • उन वस्तुओं को देश और विदेश से मंगाने में ड्यूटी नहीं लगती जो SEZs की इकाइयों के विकास, संचालन और संधारण के लिए आवश्यक है.
  • SEZs की इकाइयों को पहले पाँच वर्षों तक निर्यात से होने वाली आय पर आयकर नहीं देना पड़ता है. फिर अगले पाँच वर्षों तक इसके लिए 50% आयकर देना होता है.
  • न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternate Tax – MAT) से छूट.
  • केंद्र और राज्य के स्तर होने वाले अनुमोदन एक ही स्थान पर उपलब्ध कराए जाते हैं.

SEZs से सम्बंधित चिंताएँ

  • कई दूसरे देशों की तुलना में भारत के SEZs उतने सफल नहीं रहे हैं. चीन, कोरिया, मलेशिया और सिंगापुर के SEZs की उन्नति देखते ही बनती है.
  • केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दी गई कर संबंधी राहतों से आकर्षित होकर कई प्रतिष्ठानों ने अपनी इकाइयाँ वहाँ लगा दीं, परन्तु ये प्रतिष्ठान निर्यात में न ध्यान देकर “कर” बचाने पर ध्यान देते हैं.
  • देश की शेष अर्थव्यवस्था से उपयुक्त सम्पर्क (linkages) के अभाव में SEZs की निर्माण कम्पनियों का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है.
  • तटीय स्थानों में स्थापित SEZs का जुड़ाव उनके हिन्टरलैंड से कमजोर रहा है जिस कारण उनकी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाया.
  • केंद्र के SEZs अधिनियम के अनुरूप राज्य स्तर पर कानून नहीं बनने के कारण एक ही स्थान पर सरकारी अनुमतियों को प्रदान करने की प्रणाली कारगर नहीं हो पाई.
  • SEZs के द्वारा देश के औद्योगीकरण के प्रयास को उत्तम नीति, कारगर कार्यान्वयन और कुशल अनुश्रवन के कारण बहुत बड़ा धक्का लगा है.

NIMZs और SEZ में अंतर

  • विशेष आर्थिक जोन (Special Economic Zones- SEZ) का मुख्य उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है. परन्तु दूसरी ओर NIMZs राज्यों के साथ भागीदारी के माध्यम से औद्योगिक वृद्धि के सिद्धांत पर काम करते हैं और इनका मुख्य बल निर्माण में वृद्धि और आजीविका के सृजन पर होता है.
  • आकार, अवसंरचना की योजना के स्तर, नियामक प्रक्रियाओं से सम्बन्धित प्रशासनिक बनावट और बाहर निकलने की नीतियों के मामले में भी NIMZs और SEZ में अंतर है.
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